Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 141
________________ 132] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागः तिरिण श्र कोसे अट्ठावीसं धणुसयं तेरस य अंगुलाई श्रद्धं अंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पराणत्ते, से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए, तयो णं तेहिं सिद्धत्थरहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पइ, एगो दीवे एगो समुद्दे एवं पक्खिप्पमाणेणं 2 जावइया दीवसमुद्दा तेहिं सिद्धत्थएहिं श्रप्फुराणा एस णं एवइए खेत्ते पल्ले [अाइट्टा] पढमा सलागा, एवइयाणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहावि उकोसयं संखेजयं न पावइ, जहा को दिढतो ?, से जहानामए मंचे सिधा श्रामलगागां भरिए तत्थ एगे श्रामलए पक्खित्ते सेऽवि माते अराणेवि पक्खित्ते सेऽवि माते अन्नेऽवि पक्खित्ते सेऽवि माते एवं पक्खिप्पमाणेगां 2 होही सेवि श्रामलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिजिहिइ जे तत्थ श्रामलए न माहिइ 1 / एवमेव उक्कोसए संखेजए रूवे पक्खित्ते जहराणयं परित्तासंखेजयं भवइ, तेण परं अजहराणमणुकोसयाइं ठाणाइं जाव उक्कोसयं परित्तासंखेजयं न पावइ 2 / उक्कोसयं परित्तासखेजयं केवइयं होइ ?, जहराणयं परित्तासंखेजयं जहराणयं परित्तासंखेजमेत्ताणां रासीणां अराणमराणब्भासो रूवूणो उकोसं परित्तासंखेजयं होइ, अहवा जहन्नयं जुत्तासंखेजयं रूवणं उक्कोसयं परित्तासंखेजयं होइ 3 / जहन्नयं जुत्तासंखेजयं केवइयं होइ ? जहराणय-परित्तासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमगणभासो पडिपुराणो जहन्नयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा उक्कोसए परित्तासंखेनए रूवं पक्खित्तं जहराणयं जुत्तासंखेजयं होइ, श्रावलिश्रावि तत्तिथा चेव, तेण परं अजहराणमणुकोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्तासंखिजयं न पावइ 4 / उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं केवइग्रं होइ ?, जहरणएणं जुत्तासंखेजएणं श्रावलिया गुणिया अराणमण्णब्भासो रूखूणो उकोसयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा जहन्नयं असंखेजासंखेजयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं होइ 5 / जहराणयं असंखेज्जासंखेजयं केवइथं होइ ?, जहन्नएणं जुत्तासंखेज्जएणं. श्रावलिश्रा गुणिया अराणमराणभासो

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