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________________ भीनन्दिसूत्रम् ] [15 .. पडिबोहगदिढतेण-से जहा नामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडिबो हिजा अमुगा अमुगत्ति तत्थ य चोयगे पत्रवर्ग एवं वयासी कि एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति दुसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छति ? तिसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति जाव दससमयपविट्ठा पोगला गहणमाग छोते ? संखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? असंखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति ? एवं वदंतं चोयगं पनवए एवं वयासी नो एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छतेि, नो दुसमयपोग्गला गहणमागच्छतेि, नो तिसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, जार नो दस समयपबिट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, नो संखिजसमयपरिट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति, असंखिजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति, से तं पडिबोहगदिट्टतेण 3 // सू० 11 // से किं तं मल्लगदिद्रुते // ? मल्लगदिट्टतेण से जहानामए केइ पुरिसे अावागसीसाथो मल्लगं गहाय तत्थेगं उदगबिंदु पवखेविजा से न?, अन्नेऽवि पविखत्ते सेवि न? 1 / एवं पक्खिप्पमाणेसु पक्खिप्पमाणेसु होही से उदगबिंदू जे णं तं. मल्लगं रावेहिइत्ति, होही से उदगबिंदू जे णं तंसि मल्लगंसि गहिति, होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं भरिहिति, होही से उदगबिंदु जे णं तं मल्लगं पाहेहिति एवामेव पक्खिपमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहिं श्र[तेहिं पोग्गलेहिं जाहे तं वंजणं परिश्र होइ ताह हुँति करेइ 2 / नो चेव णं जाणइ के वि एस सदाइ तथो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस सदाइ 3 / तयो वायं पविसइ तत्रो से उवगयं हवइ.४ / तो णं धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखिज्जं वा कालं, असंखिज वा कालं 5 / से जहा नामए केइ, पुरिसे अव्वत्तं सदं सुणिजा तेणं सहोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सदाइ, तो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एम सद्दे, तो पं. अयं पविसइ, तथो से उपगयं
SR No.004375
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size17 MB
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