________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 43 श्र॥ सू० 54 // से किं तं बागमत्रो भावखंधे 1, 2 जाणए उवउत्ते, से तं आगमयो भावखंधे // सू० 55 // से किं तं नोयागमयो भावखंधे ?, 2 एएसिं चे सामाइअमाइयाणं छराहं अज्झयणाणं समुदय-समिइसमागमेणं निप्पन्ने प्रावस्सयसुअखंधे भावखंधेत्ति लब्भइ, से तं नोबागमत्रो भावखंधे, से तं भावखंधे // सू० 56 // तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा नामधेजा भवंति, तंजहा-गण काए अ निकाए खंधे वग्गे तहेव रासी श्र। पुंजे पिंडे निगरे संघाए बाउल समूहे // 5 // (भावखंधस्स पंजाया) से तं खंधे // सू० 57 // श्रावस्सगस्स णं इमे अत्थाहिगारा भवंति, तंजहा-सावजजोगविरई उकित्तण गुणवयो श्र पडिवत्ती / खलिअस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चेव // 6 // // सू० 58 // श्रावस्सयस्स एसो पिंडत्थो वरिणयो समासेणं / एत्तो एक्केक्कं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि // 7 // तंजहा-सामाइग्रं चउवीसत्थयो वंदणयं पडिकमणं काउस्सग्गो पञ्चक्खाणं / तत्थ पढमं यज्मयणं सामाइयं, तस्स णं इमे चत्तारि अणुयोगदारा भवंति, तंजहा-उवक्कमे 1 निक्खेवे 2 अणुगमे 3 नए 4 // सू० 51 // से किं तं उवक्कमे ?, 2 छबिहे पराणत्ते, तंजहा-णामोवकमे ठवणोवक्कमे दव्वोवकमे खेत्तोवक्कमे कालोवक्कमे भावोवकमे, नामठवणायो गयात्रो, से किं तं दव्वोवक्कमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पागमश्रो श्र नोवागमयो अ, जाव जाणगसरीरभविग्रसरीखइरिने दबोक्कमे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए // सू० 60 // से किं तं सचित्ते दव्वोवक्कमे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-दुपए चउप्पए अपए, एकिक्के पुण दुहिं पराणत्ते, तंजहा-परिक्कमे अ वत्थुविणासे श्र॥ सू० 61 // से किं तं दुपए उवकमे ?, 2 नडाणं नट्टाणं जल्लाणं मल्लाणं मुट्ठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं श्राइक्खगाणं लंखाणं मंखाणं तूणइलाणं तुबवीणियाणं