Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ 88] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विमागः किं तं पडिमाणे ?, 2 जगणं पडिमिणिजइ, तंजहा-गुंजा कागणी निष्फानो कम्ममासो मंडलयो सुवराणो, पंच गुंजात्रो कम्ममासो, कागरायपेक्षया, चत्तारि कागणीयो कम्ममासश्रो, तिरिण निप्फावा कम्ममासयो, एवं चउको कम्ममासश्रो काकरायपेक्षयेत्यर्थः, बारस कम्ममासया मंडलयो एवं अडयालिसं कागणीयो मंडलो, सोलस कम्ममासया सुवराणो एवं चउसट्टि कागणीयो सुवराणो 10 / एएणं पडिमाणपमाणेणं किं पत्रोत्रणं ?, एएणं पडिमाणपमाणेणं सुवरण-रजत-मणि-मोत्तित्रसंखसिलप्पवालाईणं दवाणं पडिमाणप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं पडिमाणे 11 / से तं विभागनिप्फराणे / से तं दव्वपमाणे 12 // सू० 132 // से किं तं खेत्तपमाणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पएसणिष्फराणे अ विभागणिप्फराणे अ 1 / से किं तं पएसणिष्फराणे ?, 2 एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे तिपएसोगाढे संखिजपएसोगाढे असंखिजपएसोगाढे, से तं पएसणिफराणे 2 / से किं तं विभागणिप्फराणे ?, २-अंगुलविहत्थिरयणी कुच्छी धणु गाउग्रं च बोद्धव्वं / जोयण सेढी पयरं लोगमलोगऽवि अ तहेव // 15 // 3 / से कितं अंगुले ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहाश्रायंगुले उस्सेहंगुले पमाणंगुले 4 / से किं तं श्रायंगुले ?, 2 जे णं जया मणुस्सा भवंति तेसि णं तया अप्पणो अंगुलेणं दुवालसगुलाई मुहं नवमुहाई पुरिसे पमाणजुत्ते भवइ, दोगिणए पुरिसे माणजुत्ते भवइ, श्रद्धभारं तुल्लमाणे पुरिसे उम्माणजुत्ते भवइ 5 / माणुम्माणपमाणजुत्ता(णय) लक्खणवंजणगुणेहिं उअवेया। उत्तमकुलप्पसूया उत्तमपुरिसा मुणेश्रव्वा // 16 // होंति पूण अहियपुरिसा अट्ठसयं अंगुलाण उबिद्धा। छराणउइ अहमपुरिसा चउत्तरं मज्झिमिल्ला उ // 17 // हीणा वा अहिया वाजे खलु सरसत्तसारपरिहीणां / ते उत्तमपुरिसाणं अवसा पेसत्तणमुवेति .

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154