________________ 228] (बृहत्कल्पसूत्र सूत्र 33-36 घास के बने मकानों की ऊंचाई कम हो तो वहां नहीं ठहरना चाहिए, किन्तु अधिक ऊंचाई हो तो ठहरा जा सकता है / उपसंहार सूत्र 1-3 14-15 16-17 18 इस उद्देशक मेंअनुद्धात्तिक, पारांचिक, अनवस्थाप्य प्रायश्चित्तों का, दीक्षा, वाचना एवं शिक्षा के योग्यायोग्यों का, मैथुन भावों के प्रायश्चित्त का, आहार के क्षेत्र, काल की मर्यादा का, अनेषणीय पाहार के उपयोग का, कल्पस्थित अकल्पस्थित के कल्पनीयता का, अध्ययन आदि के लिए अन्य गण में जाने का, कालधर्मप्राप्त भिक्षु को एकान्त में परठने का, क्लेश युक्त भिक्षु के रखने योग्य विवेक का, परिहारतप वाले भिक्षु के प्रति कर्त्तव्यों का, नदी पार करने के कल्प्याकल्प्य का, घास वाले मकानों के कल्प्याकल्प्य का, इत्यादि विषयों का कथन किया गया है। 20-25 29 30 WW. 33-36 // चौथा उद्देशक समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org