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________________ 72 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः णीयागोए अगोए निग्गोए खीणगोए उच्चणीय-गोत्तकम्मविष्पमुक्के खीण-दाणंतराए खीणलाभंतराए खीण-भोगंतराए खीण-उवभोगंतराए खीण-विरियंतराए अणंतराए णिरंतराए खीणंतराए अंतराय-कम्मविप्पमुक्के सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिन्दुए अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे, से तं खयनिष्फणे 14 / से तं खइए 15 ।से किं तं खोवसमिए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाखग्रोवसमिए य खोवसमनिष्फरणे य 16 / से किं तं खोवसमे ?, 2 चउराहं घाइकम्माणं खग्रोवसमेणं, तंजहा-णाणावरणिजस्स दंसणावरणिजस्स मोहणिजस्स अंतरायस्स खोवसमेणं, से तं खग्रोवसमे १७।से किं तं खोवसमनिष्फराणे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-खोवसमिया भाभिणिबोहित्रणाणलद्धी जाव खग्रोवसमिश्रा मणपजवणाणलद्धी खोवसमित्रा मइअण्णाणलद्धी खयोवसमिया सुअराणाणलद्धी खयोवसमिया विभंगणाणलद्धी खोवसमिश्रा चक्खुदंसणलद्धी अचक्खुदंसणलद्धी योहिदसणलद्धी, एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी. सम्ममिच्छादंसणलद्धी खग्रोवसमिश्रा सामाइअचरित्तलद्धी, एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धिलद्धी सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, एवं चरित्ताचरित्तलद्धी खोवसमिया दाणलद्धी, एवं लाभलद्धी भोगलद्धी उवभोगलद्धी खयोवसमिया वीरिअलद्धी, एवं पंडिअवीरिअलद्धी बालवीरिअलद्धी बालपंडिअवीरिअलद्धी खोवसमिया सोइंदिअलद्धी जाव खोवसमिया फासिंदिवलद्धी खग्रोवसमिए पायारंगधरे, एवं सुश्रगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपराणत्तिधरे नायाधम्मकहाधरे उवासगदसाधरे अंतगडदसाधरे अणुत्तरोववाइअदसाधरे पराहावागरणधरे विवागसुत्रधरे खोवसमिए दिट्टिवायधरे खोवसमिए णवपुव्वी जाव चउद्दसपुब्बी खोवसमिए गणी खोवसमिए वायए, से तं खग्रोवसमनिष्फराणे 18 / से तं खग्रोवसमिए 11 / से किं तं पारिणामिए ?, 2
SR No.004375
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size17 MB
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