Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 796
________________ पीयूषवर्षिण टोका, शास्त्रोपसंहारः ७३५ उमुक्ककम्मकवया,अजरा अमरा असंगा य ॥ सू० १२६ ॥ मूलम् -- णिच्छिण्णसव्वदुक्खा, जाइजरामरणबंधणविमुक्का । 'सिद्धत्ति य' सिद्धा इति च - तेषां नाम, कृतकृत्यत्वात्, 'बुद्धत्ति य' बुद्धा इति च-केवलज्ञानेन विश्वावबोधात्, 'पारगयत्ति य' पारगता इति च - भवसागरपारगमनात, 'परंपर गयत्ति य' परंपरगताः = मिथ्यात्वादिचतुर्दशगुणस्थानकानां मनुष्यादिसुगतीनां च पारंपर्येण भवसिन्धुपारं प्राप्ता इति, 'उम्मुक्ककम्मकवया' उन्मुक्तकर्मकवचाः = कर्मकवचवर्जिताः 'अजरा' अजराः–वयसोऽभावात्, 'अमरा' अमराः - आयुषोऽभावात्, 'असंगा य' असङ्गाश्व सकलक्लेशरहितत्वात् ॥ सू. १२६ ॥ टीका -- ' णिच्छिण्ण' इत्यादि । 'णिच्छिष्णसव्वदुक्खा' निस्तीर्णसर्वदुःखाः'सिद्धत्ति य बुद्धति य' इत्यादि । सिद्धति य ) कृतकृत्य होने से वे सिद्ध कहे जाते हैं । ( बुद्धत्तिय ) केवल ज्ञान से सकल लोकालोक के ज्ञाता होने से वे बुद्ध कहे जाते हैं । ( पारगयत्ति य ) भवरूप समुद्र से पारंगत हो जाने के कारण वे पारगत कहे जाते हैं । ( परंपरगयत्ति य ) मिथ्यात्व - आदि चौदह गुणस्थानकों और मनुष्य - आदि सुगतियों की परम्परा से भवसिन्धु को पार करने के कारण वे परंपरगत कहे जाते हैं । (उम्मुककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य) कर्मरूप कवच से वर्जित होने के कारण, एवं आयु कर्म का सर्वथा प्रक्षय हो जाने के कारण वे अमर कहे जाते हैं । तथा सकलक्लेशों से रहित होने के कारण वे असंग कहे जाते हैं । ये सिद्ध, बुद्ध, आदि सब शब्द, पर्यायवाची शब्द हैं । सू. १२६ ॥ 'सिद्धत्तिय बुद्धत्ति य ' इत्यादि. (fazfa a) zdşcu Tıqal Aнà ßus sêqнi sud d. (gefa 7) કેવળજ્ઞાનથી સકલ લેાકાલેાકના સાતા હાવાના કારણે બુદ્ધ કહેવામાં आवे छे. ( पारगयत्ति य ) लव३५ समुद्रथी चारगत थ भवाना अरो तेभने पारंगत 'हेवामां आवे छे. (परंपरगयत्ति य) मिथ्यात्व -माहि यौह गुणुस्थान है। અને મનુષ્ય આદિ સુગતિએની પર પરાથી ભવિસને પાર કરવાને કારણે તે परं परगत उडेवाय छे. ( उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य ) ४३५ કવચથી ર્જિત હાવાના કારણે તેમજ આયુકા સર્વથા પ્રક્ષય થઈ જવાના કારણે તેઓને અમર કહેવામાં આવે છે, તથા સકલ કલેશાથી રહિત હાવાના કારણે અસંગ કહેવામાં આવે છે. આ સિદ્ધ યુદ્ધ આદિ બધા શબ્દો પર્યાયवाथी शब्द छे. (सू. १२६ )

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