Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 90
________________ भीमदनुयोगटार-सूत्रम् ] [81 बहुसो / तस्स वियोगे पुत्तिय ! दुब्बलयं ते मुहं जायं // 7 // निदोस-मणसमाहाण-संभवो जो पसंतभावेणं / अविकार-लक्खणो सो रसो पसंतोत्ति णायव्वो // 80 // पसंतो रसो जहा-सम्भाव-निविगारं उवसंत-पसंत-सोमदिट्ठीअं / ही जह मुणिणो सोहइ मुहकमलं पीवरसिरीयं // 81 // एए नव कव्वरसा बत्तीसादोसविहि-समुप्पण्णा / गाहाहिं मुणियव्वा हवंति सुद्धा व मीसा वा // 82 // से तं नवनामे।सू० 126 // से किं तं दसनामे ?, 2 दसविहे पगणत्ते, तंजहा-गोराणे नोगोराणे यायाणपएणं पडिवक्सपएणं पहाणयाए अणाइअसिद्धतेणं नामेणं अवयवेणं संजोगेणं पमाणेणं 1 / से किं तं गोराणे ?, 2 खमईत्ति खमणो तवइत्ति तवणो जलइत्ति जलणो पवइत्ति पवणो, से तं गोराणे 2 / से किं तं नोगोराणे ?, अकुतो सकुतो अमुग्गो. समुग्गो अमुद्दो समुद्दो अलालं पलालं अगलेश्रा सउलिया नो पलं असइत्ति पलासो अमाइवाहए माइवाहए अबीयवावर बीवावर नो इंदगोवए इंदगोवे, से तं नोगोराणे 3 / से किं तं श्रायाणपएणं ?, 2 (धम्मोमंगलं चूलिया) श्रावंती चाउरंगिज्ज असंखयं अहातत्थिज्जं अद्दइज्ज जराणइज्जं पुरिसइज्ज (उसुकारिज्ज) एलइज्जं वीरीयं धम्मो मग्गो समोसरणं जंमइग्रं, से तं पायाणपएणं 4 / से किंतं पडिवक्खपएणं ?, 2 नवेसु गामागर-णगर-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणामस-संवाहसन्निवेसेसु संनिविस्समाणेसु असिवा सिवा अग्गी सीलो विसं महुरं कल्लालघरेसु अंबिलं साउग्रं जे रत्तए से अलत्तए जे लाउए से अलाउए जे सुभए से कुसुभए पालवंते विवलीअभासए, से तं पडिवक्खपएणं 5 / से कि तं पाहरणयाए ?, असोगवणे सत्तवराणवणे चंपगवणे चूअवो नागवणे पुन्नागवणे उच्छवणे दक्खवणे सालिवणे, से तं पाहराणयाए 6 / से किं तं श्रणाइसिद्धतेणं ?, धम्मत्थिकाए: अधम्मस्थिकाए श्रागसत्थिकाए जीवत्थि

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