Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ II SHREE VITRAAGAAYA NAMAH II UPPANEIVA VIGAMENA DHUVEIA ज्ञाताधर्मकथा सुत्तं JÑĀTADHARMAKATHĀ SŪTRA Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम गणधर सिरि सुहम्मसामी विरइयं णायाघम्मकहाओ ज्ञाताधर्मकथा सुत्तं JÑĀTĀDHARMAKATHĀ SUTRA मूल पाठ Ardhamāgadhi Aphorisms अंग आगम - ६ 6TH ANGA ĀGAMA Bhagwan Mahāvīra's Precepts Sūtra First Composed By Fifth Ganadhara ŚRĪ SUDHARMĀ SWĀMĪ Vallabhi Council (Synod) Chair DEVARDDHIGANI KŞAMAŚRAMANA Published By GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गायाघम्मकहाओ ज्ञाताधर्मकथा सुत्तं JNĀTĀDHARMAKATHA SŪTRA First eBook Edition (PDF)-2012 Source of Ardhamägadhi Aphorisms: GURUPRAN AAGAM BATRISI (Aagam Series) (Gujarati 2nd Edition, 2009) Published on the Occasion of 100th Birth Anniversary of SAURASHTRA KESHARI GURUDEV PUJYA SHREE PRANLALJI M. S. Text in "Mangal (Unicode)" Font Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION C/o. Pawandham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067 Tel.: +91 92233 14335, e-mail: info@jainaagam.org www.jainaagam.org / www.parasdham.org Computer Source files can be made available for appropriate scholarly use, Please contact in writing at the email/phone contacts listed above. Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Rashtra Sant Yug Diwakar Pujya Gurudev NamraMuni M.S. Inspired GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Promoting Compassionate and Nonviolent Living MISSION: Global Jain Aagam Mission promotes the eternal truths of Jain Aagama (precepts of Lord Mahāvīra) to build a compassionate and nonviolent lifestyle in the world. GOALS AND OBJECTIVES: • Translate all Jain Aagamas (scriptures) into English and other world languages • Make Aagamas available in all electronic forms • Promote awareness of Aagama throughout the world • Educate and uphold Jain way of life using expertise of social media • Promote a compassionate and nonviolent lifestyle throughout the world Encourage and promote research on Aagamas to develop approaches to the world challenges (ecology & environment, global warming, world peace, psychology, health, scientific principles, etc.) • Hold periodic conventions to promote exchanges among world's scholars • Interface with interreligious organizations and other guiding institutions . Be a resource for information and referral • Work co-operatively with local, regional, national, and global organizations TRANSLATION OF JAIN AAGAMAS INTO ENGLISH: The Global Jain Aagam Mission has embarked on a project to translate and publish all Jain Aagamas into English. The English translation of the Agama will help youth of today in India and abroad to learn and understand Lord Mahāvīra's preachings. The goal is to reach every household and every person in the world to impart the wisdom of the Aagamas. In a non-sectarian way, this Mission will endeavor to deliver the Lord Mahāvīra's message to hearts of the people. The translated Aagamas will be distributed to various libraries, universities and Jain institutions within our country and abroad. In addition, it will be made available on the Internet and in electronic forms of eBooks, etc. Many learned intellectuals from different countries and cultures have supported this project of translating the Agama's into English. The work is being performed in cities of Mumbai, Ahmedabad, Bangalore, Shravanbelgola, Delhi, Jaipur, Chennai, Kolkata, Banaras, Ladnu, Dubaii, and USA. In addition, this mission is receiving guidance and blessings from spiritual leaders of various religious traditions. INVITATION TO PARTICIPATE: We invite scholars, spiritual aspirants and shravaks to join us in making this mission a success. Your contribution of knowledge, time, and money will be appreciated. Please contact by email at info@jainaagam.org or by phone to: Girish Shah at Tel. +91-92233-14335 or Gunvant Barvalia at Tel. +91-98202-15542 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय सूची Table of Content... पढ़मो सुसंधी. पढमं अज्झयणं. उक्खित्तणाए. बीअं अज्झयणं संघाड़े - तइअं अज्झयणं. अंडे चउत्थ अज्झयणं कुम् पंचम अज्ायणं. सेलगे छटुं अज्झयणं... तुंबे सत्तमं अज्झयणं. रोहिणी अट्ठम अज्झयणं. मल्ली नवमं अज्झयणं... मायंदी दसमं अज्झयणं.. चंदिमा एक्कारसमं अज्झयणं. दावदवे बारसमं अज्झयणं. उदगणाए तेरसमं अज्झयणं.. मंडु चोहसमं अज्झयणं. तेयली पण्णरसमं अज्झयणं.. टीफले गुणवीस अज्झयणं. पुंडरीए ज्ञाताधर्मकथा विषय सूची Table of Content - 1 1 .1 ..1 .42 42 53 53 .58 58 61 61 .75 .75 FE ≈ 8 2 2 2 2 2 2 2 2 77 77 82 .82 112 112 121 .121 123 123 124 124 130 130 136 136 146 146 197 197 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा 201 201 ................ .208 .................. 208 .............. 209 209 210 ............... बीओ सुयखंधो... पढमो वग्गो... १-५ अज्झयणाणि... बीओ वग्गो..... १-५ अज्झ यणाणि............. तइओ वग्गो .................. ...................................................................... १-५४ अज्झयणाणि. चउत्थो वग्गो .... १-५४ अज्झयणाणि... पंचमो वग्गो... १-३२ अज्झयणाणि.. छट्ठो वग्गो. १-५ अज्झयणाणि............. सत्तमो वग्गो... ................ १-४ अज्झयणाणि. अट्ठमो वग्गो १-४ अज्झयणाणि........ णवमो वग्गो ........................ १-८ अज्झ यणाणि............ दसमो वग्गो : १-८ अज्झयणाणि. परिसेसो ॥ बीओ सयखंधो वग्गो समत्तो || ....... ॥ णायाधम्मकहा सत्तं समत्तं || ............ .............. .............. ................. ............... Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पढमो सुयखंधो पढमं अज्झयणं उक्खित्तणाए तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था, वण्णओ | तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए पुण्णभद्दे णामं चेइए होत्था, वण्णओ । तत्थ णं चंपाए णयरीए कोणिओ णामं राया होत्था, वण्णओ | तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे णाम थेरे जाइसंपण्णे, कुलसंपण्णे, बल-रूव-विणय-णाण-दंसण-चरित्त-लाघव-संपण्णे; ओयंसी, तेयंसी, वच्चंसी, जसंसी, जियकोहे, जियमाणे, जियमाए, जियलोहे, जियइंदिए, जियणिद्दे, जियपरीसहे, जीवियास-मरणभय-विप्पमुक्के, तवप्पहाणे, गुणप्पहाणे, एवं करण-चरणणिग्गह-णिच्छय-अज्जव-मद्दव-लाघव-खंति-गुत्ति-मुत्ति-विज्जा-मंत-बंभ-वेय-णय-णियमसच्च-सोय-णाण-दंसण-चरित्तप्पहाणे, ओराले, घोरे, घोरव्वए घोरतवस्सी, घोरबंभचेरवासी, उच्छूढसरीरे, संखित्त-विउल-तेउलेस्से, चोद्दसपुव्वी, चउणाणोवगए, पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे, गामाणुगामं दूइज्जमाणे, सुहंसुहेणं विहरमाणे, जेणेव चंपा गयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हइ; ओगिण्हित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । ट। तए णं चंपाए णयरीए परिसा णिग्गया । कोणिओ णिग्गओ | धम्मो कहिओ | परिसा जामेव दिसिं पाउब्भूया, तामेव दिसिं पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स जेटे अंतेवासी अज्जजंबूणाम अणगारे कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव अज्जसुहम्मस्स थेरस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । | तए णं से अज्जजंबूणामे अणगारे जायसड्ढे, जायसंसए, जायकोउहल्ले; संजातसड्ढे, संजातसंसए, संजातकोउहल्ले; उप्पण्णसड्ढे, उप्पण्णसंसए, उप्पण्णकोउहल्ले; समुप्पण्णसड्ढे, समुप्पण्णसंसए, समुप्पण्णकोउहल्ले; उट्ठाए उद्वेइ, उद्वित्ता जेणामेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अज्जसुहम्मे थेरे तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता अज्जसुहम्मस्स थेरस्स Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णच्चासण्णे गाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहं पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासमाणे एवं वयासी जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव सासयं ठाणमवगएणं, पंचमस्स अंगस्स अयमढे पण्णत्ते, छट्ठस्स णं भंते ! अंगस्स णायाधम्मकहाणं के अढे पण्णत्ते ? जंबु त्ति, अज्जसुहम्मे थेरे अज्जजंबूणामं अणगारं एवं वयासी- एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव ठाणं संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पण्णत्ता, तंजहा- णायाणि य धम्मकहाओ य । w जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव ठाणं संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सयक्खंधा पण्णत्ता, तंजहा- णायाणि य, धम्मकहाओ य; पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव ठाणं संपत्तेणं णायाणं कई अज्झयणा पण्णत्ता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहाउक्खित्तणाए संघाडे, अंडे कुम्मे य सेलगे । तुंबे य रोहिणी मल्ली, माइंदी चंदिमाइ य ॥१॥ दावद्दवे उदगणाए, मंडुक्के तेयली वि य । णंदिफले अमरकंका, आइण्णे सुसमाइ य ॥२॥ अवरे य पुंडरीए य, णाए एगूणवीस इमे । जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- उक्खित्तणाए जाव पुंडरीए य; पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढ भरहे, रायगिहे णामं णयरे होत्था, वण्णओ | गुणसीले चेइए, वण्णओ | तत्थ णं रायगिहे णयरे सेणिए णामं राया होत्था । महया-हिमवंत, वण्णओ | तस्स णं सेणियस्स रण्णो णंदा णामं देवी होत्था । सुकुमालपाणिपाया, वण्णओ | Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तस्स णं सेणियस्स पुत्ते गंदाए देवीए अत्तए अभए णाम कुमारे होत्था । अहीण पंचिंदिय सरीरे जाव सुरूवे, साम-दंड-भेय-उवप्पयाणणीति-सुप्पउत्त-णयविहण्णू, ईहा-पोह- मग्गणगवेसण-अत्थसत्थ- मई विसारए, उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए पारिणामियाए चउव्विहाए बुद्धीए उववेए, सेणियस्स रण्णो बहुसु कज्जेसु य कुटुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएसु य आपुच्छणिज्जे, पडिपुच्छणिज्जे, मेढी, पमाणं, आहारे, आलंबणं, चक्खू; मेढीभूए पमाणभूए आहारभूए आलंबणंभूए, चक्खुभूए, सव्वकज्जेसु य सव्व- भूमियासु य लद्धपच्चए विइण्ण-वियारे, रज्जधुरचिंतए यावि होत्था । सेणियस्स रण्णो रज्जं च रदं च कोसं च कोट्ठागारं च बलं च वाहणं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव समुवेक्खमाणे- समुवेक्खमाणे विहरइ । तस्स णं सेणियस्स रण्णो धारिणी णामं देवी होत्था, वण्णओ जाव सेणियस्स रण्णो इट्ठा कंता जाव विहरइ । तए णं सा धारिणी देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि छक्कट्ठगलट्ठमट्ठ-संठिय-खंभग्गय-पवरवर-सालभंजिय-उज्जल-मणिकणग-रयणथूभिय-विडंगजालद्धचंदणिज्जूहंतर -कणयालि -चंदसालिया-विभत्तिकलिए सरसच्छधाऊवल-वण्ण रइए बाहिरओ दूमिय-घट्ठ-महे अभिंतरओ पसत्त-सुविलिहिय-चित्तकम्मे णाणाविह- पंचवण्ण- मणिरयणकोट्टिमतले, पउम-लया-फुल्लवल्लि-वरपुप्फजाइ-उल्लोय-चित्तिय-तले वंदणवर-कणगकलससुणिम्मिय - पडि - पूजिय - सरस - पउम - सोहंतदारभाए, पयरग्गलंबंत - मणिमुत्तदाम-सुविरड्यदारसाहे- सुगंध - वरकुसुम मउय - पम्हलसयणोवयारे - मणहिययणिव्वुइकरे, कप्पूर-लवंग-मलय-चंदण-कालागुरु-पवर -कुंदुरुक्क- तुरुक्क- धूव- डज्झंतसुरभि- मघमघंतगंधुद्धयाभिरामे, सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए मणिकिरण-पणासियंधयारे, किं बहुणा ? जुइगुणेहिं सुरवरविमाण-वेलंबियवरघरए, तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि-सालिंगणवट्टिए, उभओ विब्बोयणे, दुहओ उण्णए मज्झे णय-गंभीरे, गंगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए ओयविय-खोमदुगुल्लपट्ट-पडिच्छिण्णे, अत्थरय-मलय -णवतय-कुसत्त-लिंबसीहकेसरपच्चुत्थिए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आइणग-रुय -बूर-णवणीयतुल्लफासे; पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी-ओहीरमाणी एगं महं सत्तुस्सेहं रययकूड सण्णिभं, णहतलंसि सोमं सोमाकारं लीलायंतं जंभायमाणं मुहमइगयं गयं पासित्ता णं पडिबुद्धा । तए णं सा धारिणी देवी अयमेयारूवं उरालं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुद्धा समाणी हद्वतुट्ठ चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणसिया हरिसवस-विसप्पमाणहियया धाराहय-कलंब-पुप्फगं पिव समूससिय-रोमकूवा तं सुमिणं Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ १५ |१६ ज्ञाताधर्मकथा ओगिण्हइ, ओगिण्हित्ता सयणिज्जाओ उट्ठेइ, उट्ठेत्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणामेव से सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धण्णाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं, हिययगमणिज्जाहिं, हिययपल्हायणिज्जाहिं मिय-महुर-रिभिय-गंभीर-सस्सिरीयाहिं गिराहिं संलवमाणी संलवमाणी पडिबोहेइ, पडिबोहेत्ता सेणिएणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी णाणामणि-कणग-रयण-भत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि णिसीयइ, णिसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु सेणियं रायं एवं वयासीएवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए जाव णियगवयणमइवयंतं गयं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! उलस जाव सुमिणस्स के मण्णे कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? तणं सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियए धाराहयणीवसुरभिकुसुम-चुंचुमालइयतणू ऊससियरोमकूवे तं सुमिणं ओगिण्हइ, ओगिण्हित्ता ईहं पविसइ, पविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविण्णाणेणं तस्स सुमिणस्स अत्थोग्गहं करेइ, करित्ता धारिणि देविं ताहिं जाव हिययपल्हायणिज्जाहिं मिय- महुररिभिय-गंभीर-सस्सिरियाहिं वग्गूहिं अणुवूहमाणे अणुवूहमाणे एवं वयासी उराले णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिट्ठे । कल्लाणे णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिट्ठे । सिवे धण्णे मंगल्ले सस्सिरीए णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिट्ठे । आरोग्ग-तुट्ठिदीहाउयकल्लाण-मंगल्लकारए णं तुमे देवी ! सुमिणे दिट्ठे । अत्थलाभो ते देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो ते देवाणुप्पिए ! रज्जलाभो ते देवाणुप्पिए ! भोग-सोक्खलाभो ते देवाणुप्पिए ! एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाणं राइंदियाणं वीइक्कंताणं अम्हं कुलकेउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवडिंसयं कुलतिलकं कुलकित्तिकरं, कुलवित्तिकरं, कुलणंदिकरं, कुलजसकरं, कुलाधारं कुलपायवं कुलविवर्द्धणकरं सुकुमाल - पाणिपायं जाव सुरूवं दारयं पयाहिसि । से वि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णाय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कंते वित्थिण्ण-विउल- बलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ । तं उराले णं तु देवी सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्ग तुट्ठि दीहाउय - कल्लाण - मंगल्लकारए णं तुमे देवी ! सुमिणे दि त्ति कट्टु भुज्जो भुज्जो अबू । 