Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 111
________________ 102 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमी विमागः जोत्रणं आयामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ढउच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिश्र बेत्राहि-त्राहि जाव भरिए वालग्गकोडीण, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुच्छेजा णो पलिविद्धंसिजा नो पइत्ताए हव्वमागच्छेजा, तो णं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए भवइ, से तं वावहारिए श्रद्धापलिश्रोवमे 1 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भविज दसगुणिया। तं ववहारिअस्स श्रद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 101 // एएहिं ववहारिएहिं श्रद्धापलियोवम-सागरोवमेहिं किं पोयणं ?, एएहिं ववहारिएहिं श्रद्धापलिश्रोवमसागरोवमेहिं नत्थि किंचिप्पलोणं, केवलं-पण्णवणा पराणविजइ, से तं ववहारिए श्रद्धापलिश्रोवमे 10 / से किं तं सुहुने श्रद्धापलिश्रोवमे ?, 2 पल्ले सिधा जोत्रणं अायामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवणं, से णं पल्ले एगाहिबेत्राहि-तेत्राहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेजाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीयोगाहणाश्रो असंखेजइभागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणायो असंखेजगुणा, तं णं वालग्गा णो अग्गी जाव नो पलिविद्धंसिजा नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा. तो णं वाससए 2 गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्ठिए भवइ, से तं सुहमें श्रद्धापल्लियोवमे 11 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडि भवेज दसगुणिया। तं सुहुमस्स श्रद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं // 11 // एएहिं सुहुमेहिं श्रद्धापलियोवम-सागरोवमेहिं किं पत्रोत्रणं ?, एएहि सुहुमेहिं श्रद्धापलिश्रोवम-सागरोवमेहिं नेरइन-तिरिक्ख-जोणि अ-मणुस्सदेवाणं श्राउणं मविजइ 12 // सू० 138 // णेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं

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