Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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औपपातिकसूत्रे
ओहबले अइबले महब्बले अपरिमिय-बल-वीरिय-तेय-माहप्प-कंति-जुत्ते सारय-णवत्थणिय -महुर-गंभीर-कोंच-णिवारायाः-अनेकशतवृन्दं परिवारो यस्यां सा तथा तस्याः, इत्थम्भूताया विविधायाः परिषदः, अत्र कर्मणः सम्बन्धमात्रविवक्षायां षष्ठी; 'ओहवले' ओधबल: अप्रतिबद्धबलशाली,' अइवले'. अतिबल:=अतिशयबलवान् , 'महब्बले' महाबल:- अनुपमप्रशस्तशक्तिमान् , 'अपरिमिय-बल-वीरिय-तेय-माहप्प-कंति-जुत्ते' अपरिमित-बल-वीर्य-तेजो-माहात्म्यकान्ति–युक्तः, अपरिमितम् अत्यधिकं बलं शारीरिकम् , वीर्य=जीवसम्भूतम् , तेजो-दीप्तिः, माहात्म्यम् प्रभावः, कान्तिः सौन्दर्यम् , एतैर्युक्तः, 'सारय-णव-स्थणिय-महुर-गंभीरकोंच-णिग्योस-दुंदुभि-स्सरे' शारद-नव-स्तनित-मधुर-गम्भीर-क्रौञ्च-नि?ष-दुन्दुभिस्वरः-शारद-शरत्कालिकं यन्नवस्तनितं-नवघनगर्जितं तद्वन्मधुरो गम्भीरश्च तथा क्रौञ्चनिसय-वंद-परिवाराए) अनेकशत-समूह-युक्त परिवार वाली उस सभा को, (अरहा) अहंत प्रभु (धम्म) श्रुतचारित्ररूप धर्म का (भासइ) उपदेश देते हैं-इस शाश्वत नियम के अनुसार ( अद्धमागहाए भासाए) अर्धमागधी भाषा द्वारा (धम्म) श्रुतचारित्ररूप धर्म का (परिकहेइ) उपदेश दिया। भगवान् कैसे थे ? सो कहते हैं-भगवान् महावीर प्रभु (ओहबले अइबले महब्बले अपरिमिय-बल-वीरिय-तेय-माहप्पकंति-जुत्ते ) अप्रतिबद्धबलशाली थे । अतिशयवलिष्ठ थे। अनुपम-प्रशस्त शक्ति-संपन्न थे। अपरिमित बल, वीर्य, तेज, माहात्म्य एवं कांति से युक्त थे। बल से यहां पर शारीरिक शक्ति का कांग्रह हुआ है। वीर्य से जीव की असाधारण शक्ति का ग्रहण किया गया है। प्रभाव का नाम माहात्म्य है, शारीरिक सुन्दरता का नाम कांति है। (सारय-णवपाणी (अणेगसयवंदाए) मनेशत वृन्ह (सभूड) पाजी (अणेग-सय-वंद-परिसाए) मने-शत-समूड युत परिवारपाजी ते समाने, (अरहा) मत प्रभु (धम्म) श्रुतयारित्र३५ धर्मने। (भासइ) उपहेश मापे छे-मा शाश्वत नियमने मनुसरीने (अद्धमागहाए भासाए) 4-भागधी लापा द्वारा (धम्म) श्रुतयारित्र ३५ धमनी (परिकहेइ) पहेश २मायो. भगवान । ता? ते ४ छ-मावान महावीर प्रभु (ओहबले, अइबले, महब्बले, अपरिमिय-बल-वीरिय तेय-माहप्प-ति-जुत्त) मप्रतिमद्ध मसाजी , अतिशय मजपान ता. अनुपम પ્રશત-શક્તિ-સંપન્ન હતા. અપરિમિત બેલ, વીર્ય, તેજ, માહામ્ય તેમજ કાંતિથી યુક્ત હતા. બલથી અહીં શારીરિક શક્તિનો સંગ્રહ સમજવું. વીર્યથી જીવની અસાધારણ શક્તિને અર્થ ગ્રહણ કર્યો છે. પ્રભાવને અર્થ માહાત્મ્ય छ. शारीरि४ सुदरता मेट ४iति छे. (सारय-णव-स्थणिय-महुर-गंभीर-कोंच