4 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |१७ १९ २० ज्ञाताधर्मकथा तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठ जाव करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं अवितहमेयं असंदिद्धमेयं इच्छियमेयं पडिच्छियमेयं इच्छियपडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया! सच्चे णं एसमट्ठे जं णं तुब्भे वयह त्ति कट्टु तं सुमिणं सम्मं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सेणिएणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठेत्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छ, उवागच्छित्ता सयंसि सयणिज्जंसि णिसीयइ, णिसीइत्ता एवं वयासी मा मे से उत्तमे पहाणे मंगल्ले सुमिणे अण्णेहिं पावसुमिणेहिं पडिहम्मिहि ि कट्टु देवयगुरुजणसंबद्धाहिं पसत्थाहिं धम्मियाहिं कहाहिं सुमिणजागरियं पडिजागरमाणीडिजागरमाणी विहरइ । तए णं सेणिए राया पच्चूसकालसमयंसि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बाहिरियं उवट्ठाणसालं अज्ज सविसेसं परमरम्मं गंधोदगसितसुइय-समज्जिओवलित्तं पंचवण्ण- सरस -सुरभि - मुक्कपुप्फ-पुंजोवयारकलियं कालागुरुपवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क - धूव- उज्झत - मघमघंत गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंध- वट्टिभूयं करेह कारवेह य; करित्ता य कारवित्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा जाव पच्चप्पिणंति । तए णं सेणिए राया कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल कमल -कोमलुम्मिलियम्मि अह पंडुरे पभाए रत्तासोगपगास - किंसुय - सुयमुह- गुंजद्धराग - बंधुजीवग-पारावयचलणणयण- परहुय-सुरत्तलोयण - जासुमणकुसुम- जलियजलण-तवणिज्ज-कलस-हिंगुलयणियररूवाइरेगरेहंत-सस्सिरीए दिवायरे जहक्कमेण उदिए तस्स दिणकरपरंपरोयारपारद्धम्मि अंधयारे, बालातव-कुंकुमेणं खइएव्व जीवलोए, लोयण- विसयाणुगास -विगसंतविसददंसियम्मिलोए, कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयणिज्जाओ उट्ठेइ-उट्ठित्ता; जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छ्इ, उवागच्छित्ता अट्टणसालं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अणेगवायाम जोग वग्गण वामद्दण मल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्संते; सयपागेहिं सहस्सपागेहिं सुगंधवरतेल्लमाइएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं विंहणिज्जेहिं, सव्विंदियगायपल्हायणिज्जेहिं अब्भंगएहिं अब्भंगिए समाणे; तेल्लचम्मंसि पडिपुण्ण-पाणिपाय- सुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहिं पट्ठेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं णिउणेहिं णिउणसिप्पोवगएहिं जियपरिस्सहिं अभंगण 5 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा परिमद्दणुव्वट्टण-करणगुणणिम्माइएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे णरिंदे अट्टणसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता: जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समंतजालाभिरामे, विचित्त-मणिरयण- कोट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि णाणामणि- रयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहणिसण्णे । सुहोदएहिं पुप्फोदऐहिं गंधोदहिं, सुद्धोदएहिं य पुणो पुणो कल्लाणग-पवर- मज्जणविहीए मज्जिए । तत्थ कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मज्जणावसाणे पम्हल-सुकुमाल - गंधकासाइयलूहियंगे अहय-सुमहग्घ- दूसरयण- सुसंवुए सरस- सुरभि गोसीस - चंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणेआविद्ध-मणिसुवण्णे कप्पिय-हार-द्धहार - तिसरिय- पालंब - पलंबमाण- कडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविज्ज- अंगुलेज्जग- ललियंगय-ललियकयाभरणे णाणामणि ग थंभियभुए अहियरूवसस्सिरीए कुंडलुज्जोइयाणणे मउड-दित्तसिरए हारोत्थय-सुकय रइयवच्छे पालंब पलंबमाण-सुकय पडउत्तरिज्जे मुद्दिया - पिंगलं-गुलीए णाणामणिक रयण विमलमहरिह णिउणोविय- मिसिमिसंत-विरइय - सुसिलिट्ठ - विसिट्ठ-लट्ठ-संठिय-पसत्थआविद्ध- वीरवलए, किं ? कप्परुक्खए विव सुअलंकिय-विभूसिए णरिंदे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं उभओ चउचामरवालवीइयंगे मंगलजयसद्दकयालोए अणेगगणणायग दंडणायग राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय मंति महामंति- गणग-दोवारिय- अमच्च चेड-पीढमद्द-नगर- णिगम- सेट्ठि सेणावइ-सत्थवाह- दूयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेहणिग्गए विव गहगणदिप्पंतरिक्ख- तारागणाण मज्झे ससिव्व पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सणसणे । सह तए णं से सेणिए राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे अट्ठ भासणा सेयवत्थ-पच्चुत्थुयाइं सिद्धत्थ-मंगलोवयार-कय-संतिकम्माइं रयावेइ, यावेत्ता णाणामणिरयण मंडियं-अहियपेच्छणिज्जरूवं महग्घवरपट्टणुग्गयं बहुभत्तिसयचित्तट्ठाणं ईहामिय-उसभ- तुरय-णर- मगर - विहग -वालग - किण्णर-रुरु- सरभकुंजर- वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं सुखचिय-वरकणग- पवरपेरंत-देसभागं अब्भिंतरियं जवणियं अंछावेइ, अंछावेत्ता अच्छेरग- मउय-मसूरग-ओत्थइयं धवलवत्थपच्चत्थुयं विसिद्धं अंगसुहफासयं सुमउयं धारिणीए देवीए भद्दासणं रयावेइ, रयावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्यावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अट्ठग चमर 6 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा महाणिमित्त-सुत्तत्थपाढए विविह-सत्थकुसले सुविणपाढए सद्दावेह, सद्दावेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठ जाव हियया करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट- एवं देवो! तह त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता सेणियस्स रणो अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता रायगिहस्स णगरस्स मज्झमज्झेणं जेणेव सुमिणपाढगगिहाणि तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सुमिणपाढए सद्दावेंति । तए णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रण्णो कोडुबियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हद्वतुट्ठ जाव हियया बहाया जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हरियालिय-सिद्धत्थकयमुद्धाणा सरहिं सएहिं गिहेहिंतो पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता रायगिहस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव सेणियस्स रण्णो भवणवडेंसगदुवारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता एगयओ मिलन्ति, मिलित्ता सेणियस्स रण्णो भवणवडेंसगदुवारेणं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव सेणिये राया, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेंति, सेणिएणं रण्णा अच्चिय - वंदिय - पूइय - माणिय- सक्कारियसम्माणिया समाणा पत्तेयं पत्तेयं पुव्वण्णत्थेसु भद्दासणेसु णिसीयंति । तए णं सेणिए राया जवणियंतरियं धारिणिं देविं ठवेइ, ठवेत्ता पुप्फ-फल-पडिपुण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुमिणपाढए एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! धारिणी देवी अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि जाव महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुद्धा । तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! उरालस्स जाव सस्सिरीयस्स महासुमिणस्स के मण्णे कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? २४ तए णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठ जाव हियया, तं सुमिणं सम्म ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता अण्णमण्णेणं सद्धिं संचालेंति, संचालित्ता तस्स मिणस्स लट्ठा गहियट्ठा पच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा सेणियस्स रण्णो परओ मिणसत्थाई उच्चारेमाणा उच्चारेमाणा एवं वयासी एवं खल अम्हं सामी! सुमिणसत्थंसि बयालीसं समिणा, तीसं महासमिणा बावत्तरिं सव्वसुमिणा दिट्ठा । तत्थं णं सामी ! अरहंतमायरो वा, चक्कवट्टिमायरो वा अरहंतंसि वा चक्कवट्टिसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं इमे चोद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझंति; तंजहा Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ २७ २८ २९ 30 ज्ञाताधर्मकथा गय उसभ सीह अभिसेय, दाम ससि दिणयरं झयं कुंभं । पउमसर सागर विमाण, भवण रयणुच्चय सिहिं च ॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अण्णयरे सत्त महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झति । बलदेवमायरो वा बलदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसहं महासुमिणाणं अण्णयरे चत्तारि महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुज्झंति । मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अण्णयरं एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुज्झंति । इमे य णं सामी ! धारिणीए देवीए एगे महासुमिणे दिट्ठे, तं उराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठि - दीहाउ-कल्लाण - मंगल्लकारए णं सामी ! धारण देवी सुमिणे दिट्ठे । अत्थलाभो सामी ! सोक्खलाभो सामी ! भोगलाभो सामी ! पुत्तलाभो सामी! रज्जलाभो सामी ! एवं खलुं सामी ! धारिणी देवी णवण्हं मासाणं बहुपडणा जाव दारगं पयाहिसि । से वि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कंते वित्थिण्ण - विठल- बलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ, अणगारे वा भावियप्पा । तं उराले णं सामी ! धारणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्गतुट्ठि जाव दिट्ठे त्ति कट्टु भुज्जो भुज्जो अणुबूर्हेति । तए णं सेणिए राया तेसिं सुमिणपाढगाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियए करयल जाव एवं वयासी एवमेयं देवाणुप्पिया ! जाव जण्णं तुब्भे वयह त्ति कट्टु तं सुमिणं सम्मं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता ते सुमिणपाढए विउलेणं असण- पाण- खाइम - साइमेणं-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ दलइत्ता पडिविसज्जेइ | तणं से सेणिए राया सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धारिणि देविं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा जाव भुज्जो भुज्जो अणुबूहे । तणं धारिणी देवी सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठा जाव हियया तं सुमिणं सम्मं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ण्हाया जाव विहरइ । 8 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१ ज्ञाताधर्मकथा तए णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीइक्कंतेसु तइए मासे वट्टमाणे तस्स गब्भस्स दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउब्भवित्था धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, सपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, एवं कयपुण्णाओ कयलक्खणाओ, कयविहवाओ, सुलद्धे णं तासिं माणुस जम्मजीवियफले, जाओ णं मेहेसु अब्भुग्गएसु अब्भुज्जुएस अब्भुण्णएस अब्भुट्ठिए सगज्जिएसु सविज्जुएसु सफुसिएस सथणिएसु धंतधोयरुप्पपट्ट-अंक-संख-चंद - कुंद-सालिपिट्ठरासिसमप्पभेसु; चिउर-हरियाल-भेय- चंपग- सणकोरंट-सरिसय-पउमरय-समप्पभेसु, लक्खारस- सरस-रत्तकिंसुय- जासुमण-रत्तबंधु- जीवगजातिहिंगुलय-सरस-कुंकुम - उरब्भ-ससरुहिर-इंदगोवग-समप्पभेसु, बहिण- णीलगुलियणवसद्दलसमप्पभेसु, सुगचासपिच्छ-भिंगपत्त-सासग-णीलुप्पलणियर-णवसिरीस-कुसुम जच्चंजण- भिंगभेय-रिट्ठग-भमरावलि - गवल - गुलिय- कज्जल - समप्पभेसु, फुरंत - विज्जुयसज्जि वायवस-विपुलगगणचवलपरिसक्किसु णिम्मलवर-वारिधारापगलियपयंडमारुयसमाहय-समोत्थरंत उवरि उवरि तुरियवासं पवासिएसु, धारा- पहकर-णिवायणिव्वाविय मेइणितले हरियगणकंचुए पल्लविय पायवगणेसु, वल्लिवियाणेसु पसरिएसु उण्णएसु सोभग्गमुवागएसु, णगेसु णएसु वा वेभारगिरिप्पवाय- तड- कडगविमुक्के उज्झरेसु, तुरियपहाविय- पलोट्टफेणाउलं सकलसं जलं वहंतीसु गिरिणदीसु । सज्जज्जुण णीव - कुड कंदल सिलिंध कलिएसु उववणेसु, मेहरसियहट्ठतुट्ठचिट्ठिय- हरिसवसपमुक्ककंठकेकारवं मुयंतेसु बरहिणेसु उउ-वस-मय -जणियतरुणसहयरि- पणच्चिएसु णवसुरभिसिलिंध-कुडयकंदल- कलंबगंधद्धुणिं मुयंतेसु उववणेसु । परहुयरुयरिभियसंकुलेसु उद्दाइंत-रत्तइंदगोवय-थोवय - कारुण्णविलविएस ओणयतण- मंडि दद्दुरपयंपिएसु संपिंडिय-दरिय- भमर-महुयकरिपहकर - परिलिंत-मत्त- छप्पय- कुसुमासवलोलमहुर-गुंजंतदेसभा सु उववणेसु । परिसामिय-चंद-सूर-गहगण-पणट्ठणक्खत्ततारगपहे इंदाउह-बद्ध-चिंधपट्टंसि अंबरतले उड्डीणबलागपंति-सोभंतमेहविंदे कारंडग-चक्कवाय- कलहंस-उस्सुयकरे संपत्ते पाउसम्मि काले, ण्हायाओ जाव विभूसियाओ किं ते ? वरपायपत्तणेउर मणिमेहल हार रइय-ओवियकडग खुड्डय विचित्तवर-वलयथंभिय- भुयाओ, कुंडल-उज्जोवियाणणाओ रयणभूसियंगीओ। णासा-णीसासवाय वोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिससंजुत्तं हयलालापेलवाइरेयं धवलकणयखचियंतकम्मं आगासफलिह-सरिसप्पभं अंसुयं पवर-परिहियाओ, दुगुल्लसुकुमाल - 9 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा उत्तरिज्जाओ । सव्वोउय-सुरभिकुसुम-पवरमल्लसोभितसिराओ, कालागुरु धूव धूवियाओ, सिरि-समाणवेसाओ । सेयणय-गंधहत्थिरयणं दुरूढाओ समाणीओ, सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चंदप्पभ वइर वेरुलिय-विमलदंड-संख-कुंद-दगरय-अमयमहिय-फेणपुंजसण्णिगास-चउचामरवालवीजियंगीओ सेणिएणं रण्णा सद्धि हत्थिखंधवरगएणं पिटुओ णगच्छमाणीओ चउरंगिणीए सेणाए महया हयाणीएणं गयाणीएणं रहाणीएणं, पायत्ताणीएणं सव्विड्ढीए सव्वज्जईए जाव णिग्घोस-णाइयरवेणं रायगिहं सिंघाडग तिय चउक्क चच्चर-चउम्मह महापहपहेसु आसित्त- सित्त-सुइय-संमज्जिओवलित्तं जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं अवलोएमाणीओ णागरजणेणं अभिणंदिज्जमाणीओ गुच्छ-लया-रुक्ख-गुम्म-वल्लिगुच्छोच्छाइयं सुरम्मं वेभारगिरि-कडग-पायमूलं सव्वओ समंता आहिँडेमाणीओ आहिंडेमाणीओ दोहलं विणियंति। तं जड़ णं अहमवि मेहेसु अब्भुग्गएसु जाव दोहलं विणिज्जामि । तए णं सा धारिणी देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि असंपण्णदोहला असंपुण्णदोहला असम्माणियदोहला सुक्का भुक्खा णिम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा पमइलदुब्बला किलंता ओमंथियवयण-णयणकमला पंडुइयमुही करयलमलियव्व चंपगमाला णित्तेया दीणविवण्णवयणा जहोचियपुप्फ-गंध-मल्लालंकार-हारं अणभिलसमाणी कीडारमण-किरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा णिराणंदा भूमिगयदिट्ठीया ओहयमणसंकप्पा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया झियायइ। तए णं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियारियाओ अभिंतरियाओ दासचेडीयाओ धारिणिं देविं ओलुग्गं जाव झियायमाणिं पासंति, पासित्ता एवं वयासी- किं णं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? तए णं सा धारिणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभिंतरियाहिं दासचेडियाहिं एवं वृत्ता समाणी ताओ दासचेडियाओ णो आढाइ, णो य परियाणइ, अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संचिट्ठइ । तए णं ताओ अंगपडियारियाओ अभिंतरियाओ दासचेडियाओ धारिणिं देविं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-किं णं तुमे देवाणुप्पिये ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? तए णं धारिणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभिंतरियाहिं दासचेडियाहिं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वत्ता समाणी णो आढाइ, णो परियाणाइ, अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संचिट्ठइ । 