Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमदनुयोगबार-सूत्रम् ) --------- [ 125 न तहा पायसो, जहा पायसो न तहा वायसो, से तं पायवेहम्मे 36 / से किं तं सबवेहम्मे ?, सव्ववेहम्मे श्रोवम्मे नत्थि, तहावि तेणेव तस्स श्रोवम्म कीरइ, जहा णीएणं णीअसरिसं कयं, दासेण दाससरिसं कयं, काकेण काकसरिसं कयं, साणेण साणसरिसं कयं, पाणेणं पाणसरिसं कयं, से तं सव्ववेहम्मे 37 / से तं वेहम्मोवणीए 38 / से तं श्रोवम्मे 31 / से किं तं श्रागमे ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहालोहए अ लोउत्तरिए अ 40 / से किं तं लोइए ?, 2 जगणं इमं अराणाणिएहिं मिच्छादिट्ठीएहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं, तंजहा-भारहं रामायणं जाव चत्तारि वेश्रा संगोवंगा, से तं लोइए श्रागमे 41 / से किं तं लोउत्तरिए ?, 2 जगणं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्ण-णाणदंसणधरेहि तीय-पञ्चुप्पराण-मणागय-जाणएहिं तिलुक्वहिषमहिथपइएहिं सव्वराणूहिं सव्वदरसीहिं पणीअं दुवालसंगं गणिपिडगं, तंजहा-पायारो जाव दिट्टिवायो / अहवा श्रागमे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सुत्तागमे अंत्थागमे तदुभयागमे / अहवा-श्रागमे तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-अत्तागमे अणंतरागमे परंपरागमे, तित्थगराणं अत्थस्स अत्तागमे गणहराणं सुत्तस्स अत्तागमे अत्थस्स अणंतरागमे गणहरसीसाणं सुत्तस्स अणंतरागमे अत्थस्स परंपरागमे, तेण परं सुत्तस्सवि अत्थस्सवि णो अत्तागमे णो अणंतरागमे परंपरागमे, से तं लोगुत्तरिए 42 / से तं श्रागमे 13 / से तं णाणगुणप्पमाणे 44 / से किं तं दंसणगुणप्पमाणे ?, 2 चउबिहे पराणत्ते, तंजहाचक्खुदंसण-गुणप्पमाणे अचक्खुदंसण-गुणप्पमाणे श्रोहिदंसणगुणप्पमाणे केवलदसण-गुणप्पमाणे 45 / चक्खुदंसगां चक्खुदंसणिस्स घडपडकडरहा. इएसु दव्वेसु श्रचक्खुदंसगां श्रचक्खुदंसणिस्स श्रायभावे श्रोहिदंसगां श्रोहिदंसणिस्स सव्वरूविदव्वेसु न पुण सव्वपजवेसु केवलदंसगां केवलदंमणिस्त सबदव्वेसु अ सवपनवेसु अ, से तं दंसणगुणप्पमाणे 46 /
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