Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 135
________________ 126 / ___ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः से कि तं चरित्तमुणप्पमाणे ?, 2 पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-सामाइनचरित्त-गुणप्पमाणे छेत्रोवट्ठावण-चरित्त गुणप्पमाणे परिहारविसुद्धि-चरित्तगुणप्पमाणे सुहुमसंपराय-चरित्त-गुणप्पमाणे अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे 47 / सामाइअ-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-इत्तरिए अ श्रावकहिए श्र 48 / छेयोवट्ठावण-चरित्त गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंनहा-साइबारे अ निरइशारे 41 / परिहारविसुद्धिय चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-णिव्विसमाणए अणिबिट्टकाइए अ५० / सुहुमसंपराय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-संकिलिस्समाणए य विसुज्झमाणए य, अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहापडिवाई अ अपडिवाई अ५१ / ग्रहवा अहक्खाय-चरित्त-गुणप्पमाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-छउमत्थिए अकेवलिए य 52 / से तं चरित्तगुणप्पमाणे 53 / से तं जीवगुणप्पमाणे 54 / से तं गुणप्पमाणे 55 // सू० 144 // से किं तं नयप्पमाणे ?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-पत्थगदिट्टतेणं वसहिदिढतेण पएसदिट्टतेणं 1 / से किं तं पत्थगदिट्ठतेणं 1, 2 से जहानामए केई पुरिसे परसुगहाय अडवीसमहुत्तो गच्छेजा, तं पासित्ता केइ वएजा-कहिं भवं गच्छसि ?, अविसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थगस्स गच्छामि, तं च केई छिंदमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं जिंदसि ?, विसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थयं छिदामि, तं च केई तच्छमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं तच्छसि ?, विसुद्धतरायो गमो भणइ-पत्थयं तच्छामि, तं च केई उकीरमाणां पासित्ता वएजा-किं भवं उक्कीरसि ?, विसुद्धतरायो णेगमो भणइ-पत्थयं उकीरामि, तं च केइ (वि) लिहमागां पासित्ता वएना-किं भवं (वि) लिहसि ?, विसुद्धतरात्रो णेगमो भणइ-पत्थयं (वि.) लिहामि, एवं विसुद्धतरस्स णेगमस्स नामाउडियो पत्थयो, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स चियमियमेजसमारूढो पत्थयो, उज्जुसुयस्स पत्थश्रोवि

Loading...

Page Navigation
1 ... 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154