Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 100 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागा तिरािण सहस्सा सत्त य सयाई तेहुत्तरिं च ऊसासा / एस मुहत्तो भणियो सव्वेहिं अणंतनाणीहिं // 106 // 5 / एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं, परागरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा ऊऊ, तिरिण ऊऊ अयणं, दो श्रयणाई संवच्छरे, पंच संवच्छराई जुगे, वीसं जुगाई सससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चोरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुव्वे, चउरासीई पुब्बसयसहस्साइं से एगे तुडिअंगे, चउरासीइं तुडिअंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडिअसयसहस्साइं से एगे यडडंगे, बोरासीई अडडंगसयसहस्साइं से एगे अडडे, एवं श्रववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अच्छनिऊरंगे अच्छनिउरे अउअंगे अउए पउग्रंगे पउए णउअंगे णउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलियंगे चउरासीइं सीसपहेलियंग सयसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया 6 / एयावया चेव गणिए, एयावया चेव गणियस्स विसए, अतः परं (एत्तोऽत्ररं) योवमिए पवत्तइ 7 // सू० 137 // से किं तं ग्रोवमिए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पलियोवमे य सागरोवमे य 1 / से कि तं पलिग्रोवमे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाउद्धारपलियोवमे श्रद्धापलिश्रोवमे खेत्तपलियोवमे अ 2 / से किं तं उद्धारपलियोवमे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे श्र वावहारिए अ, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्य णं जे से ववहारिए से जहानामए पल्ले सिधा जोयणं थायामविक्खंभेणं जोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिन-बेत्राहि-तेबाहिश्र जाव उकोसेणं सत्तरत्त-परूढाणं संम8 संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुहेजा नो पलिविद्धंसिजा.णो पूइत्ताए हब्बभागच्छेजा, तो णं समए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं
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