Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 107
________________ 18] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्दशमो विभागः एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीणं कंडाणं पातालाणं भवणाणं भवणपस्थडाणं निरयाणं निरयावलियाणं निरंयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलीणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेलाणं सिहरीणं पम्भाराणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहराणं वासहरपब्बयाणं वेलाणं [ वलयाणं ] वेइयाणं दाराणं तोरणाणं दीवाणं समुदाणं अायामविक्खंभोच्चत्तोब्वेहपरिक्खेवा मविजंति 50 / से समासश्रो तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सेढीगुले पयरंगुले घणंगुले, असंग्वेज्जायो जोयणकोडाकोडीयो सेढी, सेढी सेटीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गुणियं लोगो, संखेजएणं लोगो गुणियो संखेजा लोगा असंखेजएणं लोगो गुणियो असंखेजा लोगा अणंतेणं लोगो गुणियो अणंता लोगा 51 / एएसि णं सेढीअंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ?, सव्वथोवे सेढी अंगुले, पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले असंखिजगुणे, से तं पमाणंगुले 52 / से तं विभागनिष्फराणे 53 / से तं खेत्तप्पमाणे 54 // सू० 133 // से किं तं कालप्पमाणे ?. 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पएसनिष्फरणे अ विभागनिष्फराणे श्र॥ सू० 134 ॥से किं तं पएसणिप्फराणे ?, 2 एगसमयट्टिईए दुसमयट्टिईए तिसमयट्टिईए जाव दससमयट्टिईए जाव असंखिजसमयट्ठिईए, सं तं पएसनिप्फराणे // सू० 135 // से किं तं विभागनिप्फराणे ?,समयावलि अ-मुहुता दिवस-अहोरत्त-पक्ख-मासा य / संवच्छर-जुग-पलिया सागर-योसप्पि-परिघट्टा॥ 103 // सू० 136 // से किं तं समए ?, समयस्स णं परूवणं करिस्सामि, से जहानामए तुराणागदारए सिया तरुणे बलवं जुग जुवाणे अप्पातके थिरग्गहत्थे दढ-पाणिपायपास-पिटुतरोरुपरिणते तल-जमल-जुयल-परिघ-णिभवाहू चम्मट्ठग-दुहणमुट्टिअ-समाहत-निचितगत्तकाए उरस्सबलसमराणागए लंघण-पंवण-जइण-वाया

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