Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 116
________________ श्रीमदनुयोगशास्सूत्रम् ] [ 107 गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीइं वाससहस्साई 60 / अपजत्तय-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 61 / पजत्तय-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीई वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 62 / गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां तिरिण पलिश्रोवमाई 63 / अपजत्तग-गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 64 / पजत्तग-गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिगिण पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 65 / उरपरिसप्प-थलयरपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहराणेगां अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेगां पुश्वकोडी 66 / संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! जहरणेणां अन्तोमुहुत्तं उकोसेगां तेवन्नं वाससहस्साई 67 / अपजत्तय-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणवि अन्तोमुहुत्तं उकोसेणवि अन्तोमुहुत्तं 68 / पजत्तय-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेवराणां वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 61 / गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी 70 / अपजत्तगगम्भवक्कंतिय उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 71 / पजत्तय-गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुत्वकोडी अन्तोमुत्तूणा 72 / भुपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय जाव गोयमा ! जहरणेणं अन्तोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी 73 / संमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय जाव गोयमा ! जहराणेणं अन्तोमुहुत्तं उक्कोसेणं बायालीसं वास

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