Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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औपपातिकसूत्रे दिट्ठलाभिए २०, अदिट्टलाभिए २१, पुट्टलाभिए २२, अपुट्ठलाभिए श्वरति स तज्जातसंसृष्टचरकः ।१७। 'अण्णायचरए' अज्ञातचरकः-अज्ञातम्-अज्ञातसाधुनियम कुलं चरति यः सोऽज्ञातचरकः । १८ । 'मोणचरए.' मौनचरकः-मौनम्= वाक्संयमनं, तेन चरति यः स मौनचरकः ।१९। 'दिट्ठलाभिए' दृष्टलाभिकः-दृष्टस्यैव भक्तादेर्लाभो दृष्टलाभः, यद्वा दृष्टात्प्रथमदृष्टादेव दातुर्ग्रहाद्वा लाभो दृष्टलाभः, सोऽस्ति यस्य स दृष्टलाभिकः ।२०। 'अदिट्ठलाभिए' अदृष्टलाभिकः-अदृष्टस्य-आवरणाऽऽच्छादितस्य दात्रादिभिः कृतोपयोगस्य भक्तादेर्लाभः, अथवा अदृष्टात् पूर्व कदापि न दृष्टाद् दायकाल्लाभः; सोऽस्याऽस्तीत्यदृष्टलाभिकः ।२१। 'पुट्ठलाभिए' पृष्टलाभिकः-भिक्षार्थं समागतं यं साधु 'भो साधो ! त्वं किमिच्छसि ?' एवं कश्चिद् गृहस्थः पृच्छति स पृष्ट इत्युच्यते, तस्य साधोमुझे देगा तो लूंगा । १८-(अण्णायचरए) अज्ञातचरक-जो साधुओं के नियमों से अनभिज्ञ होगा उसी कुल की मैं भिक्षा लूंगा। १९-(मोणचरए) मौनचरक-मैं वहीं से भिक्षाप्राप्त करूँगा जो मेर विना बोले मुझे भिक्षा लाकर देगा। २०-(दिट्ठलाभिए) दृष्टलाभिक मैं वही भिक्षा लूंगा जो सर्वप्रथम मेरी दृष्टि में आवेगी, अथवा मैं उसीसे भिक्षा
लूंगा जो सर्वप्रथम मुझे दिखाई देगा, अथवा मैं उसी स्थान से भिक्षा लूंगा जो सबसे पहिले मुझे दिख जायगा । २१-(अदिदुलाभिए) अदृष्टलाभिक-जो अशनादिक आवरण से आच्छादित होने की वजह से दिखलाई तो न पडे, परन्तु दाता उसे अपने उपयोग में ला चुका हो, उसमें से भिक्षा देगा तो लूंगा, अथवा-जिस दाता को मैं पहिले कभी भी नहीं देखा वह देगा तो लूँगा । २२-(पुट्ठलाभिए) पृष्टलाभिक-दाता यदि पूछेगा, [१७] (तज्जायसंसट्ठचरए) dard Yष्टय२४-डायरे याथी समुष्ट यजयते यी ने भने मापशे तो श (१८) (अण्णायचरए) मशातय२४-२ સાધુઓના નિયમથી અજ્ઞાત હોય એવાં કુળની હું ભિક્ષા લઈશ (૧૯) (मोणचरए) भौनय२४-९ तेना पासेथा मिक्षा सध्श ने भा। मोत्या विना४ भने निक्षा सापाने साथी देश (२०) (दिदुलाभिए) टमानि-हुँ એ જ ભિક્ષા લઈશ કે જેને હું સર્વથી પહેલાં જઇશ. અથવા હું તેના જ હાથથી ભિક્ષા લઈશ જે માણસ માટે સર્વપ્રથમ જોવામાં આવશે, અથવા હું તેજ જગ્યાથી ભિક્ષા લઈશ જે જગ્યા માટે સર્વ–પ્રથમ દેખાશે (૨૧) (अदिट्ठलाभिए) PAमानि-2 भावाना पहा distinी ढसा डावान। કારણથી દેખાય નહિ પણ દાતા તેને પિતાના ઉપયોગમાં લાવી ચૂકેલા હોય તેમાંથી ભિક્ષા આપશે તો લઈશ. અથવા જે દાતાને મેં પહેલાં કદી જોયેલા नडाय ते माप त सश. (२२) (पुट्ठलाभिए) पृष्टमामि-हाताने