________________ चौथा उद्देशक] 5. मासकल्प-किसी भी ग्रामादि में एक मास या उससे अधिक इच्छानुसार रहना या कभी भी वापिस वहां आकर ठहरना। 6. चातुर्मासकल्प-इच्छा हो तो चार मास एक जगह ठहरना किन्तु संवत्सरी के बाद कार्तिक सुदी पूनम तक एक जगह ही स्थिर रहना / उसके बाद इच्छा हो तो विहार करना, इच्छा न हो तो न करना। श्रुतग्रहण के लिये अन्यगण में जाने का विधि-निषेध 20. भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता 1. आयरियं वा, 2. उवज्झायं वा 3, पवत्तयं वा, 4. थेरं वा, 5. गणि वा 6. गणहरं वा, 7, गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ से प्रापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पड अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / 21. गणावच्छेयए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तएनो से कप्पड गणावच्छेयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ से गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए। कप्पइ से आपुच्छित्ता पायरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। 22. पायरिय-उवज्झाए य गणाओ प्रवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ से आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उपसंपज्जिताणं विहरित्तए / नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org