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________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . [ 101 कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ से तं ववहारिए उद्धारपलिग्रोवमे 3 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं ववहारिश्रस्स उद्धार-सागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 107 // एएहिं वावहारिप-उद्धार-पलिग्रोवम-सागरोवमेहि किंपयोगणं ?; एएहिं वावहारिपउद्धार-पलिग्रोवम-सागरोवमेहिं णस्थि किंचिप्पश्रोत्रणं, केवलं पराणवणा पराणविजइ, से तं वावहारिए उद्धारपलियोवमे 4 / से किं तं सुहुमे उद्धारपलियोवमे ?, 2 से जहानामए पल्ले सिधा जोत्रणं आयामवि खंभेणं जोत्रणं उव्वेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिबेग्राहियतेबाहिश्र उकोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संस? संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीयोगाहणायो असंखेजइभागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाउ असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा णो वाऊ हरेजा णो कुहेजा णो पलिविद्धंसिजा णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, तो णं समए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएण कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ, से तं सुहुमे उद्धारपलि. श्रोवमे 5 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं सुहमस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 108 // एएहिं सुहुम-उद्धारपलिग्रोवम-सागरोवमेहिं किं पयोगणं ?, एएहिं सुहुम-उद्धार-पलिग्रोवमसागरोवमेहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पइ 6 / केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा उद्धारेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! जावइयाणं अड्डाइजाणं उद्धारसागरोवमाणं उद्धारसमया एवइया णं दीवसमुद्दा उद्धारेणं पराणत्ता 7 / से तं सुहुने उद्धारपलिश्रोवमे / से तं उद्धारपलिश्रोवमे 8 / से किं तं श्रद्धापलिश्रोवमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे अवावहारिए अ, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया
SR No.004375
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size17 MB
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