________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 45 से तं पसत्थे भावोवकमे, से तं नोयागमयो भावोवकमे, से तं भावोवकमे, से तं उवकमे // सू० 61 // श्रहवा उवक्कमे छबिहे पराणत्ते, तंजहाश्राणुपुव्वी 1 नामं 2 पमाणं 3 वत्तव्वया 4 अत्थाहिगारे 5 समोआरे 6 // सू० 70 // से किं तं श्राणुपुब्बी ?, 2 दसविहा पराणत्ता, तंजहा-नामाणुपुब्बी 1 ठवणाणुपुब्बी 2 दव्वाणुपुव्वी 3 खेत्ताणुपुव्वी 4 कालाणुपुवी 5 उकित्तणाणुपुब्वी 6 गणणाणुपुव्वी 7 संगणाणुपुवी 8 सामाग्रारीवाणुपुव्वी 1 भावाणुपुब्बी 10 // सू० 71 // नामठवणाश्रो गयायो, से किं तं दव्वाणुपुवी ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तं जहा-भागमयो अ नोागमो श्र। से कि तं प्रागमत्रो दव्वाणुपुवी ?, 2 जस्स णं आणुपुग्वित्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं जाव नो अणुप्पेहाए, कम्हा ?, अणुवयोगो दवमितिकटु, णेगमस्स णं एगो अणुवउत्तो पागमयो एगा दवाणुपुब्बी जाव कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते न भवइ, से तं श्रागमयो दव्वाणुपुव्वी 1 / से कि तं नोबागमश्रो दवाणुपुब्बी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-जाणयसरीरदव्वाणुपुवी भविसरीरदव्वाणुपुब्बी जाणयसरीरभविग्रसरीरवइरित्तादव्वाणुपुब्बी / से किं तं जाणयसरीरदव्वाणुपुवी ? 2 श्राणुपुब्वी-पयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चाविय(चइय)चत्तदेहं, सेसं जहा दवावस्सए तहा भाणिग्रव्यं, जाव से तं जाणयसरीरदव्वाणुपुव्वी 2 / से किं तं भविग्रसरीरदब्वाणुपुत्री ?, 2 जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते सेसं जहा दवावस्सए जाव से तं भविग्रसरीरदव्वाणुब्बी 3 / से किं तं जाणयसरीर-भविश्रसरीरवइरित्ता-दव्वाणुपुब्बी ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-उवणिहिया य अणोवणिहिश्रा य, तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पराणत्ता, तंजहानेगमववहाराणं संगहस्स य 4 // सू० 72 // से किं तं नेगमववहाराणं