________________ ( भीमदाणमसुधासिन्धुः // चतुर्दशमी विभाग से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चडुलिं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा मत्थए काउं समुबहमाणे 2 गच्छिजा से तं मझगयं 6 / अंतगयस्स मज्भगयस्स य को पइविसेसो ? पुरयो अंतगएणं योहिनाणेणं पुरयो चेव संखिजाणि वा असंखेजाणि वा जोषणाई जाणइ पासह, मग्ग यो अंतगएणं श्रोहिनाणेणं मग्गो चेव संखिज्जाणि वा असंखिजाणि वा जोगणाई जाणइ पासड, पामो अंतगएणं श्रोहिनाणेणं पासयो चेव संखिजाणि वा असंखेजाणि वा जोश्रणाई जाणइ पार इ, मज्भगएणं श्रोहिनाणेणं समयो समंता (समत्ता) संखिजाणि वा असंखेजाःण वा जोत्रणाइं जाणइ पासह, से तं प्राणुगामिग्रं श्रोहिनाणं 1 // सू० 6 // से कि तं पणाणुगामिग्रं योहिनाणं ? श्रणाणुगामियं श्रोहिनाणं से जहानामए केइ पुरिसे एगं महंतं जोइट्ठाणं काउं तस्सेव जोइट्टाणस्स परिपेरंतेहिं 2 परिघोलेमाणे 2 * तमेव जोइट्टाणं जाणइ पासइ अन्नत्थ गए न जाणइ न पासेइ, एवामेव अणाणुगामियं श्रोहिनाणं जत्थेव समुपज्जेइ तत्थेव संखिजाणि वा असंखिजाणि वा संबद्धाणि वा असंबहाणि वा जोगणाई जाणइ पासइ, अन्नत्थगए न जाणइ न पासइ, से तं श्रणाणुगामिश्र श्रोहिनाणं 2 / / सू०७॥ से किं तं वड्डमाणयं श्रोहिनाणं? वट्ठमाणयं श्रोहिनाणं पसत्थेसु अज्भवमाणाणेसु वट्टमाणस्स वट्ठमाणचरित्तस्स, विसुज्झमाणस्म विसुज्जमाणचरित्तस्स, सव्वयो समंता श्रोही वड्डइ 1 / जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स / श्रोगाहणा जहन्ना श्रोहिखित्तं जहन्नं तु // 1 // सव्वबहु-अगणिजीवा निरंतरं जत्तियं भरिजंसु। खित्तं सबदिसागं परमोही खेत्तनिहिट्ठो // 2 // अंगुल-मावलियाणं भागमसंखिज दोसु संखिजा(ज्ज)। अंगुलमावलियंतो श्रावलिश्रा अंगुलपुहुनं // 3 // हत्थंमि मुहुत्तंतो, दिवसतो गाउअम्मि बोद्धब्धो / जोयण-दिवसपुहृत्तं, पक्खंतो पन्नवीसायो // 4 //