________________ के मिथ्या मतों का निराकरण 159, ऐर्यापथिकी और साम्परायिकी क्रिया संबंधी चर्चा 160, ऐपिथिको 160, सांपरायिकी 160, एक जीव द्वारा एक समय में ये दो क्रियाएँ संभव नहीं 161, तरकादि गतियों में जीवों का उत्पाद-विरह काल 161, नरकादि गतियों तथा चौबीस दण्डकों में उत्पाद-बिरह काल 161, नरकादि में उत्पाद-विरह काल 161 / द्वितीय शतक 162-251 द्वितीय शतक का परिचय द्वितीय शतक के दस उद्देशकों का नाम-निरूपण 162 163 प्रथम उद्देशक-- श्वासोच्छवास (सूत्र 2-54) 163-168 एकेन्द्रियादि जीवों में श्वासोच्छ्वास सम्बन्धी प्ररूपणा 163, आगमंति पाणमंति उस्ससंति नीससंति 165, एकेन्द्रिय जीवों के श्वासोच्छ्वास संबंधी शंका क्यों ? 165, श्वासोच्छ्वास-योग्य पुद्गल 165, व्याघातअव्याघात 165, बायुकाय के श्वासोच्छ्वास, पुनरुत्पत्ति, मरण एवं शरीरादि संबंधी प्रश्नोत्तर 165, वायुकाय के श्वासोच्छ्वास-संबंधी शंका-समाधान 167, दूसरी शंका 167, वायुकाय आदि की कायस्थिति 167, वायुकाय का मरण स्पृष्ट होकर ही 167, मृतादो निर्गन्थों के भवभ्रमण एवं भवान्तकरण के कारण 167. 'मृतादी' शब्द का अर्थ 169, ‘णिरुद्धभवे' आदि शब्दों के अर्थ 169, 'इत्थत्तं' शब्द का तात्पर्य 170, पिंगल निग्नन्थ के पांच प्रश्नों से निरुत्तर स्कन्दक परिव्राजक 170, स्कन्दक का भगवान को सेवा में जाने का संकल्प और प्रस्थान 173, गौतम स्वामी द्वारा स्कन्दक का स्वागत और वार्तालाप 174, भगवान द्वारा स्कन्दक की मनोगत शंकाओं का समाधान 177, भगवान द्वारा किये गये समाधान का निष्कर्ष 182, विशिष्ट शब्दों के अर्थ 182-183, स्कन्दक द्वारा धर्मकथाश्रवण, प्रतिबोध, प्रज्या ग्रहण और निन्थधर्माचरण 183, कठिन शब्दों की व्याख्या 186, स्कन्दक द्वारा शास्त्राध्ययन भिक्षुप्रतिमाऊराधन और गुणरत्न आदि तपश्चरण 186, स्कन्दक का चरित किस वाचना द्वारा अंकित किया गया ? 190, भिक्षुप्रतिमा की आराधना 191, गुणरत्न (गुणरचन) संवत्सर तप 192, उदार, विपुल, प्रदत्त, प्रगृहीत : तपोविशेषणों की व्याख्या 192, स्कन्दक द्वारा संलेखना-भावना, अनशन-ग्रहण, समाधिमरण 192, कुछ विशिष्ट शब्दों के अर्थ 196, स्कन्दक की गति और मुक्ति के संबंध में भगवत्-कथन 196, विशिष्ट शब्दों की व्याख्या 198 / द्वितीय उद्देशक-समुद्घात (सूत्र 1) 199-202 समुद्घातः प्रकार तथा तत्संबंधी विश्लेषण, 199, समुद्घात 200, आत्मा समुद्घात क्यों करता है ? 200, (1) वेदना समुद्घात 200, (2) कषाय समुद्घात 200, (3) मारणान्तिक समुद्घात 200, (4) वैक्रिय समुद्घात 200, (5) तैजस समुद्घात 201, (6) आहारक समुद्घात 201, (7) केवलिस मुद्धात 201, समुद्घातयन्त्र 202 / तृतीय उद्देशक-पृथ्वी (सूत्र 1) 203-204 सप्त नरकपृथ्वियाँ तथा उनसे सम्बन्धित वर्णन 203, सात पृथ्वियों की संख्या, बाहल्य आदि का वर्णन 204 / [ 30 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org