Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 105
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्दशमों विभागः उकोसेणं धणुपुहुतं, अपजत्तग-गब्भवक्कतिय-खहयरपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंसेखेजइभागं, पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-खहयर पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं धणुपुहुतं 41 / एत्य संगहणिगाहायो भवंति, तंजहा-जोत्रणसहस्सगाउयपुहुत्त तत्तो श्र जोश्रणपुहृत्तं / दोरहं तु धणुपुहुत्तं समुच्छिमे होइ उच्चत्तं // 101 // जोयणसहस्स छग्गाउाई तत्तो श्र जोयणसहस्सं / माउअपहुत्त भुश्रगे पक्खीसु भवे धणुपुहुत्तं॥१०२॥ 42 // मणुस्साणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स अंसं. खेजइभागं उकोसेणं तिरिण गाउाई, समुच्छिममणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-मगुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं, पजत्तग-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं निरिण गाउाई 43 / वाणमंतराणं भवधारणिजा य उत्तरवेउविया य जहा असुरकुमाराणं तहा भाणियबा, जहा वाणमंतराणं तहा जोइसियाणवि 44 / सोहम्मे कप्पे देवाणं भंते ! के महालिया सरीरोगाहणा पराणता ? गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, संजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउविश्रा य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीयो, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविश्रा सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, एवं ईसाणकप्पेऽवि भाणियब्वं, जा सोहम्मकप्पाणं देवाणं पुच्छा तहा सेसकप्पदेवाणं पुच्छा भाणिवा जाव अचुकप्पो / सणंकुमारे कप्पे भवधारणिजा जहराणेणं. अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं छ रयणीयो. उत्तरवेउव्विथा जहा सोहम्मे,

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