Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [27 श्रीनन्दिसत्रम् ] : . ..... सुयक्वंधे तिन्नि वग्गा तिन्नि उद्देसणकाला तिन्नि समुद्दसणकाला संखिजाई पयसहस्साइ पयग्गेणं 3 / संखिजा अवखरा अणंता गमा अणंता पंजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नता भावा श्रावविज्जति पनविनंति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 4 / से एवं श्राया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा बाघविजइ / से तं अणुत्तरोववाइयदसायो 5 // 1 // सू० 40 // से कि तं पराहावागरणाइं ? पराहावागरणेसु णं अठुत्तरं पसिणसयं अठ्ठत्तरं अपसिणसयं अठ्ठत्तरं पसिणापसिणसयं, तंजहा-अंगुट्ठपसिणाई बाहुपसिणाई अदागपसिणाई अन्नेवि विचित्ता विजाइसया नागसुवन्नेहि सद्धिं दिवा संवाया (संधाणा संधणंति) बाघविज्जति 1 / पराहागगरणाणं परित्ता वायणा संखिजा अणुयोगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजायो निज्जुत्तीयो संखिजायो संगहणीयो संखिजायो पडिवत्तीयो 2 / से णं अंगठ्ठयाए दसमे अंगे एगे सुअखंधे पणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसणकाला पणयालीसं समुद्दे सणकाला संखिजाई पयसहस्लाई पयग्गेणं 3 / संखिजा अक्खरा अणंना गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबदनिकाइया जिणपन्नता भावा आपविज्जंति पन्नविजंति परूविज्जंति देसिज्जते निदंसिज्जति उवदंसिज्जति 4 / से एवं पाया से एवं नाया से एवं विनाया से एवं चरणकरणपरूवणा श्रावविजइ / से तं पराहावागरणाई 5 // 20 // सू० 41 // से किं तं विवागसुयं ? विवागपुए णं सुकडदुकडाणं कम्माणं फलविवागे आपविजइ 1 / तत्थ णं दस दुहविवागा दस सुहविवागा 2 / से कि तं दुहविवागा ? दुहविवागेसु णं दुहविवागाणं नगराई उजाणाइ चेइबाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो. धम्मायरिया धम्मकहायो इहलोइयपर
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