10 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं ताओ अंगपडियारियाओ अभिंतरियाओ दासचेडियाओ धारिणीए देवीए अणाढाइज्जमाणीओ अपरियाणमाणीओ तहेव संभंताओ समाणीओ धारिणीए देवीए अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं जाव कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेंति, वद्धावेत्ता एवं वयासीएवं खलु सामी! किं पि अज्ज धारिणी देवी ओलुग्गसरीरा जाव अट्टज्माणोवगया झियायइ। तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धारिणिं देविं ओलुग्गं ओलुग्गसरीरं जाव अट्टज्झाणोवगयं झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं वयासी- किं णं तुमे देवाणुप्पियए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव अदृज्झाणोवगया झियायसि ? तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी णो आढाइ जाव तुसिणीया संचिट्ठइ। तए णं से सेणिए राया धारिणिं देविं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी- किं णं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा जाव झियायसि ? तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ता समाणी णो आढाति, णो परिजाणाइ, तुसिणिया संचिट्ठइ । तए णं सेणिए राया धारिणिं देविं सवहसावियं करेइ, करित्ता एवं वयासी- किं णं तुम देवाणुप्पिए ! अहमेयस्स अट्ठस्स अणरिहे सवणयाए ? ता णं तुमं ममं अयमेयारूवं मणोमाणसियं दुक्खं रहस्सीकरेसि ? तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा सवहसाविया समाणी सेणियं रायं एवं वयासी- एवं खलु सामी ! मम तस्स उरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउब्भूए-धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव वेभारगिरिपायमूलं आहिंडमाणीओ डोहलं विणियंति । तं जड़ णं अहमवि जाव डोहलं विणिज्जामि। तए णं अहं सामी! अयमेयारूवंसि अकाल-दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि ओलुग्गा जाव अज्झाणोवगया झियायामि | एएणं कारणेणं अहं सामी! ओलग्गा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायामि । तए णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म धारिणिं देवि एवं वयासी- मा णं तुमं देवाणुप्पिए! ओलुग्गा जाव झियाहि, अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं तुब्भं अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ति भविस्सइ त्ति कट्ट धारिणिं देविं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं वग्गूहि समासासेइ, समासासित्ता जेणेव Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासण- वरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे। धारिणीए देवीए एयं अकालदोहलं बहुहिं आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य वेणइयाहि य कम्मियाहि य पारिणामियाहि य चउव्विहाहिं बुद्धीहिं अणुचिंतेमाणे अणुचिंतेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिइं वा उप्पत्तिं वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ। ४० तयाणंतरं अभए कमारे ण्हाए जाव सव्वालंकारविभूसिए पायवंदए पहारेत्थ गमणाए । तए णं से अभयकुमारे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासइ, पासइत्ता अयमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्थाअण्णया य ममं सेणिए राया एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आढाइ, परिजाणइ, सक्कारेइ, सम्माणेइ, आलवइ, संलवइ, अद्धासणेणं उवणिमंतेइ मत्थयंसि अग्घाइ, इयाणिं मम सेणिए राया णो आढाइ, णो परियाणइ, णो सक्कारेइ, णो सम्माणेइ, णो इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं ओरालाहिं वग्गूहिं आलवइ, संलवइ, णो अद्धासणेणं उवणिमंतेइ, णो मत्थयंसि अग्घाइ य, किं पि ओहयमण-संकप्पे झियायइ । तं भवियव्वं णं एत्थ कारणेणं । तं सेयं खलु मे सेणियं रायं एयमद्वं पुच्छित्तए | एवं संपेहेइ, संपेहित्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावइत्ता एवं वयासी- तब्भे णं ताओ ! अण्णया ममं एज्जमाणं पासित्ता आढाह जाव मत्थयंसि अग्घायह, आसणेणं उवणिमंतेह, इयाणिं ताओ ! तुब्भे ममं णो आढाह जाव णो आसणेणं उवणिमंतेह । किं पि ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह । तं भवियव्वं ताओ ! एत्थ कारणेणं । तओ तब्भे मम ताओ ! एयं कारणं अगुहेमाणा असंकेमाणा अणिण्हवेमाणा अपच्छाएमाणा जहाभूतमवितहमसंदिद्ध एयमट्ठमाइक्खह । तए णं हं तस्स कारणस्स अंतगमणं गमिस्सामि | तए णं सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे अभयं कुमारं एवं वयासी- एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए तस्स गब्भस्स दोस् मासेस् अइक्कंतेस् तइयमासे वट्टमाणे दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे दोहले पाउब्भवित्था- धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं जाव विणिति। तए णं अहं पुत्ता ! धारिणीए देवीए तस्स अकालदोहलस्स बहुहिं आएहि य उवाएहिं जाव उप्पत्तिं अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४२ जाव झियायामि, तुमं आगयं पि ण याणामि । तं एएणं कारणेणं अहं पुत्ता! ओहयमणसंकप्पे जाव झियायामि | तए णं से अभयकुमारे सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियए सेणियं रायं एवं वयासी- मा णं तब्भे ताओ ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह। अहं णं तहा करिस्सामि, जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ त्ति कट्ट सेणियं रायं ताहिं इटाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं वग्गूहि समासासेइ । तए णं सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे जाव अभयकुमारं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से अभयकुमारे सक्कारिए, सम्माणिए, पडिविसज्जिए समाणे सेणियस्स रण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणे णिसण्णे | तए णं तस्स अभयकुमारस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- णो खलु सक्का माणुस्सएणं उवाएणं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अकालदोहल-मणोरहसंपत्तिं करेत्तए, णण्णत्थ दिव्वेणं उवाएणं | अत्थि णं मज्झ सोहम्मकप्पवासी पुव्वसंगइए देवे महिड्ढिए जाव महासोक्खे | तं सेयं खलु मम पोसहसालाए पोसहियस्स बंभयारिस्स उम्मक्कमणि-सवण्णस्स ववगयमाला- वण्णग-विलेवणस्स णिक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अबीयस्स दब्भसंथारोव -गयस्स अट्ठमभत्तं परिगिण्हित्ता पुव्वसंगइयं देवं मणसि करेमाणस्स विहरित्तए । तए णं पुव्वसंगइए देवे मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहलं विणेहिइ । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता जेणेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दब्भसंथारगं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, पगिण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए(इव) बंभयारी जाव पुव्वसंगइयं देवं मणसि करेमाणे-करेमाणे चिट्ठइ । तए णं तस्स अभयकुमारस्स अट्ठमभत्ते परिणममाणे पुव्वसंगइयस्स देवस्स आसणं चलइ। तए गइए सोहम्मकप्पवासी देवे आसणं चलियं पासइ, पासित्ता ओहिं पउंजइ । तए णं तस्स पुव्वसंगइयस्स देवस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु मम पुव्वसंगइए जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे वासे रायगिहे णयरे पोसहसालाए पोसहिए अभए णाम कुमारे अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता णं मम Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा मणसि करेमाणे करेमाणे चिट्ठइ । तं सेयं खलु मम अभयस्स कुमारस्स अंतिए पाउब्भवित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाई दंड णिसिरइ, णिसिरित्ता तत्थगयाणं- रयणाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पलगाणं सोगंधियाणं जोइरसाणं अंकाणं अंजणाणं रयणाणं जायरूवाणं अंजणपुलयाणं फलिहाणं रिहाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडित्ता अहासुहमे पोग्गले परिगिण्हइ, परिगिण्हइत्ता अभयकुमारमणुकंपमाणे देवे पुव्वभवजणिय-णेह-पीइ-बहुमाणजायसोगे तओ विमाणवरपुण्डरियाओ रयणुत्तमाओ धरणितल-गमण -तुरियसंजणिय- गमणपयारो; वाघुण्णिय-विमल-कणग-पयरग-वडिंसग-मउडुक्कडाडोवदंसणिज्जो अणेगमणि- कणगरयणपहकर-परिमंडिय-भत्तिचित-विणिउत्तगमणुगुण-जणियहरिसे खोलमाणवर- ललियकुंडलुज्जलिय- वयणगुण-जणिय -सोम्मरूवो, उदिओ विव कोमुदीणिसाए सणिच्छरंगारकुज्जलियमज्झभागत्थो णयणाणंदो सरयचंदो, दिव्वोसहि-पज्जलुज्जलिय-दंसणाभिरामो उउ- लच्छिसमत्तजायसोहो पइट्ठगंधुद्धयाभिरामो मेरू विव णगवरो विगुध्वियविचित्तवेसो, दीवसमुद्दाणं असंखपरिमाणणामधेज्जाणं मज्झकारेणं वीइवयमाणो, ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सीहाए उद्धृयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगईए जेणामेव जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, जेणामेव दाहिणड्ढभरए रायगिहे णगरे पोसहसालाए अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे दसद्धवण्णाइं सखिंखिणियाइं पवरवत्थाई परिहिए अभयकुमारं एवं वयासीअहं णं देवाणुप्पिया ! पुव्वसंगइए सोहम्मकप्पवासी देवे महढिए, जं णं तुमं पोसहसालाए अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता णं ममं मणसि करेमाणे चिट्ठसि, तं एस णं देवाणुप्पिया! अहं इहं हव्वमागए | संदिसाहि णं देवाणप्पिया ! किं करेमि ? किं दलयामि ? किं पयच्छामि ? किं वा ते हियइच्छियं ? तए णं से अभए कुमारे तं पुव्वसंगइयं देवं अंतलिक्खपडिवण्णं पासइ, पासित्ता हद्वतुढे पोसहं पारेइ, पारित्ता करयल जाव अंजलिं कट्ट एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालदोहले पाउब्भूए-धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव पुव्वगमेणं जाव विणिज्जामि; तं गं तुमं देवाणुप्पिया ! मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं अकालदोहलं विणेहि । तए णं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे, अभयकुमारं एवं वयासी- तुमं णं देवाणुप्पिया ! सुणिव्वुय-वीसत्थे अच्छाहि । अहं णं तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं दोहलं विणेमि त्ति कट्ठ अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ; Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पडिणिक्खमित्ता उत्तरपुरत्थिमेणं वेभारपव्वए वेठब्वियसमग्घाएणं समोहण्णइ, समोहण्णित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं णिसिरइ जाव दोच्चंपि वेठव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहण्णित्ता खिप्पामेव सगज्जियं सविज्जुयं सफुसियं पंचवण्णमेहणिणाओवसोहियं दिव्वं पाउससिरिं विउव्वेइ, विउव्वित्ता जेणेव अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अभयं कुमारं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! मए तव पियट्ठयाए सगज्जिया सविज्जुया जाव दिव्वा पाउससिरी विउव्विया, तं विणेउ णं देवाणुप्पिया! तव चुल्लमाउया धारिणी देवी अयमेयारूवं अकालदोहलं । तए णं से अभयकुमारे तस्स पुव्वसंगइयस्स सोहम्मकप्पवासिस्स देवस्स अंतिए एयमद्वं सोच्चा णिसम्म हद्वतुढे सयाओ भवणाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव अंजलिं कट्ट एवं वयासी- एवं खलु ताओ ! मम पुव्वसंगइएणं सोहम्मकप्पवासिणा देवेणं खिप्पामेव सगज्जिया सविज्जुया सफुसिया पंचवण्णमेहणिणाओवसोहिया दिव्वा पाउससिरी विउव्विया । तं विणेउ णं मम चुल्लमाउया धारिणी देवी अकालदोहलं । तए णं से सेणिए राया अभयस्स कुमारस्स अंतिए एयमदं सोच्चा णिसम्म हहतुट्ठ जाव कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! रायगिहं णयरं सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु आसित्तसित्त जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह, करित्ता य मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति । भा तेल तए णं से सेणिए राया दोच्चं पि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव आणप्पिया ! हय-गय-रह-पवर जोहकलियं चाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह, सेयणयं च गंधहत्थिं परिकप्पेह । ते वि तहेव जाव पच्चप्पिणंति । ५० तए णं से सेणिए राया जेणेव धारिणी देवी तेणामेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता धारिणिं देविं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिए ! सगज्जिया जाव पाउससिरी पाउब्भूया, तं णं तुम देवाणुप्पिए ! एयं अकालदोहलं विणेहि । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी हद्वतुट्ठ, जेणामेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अंतो अंतेउरंसि ण्हाया जाव विभूसिया किं ते- वरपायपत्तणेउर जाव आगास-फलिय-समप्पभं अंसुयं णियत्था, सेयणयं गंधहत्थिं दुरूढा समाणी अमय-महिय-फेणपुंज-सण्णिगासाहिं Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा सेयचामरवालवीयणीहिं वीइज्जमाणी वीइज्जमाणी संपत्थिया । तए णं से सेणिए राया बहाए जाव सस्सिरीए हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामराहिं वीइज्जमाणे धारिणिं देविं पिट्ठओ अण्गच्छइ। तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठओ पिट्ठओ स ममाणमग्गा, हय-गय-रह-पवर-जोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा महया भडचडगर-वंद-परिक्खित्ता सव्विड्ढीए सव्वजुईए जाव दुंदुभिणिग्घोसणाइयरवेणं रायगिहे णगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर जाव महापहपहेसु णगरजणेणं अभिणंदिज्जमाणी अभिणंदिज्जमाणी जेणामेव वेभारगिरिपव्वए तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेभारगिरिकडग-तडपायमूले आरामेसु य उज्जाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य रुक्खेसु य गुच्छेसु य गुम्मेसु य, लयासु य वल्लीसु य कंदरासु य दरीसु य चुंढीसु य दहेसु य कच्छेसु य णदीसु य संगमेसु य विवरएसु य अच्छमाणी य पेच्छमाणी य मज्जमाणी य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिण्हमाणी य माणेमाणी य अग्घायमाणी य परिभंजमाणी य परिभाएमाणी य वेभारगिरिपायमूले दोहलं विणेमाणी सव्वओ समंता आहिंडइ | तए णं धारिणी देवी विणीयदोहला संपण्णदोहला संपत्तदोहला जाया यावि होत्था । तए णं सा धारिणी देवी सेयणयगंधहत्थिं दुरूढा समाणी सेणिएणं हत्थिखंध-वरगएणं पिट्ठओ समणुगम्ममाणमग्गा हय-गय जाव रवेणं जेणेव रायगिहे णगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिहे णगरं मज्झमज्झेणं जेणामेण सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता विउलाई माणुस्साई भोगभोगाइं पच्चणुभवमाणी विहरइ । तए णं से अभयकुमारे जेणामेव पोसहसाला तेणामेण उवागच्छड़, उवागच्छइत्ता पव्वसंगइयं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से देवे सगज्जियं पंचवण्णं महोवसोहियं दिव्वं पाउससिरिं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता जामेव दिसिं पाउब्भए, तामेव दिसिं पडिगए | तए णं सा धारिणी देवी तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसि संमाणियदोहला तस्स गब्भस्स अणुकंपणट्ठाए जयं चिट्ठइ, जयं आसयइ, जयं सुवइ; आहारं पि य णं आहारेमाणी णाइतित्तं णाइकडुयं णाइकसायं णाइअंबिलं णाइमहरं जं तस्स गब्भस्स हियं मियं पत्थयं देसे य काले य आहारं आहारेमाणी, णाइचिंतं, णाइसोयं, णाइदेण्णं, णाइमोहं, णाइभयं, णाइपरित्तासं, ववगयचिंता-सोय-मोह-भय-परित्तासा उउ-भज्जमाण-सुहेहिं भोयण-च्छायणगंध-मल्लालंकारेहिं तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ५६ तए णं सा धारिणी देवी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाणं राइंदियाणं विइक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणिपायं जाव सव्वंगसुंदरं दारयं पयाया | तए णं ताओ अंगपडियारियाओ धारिणिं देविं णवण्हं मासाणं जाव दारयं पयायं पासंति, पासित्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं, जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! धारिणी देवी णवण्हं मासाणं जाव दारगं पयाया । तं णं अम्हे देवाणुप्पियाणं पियं णिवेदेमो, पियं भे भवउ । तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म हद्वत्ट्ठा ताओ अंगपडियारियाओ महरेहिं वयणेहिं विउलेण य पुप्फ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ, सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता मत्थयधोयाओ करेइ, पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेइ, कप्पित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से सेणिए राया (पच्चूसकालसमयंसि) कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं णगरं आसिय जाव परिगीयं करेह कारवेह य, चारगपरिसोहणं करेह, करित्ता माणुम्माण-वद्धणं करेह, करित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह; जाव पच्चप्पिणंति । ६० तए णं से सेणिए राया अट्ठारससेणीप्पसेणीओ सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! रायगिहे य अभिंतरबाहिरिए उस्सुक्कं उक्करं अभडप्पवेसं अदंडिमकुदंडिमं अधरिमं अधारणिज्जं अणुद्धयमुइंगं अमिलायमल्लदामं गणियावरणाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरियं पमुइयपक्कीलियाभिरामं जहारिहं दसदेवसियं ठिइवडियं करेह कारवेह य, करित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तहेव करेंति, करित्ता तहेव पच्चप्पिणंति । तए णं सेणिए राया बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे सइएहि य साहस्सिएहि य सयसाहस्सिएहि य जाएहिं दाएहिं भाएहिं दलयमाणे दलयमाणे पडिच्छेमाणे-पडिच्छेमाणे एवं च णं विहरइ । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जायकम्मं करेंति, करित्ता बिइयदिवसे जागरियं करेंति, तइयदिवसे चंदसूरदंसणियं कारेंति । एवामेव निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहेदिवसे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा उवक्खडावित्ता मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणं बलं च बहवे गणणायग-दंडणायग जाव आमंतेइ । तओ पच्छा पहाया जाव सव्वालंकारविभूसिया महइमहालयंसि भोयणमंडवंसि तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं मित्त-णाइ जाव सद्धिं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभाए- माणा परिभुजेमाणा एवं च णं विहरइ । जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्त-नाइ- नियग सयण-संबंधि-परियणं, बलं च बहवे गणणायग जाव संधिवाले विउलेणं पुप्फ-गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेंति, सम्माणेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता एवं वयासी- जम्हा णं अम्हं इमस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अकालमेहेस दोहले पाउब्भए, 'तं होउ णं अम्हं दारए मेहे नामेणं ।' तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं गोण्णं गुणणिप्फण्णं नामधेज्जं करेंति 'मेहा' त्ति । तए णं से मेहकुमार पंचधाईपरिग्गहिए, तंजहा- खीरधाईए, मंडणधाईए, मज्जणधाईए, कीलावणधाईए, अंकधाईए । अण्णाहिं च बहूहिं खुज्जाहिं चिलाइयाहिं वामणि-वडभिबब्बरि-बउसि-जोणियाहिं पल्हविय-ईसिणिय, धोरुगिणि-लासिय-लउसिय-दमिलि-सिंहलिआरबि-पुलिंदि-पक्कणि-बहलि- मुरुंडि-सबरि-पारसीहिं णाणादेसीहि विदेसपरिमंडियाहिं इंगियचिंतिय-पत्थिय-वियाणियाहिं सदेस-नेवत्थ-गहिय- वेसाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-कंचुइज्ज-महत्तरग-वंद-परिक्खित्ते हत्थाओ हत्थं साहरेज्जमाणे, अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे, परिगिज्जमाणे, चालिज्जमाणे, उवलालिज्जमाणे, रम्मंसि मणिकोट्टिम-तलंसि परिगिज्जमाणे परिगिज्जमाणे णिव्वाय-णिव्वाघायंसि गिरिकंदरमल्लीणे व चंपग-पायवे सुहंसुहेणं वड्ढइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं नामकरणं च पज्जेमणगं च एवं चंकमणगं च चोलोवणयं च महया-महया इड्ढी- सक्कार-समुदएण तए णं तं मेहकुमारं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं चेव सोहणंसि तिहिकरण- मुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेति । तए णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सेहावेइ, सिक्खावेइ । तं जहा गरस । (१) लेहं (२) गणियं (३) रूवं (४) पढें (५) गीयं (६) वाइयं (७) सरगयं (८) पोक्खरगयं (९) समतालं (१०) जूयं (११) जणवायं (१२) पासयं (१३) अट्ठावयं (१४) पोरेकच्चं (१५) दगमट्टियं (१६) अण्णविहिं (१७) पाणविहिं (१८) वत्थविहिं (१९) विलेवणविहिं (२०) Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा सयणविहिं (२१) अज्जं (२२) पहेलियं (२३) मागहियं (२४) गाहं (२५) गीइयं (२६) सिलोयं (२७) हिरण्णजुत्तिं (२८) सुवण्णजुत्तिं (२९) चुण्णजुत्तिं (३०) आभरणविहिं (३१) तरुणीपडिकम्म (३२) ईत्थिलक्खणं (३३) पुरिस लक्खणं (३४) हयलक्खणं (३५) गयलक्खणं (३६) गोणलक्खणं (३७) कक्कडलक्खणं (३८) छत्तलक्खणं (३९) दंडलक्खणं (४०) असिलक्खणं (४१) मणिलक्खणं (४२) कागणिलक्खणं (४३) वत्थुविज्जं (४४) खंधारमाणं (४५) णगरमाणं (४६) वूहं (४७) पडिवूहं (४८) चारं (४९) परिचारं (५०) चक्कवूहं (५१) गरुलवूहं (५२) सगडवूहं (५३) जुद्धं (५४) णिजुद्धं (५५) जुद्धातिजुद्धं (५६) अद्विजुद्धं (५७) मुट्ठिजुद्धं (१८) बाहुजुद्धं (५९) लयाजुद्धं (६०) ईसत्थं (६१) छरुप्पवायं (६२) धणुव्वेयं (६३) हिरण्णपागं (६४) सुवण्णपागं (६५) सुत्तखेडं (६६) वट्टखेडं (६७) णालियाखेडं (६८) पत्तच्छेज्जं (६९) कडगच्छेज्ज (७०) सजीवं (७१) णिज्जीवं (७२) सउणरुतमिति । तए णं से कलायरिए मेहं कुमार लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणिरुयपज्जव- साणाओ बावत्तरि कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सिहावेइ, सिक्खावेइ, सिहावेत्ता सिक्खावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेइ । तए णं मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो तं कलायरियं महरेहिं वयणेहिं विउलेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेंति, सम्माणेति, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति, दलइत्ता पडिविसज्जेंति | तए णं मेहे कुमारे बावत्तरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारस -विहिप्पगारदेसीभासाविसारए गीयरई गंधव्वणट्टकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी अलंभोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाए यावि होत्था । तए णं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं बावत्तरिकलापंडियं जाव वियालचारी जायं पासंति पासित्ता अट्ठ पासायवडिंसए कारेंति अब्भुग्गयमूसिय- पहसिए विव मणिकणग-रयण-भत्तिचित्ते वाउयविजय-वेजयंती-पडाग-छत्ताइच्छत्तकलिए तंगे गगणतलमभिलंघमाण-सिहरे जालंतररयण पंजरुम्मिल्लियव्व मणिकणगथूभियाए वियसियसयपत्तपुंडरीए तिलयरयणद्धचंदच्चिए णाणामणिमय-दामालंकिए अंतो बहिं च सण्हे तवणिज्ज-रुइलवालुयापत्थरे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे | ६६ एगं च णं महं भवणं कारेंति-अणेगखंभसयसण्णिविट्ठ लीलट्ठिय- सालभंजियागं अब भग्गयसुकय-वइरवेइया-तोरण- वररइय- सालभंजिया- सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ - लट्ठ-संठिय-पसत्थवेरुलिय- खंभ- णाणामणिकणगरयणखचियउज्जलंबहुसम - सुविभत्त-णिचिय -रमणिज्ज Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा भूमिभागं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं खंभुग्गय - वइर -वेइयापरिगयाभिरामं विज्जाहरजमल- जुयलजुत्तं पिव अच्ची- सहस्स -मालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाण चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंचणरयणथूभियागं णाणाविहपंचवण्णघंटापडाग - परिमंडियग्गसिहरं धवलमरीचिकवयं विणिम्मुयंतं लाउल्लोइयमहियं जाव गंधवट्टिभूयं; पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं | तए णं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं सोहणंसि तिहि-करण -णक्खत्तमुहुत्तंसि सरिसियाणं सरिसव्वयाणं सरिसत्तयाणं सरिसलावण्ण- रूव-जोव्वण- गुणोववेयाणं सरिसरहिंतो रायकुलेहितो आणिल्लियाणं पसाहणटुंग- अविहववह-ओवयण-मंगलसुजंपिएहिं अट्ठहिं रायवरकण्णाहिं सद्धिं एगदिवसेणं पाणिं गिण्हावेइ । ६९ तए णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो इमं एयारूवं पीइदाणं दलयइ- अट्ठ हिरण्ण-कोडीओ अट्ठ सवण्णकोडीओ जाव पेसणकारियाओ, अण्णं च विपुलं धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तियसंख-सिल-प्पवाल-रत्तरयण-संतसारसावएज्जं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तु पकामं परिभाएउं । तए णं से मेहे कुमारे एगमेगाए भारियाए एगमेगं हिरण्णकोडिं दलयइ जाव एगमेगं पेसकारिं दलयइ, अण्णं च विपुलं धण-कणग जाव परिभाएउं दलयइ । तए णं से मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं वरतरुणि- संपउत्तेहिं बत्तीसइबद्धएहिं णाडएहिं उवगिज्जमाणे-उवगिज्जमाणे उलालिज्जमाणे-उलालिज्ज- माणे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंध-विउले माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से रायगिहे णयरे सिंघाडग जाव बहवे उग्गा भोगा जाव रायगिहस्स णयरस्स मज्झंमज्झेणं एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छति। इमं च णं मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मयंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भंजमाणे, रायमग्गं च आलोएमाणे; एवं च णं विहरइ । तए णं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमुहे णिग्गच्छमाणे पासइ, पासित्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- किं णं भो देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे णयरे इंदमहे इवा खंदमहे इवा एवं रुद्द- वेसमण- णाग-जक्ख-भूय-णई-तलाय Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा रुक्ख-चेइय-पव्वय-उज्जाण- गिरिजत्ताइ वा ? जओ णं बहवे उग्गा भोगा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छंति ? तए णं से कंचुइज्जपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गहियागमणपवित्तीए मेहं कुमारं एवं वयासी- णो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे णयरे इंदमहे इ वा जाव गिरिजत्ताइ वा जं णं एए उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छंति। एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थयरे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इह चेव रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए जाव विहरइ । तए णं से मेहे कंचुइच्जपुरिसस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हहतुढे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव ___उवट्ठवेह । तएणं ते कोडुंबिय पुरिसा तह त्ति आणाए विणयं पुडिसुणेति जाव उवणेति । तए णं मेहे पहाए जाव सव्वालंकारविभूसिए चाउग्घंटं आसरहं दुरुढे समाणे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भड-चडगर-विंद-परियाल-संपरिवडे रायगिहस्स णयरस्स मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणामेव गुणसीलए चेइए तेणामेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स छत्ताइछत्तं पडागाइपडागं विज्जाहर, चारणे, जंभए य देवे ओवयमाणे उप्पयमाणे पासइ, पासित्ता चाउग्घंटाओ आसरहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छद । तंजहा सचित्ताणं दव्वाणं विसरणयाए | अचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए | एगसाडियउत्तरासंग- करणेणं । चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं । मणसो एगत्तीकरणेणं । जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे पंजलिउडे अभिमुहे विणएणं पज्जुवासइ । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहकुमारस्स, तीसे य महइमहालियाए परिसाए मज्झगए विचित्तं धम्ममाइक्खइ-जहा जीवा बझंति, मुच्चंति, जह य संकिलिस्संति। धम्मकहा भाणियव्वा जाव परिसा पडिगया । ७९ तए णं मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्टे, समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, एवं पत्तयामि णं, रोएमि Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णं, अब्भुट्टेमि णं भंते! णिग्गंथं पावयणं । एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! से जहेयं तुब्भे वयह। णवरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि । तओ पच्छा मुंडे भवित्ता णं पव्वइस्सामि। