Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 773
________________ ७१२ औपपातिकसूत्रे अजोयणिए खेत्ते अह जायणाइं बाहल्लेणं, तयाणंतरं च णं मायाएर परिहायमाणी २ सव्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताआ तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहल्लेणं पण्णत्ता ॥ सू० १०३ ॥ बहुमध्यदेशभागेऽष्टयोजनिक क्षेत्रम् अष्ट योजनानि बाहल्येन, 'तयाणंतरं च णं' तदनन्तरञ्च खलु 'मायाए' २ मात्रया २ 'परिहायमाणी' २ परिहीयमाना २'सव्वेसुचरिमपेरंतेमु सर्वेषु चरमप्रान्तेषु 'मच्छियपत्ताओ तणुयतरा' मक्षिकापक्षात्तनुकतरा 'अंगुलस्स असंखेजइभार्ग' अङ्गुलस्याऽसंख्येयभागं 'बाहल्लेणं' बाहल्येन 'पण्णत्ता' प्रज्ञप्ता ॥ सू० १०३ ॥ 'इसीपब्भाराए णं पुढवीए' इत्यादि । इस (इसीपब्भाराए णं पुढवीए) ईषत्प्रागभारा पृथिवीका अर्थात् सिद्धशिलाका (बहुमज्झदेसभाए अटुजोइणिए खेत्ते) जो बहुमध्यदेशभागस्थित आठ योजनका क्षेत्र है, उसका (अट्ठजोयणाइं बाहल्लेणं) आठ योजन बाहल्य है, अर्थात् सिद्धशिला बीच में आठ योजन जाड़ी है । (तयाणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणी २) उस मध्यभाग से क्रमशः कम होती हुई यह (सव्वेसु चरिमपेरंतेसु) सभी चरम प्रदेशों में (मच्छियपत्ताओ तणुयतरा) मक्खी के पांख से भी अधिक पतली है, (अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहल्लेणं पण्णत्ता) अतः यह बारीकी में अंगुल के असंख्यातवें भाग जाननी चाहिये ॥ सू. १०३ ॥ 'ईसीपब्भाराए णं पुढवीए' त्याहि. ___ा (ईसीपब्भाराए णं पुढवीए) षत्प्रामा२। पृथिवाना, अर्थात् सिद्धशियाना (बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते ) मई-मध्यश-मागमा २ रे 28 योन प्रमाणपाणु क्षेत्र छ, तेनi ( अदुजोयणाई बाहल्लेणं) माइयोन मादय छ, अर्थात् सिद्धशिमा वयभामा योनी छे. (तयाणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणी २) ते मध्यमाथी भश: धीमे-धीमे साछी थतi ndi AI, ( सव्वेसु चरिमपेरंतेसु) मा यम प्रशामा (मच्छियपत्ताओ तणुयतरा) मामानी पांमथी ५४ वधारे पातमी छे. ( अंगुलस्स असंखेज्जइभागं बाहल्लेणं पण्णत्ता) पाम ते भारीमा मांजाना असण्याતમા ભાગની જાણવી જોઈએ. (સૂ૦ ૧૦૩)

Loading...

Page Navigation
1 ... 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824