________________ 34] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागा विमंसा / तत्तो पसंगपारायणं च परिनिट्ट सत्तमाए // 4 // सुत्तत्थो खलु पढमो बीयो निज्जुत्ति मीसिश्रो भणियो। तइयो य निरवसेसो एस विही होइ अणुयोगे॥ 5 // से तं अंगपविट्ठ, से तं सुनाणं, से तं परोक्खनाणं, से तं नंदी // सू० 51 // नंदी सम्मत्ता। ___ // इति श्री नन्दिसूत्रं समाप्तम् // (ग्रन्थाग्रं 700)