Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ कालावधं हुतं अंधामा, मुच्छणा // 127 // से पिटमा होइ, बिमा भीमदनुयोगदार-स्त्रम् / [76 नीससियोससिअसमं संचारसमं सरा सत्त॥५०॥निदोसं सारमंतं च, हेउजुत्तमलंकियं / उवणीअं सोवयारं च, मित्रं महुरमेव य // 51 // समं श्रद्धसमं चेव, सम्वत्थ विसमं च जं। तिगिण वित्तपयाराई, चउत्थं नोवलब्भइ // 52 // सक्या पायया चेव, भणिईओ होंति दोरिण वा / सरमंडलंमि गिज्जते, पसत्था इसिभासिया // 53 // केसी गायइ महुरं केसी गायइ खरं च रुक्खं च / केसी गायइ चउरं केसी अविलंविध. दुतं केसी ? // 54 // विस्सरं पुण केरिसी। (गाथाऽधिकमिदं) गोरी(सामा) गायति महुरं सामा (काली) गायइ खरं च रुक्खं च। काली(गोरी) गायइ चउरं काणा य विलंबिधे दुतं अंधा // 55 // विस्सरं पुण पिंगला / (गाथाधिकमिदमपि)। सत्त सरा तो गामा, मुच्छणा इक्वीसई / ताणा एगणपण्णासं सम्मत्तं सरमंडलं // 56 // से तं सत्तनामे // 127 // से किं तं अट्ठनामे ?, 2 अट्टविहा वयणविभत्ती पराणत्ता, तंजहा-निद्दे से पढमा होइ, बितिश्रा उवएसणे / तइया करणंमि कया, चउत्थी संपयावणे // 57 // पंचमी श्र अवायाणे, छट्ठी सस्सामिवायणे / सत्तमी सगिणहाणत्थे, अट्ठमाऽऽमंतणी भवे // 58 // तत्थ पढमा विभत्ती उिद्दे से सो इमो अहं वत्ति / बिइया पुण उवएसे भण कुणसु इमं व तं वत्ति // 51 // तइया करणंमि कया भणियं च कयं च तेण व मए वा। हंदि णमो साहाए हवइ चउत्थी पयामि // 60 // श्रवणय गिराह य एत्तो इउत्ति वा पंचमी अवायाणे / छट्ठी तस्स इमस्स व गयस्स वा. सामिसंबंधे // 61 // हवइ पण सत्तमी तं इमंमि श्राहारकालभावे श्र। आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाणत्ति // 62 // से तं.अट्ठणामे // सू० 128 // से किं तं नवनामे ?, 2 णव कव्वरसा पराणत्ता, तंजहा-वीरो सिंगारो श्रभुत्रो श्र रोदो श्र होइ बोद्धव्यो / वेलणश्रो बीभच्छो हासो कलुणो पसंतो अ॥ 63 // तत्थ परिचायंमि अ तवचरणे सत्तुजणविणासे श्र। अणणुसय-धिति-परक्कमलिंगो
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/2033378f0732f12d76243f3b512f74b8e107beb9fcbf7ef762b88a656f7a525a.jpg)
Page Navigation
1 ... 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154