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से मेहे कुमारे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता महया भड-चडगर-पहकरेणं रायगिहस्स णयरस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता चाउग्घंटाओ आसरहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणामेव अम्मापियरो तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अम्मापिऊणं पायवंदणं करेइ, करित्ता एवं वयासी- एवं खल अम्मयाओ ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए | तए णं तस्स मेहस्स अम्मापियरो एवं वयासी- धण्णो सि तुमं जाया ! संपुण्णो सि तुम जाया ! कयत्थो सि तुमं जाया ! कयलक्खणो सि तुमं जाया ! जं णं तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य ते धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए। तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी- एवं खल अम्मयाओ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य णं मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए | तए णं सा धारिणी देवी तमणिटुं अकंतं अप्पियं अमणुण्णं अमणामं अस्सुयपुव्वं फरुसं गिरं सोच्चा णिसम्म इमेणं एयारूवेणं मणोमाणसिएणं महया पुत्तदुक्खेणं अभिभूया समाणी सेयागयरोमकवपगलंत-किलीणगाया सोयभरपवेवियंगी णित्तेया दीण-विमण-वयणा करयलमलियव्व कमलमाला तक्खणओलग्गदब्बलसरीरा लावण्णसण्ण-णिच्छाय-गयसिरीया पसिढिलभूसण-पड़तखण्णिय-संचुण्णिय-धवलवलया पब्भट्ठउत्तरिज्जा समाल-विकिण्णकेसहत्था मुच्छावसणट्ठचेयगरुई परसुणियत्त व्व चंपगलया णिव्वत्तमहिम व्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिया । तए णं सा धारिणी देवी ससंभमोवत्तियाए तुरियं कंचणभिंगारमुहविणिग्गय- सीयलजलविमलधाराए परिसिंचमाणा णिव्वावियगायलट्ठी उक्खेवय-तालविंट -वीयणग- जणियवाएणं सफुसिएणं अंतेउर-परिजणेणं आसासिया समाणी मुत्तावलि-सण्णिगासपवडत- अंसुधाराहिं 22 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा सिंचमाणी पओहरे, कलुण-विमण-दीणा रोयमाणी कंदमाणी तिप्पमाणी सोयमाणी विलवमाणी मेहं कुमारं एवं वयासीतुमं सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इढे कंते पिए मणण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए सम्मए बमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविय-उस्सासए हिययाणंद-जणणे उंबरपुप्फ व दुल्लहे सवणया किमंग पुण पासणयाए ? णो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पओगं सहित्तए | तं भुंजाहि ताव जाया ! विउले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो । तओ पच्छा अम्हेहिं कालगएहिं परिणयवए वढिय-कुलवंसतंतुकज्जम्मि णिरवेक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्ससि | तए णं से मेहे अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे अम्मापियरं एवं वयासी- तहेव णं तं अम्मयाओ! जहेव णं तुम्हे ममं एवं वयह- तुम सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते, तं चेव जाव णिरवेक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि | एवं खलु अम्मयाओ ! माणुस्सए भवे अधुवे अणियए असासए वसणसओवद्दवाभिभूए विज्जुलयाचंचले अणिच्चे जलबुब्बुयसमाणे कुसग्गजलबिंदु-सण्णिभे संझब्भराग-सरिसे सुविणदंसणोवमे सडण-पडणविद्धंसण-धम्मे पच्छा पुरं च णं अवस्स-विप्पजहणिज्जे । से के णं जाणइ अम्मयाओ ! के पुट्विं गमणाए ? के पच्छा गमणाए ? तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए | तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी- इमाओ ते जाया! सरिसियाओ सरिसत्तयाओ सरिसव्वयाओ सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयाओ सरिसेहितो रायकुलेहितो आणिल्लियाओ भारियाओ, तं भुंजाहि णं जाया ! एयाहिं सद्धिं विउले माणुस्सए कामभोगे, तओ पच्छा भुत्तभोगे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वयासी- तहेव णं तं अम्मयाओ ! जं णं तुब्भे ममं एवं वयह- इमाओ ते जाया ! सरिसियाओ जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स पव्वइस्ससि | एवं खलु अम्मयाओ ! माणुस्सगा कामभोगा असुई वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कासवा सोणियासवा दुरुस्सास-णीसासा दुरूव मुत्त-पुरीस-पूय-बहुपडिपुण्णा उच्चार-पासवण-खेल-जल्ल-सिंघाणग-वंत-पित्त-सुक्क-सोणियसंभवा अधुवा अणियया असासया सडण-पडण- विद्धंसणधम्मा पच्छा पुरं च णं अवस्स-विप्पजहणिज्जा | से के णं जाणइ अम्मयाओ! के पव्विं गमणाए ? के पच्छा गमणाए! तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! जाव पव्वइत्तए । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९ ९० ९१ ज्ञाताधर्मकथा तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे य ते जाया ! अज्जय-पज्जयपिउपज्जयागए सुबहू हिरण्णे य सुवण्णे य कंसे य दूसे य मणि - मोत्तिए य संख-सिलप्पवाल- रत्तरयण-संतसार - सावएज्जे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगामं दाउं पगामं भोत्तुं पगामं परिभाएउं । तं अणुहोहि ताव जाव जाया ! विउलं माणुस इड्ढिसक्कारसमुदयं, तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए जाव पव्वइस्ससि । तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरं एवं वयासी- तहेव णं अम्मयाओ ! जं णं तुभे ममं एवं वदय- इमे ते जाया ! अज्जय-पज्जय जाव तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे पव्वइस्ससि । एवं खलु अम्मयाओ ! हिरण्णे य जाव सावएज्जे अग्गिसाहिए चोरसाहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मच्चुसाहिए; अग्गिसामण्णे जाव मच्चुसामण्णे; सडण - पडण-विद्धंसणध पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जे । से के णं जाणइ अम्मयाओ ! के पुव्विं गमणाए ? के पच्छा गमणाए ? तं इच्छामि णं जाव पव्वइत्तए । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो जाहे णो संचाए मेहं कुमारं बहूहिं विसयाणुलोमाहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य, आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा, सण्णवित्तए वा विण्णवित्तए वा ताहे विसयपडिकूलाहिं संजमभय-उव्वेय-कारियाहिं पण्णवणाहिं पण्णवेमाणा एवं वयासी एस णं जाया ! णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलिए पडिपुणे णेयाउए संसुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे णिज्जाणमग्गे णिव्वाणमग्गे सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, अहीव एगंतदिट्ठीए, खुरो इव एगंतधाराए, लोहमया इव जवा चावेयव्वा, वालुयाकवले इव णिरस्साए, गंगा इव महाणई पडिसोयगमणाए, महासमुद्दो इव भुयाहिं दुत्तरे, तिक्खं कमियव्वं, गरुयं लंबेयव्वं, असिधार व्व संचरियव्वं । णो खलु कप्पड़ जाया ! समणाणं णिग्गंथाणं आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा कीयगडे वा, ठवियए वा, रइयए वा, दुब्भिक्खभत्ते वा, कंतारभत्ते वा, वद्दलियाभत्ते वा, गिलाणभत्ते वा, मूलभोयणे वा, कंदभोयणे वा, फलभोयणे वा, बीयभोयणे वा, हरियभोयणे वा भोत्तए वा पायए वा । तुमं चणं जाया ! सुहसमुचिए णो चेव णं दुहसमुचिए, णालं सीयं णालं उन्हं, णालं खुलं, णालं पिवासं, णालं वाइय-पित्तिय- सिंभिय-सण्णिवाइए - विविहे रोगायंके उच्चावए गामकंट बावीसं परीसहोवसग्गे उदिण्णे सम्मं अहियासित्तए । भुंजाहि ताव जाया ! माणुस्सए कामभोगे। तओ पच्छा भुत्तभोगी समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि। 24 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ९२ तए णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे अम्मापियरं एवं वयासी- तहेव णं तं अम्मयाओ ! जं णं तुब्भे ममं एवं वयह- एस णं जाया ! णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे जाव पव्वइस्ससि । एवं खलु अम्मयाओ ! णिग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिबद्धाणं परलोगणिप्पिवासाणं दुरणुचरे पाययजणस्स, णो चेव णं धीरस्स, णिच्छियववसियस्स एत्थ किं दुक्करं करणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइत्तए | ९३ तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो जाहे णो संचाइंति बहूहिं विसयाणुलोमाहिं य विसयपडिकूलाहिं य आघवणाहि य पण्णवणाहिं य सण्णवणाहिं य विण्णवणाहिं य आघवित्तए वा, पण्णवित्तए वा सण्णवित्तए वा विण्णवित्तए वा ताहे अकामए चेव मेहं कमारं एवं वयासी-इच्छामो ताव जाया ! एगदिवसमवि ते रायसिरिं पासित्तए | तए णं से मेहे कुमारे अम्मापियरमणुवत्तमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मेहस्स कुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायाभिसेयं उवट्ठवेह | तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव उवट्ठवेंति । तए णं सेणिए राया बहूहिं गणणायगेहि य जाव संपरिवुड़े मेहं कुमारं अट्ठसएणं सोवणियाणं कलसाणं एवं- रुप्पमयाणं कलसाणं, सवण्ण-रुप्पमयाणं कलसाणं, मणिमयाणं कलसाणं, सवण्णमणिमयाणं कलसाणं, रुप्प-मणिमयाणं कलसाणं, सवण्णरुप्प- मणिमयाणं कलसाणं, भोमेज्जाणं कलसाणं; सव्वोदएहिं, सव्वमट्टियाहिं, सव्वगंधेहिं, सव्वमल्लेहिं, सव्वोसहीहि य, सिद्धत्थएहि य; सव्विड्ढीए सव्वईए सव्वबलेणं णिग्घोस-णाइयरवेणं महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचइ, अभिसिंचित्ता करयल जाव अंजलिं कट्ट एवं वयासी- जय जय गंदा ! जय जय भद्दा! जय जय गंदा भई ते; अजियं जिणाहि, जियं पालयाहि, जियमज्झे वसाहि; इंदो इव देवाणं जाव भरहो इव मणुयाणं रायगिहस्स णयरस्स अण्णेसिं च बहूणं गामागर-णगर जाव संणिवेसाणं आहेवच्चं जाव विहराहि त्ति कट्ट 'जय जय', सदं पउंजंति । तए णं से मेहे राया जाए महया हिमवंत जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ । तएणं तस्स मेहस्स रणो अम्मापियरो एवं वयासी- भण जाया ! किं दलयामो ? किं पयच्छामो ? किं वा ते हिय इच्छिए सामत्थे(मंते) ? तए णं से मेहे राया अम्मापियरं एवं वयासी- इच्छामि णं अम्मयाओ ! कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्गहं च आणियं, कासवगं च सद्दावियं । Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सिरिघराओ तिण्णि सयसहस्साई गहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्गहगं च उवणेह, सयसहस्सेणं कासवगं सद्दावेह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा जाव सिरिघराओ तिण्णि सयसहस्साइं गहाय कुत्तियावणाओ दोहिं सयसहस्सेहिं रयहरणं पडिग्गहगं च उवणेति, सयसहस्सेणं कासवगं सद्दावेंति । तए णं से कासवए तेहिं कोडुबियपुरिसेहिं सद्दाविए समाणे हढे जाव हियए, पहाए जाव अलंकियसरीरे; जेणेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं करयल जाव एवं वयासी- संदिसह णं देवाणप्पिया ! जं मए करणिज्जं । तए णं से सेणिए राया कासवयं एवं वयासी- गच्छाहि णं तुम देवाणुप्पिया! सुरभिणा गंधोदएणं णिक्के हत्थपाए पक्खालेहि, सेयाए चउप्फालाए पोत्तीए मुहं बंधित्ता मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाउठगे अग्गकेसे कप्पेहि । तए णं से कासवए सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ जाव पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपाए पक्खालेइ, पक्खालित्ता सुद्धवत्येणं मुहं बंधइ, बंधित्ता परेणं जत्तेणं मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाउग्गे अग्गकेसे कप्पइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया महरिहेणं हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ, पक्खालित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चाओ दलयइ, दलइत्ता सुद्धेणं वत्थेणं बंधेइ, बंधित्ता रयणसमुग्गयंसि पक्खिवइ मंजूसाए पक्खिवइ, पक्खिवित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिण्णमुत्तावलि-पगासाइं अंसूई विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी, रोयमाणी-रोयमाणी, कंदमाणी-कंदमाणी, विलवमाणीविलव माणी, एवं वयासी- एस णं अम्हं मेहस्स कुमारस्स अब्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जण्णेसु य पव्वणीसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सइ त्ति कटु उस्सीसमूले ठवेइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयाति । मेहं कुमारं दोच्चं पि तच्चं पि सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेंति, पहावेत्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासाइयाए गायाडं लहेंति, लहित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाडं अणलिंपति अणुलिंपित्ता णासा-णीसासवाय-वोज्झं जाव हंसलक्खणं पडगसाडगं णियंसेंति, हारं पिणटुंति, अद्धहारं पिणखेंति, एवं एगावलिं मुत्तावलिं कणगावलिं रयणावलिं पालंब पायपलंबं कडगाइं तुडियाई केऊराइं अंगयाइं दसमुद्दियाणंतयं कडिसुत्तयं कुंडलाइं चूडामणिं Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा रयणुक्कडं मउडं पिणखेति, पिणद्धित्ता [दिव्वं सुमणदामं पिणद्धति, पिणद्धित्ता दडुरमलयसुगंधिए गंधे पिणखेति तएणं तं मेहं कुमारं ] गंठिम-वेढिम-पूरिम-संघाइमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगं पिव अलंकिय-विभूसियं करेंति । तएणं से सेणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसय-सण्णिविटु लीलट्ठियं-सालभंजियागं ईहामिय-उसभ-तुरग-नरमगर-विहग-वालग-किण्णर-रुरु-सरभ - चमर- कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं घंटावलिमहर-मणहरसरं सुभ-कंत-दरिसणिज्ज णिउणोवचिय-मिसिमिसेंत- मणिरयणघंटियाजाल परिक्खित्तं अब्भुग्गय-वइरवेइया-परिगयाभिरामं विज्जाहरजमल- जंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्स- मालणीयं रूवगसहस्स कलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खल्लोयणलेस्सं सुहफासं सस्सिरीयरूवं सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं पुरिस- सहस्सवाहिणीयं सीयं उवट्ठवेह । तए णं ते कोडुंबियपुरिसा हद्वतुट्ठा जाव सीयं उवद्ववेति । तए णं से मेहे कुमारे सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे | तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया बहाया जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स दाहिण पासे भदासणंसि णिसीयइ । तए णं मेहस्स कुमारस्स अंबधाई रयहरणं च पडिग्गहं च गहाय सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स वामे पासे भद्दासणंसि णिसीयइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्ठओ एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगय- गयहसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-संलावुल्लाव-णिउणजुत्तोवयारकुसला आमेलगजमलजुयलवट्टिय- अब्भुण्णय-पीण-रइय-संठियपओहरा हिम-रयय- कुंदेंदुपगासं सकोरंटमल्लदामं धवलं आयवत्तं गहाय सलीलं ओहारेमाणी -ओहारेमाणी चिट्ठइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारुवेसाओ जाव कुसलाओ सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स उभओ पासं णाणामणि-कणग-रयण-महरिहतवणिज्जुज्जल- विचित्तदंडाओ चिल्लियाओ सुहमवरदीहवालाओ संख- कुंद-दग-रय- अमय महियफेणपुंज-सण्णिगासाओ चामराओ गहाय सलीलं ओहारेमाणीओ- ओहारेमाणीओ चिट्ठति। १०७ तए णं तस्स मेहकुमारस्स एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा जाव कुसला सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स पुरओ पुरत्थिमे णं चंदप्पभ- वइर-वेरुलिय-विमलदंडं तालियंट गहाय चिट्ठइ । Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १०८ तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी जाव सुरूवा सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स पुव्वदक्खिणे णं सेयं रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकिइ- समाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयाणं सरिसत्तयाणं सरिसव्वयाणं एगाभरण-गहियणिज्जोयाणं कोडुंबियवरतरुणाणं सहस्स सद्दावेह जाव सद्दावेति | तए णं कोडुबिय-वरतरुणपुरिसा सेणियस्स रण्णो कोडुबियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हद्वतुट्ठ ण्हाया जाव एगाभरण-गहिय-णिज्जोया जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं एवं वयासी- संदिसह णं देवाणुप्पिया ! जं णं अम्हेहिं करणिज्ज। तए णं से सेणिए राया तं कोडुबियवरतरुणसहस्सं एवं वयासी- गच्छह णं देवाणुप्पिया! मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिवहेह । तए णं ते कोडुबियवर- तरुणसहस्से सेणिएणं रण्णा एवं वुत्तं संतं हढं तुटुं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिवहइ । तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा तप्पढमयाए पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया, तं जहा- सोत्थिय-सिरिवच्छणंदियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण-कलस-मच्छ-दप्पणया जाव बहवे अत्थत्थिया जाव ताहिं इट्ठाहिं जाव अणवरयं अभिणंदंता य एवं वयासी १११/ जय जय गंदा ! जय जय भद्दा ! जयणंदा ! भदं ते, अजियाइं जिणाहि इंदियाइं, जियं च पालेहि समणधम्म, जियविग्घोऽवि य वसाहि तं देव ! सिद्धिमज्झे, णिहणाहि रागद्दोसमल्ले तवेणं धिइ-धणिय-बद्धकच्छे, मद्दाहि य अट्ठकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं अप्पमत्तो, पावय वितिमिरमणत्तरं केवलं णाणं, गच्छ य मोक्खं परमपयं सासयं च अयलं, हंता परीसहचमूणं, अभीओ परीसहोवसग्गाणं, धम्मे ते अविग्धं भवउ त्ति कट्ठ पुणो पुणो मंगल-जयजयसई पउंजंति | तए णं से मेहे कुमारे रायगिहस्स णगरस्स मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव गुणसीलए चेइए तेणामेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ पच्चोरुहइ । Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३ ११४ ११५ ज्ञाताधर्मकथा तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं पुरओ कटट्टु जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति, करित्ता वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया! मेहे कुमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते जाव जीवियऊसासए हिययणदिजण ए उंबरपुप्फमिव दुल्लहे सवणयाए, किमंग पुण दरिसणयाए ? से जहाणाम उप्पलेइ वा पउमेइ वा कुमुदेइ वा पंके जाए जले संवड्ढिए णोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं, एवामेव मेहे कुमारे कामेसु जाए, भोगे संवुड्ढे णोवलिप्पइ कामरएणं, णोवलिप्पड़ भोगरएणं । एस णं देवाणुप्पिया! संसारभउव्विग्गे भीए जम्म-जर- मरणाणं, इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । अम्हे णं देवाणुप्पियाणं सिस्सभिक्खं दलयामो । पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सभिक्खं । तए णं से समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्स अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे एयम सम्मं पडिसुणेइ । तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयइ। तए णं से मेहकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरण - मल्लालंकारं पडिच्छड़, पडिच्छित्ता हार-वारिधार - सिंदुवार छिण्णमुत्तावलिपगासाइं अंसूणि विणिम्मुयमाणीविणिम्मुयमाणी रोयमाणी - रोयमाणी कंदमाणी - कंदमाणी विलवमाणी- विलवमाणी एवं वयासी जइयव्वं जाया ! घडियव्वं जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! अस्सिं च णं अट्ठे णो पमाएयव्वं। अम्हं पि णं एसेव मग्गे भवउ त्ति कट्टु मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो सम भगवं महावीरं वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्या तामेव दिसिं पडिगया । ११६ तणं से मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते! लोए, आलित्तपलित्ते णं भंते! लोए, जराए मरणेण य । से जहाणामए केई गाहावई अगारंसि झियायमाणंसि जे तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगुरुए, तं गहाय आयाए एगंतं अवक्कमइ - एस मे णित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ । एवामेव मम वि 29 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा आयाभंडे इडे कंते पिए मणुण्णे मणामे। एस मे णित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सइ । तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाहिं सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सयमेव आयार- गोयर- विणय-वेणइय-चरण-करण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेइ जाव धम्ममाइक्खइ-एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं णिसीयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भुंजियव्वं, एवं भासियव्वं, एवं उढाए उट्ठाए पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमियव्वं, अस्सिं च णं अढे णो पमाएयव्वं । तए णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म पडिवज्जइ-तमाणाए तह गच्छड़, तह चिट्ठइ जाव उट्ठाए उठाए पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमइ । जं दिवसं च णं मेहे अणगारे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, तस्स णं दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि समणाणं णिग्गंथाणं अहाराइणियाए सेज्जा-संथारएस विभज्जमाणेसु मेहअणगारस्स दारमूले सेज्जासंथारए जाए यावि होत्था । तए णं समणा णिग्गंथा पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणओगचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छमाणा य णिग्गच्छमाणा य अप्पेगइया मेहं कुमारं हत्थेहिं संघटुंति, एवं पाएहिं सीसे पोट्टे कायंसि अप्पेगइया ओलंडेंति अप्पेगइया पोलंडेंति, अप्पेगइया पाय-रय- रेणु-गुंडियं करेंति । एवं महालियं च णं रयणिं मेहे कुमारे णो संचाएइ खणमवि अच्छिं णिमीलित्तए | ११९ तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव सम्प्पज्जित्था- एवं खल अहं सेणियस्स रण्णो पत्ते धारिणीए देवीए अत्तए मेहे जाव सवणयाए | तं जया णं अहं अगारमज्झे वसामि, तया णं ममं समणा णिग्गंथा आढायंति, परिजाणंति, सक्कारेंति, सम्माणेति, अट्ठाई हेऊइं पसिणाई कारणाई वागरणाई आइक्खंति, इट्ठाहिं कंताहिं वग्गूहिं आलवेंति, संलवेंति, जप्पभिइं च णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, तप्पभिई च णं मम समणा णो आढायंति जाव णो संलवेंति । अत्तरं च णं मम समणा णिग्गंथा राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं च णं रत्तिं णो संचाएमि अच्छिं णिमीलित्तए । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झे वसित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता अट्ट-दुहट्ट-वसट्ट-माणसगए Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | १२० १२१ १२२ १२३ ज्ञाताधर्मकथा णिरय- पडिरूवियं च णं तं रयणिं खवेइ, खवित्ता कल्लं पाउप्पभायाए सुविमलाए रयणी जाव तेयसा जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जाव पज्जुवासइ । तणं मेहा ! त्ति समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं एवं वयासी- से णूणं तुमं मेहा! राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि समणेहिं णिग्गंथेहिं वायणाए पुच्छणाए जाव महालियं च णं राइं णो संचाएसि मुहुत्तमवि अच्छिं णिमीलित्तए । तए णं तुब्भं मेहा ! इमे यावे अज्झत्थिए समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारमज्झे वसामि तया णं मम समणा णिग्गंथा आढायंति जाव संलवेंति जप्पभिड़ं च णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि तप्पभिर्इं च णं मम समणा णो आढायंति जाव णो संलवेंति । अदुत्तरं च णं समणा णिग्गंथा राओ अप्पेगइया वायणाए जाव पायरय - रेणु-गुंडियं करेंति । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झे आवसित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेसि, संपेहित्ता अट्ट दुहट्ट-सट्ट-माणस णिरय-पडिरूवियं च णं तं रयणिं खवेसि खवित्ता जेणामेण अहं तेणामेव हव्वमागए । से हा ! एस अट्ठे समट्ठे ? हंता, अट्ठे समट्ठे । एवं खलु मेहा! तुमं इओ तच्चे अईए भवग्गहणे वेयड्ढगिरिपायमूले वणयरेहिं णिव्वत्तियणामधेज्जे से संखदल-उज्जल-विमल - णिम्मल - दहिघण- गोखीरफेण-रयणियरप्पयासे सत्तुस्सेहे णवायए दसपरिणाहे सत्तंगपइट्ठिए सोमे सुसंठिए सुरूवे पुरओ उदग्गे समूसियसिरे सुहासणे पिट्ठओ वराहे अयाकुच्छी अच्छिद्दकुच्छी अलंबकुच्छी पलंबलंबोदराहरकरे धणुपट्ठागिइ-विसिट्ठपुट्ठे अल्लीण-पमाणजुत्त-वट्टिया पीवर- गत्तावरे अल्लीण-पमाणजुत्तपुच्छे पडिपुण्ण- सुचारु- कुम्मचलणे पंडुर - सुविसुद्ध - णिद्ध- णिरुवहयविंसतिणहे छद्दंते सुमेरुप्प णामं हत्थिराया होत्था । तत्थ णं तुमं मेहा ! बहूहिं हत्थीहि य हत्थिणीहि य लोट्टएहि य लोट्टियाहि य कलभेहि य कलभियाहि य सद्धिं संपरिवुडे हत्थिसहस्सणायए देसए पागड्ढी पट्ठवए जूहवई वंदपरिवड्ढए अण्णेहिं च बहूणं एकल्लाणं हत्थिकलभाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा - ईसर - सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरसि । तणं तुमं मेहा ! णिच्चप्पमत्ते सई पललिए कंदप्परई मोहणसीले अवितण्हे कामभोगतिसिए बहूहिं हत्थीहि य जाव संपरिवुडे वेयड्ढगिरिपायमूले गिरीसु य दरीसु य कुहरेसु य कंदरासु य उज्झरेसु य णिज्झरेसु य वियरएसु य गड्डासु य पल्ललेसु य चिल्ललेसु य कडएसु य कडयपल्ललेसु य तडीसु य वियडीसु य टंकेसु य कूडेसु य सिहरे 31 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ १२५ १२६ ज्ञाताधर्मकथा य पब्भारेसु य मंचेसु य मालेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य णदीसु य णदीकच्छेसु य जूहेसु य संगमेसु य बावीसु य पोक्खरिणीसु य दीहियासु य गुंजालियासु य सरेसु य सरपंतियासु य सरसरपंतियासु य वणयरेहिं दिण्णवियारे बहूहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं संपरिवुडे बहुविहतरुपल्लव-पउरपाणियतणे णिब्भए णिरुव्विग्गे सुहंसुहेणं विहरसि । तए णं तुमं मेहा! अण्णया कयाई पाउस-वरिसारत्त-सरय- हेमंत वसंतेसु कमेण पंचसु उ समइक्कंतेसु, गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासे, पायव घंस -समुट्ठिएणं सुक्कतण पत्तकयवर- मारुय-संजोगदीविएणं महाभयंकरेणं हुयवहेणं वणदवजाला संपलित्तेसु वणंतेसु, धूमाउलासु दिसासु महावाय वेगेणं संघट्टिएसु, छिण्णजालेसु आवयमाणेसु, पोल्लरुक्खेसु अंतो अंतो झियायमाणेसु, मयकुहियविणट्ठ- किमिय-कद्दम- णईवियरगझीणपाणी वणंतेसु भिंगारक-दीण-कंदिय-रवेसु, खरफरुस-अणिट्ठ-रिट्ठ- वाहित-विद्दुमगेसु दुमेसु तण्हावस -मुक्क- पक्ख- पयडियजिब्भतालुय असंपुडियतुंड - पक्खिसंघेसु ससंतेसु गिम्ह - उम्हउण्हवाय-खर-फरुसचंडमारुय सुक्कतण-पत्तकयरवाउलि-भमंतदित्तसं-भंतसावयाउल- मिगतण्हाबद्धचिंध-पट्टेसु गिरिवरेसु संवट्टइएस तत्थ मिय-पसव- सिरीसवेसु, अवदालियवयणविवरणिल्लालियग्ग-जीहे महंततुंबइय पुण्णकण्णे, संकुचिय थोर - पीवरकरे, ऊसियलंगूले, पीणाइय-विरसरडिय- सद्देणं फोडयंतेव अंबरतलं, पायदद्दरएणं कंपयंतेव मेइणितलं, विणिम्मुयमाणे य सीयारं, सव्वओ समंता वल्लिवियाणाइं छिंदमाणे, रुक्खसहस्साइं तत्थ सुबहूणि णोल्लयंते विणट्ठरट्ठेव्व णरवरिंदे, वायाइद्धेव्व पोए, मंडलवाएव्व परिब्भमंते, अभिक्खणं अभिक्खणं लिंडणियरं पहुंचमाणे-पहुंचमाणे बहूहिं हत्थीहि य जावसद्धिं दिसोदिसिं विप्पलाइत्था | तत्थ णं तुमं मेहा! जुण्णे जराजज्जरिय-देहे आउरे झंझिए पिवासिए दुब्बले किलंते णट्ठसुईए मूढदिसाए सयाओ जूहाओ विप्पहूणे वणदवजालापरद्धे उण्हेण य, तण्हाए य, छुहाए य परब्भाहए समाणे भीए तत्थे तसिए उव्विग्गे संजायभए सव्वओ समंता आधावमाणे परिधावमाणे एगं च णं महं सरं अप्पोदयं पंकबहुलं अतित्थेणं पाणियपाए उइण । तत्थ णं तुमं मेहा ! तीरमइगए पाणियं असंपत्ते अंतरा चेव सेयंसि विसण्णे । तत्थ णं तुमं मेहा! पाणियं पाइस्सामि त्ति कट्टु हत्थं पसारेसि। से वि य ते हत्थे उदगं ण पावेइ । तए णं तुमं मेहा ! पुणरवि कायं पच्चुद्धरिस्सामि त्ति कट्टु बलियतरायं पंकसि खुत्ते । तए णं तुमं मेहा! अण्णया कयाइ एगे चिरणिज्जूढे गयवरजुवाणए सयाओ जूहाओ करचरण-दंत-मुसलप्पहारेहिं विप्परद्धे समाणे तं चेव महद्दहं पाणीयं पाएउं समोयरेइ । 32 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १२७ तए णं से कलभए तुम पासइ, पासित्ता तं पुव्ववेरं समरइ, समरित्ता आसुरत्ते रुढे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता तमं तिक्खेहि दंतमुसलेहिं तिक्खुत्तो पिट्ठओ उच्छुभइ, उच्छुभित्ता पुव्ववेरं णिज्जाएइ, णिज्जाइत्ता हद्वतुढे पाणियं पियइ, पिइत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पड़गए । तए णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउब्भवित्था- उज्जला विउला जाव दुरहियासा । पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए यावि विहरित्था । तए णं तुम मेहा! तं उज्जलं जाव दुरहियासं सत्तराइंदियं वेयणं वेएसि; सवीसं वाससयं परमाउं पालइत्ता अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे गंगाए महाणईए दाहिणे कूले विंझगिरिपायमूले एगेणं मत्तवर-गंधहत्थिणा एगाए गयवरकरेणूए कुच्छिंसि गयकलभए जणिए । तए णं सा गयकलभिया णवण्हं मासाणं वसंतमासम्मि तुम पयाया । तए णं तुम मेहा! गब्भवासाओ विप्पमुक्के समाणे गयकलभए यावि होत्था, रत्तुप्पलरत्तसूमालए जासुमणा-रत्तपारिजत्तय-लक्खारस-सरसकुंकुम-संझब्भरागवण्णं इढे णियगस्स जूहवइणो गणियायार-करेण-कोत्थ-हत्थी अणेगहत्यिसयसपरिवुड़े रम्मेसु गिरिकाणणेसु सुहंसुहेणं विहरसि । तए णं तुम मेहा ! उम्मक्कबालभावे जोव्वणगमणुपत्ते जूहवइणा कालधम्मणा संजुत्तेणं तं जूहं सयमेव पडिवज्जसि । तए णं तुम मेहा ! वणयरेहिं णिव्वत्तियणामधेज्जे जाव चउदंते मेरुप्पभे हत्थिरयणे होत्था । तत्थ णं तुम मेहा ! सत्तंगपइट्ठिए तहेव जाव पडिरूवे। तत्थ णं तुम मेहा सत्तसइयस्स जूहस्स आहेवच्चं जाव अभिरमेत्था । तए णं तुम मेहा ! अण्णया कयाइ गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूले वणदव-जाला- पलित्तेसु वणंतेसु धूमाउलासु दिसासु जाव संजायभए बहूहिं हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सद्धिं संपरिवुड़े सव्वओ समंता दिसोदिसिं विप्पलाइत्था । तए णं तव मेहा ! तं वणदवं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जिथा- कहिं णं मण्णे मए अयमेयारूवे अग्गिसंभवे अणभूयपव्वे | तए णं तव मेहा ! लेस्साहिं विसुज्जमाणीहिं, अज्झवसाणेणं सोहणेणं, सुभेणं परिणामेणं, तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं, ईहापोह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स सण्णिपुव्वे जाइसरणे समुप्पज्जित्था । १३१ तए णं तुम मेहा ! एयमद्वं सम्मं अभिसमेसि- एवं खलु अहं अईए दोच्चे भवग्गहणे इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरिपायमूले जाव सुमेरुप्पभेणामं हत्थिराया होत्था। तत्थ १२९ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णं मया अयमेयारूवे अग्गिसंभवे समणुभूए | तए णं तुम मेहा ! तस्सेव दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि णियएणं जूहेणं सद्धिं समण्णागए यावि होत्था । तए णं तुमं मेहा! सत्तुस्सेहे जाव सण्णिजाइस्सरणे चउदंते मेरुप्पभे णाम हत्थी होत्था । तए णं तुज्झं मेहा ! अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- सेयं खलु मम इयाणिं गंगाए महाणइए दाहिणिल्लंसि कूलंसि विंझगिरिपायमूले दवग्गिसंजायकारणट्ठा सएणं जूहेणं महइ महालयं मंडलं घाइत्तए त्ति कटु एवं संपेहेसि, संपेहित्ता सुहंसुहेणं विहरसि । तए णं तुम मेहा ! अण्णया पढमपाउसंसि महावुट्ठिकायंसि सण्णिवइयंसि गंगाए महाणईए अदूरसामंते बहूहिं हत्थीहिं जाव कलभियाहि य सत्तहि य हत्थिसएहिं संपरिवुड़े एगं महं जोयणपरिमंडलं महइमहालयं मंडलं घाएसि । जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कंटए वा लया वा वल्ली वा खाणुं वा रुक्खे वा खुवे वा, तं सव्वं तिक्खुत्तो आहुणिय आहुणिय पाएणं उट्ठवेसि, हत्थेणं गेण्हसि, एगंते एडेसि । तए णं तुम मेहा ! तस्सेव मंडलस्स अदूरसामंते गंगाए महाणईए दाहिणिल्ले कूले विंझगिरिपायमूले गिरिसु य जाव सुहंसुहेणं विहरसि । तए णं मेहा ! अण्णया कयाइ मज्झिमाए वरिसारत्तंसि महाडिकायंसि सण्णिवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता दोच्चं पि मंडलं घाएसि । एवं चरिमे वासारत्तंसि महाडिकायंसि सण्णिवइयमाणंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि; उवागच्छित्ता तच्चं पि मंडलघायं करेसि जाव सुहसुहेणं विहरसि । तए णं तुम मेहा ! अण्णया कयाइं कमेणं पंचसु उउसु समइक्कंतेसु गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूले मासे पायव-संघस-समुट्ठिएणं जाव संवट्टिएसु मिय-पसु-पक्खि-सरीसिवेसु दिसोदिसिं विप्पलायमाणेसु तेहिं बहूहिं हत्थीहि य सद्धिं जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए | [अह मेहा ! तुमं गइंदभावम्मि वट्टमाणो कमेणं नलिणिवणविवहणगरे हेमंते कुंदलोद्धउद्धत तुसारपउरम्मि अइक्कंते, अहिणवे गिम्हसमयंसि पत्ते, वियट्टमाणो वणेसु वणकरेणु विविह-दिण्ण- कय-पसवघाओ तुमं उउयकुसुमकयचामरकण्णपूरपरिमंडियाभिरामो मयवसविगसंत-कड- तड-किलिण्णगंध-मदवारिणा सूरभिजणियगंधो करेणुपरिवारिओ उउसमत्तजणियसोभो काले दिणयरकरपयंडे परिसोसिय-तरुवर- सिहरभीमतरदंसणिज्जे भिंगाररवंतभेरवरवे णाणाविहपत्त - कट्ठ - तणकयवरुद्धत - पइमारुयाइद- नहयलदुमगणे वाउलियादारुणयरे तण्हावसदोस-दसियभमंत- विवहसावयसमाउले भीमदरिसणिज्जे वदंते दारुणम्मि गिम्हे; १३४ Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा मारुयवसपसरपसरियवियंभिएणं अब्भहियभीमभेरवरवप्पगारेणं महधारापडियसित्त उद्घायमाण- धगधगंतसद्दुद्धएणं दित्ततरसफुलिंगेणं धूममालाउलेणं सावयसयंतकरणेणं अब्भहियवणदवेणं जालालोवियणिरुद्धधूमकारभीओ आयवालोयमहंततुंबड्यपुण्णकण्णो आकुंचिय- थोरपीवरकरो भयवसभयंतदित्तनयणो वेगेण महामेहो व्व पवणोल्लियमहल्लरूवो जेणेव कओ ते पुरा दवग्गिभयभीय- हिययेणं अवगयतणप्पएसरुक्खो रुक्खोद्देसो दवग्गिसंताणकारणद्वाए जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए । एक्को ताव एस गमो ।। तत्थं णं अण्णे बहवे सीहा य वग्घा य विगया दीविया अच्छा य तरच्छा य पारासरा य सरभा य, सियाला विराला सुणहा कोला ससा कोकंतिया चित्ता चिल्लला पुव्वपविट्ठा अग्गिभय- विदुया एगयओ बिलधम्मेणं चिट्ठइ । तए णं तुम मेहा ! जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता तेहिं बहूहिं सीहेहिं जाव चिल्ललएहिं य सद्धिं एगयओ बिलधम्मेणं चिट्ठसि । तए णं तुम मेहा ! पाएणं गत्तं कंडुइस्सामि त्ति कट्ट पाए उक्खित्ते, तंसिं च णं अंतरंसि अण्णेहिं बलवंतेहिं सत्तेहिं पणोलिज्जमाणे-पणोलिज्जमाणे ससए अणुपवितु | तए णं तुम मेहा ! गायं कंडुइत्ता पुणरवि पायं पडिणिक्खमिस्सामि त्ति कट्ट तं ससयं अणुपविढे पाससि, पासित्ता पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए जीवाणुकंपयाए सत्ताणुकंपयाए से पाए अंतरा चेव संधारिए, णो चेव णं णिक्खित्ते । तए णं मेहा ! ताए पाणाणुकंपयाए जाव सत्ताणुकंपयाए संसारे परित्तीकए, माणुस्साउए णिबद्धे । तए णं से वणदवे अड्ढाइज्जाइं राइंदियाइं तं वणं झामेइ, झामेत्ता णिट्ठिए, उवरए, उवसंते, विज्झाए यावि होत्था । तए णं ते बहवे सीहा य जाव चिल्लला य तं वणदवं णिट्ठियं जाव विज्झायं पासंति, पासित्ता अग्गिभयविप्पमक्का तण्हाए य छहाए य परब्भाहया समाणा तओ मंडलाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता सव्वओ समंता विप्पसरित्था । १३७ तए णं तुम मेहा ! जुण्णे जराजज्जरियदेहे सिढिलवलितया-पिणिद्धगत्ते दुब्बले किलंते जुंजिए पिवासिए अत्थामे अबले अपरकम्मे अचंकमणे वा ठाणुक्खंडे वेगेण विप्पसरिस्सामि त्ति कट्ट पाए पसारेमाणे विज्जुहए विव रययगिरिपब्भारे धरणियलंसि सव्वंगेहिं य सण्णिवइए । Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ १४० ज्ञाताधर्मकथा १४१ तए णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया - उज्जला जाव दाहवक्कंतीए यावि विहरसि। तए णं तुमं मेहा ! तं उज्जलं जाव दुरहियासं तिण्णि राइंदियाइं वेयणं वेएमाणे विहरित्ता एगं वाससयं परमाउं पालइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे णयरे सेणियस्स रणो धारिणी देवीए कुच्छिंसि कुमारत्ताए पच्चायाए । /१३९/ तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म सुभेहिं परिणामेहिं, पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं, लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं, तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोह - मग्गण - गवेसणं करेमाणस्स सणिपुव्वे जाइसरणे समुप्पण्णे, एयमहं सम्मं अभिसमेइ । तए णं तुमं मेहा ! आणुपुव्वेणं गब्भवासाओ णिक्खंते समाणे उम्मुक्काला जोव्वणगमणुप्पत्ते मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । तं जड् जाव तुमं मेहा ! तिरिक्खजोणिय-भावमुवागएणं अप्पडिलद्ध-सम्मत्तरयणलंभेण से पा पाणाणुकंपयाए जाव अंतरा चेव संधारिए, णो चेव णं णिक्खित्ते, किमंग पुण तुमं मेहा ! इयाणिं विउलकुलसमुब्भवे णं णिरुवहयसरीर-पत्तलद्धपंचिंदिए णं एवं उट्ठाण-बल-वीरियपुरिसक्कार - परक्कमसंजुत्ते णं मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे समणाणं णिग्गंथाणं राओ पुव्वरत्तावरत्तकाल - समयंसि वायणाए जाव धम्माणुओगचिंत्ताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छ माणाण य णिग्गच्छमाणा हत्थसंघट्टणाणि य पायसंघट्टणाणि य जाव रय रेणु-गुंडणाणि य णो सम्मं सहसि खमसि तितिक्खिसि अहियासेसि ? तए णं से मेहे कुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं संभारियपुव्वभवे दुगुणाणीय- संवेगे आणंदअंसुपुण्णमुहे हरिसवसेणं धाराहयकदंबकं पिव समुस्सियरोमकूवे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- अज्जप्पभिई णं भंते! मम दो अच्छी मोत्तूणं अवसेसे काए समणाणं णिग्गंथाणं णिसट्टे, त्ति कट्टु पुणरवि समणं भगवं व वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! इयाणिं सयमेव दोच्च पिपव्वावियं सयमेव मुंडावियं जाव सयमेव आयारगोयरं जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं । तए णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेइ जाव जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खइ- एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं एवं णिसीयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भुंजियव्वं, एवं भासियव्वं, उट्ठाय उट्ठाय पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमिव्वं । 36 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से मेहे समणस्स भगवओ महावीरस्स अयमेयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता तह चिट्ठइ जाव संजमेणं संजमइ । तए णं से मेहे अणगारे जाए इरियासमिए, अणगारवण्णओ भाणियव्वो । तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याणि एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ -छट्ठहम-दसमवालसेहि-मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ जयराओ गुणसिलाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से मेहे अणगारे अण्णया कयाइ समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तब्भेहिं अब्भण्ण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए | अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उपसंपज्जित्ता णं विहरइ । मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ किट्टेइ, सम्म काएणं फासित्ता पालित्ता सोहेत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह | जहा पढमाए अभिलावो तहा दोच्चाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तराइंदियाए दोच्चसत्त- राइंदियाए तइयसत्तराइंदियाए अहोराइंदियाए वि एगराइंदियाए वि | तए णं से मेहे अणगारे बारस भिक्खुपडिमाओ सम्मं काएणं फासेत्ता पालेत्ता सोहेत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तब्भेहिं अब्भणण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए | अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंध करेह ।। तए णं से मेहे अणगारे पढमं मासं चउत्थं-चउत्थेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं। दोच्चं मासं छटुं-छट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं। तच्चं मासं अट्ठम-अट्ठमेणं अणिक्खित्तेणं Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | १४९ ज्ञाताधर्मकथा १५१ तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । चउत्थं मासं दसमंदसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमु आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । पंचमं मासं दुवालसमं-दुवालसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमु आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडणं । एवं खलु एएणं अभिलावेणं छट्ठे मासे चोद्दसमं-चोद्दसमेणं, सत्तमे मासे सोलसमंसोलसमेणं, अट्ठमे मासे अट्ठारसमं अट्ठारसमेणं, णवमे मासे वीसइमं -वीसइमेणं, दसमे मासे बावीसइमं-बावीसइमेणं, एक्कारसमे मासे चउवीसइमं चउवीसइमेणं, बारसमे मासे छव्वीसइमं-छव्वीसइमेणं, तेरसमे मासे अट्ठावीसइमं अट्ठावीसइमेणं, चोद्दसमे मासे तीसइमंतीसइमेणं, पंचदसमे मासे बत्तीसइमं - बत्तीसइमेणं, सोलसमे मासे चउत्तीसइमंचउत्तीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुएणं सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेण य अवाउडएण य । तए णं से मेहे अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं जाव सम्मं कारण फाइ पालेइ सोहेइ तीरेइ किट्टेइ अहासुत्तं अहाकप्पं जाव किट्टेत्ता समणं भगवं महावीरं वंद णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता बहूहिं छट्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ | तणं से मेहे अणगारे तेणं उरालेणं विउलेणं सस्सिरीएणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धण्णेणं मंगल्लेणं उदग्गेणं उदारेणं उत्तमेणं महाणुभावेणं तवोकम्मेणं सुक्के लक्खे णिम्मंसे णिस्सोणिए किडिकिडियाभूए अट्ठिचम्मावणद्धे किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था। जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता गिलायइ, भासं भासमाणे गिलायइ, भासं भासिस्सामि त्ति गिलाय । |१५०| से जहाणामए इंगालसगडिया इ वा कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा तिलसगडिया इ वा एरंडकट्ठसगडिया इ वा उन्हे दिन्ना सुक्का समाणी ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, एवामेव मेहे अणगारे ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं, अवचिए मंससोणिएणं, हुयासणे इव भासरासिपरिच्छण्णेणं तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव - अईव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ | तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थयरे जाव पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्माणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे णयरे जेणामेव 38 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा गणसीलए चेइए तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स राओ पुव्व-रत्तावरत्त-कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्थाएवं खलु अहं इमेणं उरालेणं तहेव जाव भासिस्सामि त्ति गिलामि । तं अत्थि ता मे उहाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे, सद्धा धिई संवेगे; तं जाव ता मे अत्थि उहाणे कम्मे बले वीरिए परिसक्कार-परक्कमे सद्धा धिई संवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सहत्थी विहरइ, ताव मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते सूरे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता णमंसित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणण्णायस्स समाणस्स सयमेव पंच महव्वयाइं आरुहित्ता गोयमाइए समणे णिग्गंथे णिग्गंथीओ य खामेत्ता तहारूवेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियंसणियं दुरुहित्ता सयमेव मेहघणसण्णिगासं पुढवि-सिला-पट्टयं पडिलेहित्ता संलेहणाझूसणाए झूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स पाओवगयस्स कालं अणवकंख-माणस्स विहरित्तए । एवं संपेहेइ संपेहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ । मेह ! त्ति समणे भगवं महावीरे मेहं अणगारं एवं वयासी- से गूणं तव मेहा! राओ पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं जाव जेणेव अहं तेणेव हव्वमागए | से णूणं मेहा ! अढे समढे ? हंता अत्थि | अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठ जाव हियए उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाई आरुहेइ, आरुहित्ता गोयमाइ समणे णिग्गंथे णिग्गंथीओ य खामेइ, खामेत्ता य तहारूवेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ, दुरुहित्ता सयमेव मेहघणसण्णिगासं पुढवि-सिला-पट्टयं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दब्भसंथारगं संथरइ, Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकणिसण्णे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासीणमोत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं । णमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स | वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयं, ति कट्ठ वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी पव्विं पि य णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए, मुसावाए अदिण्णादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे माणे माया लोहे पेज्जे दोसे कलहे अब्भक्खाणे पेसण्णे परपरिवाए अरई-रई मायामोसे मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए । इयाणिं पि य णं अहं तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खमि जाव मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विहं पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए | जं पि य इमं सरीरं इ{ कंतं पियं जाव मा णं विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतीति कट्ट; एयं पि य णं चरिमेहिं उस्सास णिस्सासेहिं वोसरामि त्ति कट्ट संलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण-पडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरइ । तए णं ते थेरा भगवंतो मेहस्स अणगारस्स अगिलाए वेयावडियं करेंति | तए णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारसअंगाई अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाई दुवालसवरिसाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसित्ता सहिँ भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कंते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते अणुपुव्वेणं कालगए । तए णं थेरा भगवंतो मेहं अणगारं अणुपुव्वेणं कालगयं पासेंति, पासित्ता परिणिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति, करित्ता मेहस्स आयारभंडयं गेण्हंति, गेण्हित्ता विउलाओ पव्वयाओ सणियं-सणियं पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता जेणामेव गुणसीलए चेइए, जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए। से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुण्णाए समाणे गोयमाइए समणे णिग्गंथे णिग्गंथीओ य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ, दुरुहित्ता सयमेव मेघघण-सण्णिगासं पुढवि-सिलापट्टयं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता भत्तपाण- पडियाइक्खिए अपव्वेणं कालगए । एस णं देवाणप्पिया ! मेहस्स अणगारस्स आयारभंडए | 40 Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णामं अणगारे, से णं भंते मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववण्णे ? गोयमा ! त्ति समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी- एवं खल गोयमा! मम अंतेवासी मेहे णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बारस भिक्खु पडिमाओ, गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं कारणं फासेत्ता जाव किट्टेत्ता मए अब्भणुण्णाए समाणे गोयमाइ थेरे खामेइ खामित्ता तहारूवेहि कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं सणियं-सणियं विउलं पव्वयं दुरुहइ, दुरुहित्ता दब्भसंथारगं संथरइ संथरित्ता दब्भसंथारोवगए सयमेव पंचमहव्वए उच्चारेइ, बारस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता, सहिँ भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कंते उद्धरियसल्ले समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूर-गहगण-णक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणाइं बहूई जोयणसयाई, बहूई जोयणसहस्साइं, बहूइं जोयण सयसहस्साइं, बहूइं जोयण कोडीओ, बहूई जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतगमहासुक्क-सहस्साराणय-पाणयारणच्चुए तिणि य अट्ठारसुत्तरे गेवेज्जविमाणावाससए वीइवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उववण्णे । