Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 6.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु: चतुर्दशमो विमागः पंचविहा परणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोबारे अणुगमे // सू० 106 // से किं तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया ?, 2 तिसमयट्टिईए श्राणुपुव्वी जाव दससमयट्टिईए आणुपुब्बी संखिजसमयट्टिईए आणुपुव्वी असंखिजसमयट्टिईए श्राणुपुव्वी एगसमयट्टिईए अणाणुपुब्बी दुसमयट्टिईए अवत्तव्बए, तिसमयठिईश्राश्रो श्राणुपुवीयो एगसमयट्टिईश्राश्रो श्रणाणुपुव्वीश्रो दुसमयट्टिईश्रायो अवत्तव्वगाई, से तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया 1 / एमाए णं णेगमबवहाराणं अट्ठपयपरूवणायाए कि पयोअणं ?, एयाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया कजइ 2 // सू० 107 // से किं तं गमववहाराणं भंगसमुकित्तणया ?, 2 अस्थि श्राणुपुवी अस्थि अणाणुपुव्वी अस्थि अवत्तव्वए, एवं दवाणुपुव्वीगमेणं कालाणुपुवीएवि ते चेव छब्बीसं भंगा भाणिया जाव से तं गमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया 1 / एयाए. णं णेगमववहाहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए किं पोषणं ?, एमाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कजई 2 ॥सू. 108 // से किं तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया ?, 2 तिसमयट्टिईए श्राणुपुवी एगसमयढिईए अणाणुपुव्वी दुसमयट्टिईए अवत्तव्वए, तिसमयट्टिईया श्रणाणुपुत्वीयो एगसमट्टिईया अणाणुपुत्वीयो दुसमयट्टिईश्रा श्रवत्तव्वगाई, हवा तिसमयट्टिईए अ एगसमयट्टिईए अ श्राणुपुब्बी अणाणुपुव्वी अ 1 / एवं तहा चे दवाणुपुबीगमेणं छव्वीसं भंगा भाणिश्रव्वा, जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया 2 // सू० 101 // से किं तं समोधारे ? 2 गमववहाराणं आणुपुवीदव्वाइं कहिं समोअरंति ? किं श्राणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं ?, एवं तिरिणवि सट्ठाणे समोअरंति इति भाणिश्रव्वं 1 / से तं समोसारे 2 // सू० 110 //
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