________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] [ 41 से तं नोग्रागमतो दव्वसुधे, से तं दव्वसुधे // सू० 37 // से किं तं भावसुग्रं?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-बागमतो श्र नोबागमतो अ॥सू० 38 // से किं तं श्रागमतो भावसुधे ?, जाणए उवउत्ते, से तं श्रागमतो भावसुधे / सू० 31 // से किं तं नोग्रागमतो भावसुग्रं ?, 2 दुविहं पराणत्तं, तंजहा-लोइयं लोगुत्तरियं च // सू० 40 // से किं तं लोइयं नोयागमतो भावसुयं ?, 2 जं इमं अराणाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं, तंजहा-भारहं रामायणं भीमासुरुक्क(हंभी मासुरुपक) कोडिल्लयं घोडयमुहं सगडभद्दिबाउ कप्पासियं णागसुहुमं कणगसत्तरी वेसियं वइसेसियं बुद्धसासणं काविलं लोगायतं सट्ठियंतं माढरपुराण-वागरणनाडगाइ, श्रहवा बावत्तरिकलायो चत्तारि वेथा संगोवंगा, से तं लोइयं नोबागमतो भावसुधे // सू० 41 // से किं तं लोउत्तरिय नोबागमतो भावसुधे ?, 2 जं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पराणणाणदंसणवरेहिं तीयपच्चुप्पण्ण-मणागयजाणएहिं सवराणूहिं सव्वदरिसीहिं तिलुक्वहितमहितपूइएहिं अप्पडिहय-वरणाणदंसणधरेहिं पणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं, तंजहा-आयारो सूअगडो ठगणं समवायो विवाहपराणत्ती नायाधम्मकहायो बासगदसायो अंतगडदसायो अणुत्तरोषवाइअदसायो पराहावागरणाई विवागसुग्रं दिट्ठीवायो अ, से तं लोउत्तरियं नोग्रागमतो भावसुग्रं, से तं नोबागमतो भावसुधे, से तं भावसुधे // सू० 42 // तस्स णं इमे एगट्टिया णाणावोसा णाणावंजणा नामधेजा भवंति, तंजहा-सुश्रसुत्तगंथसिद्धंत-सासणे(पवयणे). प्राणवयण उवएसे / पत्रवण अागमेऽवि अ एगट्ठा पजवा सुत्ते // 4 // से तं सुयं // सू० 43 // से कि तं खंधे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-नामखंधे टवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे ॥सू० 41 // नामट्ठवणाश्रो(नामठवणाश्रो गयायो) पुत्वभणियाणुकमेण भाणियब्वायो, (से किंतं नाम-खंघे?, 2 जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जाव खंधेति नामं कन्जति, HALHTTETCHER