Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमदनुयोगवार-सूत्रम् ]-- . [ 115 इयाणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणत्ता, तंजहा-वेउबिए तेथए कम्मए 2 / असुरकुमाराणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणत्ता, तंजहा-वेउबिए तेथए कम्मए, एवं तिरिण 2, एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणिअन्धा 3 / पुढवीकाइयाणं भंते ! कइ सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरा पराणता, तंजहा-पोरालिए तेथए कम्मए, एवं पाउतेउवणस्सइकाइयाणऽवि एए चेव तिरिण सरीरा भाणियव्वा 4 / वाउकाइयाणं जाव गोयमा ! चत्तारि सरीरा पराणत्ता, तंजहा-उरालिए वेउविए तेयए कम्मए 5 / बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं, पंचिंदिन-तिरिक्खजोणियाणं जहा वाउकाइयाणं 6 / मणुस्साणं जाव गोयमा ! पंच सरीरा पराणत्ता, तंजहा-ओरालिए वेउविए श्राहारए तेथए कम्मए 7 / वाणमंतराणं जोइसिवाणं वेमाणिग्राणं जहा नेरइयाणं 8 / केवइया णं भंते ! उरालिसरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणी-श्रोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालो, खेत्तयो असंखेजा लोगा, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा तेणं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहिं अबहीरंति कालश्रो खेत्तयो अणंता लोगा दव्वश्रो अभवसिद्धिएहिं अणंतागुणा सिद्धाणं अणंतभागो 1 / केवइया णं भंते ! वेउब्वियसरीरा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-बद्धेलया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेलया ते णं असंखिजा असंखेजाहिं उस्सप्पिणि-अोसप्पिणीहिं श्रवहीरंति कालो, खेत्तयो असंखिजायो सेढीयो पयरस्स असंखेजइभागो, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अशांता अगांताहिं उस्सप्पिणी-योसप्पिणीहि अवहीरंति कालो, सेसं जहा पोरालिअस्स मुक्केल्या तहा एएवि भाणिभब्वा 10 / केवइया
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