Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 115
________________ बकोडी, अपजतना पजत्तयाणं पुछा गमवक्कतियपागा तिगिण 106:] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागः विरिण पलिग्रोवमाई 51 / (अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी, अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा, गम्भवक्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेगां तिरिण पलियोवमाई, अपज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं, उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयागां पुच्छा, गोयमा ! जहरणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणां तिगिण पलिश्रोवमाइं अन्तोमुहुत्तूणाई)जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणां भंते ! केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुत्वकोडी 52 / समुच्छिम जलयरपंचिंदिय पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुवकोडी 53 / अपजत्तय-संमुच्छिम-जलयरपंचिंदियपुन्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उकासेणवि अन्तोमहत्तं 54 / पजत्तयसंमुच्छिम-जलयर-पंचिदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणां पुवकोडी अन्तोमुहुत्तूणा 55 / गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगा अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुव्वकोडी 56 / अपजतग गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 57 / पजत्तग-गब्भवतियजलयर-पंचिंदियपुच्छा गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुषकोडीअंतोमुहुत्तृणा 58 | चउप्पय-थलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिगिण पलिश्रोवमाई 51 | संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव

Loading...

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154