Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विमागः पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-रुवीयजीवदव्वा य अरुवीअजीवदव्वा य 2 / अरूवीजीवदव्वा गां भंते ! कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पराणत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मस्थिकायस्स पएसा अागासत्थिकाए अागासत्थिकायस्स देसा अागासस्थिकायस्स पएसा, श्रद्धासमए 3 / स्वीयजीवदव्वा गां भते ! कइविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउव्विहा पराणत्ता, तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते गां भंते ! किं संखिजा असंखिजा अगांता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा श्रांता, से केण?णां भंते ! एवं बुच्चइ-नो संखेजा नो असंखेजा अशांता ?, गोंयमा ! अगांता परमाणुपोग्गला अशांता दुपएसिया खंधा जाव अशांता श्रशांतपएसिया खंधा, से एएण? गां गोयमा ! एवं वुच्चइ-नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 4 / जीवदव्या गां भंते ! किं संखिजा असंखिजा अणता?, गोयमा ! नो संखिजा नो असंखिजा अणंता, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइनो संखिजा नो असंखिजा अणंता ?, गोयमा ! असंखेजा णेरड्या असंखेजा असुरकुमारा जाप असंखेजा थणियकुमारा असंखिजा पुढवीकाइया जाव असंखिजा वाउकाइथा अणंता वणस्सइकाइया असंखेजा बेइंदिया जाव असंखिजा चरिंदिया असंखिजा पंचिंदियतिरिक्खजोणिश्रा असंखिजा मणुस्सा असंखिजा वाणमंतरा असंखिजा जोइसिया असंखेजा वेमाणिश्रा अणंता सिद्धा, से एएणडेणं गोयमा ! एवं वुचइ-नो संखिजा नो असंखिजा अणंता 5 // सू० 141 // कइविहा गां भंते ! सरीरा परांणत्ता !, गोयमा : पंच सरीरा पराणत्ता, तंजहा-ओरालिए वेउन्विए श्राहारए तेथए कम्मए 1 / गेर

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