Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ [88 ले तंतू छिराण समिति-समागम श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ] मसमत्थे छेए दक्खे पत्त? कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एगं महतीं पडसाडियं वा पट्टसाडियं वा गहाय सयराहं हत्थमेत्तं श्रोसारेजा, तत्थ चोपए परणवयं एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तीसे पडसाडिबाए वा पट्टसाडिबाए वा सयराहं हत्थमेत्ते श्रोसारिए से समए भवइ ?, नो इण? सम?, कम्हा ?, जम्हा संखेजाणं तंतूणं समुदयसमितिसमागमेणं एगा पडसाडिया निष्फजइ, उवरिल्लंमि तंतुमि अच्छिराणे हिडिल्ले तंतू न छिजइ, अरणमि काले उवरिल्ले तंतू छिजइ अराणंमि काले हिट्ठिल्ले तंतू छिजइ, तम्हा से समए न भवइ 1 / एवं वयंत पराणवयं चोयए एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा उवरिल्ले तंतू छिराणे से समए भवइ ?, न भवइ, कम्हा ?, जम्हा संखेजाणं पम्हाणं समुदय-समिति-समागमेणं एगे तंतू निप्फजइ, उवारल्ले पम्हे अछिराणे हेडिल्ले पम्हे न छिजइ, अराणमि काले उवरिल्ले पम्हे छिजइ थराणंणि काले हेट्ठिल्ले पम्हे छिजइ, तम्हा से समए न भवइ 2 / एवं वयंतं पराणवयं चोपए एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुराणागदारएणं तस्स तंतुस्स उपरिल्ले पम्हे छिराणे से समए भवइ ?, न भवइ, कम्हा ?, जम्हा अणंताणं संघायाणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे पम्हे निष्फजइ, उवरिल्ले संघाए अविसंघाइए हेट्ठिल्ले संघाए न विसंघाइज्जइ, अराणंमि काले उवरिल्ले संघाए विसंघाइजइ अराणंमि काले हिट्ठिले संघाए विसंघाइज्जइ, तम्हा से समए न भवइ 3 / एत्तोऽवि श्रणं सुहुमतराए समए पराणत्ते समणाउसो ! 4 / असंखिजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा श्रावलिअत्ति वुच्चइ, संखेज्जायो श्रावलियो ऊसासो, संखिजायो श्रावलियायो नीसासो,-हट्ठस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो / एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चइ // 104 // सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे / लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते विवाहिए // 105 // अगणमि

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154