Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 51
________________ 42 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु चतुर्दशमो विमानः से तं नामखंधे / से किं तं ठरणाखंधे ? 2 जगणं कट्टकम्मे वा जाव खंधेइ ठवणा उविज्जति, से तं ठवणाखंधे / णामठवणाणं को पइविसेसो ? नाम श्रावकहियं, ठवणा.. इत्तरित्रा वा होजा श्रावकहिया वा) // सू० 45 // से किं तं। दव्वखंधे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बागमतो श्र नोबागमतो अ, से किं तं श्रागमयो दव्वखंधे ?, 2 जस्स णं 'संधेत्ति पयं सिक्खियं, सेसं जहा दवावस्सए तहा भाणिअव्वं,नवरं खंधाभिलावो जाव से किं तं जाणवसरीर-भविसरीरवइरित्ते दव्वखंधे ?, 2 तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए // सू० 46 // से किं तं सचित्ते दव्वखंधे?, 2 अणेगविहे पगणन्ते, तंजहा-हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे गंधवखंधे उसभखंधे, से तं सचित्ते दव्वखंधे // सू० 47 // से किं तं अचित्ते' दव्वखंधे ?, 2 अणेगविहे पराणते, तंजहा-दुपएसिए तिपएसिए “जापं दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अणंतपएसिए, सेतं अचित्ते दव्वखंधे // सू० 48 // से किं तं मीसए दव्वखंधे ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे, से तं मीसए दव्वखंधे // सू०. 41 // अहवा जाणयसरीर-भविश्रसरीखइरित्ते दव्वखंधे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-कसिणखंधे अकसिणखंधे श्रणेगदवियखंधे // सू० 50 // से किं तं कसिणखंधे ?, से चेव हयक्खंधे गयक्खंधे जाव उसभखंधे, से तं कसिणखंधे // सू० 51 // से किं तं अकसिणखंधे ?, 2 सो चेव दुपएसियाइखंधे जाव अणंतपएसिए खंधे, से तं अकसिणखंधे // सू०५२ // से किं तं अणेगदीवयखंधे ?, 2 तस्स चेव देसे अवचिए तस्स चेव देसे उवचिए, से तं अणेगदविश्रखंधे, से तं जाणयसरीर-भवियसरीखइरित्तेदव्वखंधे, से तंनोबागमयो दव्वखंधे, से तं दवखंधे।।सू०५३॥ से किं तं भावखंधे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बागमत्रो अनोबागमत्रो

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