Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 152
________________ श्रीमपयोगहार लम्: ] : Tere : उद्दसे 1 निद्दे से अ 2 निग्गमे 3 खेत्त 4 काल 5 पुरिसे य 6 / कारण 7 पचय 8 लक्षण 1 नए 10 समोधारणाणुमए 11 // 133 // कि 12 कइविहं 13 कस्स 14 कर्हि 15 केसु 16 कहं 17 किच्चिरं हवा कालं 18 ? / कइ 11 संतर 20. मविरहियं 21 भवा 22 गरिस 23 फारस 24 निरुत्ती 25 // 134 // से तं उवग्याय-निज्जुत्ति-अणुगमे / से किं तं सुत्तप्फासित्र-निज्जुत्ति-अणुगमे 1, 2 सुत्तं उच्चारेअव्वं अक्खलियं यमिलियं अवच्चामेलियं. पडिपुराणं पडिपुराणघोसं कंठोठ्ठ-विप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं 5 / तो तत्थ णजिहिति ससमयपयं वा परसषयपयं वा बंधपयं वा मोक्खपयं वा सामाइअपयं वा णोसामाइअपयं वा 6 / तयो तम्मि उच्चारिए समाणे केसि च णं भगवंताणं केइ प्रस्थाहिगारा अहिगया भवन्ति, केइ अत्थाहिगारा अणहिगया भवन्ति 7 / ततो तेसिं अणाहिगयाणं अत्थाणं अहिगमणट्ठाए पयं पएणं वनइस्सामि,-संहिया य पदं चेव, पयत्यो पयविग्गहो / चालणा य पसिद्धी अ, छविहं विद्धि लक्खणं // 135 // से तं सुत्तप्फासिय-निज्जुत्ति-अणुगमे 8 / से तं निज्जुत्तिअणुगमे, से तं अणुगमे 1 // सू० 151 // से किं तं णए ?, सत्त मूलणया पण्णत्ता, तंजहा-णेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे एवंभूए, तत्थ-णेगेहिं माणेहिं मिणइत्ति णेगमस्स य तिरुत्ती / सेसाणंपि नयाणं लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं // 136 // संगहिअपिडिअत्थं संगहवयणं समासो बिति / वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सव्वदव्वेसु // 137 // पच्चुप्पन्नग्गाही उज्जुसुयो णयविही मुणेयवो / इच्छइ विसेसियतरं पच्चुप्परणं णो सदो // 138 // वत्थूयो संकमणं होइ अवत्थू नए समभिरूढे / वंजणपत्थतदुभयं एवंभृश्रो विसेसेइ // 131 // णायंमि गिरािहयचे अगिगिहिअव्वंमि चेव अत्यंमि / जइब्वमेव इइ जो उवएसो सो नो नाम // 140 // सव्वेसिपि नयाणं

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