Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ) [ 71 उदइए 7 / से किं तं उपसमिए ?, 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-उवसमे अ उवसमनिष्फराणे अ 8 / से किं तं उवसमे ?, 2 मोहणिजस्स कम्मस्स उसमेणं, से तं उसमे 1 / से किं तं उवसमनिष्फरणे ?, 2 अणेगविहै पराणत्ते, तंजहा-उवसंतकोहे जाव उवसंतलोभे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिज्जे उवसंतमोहणिज्जे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरित्तलद्धी उवसंतकसाय-छउमत्थवीयरागे, से तं उवसमनिष्फराणे 10 / से तं उवसमिए 11 / से किं तं खइए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहाखइए अ खयनिफरणे श्र 12 / से किं तं खइए ?, 2 अट्ठरहं कम्मपयडीणं खएणं, से तं खइए 13 / से किं तं खयनिष्फराणे ?, 2 अणेगबिहे पराणत्ते, तंजहा-उप्पराण-णाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली खीण-श्राभिणिवोहिथ-णाणावरणे खीण-सुश्र-णाणावरणे खीण-श्रोहिणाणावरणे खीण-मणपजव-णाणावरणे खीण-केवल-णाणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे णाणावरणिज-कम्मविप्पमुक्के केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिद्दे खीणनिहानिद्दे खीणपयले खीणपयलापयले खीण-थीणगिद्धी खीण-चक्खु. दंसणावरणे खीण-अचक्खुदंसणावरणे खीण-श्रोहिदंसणावरणे खीण-केवलदसणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिज-कम्मविप्पमुक्के खीण-सायावेयणिज्जे खीण-असायावेअणिज्जे अवेषणे निव्वेषणे खीणवेषणे सुभासुभ-वेअणिज-कम्मविप्पमुक्के खीणकोहे जाव खीणलोहे खोणपेज्जे खीणदोसे खीणदसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिज्जे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिजकम्मविप्पमुक्के खीण-गेरइयाउए खीण-तिरिक्खजोणियाउए खीण-मणुस्साउए खीण-देवाउए अणाउए निराउए खीणाउए श्राउकम्म-विप्पमुक्के गइजाइ-सरीरंगोवंगबंधण-संघायण संघयण-संठाण-प्रणेगबोंदिविंद-संघायविप्पमुक्के खीण-सुभनामे खीण-असुभणामे अणामे निराणामे खीणनामे सुभासुभ-णाम-कम्मविप्पमुक्के खीणउच्चागोए. खीण
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/391832a839b48b90095d6fae8288b522b2798fa8a3198b44ac3b56deaa52c19c.jpg)
Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154