Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 53
________________ 44 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / चतुर्दशमो विभागः कावो(कावडि)(का)कोयाणं, मागहाणं, से तं दुपए उवकमे // सू० 62 // से किं तं चउप्पए उवकमे ?, 2 चउप्पयाणं थासाणं हत्थीणं इचाइ, से तं चउप्पए उबकमे // सू० 63 // से किं तं अपए उवक्कमे ?, 2 अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इचाइ, से तं अपनोवकमे, से तं सचित्तदव्योवक्कमे // सू० 64 // से किं तं अचित्तदवोवकमे ?, 2 खंडाईणं गुडाईणं मच्छंडीणं, से तं अचित्तदव्योवक्कमे // सू० 65 // से किं तं मीसए दव्योवकमे ?, 2 से चेव थासग-श्रायंसगाइमंडिए श्रासाइ, से तं मीसए दव्योवकमे, से तं जाणयसरीर-भविसरीरवइरित्ते दव्वोवकमे, (तस्थ दुपयाणं घयाइणा वरणाइकरणं, तहा करणखंधवद्धणं च, चउप्पयाणं सिक्खागुण-विसेसकरणं, एवं अपयाणं रक्खा वद्धणं च, अंबाइ-फलाणं च कोदवपलालाइसु प्पयाणं, वत्थुविणासे सचित्ताणं पुरिसादीणं खग्गादीहिं विणासकरणं, अचित्ताणं गुडादीणं जलणसंजोएणं महुरत्तण-गुण-विसेसकरणं, विणासो य खारादीहिं, मीसदब्वाणं थासगाइविभूसियाणं श्रासादीणं मिक्खा-गुण-विसेसकरणं) से तं नोग्रागमयो दव्वोवकमे, से तं दव्योवकमे // सू० 66 // से किं तं खेत्तोक्कमे ?, 2 जगणं हलकुलियाईहिं खेत्ताई उवकमिज्जति (खेत्तस्स हलकुलियादीहिं जोग्गयाकरणं, विणासकरणं गयबंधणादीहिं) से तं खेत्तोवकमे // सू० 67 // से किं तं कालोवक्कमे ?, 2 ज णं नालियाईहिं कालस्सोवकमणं(कालपरिमाणोवलक्खणं) कीरइ, से तं कालोवकमे / / सू० 68 // से किं तं भावोवकमे ?, 2 दुविहे परणत्ते, तंजहा-यागमयो अ नोआगमश्रो श्र, से किं तं श्रागमो भावोवक्कमे ? 2 जाणए उवउत्ते, से तं पागमश्रो भावोवक्कमे, से किं तं नोबागमयो भावोवकमे ? 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थे अ अपसत्थे श्र, तत्थ से किं तं अपसत्थे भावोवकमे ? 2 डोडिणि-गणिया-अमचाईणं, से तं अपसत्थे भावोवक्कम, से किं तं पसत्थे भावोवक्कमे ? 2 गुरुमाईणं,

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