Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ ५२८-५५३ ५५४-५५९ ५६०-५६७ ५६८-६०२ ६०३-६१० ६११-६१८ ६१९-६४५ ६४६-६६८ ६६९-६९३ ६९४-७४३ ७४४-७५७ अठाईसा पद सचित्ताहारादि का निरूपणअसुरकुमारों के सचित्त आहारादि का निरूपणपृथिवीकायिकों के सचित्त आहारादि का निरूपणद्विन्द्रियादि के सचित्त आहारादि का निरूपणएकेन्द्रिय शरीरादि अधिकार का निरूपणनैरयिक आदि के ओजाहारादि अधिकार का निरूपणजीवादि के आहारादि द्वार का निरूपणसलेश्यादि जीवों के आहार आदि का निरूपण-- ज्ञानी जीवों के आहारादि का निरूपण उन्तीसवां पद साकार अनाकार उपयोग का निरूपण - तीसवां पद केवलि की ज्ञानसम्पत्ती का निरूपण इकतोसळ पद संज्ञापरिणाम का निरूपण बत्तीसवां पद संयतासंयनपने का निरूपण तेत्तीसवां पद अवधिविषयक द्वार गाथा का निरूपणअवधि के भेदों का निरूपणनैरयिकादिकों के अवधिज्ञान का निरूपणनैरयिकादि की अवधि के संस्थान का निरूपण चोतीसवां पद प्रविचारपद की संग्रह गाथा का निरूपणनैरयिकों के अनन्तरागताहारादि विषय का आमोगादि का निरूपण देवों की परिचारणा का निरूपण पैंतीसवां पद द्वारसंग्रह गाथा का कथन ७५८-७६४ ७६५-७७२ ७७३-७७८ ७७९-७८२ ७८३-८०१ ८०२-८१५ ८१६-८१७ ८१८-८४२ ८४३-८७२ पातमा ४२ ८७३-८७५ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫

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