Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 71
________________ 62 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः:: चतुर्दशमो विभागः णाणादब्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं 12 / भागभावअप्पाबहुं चेव जहा खेताणुपुवीए तहा भाणिग्रवाई, जाव से तं अणुगमे 13 / से तं गमववहाराणं श्रणोवणिहिया कालाणुपुव्वी 14 // सू० 111 // से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोथारे अणुगमे // सू० 112 // से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, 2 एअाई पंचवि दाराई जहा खेत्ताणुपुवीए संगहस्स तहा कालाणुपुब्बीएवि भाणिव्वाणि, णवरं ठिइअभिलावो, जाव से तं अणुगमे / से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुब्बी // सू० 113 // से किं तं उवणिहिया कालाणुपुब्बी ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुवाणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी 1 / से किं तं पुवाणुपुब्बी ?, 2 एगसमयट्टिइए दुसमयट्टिइए तिसमयटिइए जाव दससमयटिइए संखिजसमयट्टिइए, असंखिजसमयट्टिइए, से तं पुवाणुपुवी 2 / ते किं तं पच्छाणुपुब्बी ? 2 असंखिजसमयटिइए जाव एगसमयटिइए, से तं पच्छाणुपुब्वी 3 / से कि तं अणाणुपुटवी ?, 2 एयाए चेव एगाइश्राए एगुत्तरिाए असंखिजगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुव्वी 4 / अहवा उवणिहिया कालाणुपुवी तिविहा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वाणुपुब्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी 5 / से किं तं पुव्वाणुपुवी ?, 2 समए श्रावलिथा घाण पाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुब्वे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अत्थनिऊरंगे अत्थनिऊरे अउअंगे अउए नउअंगे नउए पउअंगे पउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिश्रा पलिग्रोवमे सागरोवमे श्रोसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरिघट्टे अतीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा, से तं पुव्वाणुपुव्वी 6 / से किं तं

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