________________ [ श्रीमदागममुभासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः अ-वामीयर-मेहलागस्त // 12 // नियमुच्छि(सि)य-कणयसिला-यलुजलजलंतचित्तकूडस्स / नंदणवण मणहर-सुरभि-सीलगंधु (धद्ध)मायस्स // 13 // जीवदया-सुन्दरकंद-रुदरिय-मुणिवर(गण)-मइंदइन्नस्स / हेउसय-धातुपगलंतरयण-दित्तोसहि-गुहस्स // 14 // संवरवरजल-पगलिय-उजर-पविरायमाणहारस्स / सावगजण-पउर-रवंतमोर-नचंतकुहरस्स // 15 // विणयन(म)यपवरमुणिवर-फुरंतविज्जु-जलंतसिहरस्स / विविहगुण-कप्प-रुक्खग-फल-भरकुसुमाउल-बणस्म (विविहकुल-कप्परुवखगणय-भरकुसुमिय-कुलवणस्स)॥१६॥ नाणवररयणदिप्पंत-कंतवेरुलिय-विमलचूलस्स / वंदामि विणयपणथो संघमहामंदरगिरिस्स // 17 // (छहिं कुलयं) गुणरयणुजलकडय-सीलसुगंधि(ध)तवमंडिउद्देसं / सुयबारसंग-सिहरं महामंदरं वंदे // 18 // नगर-रह चक्कपउमे चंदे सूरे समुद्दमेरुमि / जो उवमिजइ सततं तं संश्गुणायरं दे // 11 // वंदे उसभं अजियं संभवमभिनंदणं सुमइसुप्पभ सुपासं / ससि पुष्पदंत सीयल मिजंसं वासुपुज्जं च // 20 // विमलमणतं च धम्म सन्तिं कुंथुअरं च मल्लिं च / मुनिसुव्वय-नमि-नेमि पासं तह वद्धमाणं च // 21 // जुम्मं // पढमित्थ इंदभूइ बीए पुण होइ अग्गिभूइत्ति / तईए य वाउभूई तत्रों वियत्ते सुहम्मे य॥ 22 // मंडिय-मोरियपुत्ते अकपिए चेव श्रयलभाया य। मेगज्जे य पहासे य गणहरा हुँति वीरस्स ॥२३॥जुम्मं ॥निव्वुइपहसासणयं जयइ सया सव्वभावदेसणयं / कुसमय-मयनासणयं जिणिंदवर. वीरसासणयं // 24 // सुहम्म 1 अग्गिवेसाणं, जम्बुनामं 2 च कासवं / पभवं 3 कचायणं वंदे, वच्छ सिज्जंभवं 4 तहा // 25 // जसभ 5 तुगियं वन्दे, संभूतं 6 चेव माढरं / भवाहुँ 7 च पाइन्नं, थूलभदौं 8 च गोयमं // 26 // एलावच्चसगोत्तं वंदामि, महागिरि 1 सुहत्थिं 10 च / तत्तो कोसिश्र(कासव)गोत्तं, बहुलस्स सरिव्वयं 11 वन्दे // 27 // हारियगुत्तं साई 12 च वंदामि, हारियं च सामज्जं 13 / वन्दे कोसियगोत्तं संडिल्लं 14