Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 87
________________ 78 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्दशमो विभागा कलहकारगा। जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा॥ 38 // (सोयरिया मच्छबंधा य // 37 // चंडाला मुट्ठिया मेता, जे यऽगणे पावकारिणो / गोघातका य चोरा य नेसातं सरमस्सिता // 38 // ) एएसिं णं सत्तरहं सराणं तो गामा पराणत्ता, तंजहा-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणायो, पराणत्तायो, तंजहा-मंग्गी(मग्गी) कोरविया हरिया, रयणी असारकंता य। छट्ठी असारसी नाम, सुद्धमजा य सत्तमा // 31 // मज्झिमग्गामस्त णं सत मुच्छणाओ पराणत्ताओ, तंजहाउत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा / समोक्कंता (अस्सोकंता, अस्सकन्ना) य सोवीरा, अभिरुवा होइ सत्तमा // 40 // गंधारग्गामस्स णं सत्त मुच्छणायो पराणत्तायो, तंजहा-नंदी(नट्ठी) अ खुड्डिा पूरिमा य चउत्थी अ सुद्धगंधारा / उत्तरगंधारावि अ सा पंचमिया हवइ मुच्छा // 41 // सुठ्ठत्तरमायामा सा छट्ठी सवयो य(नियमसो उ) णायब्वा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा // 42 // सत्त सरा कयो हवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी / कइसमया योसासा, कइ वा गीयस्स यागारा // 43 // सत्त सरा नाभीयो हवंति गीयं च रुझ्यजोणी / पायसमा उसासा तिरिण य गीयस्स आगारा // 44 // श्राइमउ अारभंता' समुन्वहन्ता य मज्मयारंमि। अवसाणे झवेता (उज्झता) तिन्निवि गीयस्स श्रागारा // 45 // छद्दोसे अद्वगुणे तिगिण अ वित्ताई दो य भणिईयो। जो नाही सो गाहिइ, सुसिक्खियो रंगमञ्झमि // 46 // भीयं दुधे उप्पिच्छं (रहस्स) उत्तालं च कमसो मुणेयम् / कागस्सरमणुणासं छदोसा होति गेअस्स // 47 // पुराणं रत्तं च अलंकियं च वत्तं च तहेवमविघुटुं / महुरं समं सुललिग्रं(समजुकुमार) अट्ट गुणा होति गेग्रस्स // 48 // उरकंठसिर. विसुद्धं च गिज्जते मउपरिभित्रपदबद्धं / समतालपडुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं // 41 // अक्खरसमं पदसमं तालमं लयसमं च गेहसमं /

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