________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 66 णामे अ, से तं रसणामे / ते किं तं फासणाम?, 2 अट्टविहे पराणत्ते, तंजहाकक्खडफासणामे मउफासणामे गरुअफासणामे लहुअफासणामे सीतफासणामे उसिणफासणामे णिद्धफासणामे लुक्खफासणामे, से तं फासणामे / से किं तं संठाणनामे ?, 2 पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-परिमंडलसंगणनामे वट्टसं. ठाणनामे तंससंगणनामे चउरंससंठगणनामे पायतसंगणणामे, से तं संठाणानामे से तं गुणणामे 3 / से किं तं पजवणामे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-एगगुणकालए दुगुणकालए तिगुणकालए जाव दसगुणकालए संखिजगुणकालए असंखिजगुणकालए अनंतगुणकालए, एवं नील-लोहिश्रहालिद्द-सुकिलावि भाणिव्वा / एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे तिगुणसुरभिगंधे जाव अणंतगुणसुरभिगंधे एवं दुरभिगंधोऽवि भाणियो। एगगुणतित्ते जाव अणंतगुणतित्ते, एवं कडुअकसायअंबिलमहुरावि भाणिव्वा / एगगुणाकक्खडे जाव अणंतगुणकक्खडे, एवं मउग्र-गरुअ-लहुअ-सीत-उसिण-णिद्ध-लुक्खावि भाणियब्वा, से तं पज्जवणामे 4 / तं पुण णामं तिविहं इत्थी पुरिसं णपुंसगं चेव / एएसिं तिरहंपि अ अंतमि अ परूवणं वोच्छं // 18 // तत्थ पुरिसस्स अंता आईऊो हवंति चत्तारि / ते चेव इत्थियात्री हवंति श्रोकारपरिहीणा // 16 // अंतित्र इंतिथ उंतित्र थताउ णसंगस्स बोद्धव्वा / एतेसिं तिराहंपि श्र वोच्छामि निदंसणे एत्तो // 20 // श्रागारंतो राया ईगारंतो गिरी असिहरी श्र। ऊगारंतो विराहू दुमो अ अंता उ पुरिसाणं // 21 // श्रागारंता माला ईगारंता सिरी अ लच्छी श्र। ऊगारंता जंबू बहू थ अंताउ इत्थीणं // 22 // अंकारंतं धन्नं इकारंतं नपुसगं अत्यिं / उकारंतो पीलुमहुं च अंता णपुंसाणं // 23 // से तं तिणामे 5 // सू० 123 // से किं तं उणामे?, 2 चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा–बागमेणं लोवेणं पयईए विगारेणं 1 / से किं तं आगमेणं ?, 2 पद्मानि पयांसि कुण्डानि, से तं श्रागमेणं 2 /