Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 96
________________ श्रीमदनुयोगद्वार-सूत्रम् ) [87 चउसट्टीबायो बत्तीसिया दो बत्तीसिधाश्रो सोलसिया दो सोलसिपात्रो अट्ठभाइथा दो अट्ठभाइअाश्रो चउभाइया दो चउभाइयायो श्रद्धमाणी दो अद्धमाणीयो माणी, एएणं रसमाणप्पमाणेणं किं पयोधणं ?, 2 एएणं रसमाणेणं वारक-घडक-करक(कलसित्र)-गागरि(ककरि)दइअ-करोडिय-कुडिश्र-सं(घोस)सियाणं रसाणं रसमाणप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं रसमाणपमाणे 5 / से तं माणे 6 / से किं तं उम्माणे ?, 2 जगणं उम्मिणिजइ, तंजहा-श्रद्धकरिसो करिसो पलं श्रद्धपलं श्रद्धतुला तुला अद्धभारो भारो, दो अद्धकरिसा करिसो दो करिसा अद्धपलं दो श्रद्धपलाई पलं पंच(पंचुत्तर)पलसइया तुला दस तुलाश्रो श्रद्धभारो वीसं तुलायो भारो, एएणं उम्माणपमाणेणं किं पयोगणं ?, एएणं उम्माणपमाणेणं पत्त-अगर(रु, लु)तगर-चोथ कुकुमखंड-गुल-मच्छंडिआईणं दव्वाणं उम्माणपमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं उम्माणपमाणे 7 से किं तं श्रोमाणे ?, 2 जराणं श्रोमिणिज्जइ, तंजहा-हत्थेण वा दंडेण वा धणुक्केण वा जुगेण वा नालियाए वा अक्खेण वा मुसलेण वा-दंडधणूजुगनालिया य अक्खमुसलं च चउहत्थं / दसनालिगं च रज्जु विप्राण प्रोमाणसगणाए // 13 // वत्थु मि हत्थमज्जं खित्ते दंडं धणुच पत्थंमि / खायं च नालिबाए विश्राण श्रोमाणसराणाए // 14 // एएणं अवमाण-पमाणेणं किं पोषणं ?, एएणं अवमाणपमाणेणं खाय-चित्र-रइन-करकचिय-कडपड-भित्ति-परिक्खेव-संसियाणं दवाणं अवमाणपमाण-निवित्ति-लक्खणं भवइ, से तं अवमाणे 8 / से किं तं गणिमे ?, 2 जगणं गणिजइ, तंजहा-एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साई सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी, एएणं गणिमप्पमाणेणं कि पत्रोणं ?, एएणं गणिमपमाणेणं भित्तग-भिति-भत्त-वेषण-श्रायव्यय संसिवाणं दव्वाणं गणियप्पमाण-निवित्तिलक्खणं भवइ, से तं गणिमे 1 / से

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