Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] . .. [ 141 सरीरदव्वझवणा ?, 2 झवणा-पयत्थाहिगार-जाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुअचइ(चावि)य-चत्तदेहं, सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं जाणयसरीरदव्वज्झवणा 54 / से किं तं भविग्रसरीरदव्वझवणा?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं भविश्रसरीरदव्वझवणा 55 / से किं तं जाणयसरीर-भविग्रसरीर-वइरित्ता दव्वझवणा ?, 2 जहा जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ते दवाए तहा भाणिव्वा 56 / जाव से तं मीसिया, से तं लोगुत्तरिया, से तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ता दबज्झवणा, से तं नोयागमयो दवझवणा, से तं दव्वझवणा 57 / से कि तं भावझवणा ?, 2 दुविहा परणत्ता, तंजहा-श्रागमयो अ णोत्रागमो य 58 | से किं तं श्रागमश्रो भावझवणा ?, 2 जाणए उवउत्ते, से तं श्रागमो भावझवणा 51 / से किं तं णोबागमत्रो भावझवणा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पसत्था य अपसत्था य 60 / से किं तं पसत्था?, 2 चउबिहा पराणत्ता, तंजहा-कोहझवणा माणज्झवणा मायझवणा लोहझवणा, से तं पसत्था 61 / से किं तं अपसस्था ? 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-नाणझवणा दंसणझवणा चरित्तझवणा, से तं अपसत्था 62 / से तं नोग्रागमयो भावझवणा, से तं भावझवणा, से तं झवणा (4), से तं श्रोहनिष्फराणे 63 / से किं तं नामनिप्फराणे ?, 2 सामाइए, से समासयो चउबिहे पराणत्ते, तंजहाणामसामाइए ठवणासामाइए दव्वसामाइए भावसामाइए 64 / णामठवणायो पुव्वं भणियायो / दव्वसामाइएवि तहेव, नाव से तं भविग्रसरीरदव्वसामाइए 65 / से किं तं जाणयसरीर-भविसरीर-वइरित्ते दव्वसामाइए ?, 2 पत्तय-पोत्थय-लिहियं, से तं जाणयसरीर-भविश्यसरीर-वझरित्ते दव्वसामाइए, से तं णोपागमश्रो दव्वसामाइए, से तं दव्वसामाइए 66 / से किं तं भावसामाइए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रागमयो थ नोपागमत्रो श्र
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/830f36ef66a9d6acd90011f2d9867e4c3a3ae13a460ec46193889a0c3cd3313c.jpg)
Page Navigation
1 ... 148 149 150 151 152 153 154