________________ 194 194 197 000 205 206 211 216 221 अवग्रहक्षेत्र का प्रमाण तीसरे उद्देशक का सारांश चौथा उद्देशक अनुद्घातिक प्रायश्चित्त के स्थान पाराञ्चिक प्रायश्चित्त के स्थान अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त के स्थान वाचना देने के योग्यायोग्य के लक्षण शिक्षा-प्राप्ति के योग्यायोग्य के लक्षण ग्लान को मैथुनभाव का प्रायश्चित्त प्रथम प्रहर के आहार को चतुर्थ प्रहर में रखने का निषेध दो कोस से आगे आहार ले जाने का निषेध अनाभोग से ग्रहण किये अनेषणीय आहार की विधि औद्देशिक आहार के कल्प्याकल्प्य का विधान श्रुतग्रहण के लिये अन्य गण में जाने का विधि-निषेध सांभोगिक-व्यवहार के लिये अन्य गण में जाने की विधि प्राचार्य आदि को वाचना देने के लिये अन्य गण में जाने का विधि-निषेध कलह करने वाले भिक्षु से सम्बन्धित विधि-निषेध परिहार-कल्पस्थित भिक्षु की वैयावृत्य करने का विधान महानदी पार करने के विधि-निषेध घास से ढकी हुई छत वाले उपाश्रय में रहने के विधि-निषेध चौथे उद्देशक का सारांश पांचवा उद्देशक विकुर्वित दिव्य शरीर के स्पर्श से उत्पन्न मैथुनभाव का प्रायश्चित्त कलहकृत पागन्तुक भिक्ष के प्रति कर्तव्य रात्रिभोजन के अतिचार का विवेक एवं प्रायश्चित्त विधान उद्गाल सम्बन्धी विवेक एवं प्रायश्चित्त विधान संसक्त आहार के खाने एवं परठने का विधान सचित्त जलबिन्दु मिले आहार को खाने एवं परठने का विधान पशु-पक्षी के स्पर्शादि से उत्पन्न मैथुनभाव के प्रायश्चित्त साध्वी को एकाकी गमन करने का निषेध साध्वी को वस्त्र-पात्र रहित होने का निषेध साध्वी को प्रतिज्ञाबद्ध होकर आसनादि करने का निषेध आकुचनपट्टक के धारण करने का विधि-निषेध प्रबलंबन युक्त प्रासन के विधि-निषेध सविसाण पीठ आदि के विधि-निषेध 222 223 225 227 rrr mmmmm 20. x 237 237 238 240 241 241 [77 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org