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता | तत्थ णं मेहस्स वि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता | एस णं भंते ! मेहे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, बुज्झिहिइ, मुच्चिहिइ, परिणिव्वाहिइ, सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ । [ ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थयरेणं जाव संपत्तेणं अप्पोपालंभ- णिमित्तं पढमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते | || त्ति बेमि || || पढमं अज्झयणं समत्त || Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा बीअं अज्झयणं संघाडे जड़ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं पढमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, बिइयस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं णयरे होत्था, वण्णओ | तत्थ णं रायगिहे णयरे सेणिए राया होत्था, वण्णओ | तस्स णं रायगिहस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए गुणसीलए णामं चेइए होत्था, वण्णओ । तस्स णं गुणसीलयस्स चेइयस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे, जिण्णुज्जाणे यावि होत्थाविणट्ठदेवउले परिसडियतोरणघरे णाणाविहगुच्छ- गुम्म-लया -वल्लि-वच्छच्छाइए अणेगवालसय-संकणिज्जे यावि होत्था । तस्स णं जिण्णुज्जाणस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे भग्गकूवए यावि होत्था । तस्स णं भग्गकूवस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए यावि होत्था, किण्हे किण्होभासे जाव रम्मे महामेहणिउरंबभूए बहूहिं रुक्खेहि य गुच्छेहि य गुम्मेहि य लयाहि य वल्लीहि य तणेहि य कुसेहि य खाणुएहि य संछण्णे पलिच्छण्णे अंतो झुसिरे, बाहिं गंभीरे, अणेग-वालसयसंकणिज्जे यावि होत्था । तत्थं णं रायगिहे णगरे धण्णे णामं सत्थवाहे अड्ढे दित्ते जाव विउलभत्त- पाणे | तस्स णं घण्णस्स सत्थवाहस्स भद्दा णामं भारिया होत्था- सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिणुण्णपंचिंदिय-सरीरा लक्खण-वंजण-गुणोववेया माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजायसव्वंगसुंदरंगी ससिसोमागारा-कंत-पियदंसणा सुरूवा करयल-परिमिय-तिवलिय-मज्झा कुंडलुल्लिहिय-गंडलेहा कोमुइ-रयणियर-पडिपुण्ण-सोमवयणा सिंगारागारचारुवेसा जाव पडिरूवा वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया यावि होत्था । तस्स णं धण्णस्स सत्यवाहस्स पंथए णामं दासचेडे होत्था- सव्वंगसुंदरंगे मंसोवचिए बालकीलावणकुसले यावि होत्था | तए णं से धण्णे सत्थवाहे रायगिहे णयरे बहूणं णगर-णिगम -सेट्ठि -सत्थवाहाणं अट्ठारसण्हं य सेणिप्पसेणीणं बहुसु कज्जेसु य कुडुंबेसु य मंतेसु य जाव चक्खुभूए यावि होत्था । णियगस्स वि य णं कुटुंबस्स बहुसु य कज्जेसु जाव चक्खुभूए यावि होत्था । Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ”] ज्ञाताधर्मकथा तत्थ णं रायगिहे णयरे विजए णामं तक्करे होत्था- पाव चंडालरूवे भीमतर- रुद्दकम्मे आरुसिय-दित्त-रत्त-णयणे खर-फरुस-महल्ल- विगय- बिभच्छ - दाढिए असंपुडियउट्ठे उद्धयपइण्ण-लंबंतमुद्धए भमर-राहुवण्णे णिरणुक्कोसे णिरणुतावे दारुणे पइभए णिसंसे णिरणुकंपे अहीव एगंतदिट्ठीए खुरेव एगंतधाराए गिद्धेव आमिसतल्लिच्छे अग्गिमिव सव्वभक्खी, जलमिव सव्वगाही, उक्कंचण-वंचण माया-णियडि-कूडकवड-साइ- संपओग-बहुले चिरणगरविणट्ठ- दुट्ठसीलायारचरित्ते, जूयपसंगी, मज्जपसंगी भोज्जपसंगी, मंसपसंगी, दारुणे हिययदारए साहसिए, संधिच्छेयए उवहिए विस्संभघाई आलीयग- तित्थभेयलहुहत्थसंपउत्ते परस्स दव्वहरणम्मि णिच्चं अणुबद्धे, तिव्ववेरे रायगिहस्स स्स बहू अइगमणाणि य णिग्गमणाणि य दाराणि य अवदाराणि य छिंडीओ य खंडीओ य णगरणिद्धमणाणि य संवट्टणाणि य णिव्वट्टणाणि य जूयखलयाणि य पाणागाराणि य वेसागाराणि य तक्करट्ठाणाणि य तक्करघराणि य सिंघाडगाणि य तियाणि य चक्काण य चच्चराणि य णागघराणि य भूयघराणि य जक्खदेउलाणि य सभाणि य पवाणि य पणियसालाणि य सुण्णघराणि य आभोएमाणे आभोएमाणे मग्गमाणे गवेसमाणे, बहुजणस्स छिद्देसु य विसमेसु य विहुरेसु य वसणेसु य अब्भुदएस य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जण्णेसु य पव्वणीसु य मत्तपमत्तस्स य विक्खित्तस्स य वाउलस्स य सुहियस्स दुहियस्स य विदेसत्थस्स य विप्पवसियस्स य मग्गं च छिद्दं च विरहं च अंतरं च मग्गमाणे गवेसमाणे एवं च णं विहरइ । बहिया वि य णं रायगिहस्स णयरस्स आरामेसु य उज्जाणेसु य वावि- पोक्खरिणी- दीहियगुंजालिय-सरेसु य सरपंतिसु य सरसरपंतियासु य जिण्णुज्जाणेसु य भग्गकूवसु य मालुयाकच्छएसु य सुसाणेसु य गिरिकंदरेसु य लेणेसु य उवट्ठाणेसु य बहुजणस्स छ य जाव अंतरं च मग्गमाणे गवेसमाणे एवं च णं विहरइ | तणं तीसे भद्दा भारियाए अण्णया कयाइं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - अहं धणेणं सत्थवाहेण सद्धिं बहूणि वासाणि सद्द-फरिस - रस-गंध-रूवाणि माणुस्सयाइं कामभोगाई पच्चणुभवमाणी विहरामि, णो चेव णं अहं दारगं वा दारिगं वा पयायामि । तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे णं माणुस्सए जम्मजीवियफले तासिं अम्मयाणं, जासिं मण्णे णियगकुच्छिसंभूयाइं थणदुद्ध-लुद्धयाइं महुर-समुल्लावगाइं मम्मण पयंपियाइं थणमूला-कक्खदेसभागं अभिसरमाणाई मुद्धयाइं थणयं पियंति, तओ य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गिण्हिऊणं उच्छंगे णिवेसियाई देंति समुल्लावए पिए सुमहुरे 43 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ज्ञाताधर्मकथा पुणो पुणो मंजुलप्पभणिए । तं अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयलक्खणा अकयपुण्णा एत्तो एगमवि ण पत्ता | तं सेयं मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते धण्णं सत्थवाहं आपुच्छित्ता धण्णेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी सुबहुं विउलं असणं-पाणं -खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता सुबहुं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं गहाय बहूहिं मित्त-णाइ - णियग-सयण- संबंधि- परिजणमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा जाई इमाई रायगिहस्स णयरस्स बहिया णागाणि य भूयाणि य जक्खाणि य इंदाणि य खंदाणि य रुद्दाणि य सिवाणि य वेसमणाणि य, तत्थ णं बहूणं णागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य महरिहं पुप्फच्चणियं करेत्ता जाणुपाय-पडियाए एवं वइत्तए- जइ णं अहं देवाणुप्पिया ! दारगं वा दारिगं वा पयायामि, तो णं अहं तब्भं जायं च दायं च भायं च अक्खय- णिहिं च अणुवड्ढेमि त्ति कट्टु उवाइयं उवाइत्तए । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव जलंते जेणामेव धण्णे सत्थवाहे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं सद्धिं बहूइं वासाइं जाव देंति समुल्लाव सुमहुरे पुणो पुणो मंजुलप्पभणिए । तं णं अहं अण्णा अण्णा अकयलक्खणा, एत्तो एगमवि ण पत्ता । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता जाव अक्खयणिहिं च अणुवड्ढेमि त्ति, उवाइयं करेत्तए । तए णं धण्णे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वयासी - ममं पि य णं खलु देवाणुप्पिए ! स मणोरहे-कहं णं तुमं दारगं वा दारिगं वा पयाएज्जासि, त्ति कट्टु भद्दाए सत्थवाहीए म अणुजाणाइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही धण्णेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी हट्ठतुट्ठ जाव हियया विउलं असण-पाण-खाइम साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता सुबहुं पुप्फ-गंध- वत्थमल्लालंकारं गेण्हइ, गेण्हित्ता सयाओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता रायगिहं णयरं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहु पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं ठवेइ, ठवित्ता पुक्खरिणं ओगाहेइ, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ, जलकीडं करेइ, करित्ता ण्हाया जाव उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताइं ताइं गिण्हइ, गिण्हित्ता पुक्खरिणीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता तं सुबहं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणामेव णागघरए य जाव वेसमणघरए य तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तत्थ णं णागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य आलोए पणामं करेइ, ईसिं पच्चुण्णमइ, पच्चुण्णमित्ता लोमहत्थगं परामुसइ, परामुसित्ता णागपडिमाओ य जाव वेसमणपडिमाओ 44 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा य लोमहत्थेणं पमज्जइ, उदगधाराए अब्भुक्खेइ, अब्भुक्खित्ता पम्हल-सुकुमालाए गंधकासाईए गायाइं लूहेइ, लूहित्ता महरिहं वत्थारुहणं च मल्लारुहणं च गंधारुहणं च चुण्णारुहणं च वण्णारुहणं च करेइ, करित्ता धूवं डहइ, डहित्ता जाणुपायवडिया पंजलिउडा एवं वयासी जइ णं अहं दारगं वा दारिगं वा पयायामि तो णं अहं जायं च जाव अक्खयणिहिं च अणुवुड्ढेमि त्ति कट्ट उवाइयं करेइ, करित्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं आसाएमाणी जाव विहरइ | जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया । अदुत्तरं च णं भद्दा सत्थवाही चाउद्दसहमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु विउलं असणं-पाणं-खाइम साइमं उवक्खडेइ, उवक्खडित्ता बहवे णागा य जाव वेसमणा य उवायमाणी णमंसमाणी जाव एवं च णं विहरइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही अण्णया कयाइ केणइ कालंतरेणं आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था। तए णं तीसे भद्दाए सत्यवाहीए दोसु मासेसु वीइक्कंतेसु तइए मासे वट्टमाणे इमेयारूवे दोहले पाउब्भूए- धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव कयलक्खणाओ णं ताओ अम्मयाओ, जाओ णं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुबहयं पुप्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकारं गहाय मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियण-महिलियाहिं च सद्धिं संपरिवुडाओ रायगिहं णयरं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छंति, णिग्गच्छित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोक्खरिणिं ओगाहिंति, ओगाहित्ता बहायाओ जाव सव्वालंकारविभूसियाओ विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभंजेमाणीओ दोहलं विणेति; एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव जलंते जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! मम तस्स गब्भस्स दोसु मासेसुं वीइकंतेसु तइए मासे वट्टमाणे जाव विणेति; तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी जाव विणित्तए | अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंध करेह । तए णं सा भद्दा सत्थवाही धण्णेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी हद्वतुट्ठा जाव विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता ण्हाया जाव उल्लपडसाडगा जेणेव णागघरए जाव धूवं करेइ, करेत्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छड़ । तए णं ताओ मित्त-णाइ जाव णगरमहिलाओ भदं सत्थवाहिं सव्वालंकार-विभूसियं करेइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही ताहिं मित्त-णाइ -णियग-सयण-संबंधि-परिजण-णगर-महिलियाहिं सद्धिं तं Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा विउलं असणं जाव परिभुजेमाणी य दोहलं विणेइ, विणित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं सा भद्दा सत्थवाही संपुण्णदोहला जाव तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ। तए णं सा भद्दा सत्थवाही णवण्हं मासाप णं अद्धट्ठमाणं राइंदियाणं सुकुमालपाणिपायं जाव सुरूवं दारगं पयाया । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जायकम्मं करेंति, करित्ता तहेव जाव विउलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावित्ता तहेव जाव मित्त-णाइणियग- सयण-संबंधि-परियणं भोयावेत्ता अयमेयारूवं गोण्णं गणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंति- जम्हा णं अम्हं इमे दारए बहूणं णागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य उवाइयलद्धे तं होउ णं अम्हं इमे दारए 'देवदिण्ण' णामेणं | तएणं तस्स दारगस्स अम्मापिअरो णामधेज्जं करेंति 'देवदिण्णे' त्ति । तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्āति । तए णं से पंथए दासचेडए देवदिण्णस्स दारगस्स बालग्गाही जाए, देवदिण्णं दारयं कडीए गेण्हइ, गेण्हित्ता बहूहिं डिभएहि य डिभियाहि य दारएहि य दारियाहि य कुमारेहि य कुमारियाहि य सद्धिं संपरिवुड़े अभिरमइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही अण्णया कयाई देवदिण्णं दारयं ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेइ, पंथयस्स दासचेडयस्स हत्थयंसि दलयइ । तए णं पंथए दासचेडए भद्दाए सत्थवाहीए हत्थाओ देवदिण्णं दारयं कडीए गेण्हइ, गेण्हित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, बहुहिं डिभएहि य डिभियाहि य दारएहिं दारियाहिं, कुमारेहिं य कुमारियाहि य सद्धिं संपरिवुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता देवदिण्णं दारगं एगंते ठावेइ, ठावित्ता बहूहिँ डिभएहि य जाव कुमारियाहि य सद्धिं पमत्ते यावि विहरइ । २० इमं च णं विजए तक्करे रायगिहस्स णगरस्स बहूणि दाराणि य अवदाराणि य तहेव जाव आभोएमाणे मग्गेमाणे गवेसेमाणे जेणेव देवदिण्णे दारए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता देवदिण्णं दारगं सव्वालंकारविभूसियं पासइ, पासित्ता देवदिण्णस्स दारगस्स आभरणालंका छए गढिए गिद्धे अज्झोववण्णे पंथयं दासचेडं पमत्तं पासइ, पासित्ता दिसालोयं करेइ, करेत्ता देवदिण्णं दारयं गेण्हइ, गेण्हित्ता कक्खंसि अल्लियावेइ, अल्लियावित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहेत्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं रायगिहस्स णगरस्स Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ P ज्ञाताधर्मकथा अवदारेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव जिण्णुज्जाणे, जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता देवदिण्णं दारयं जीवियाओ ववरोवेइ, ववरोवित्ता आभरणालंकारं गेण्हइ, गेण्हित्ता देवदिण्णस्स दारगस्स सरीरयं णिप्पाणं णिच्चेट्ठ जीवियविप्पजढं भग्गकूवए पक्खिवइ, पक्खिवित्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छयं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता णिच्चले णिप्फंदे तुसिणीए दिवस खिमाणे चिट्ठइ | तए णं से पंथए दासचेडे तओ मुहुत्तंतरस्स जेणेव देवदिण्णे दारए ठविए तेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता देवदिण्णं दारयं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिण्णदारगस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेइ । देवदिण्णस्स दारगस्स कत्थइ सुइं वा खुई वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- एवं खलु सामी! भद्दा सत्थवाही देवदिण्णं दारयं ण्हायं जाव मम हत्थंसि दलयइ । तए णं अहं देवदिण्णं दारयं कडीए गिण्हामि जाव मग्गणं गवेसणं करेमि । तं ण णज्जइ णं सामी ! देवदिणे दारए केणइ णीए वा अवहिए वा अवखित्ते वा; पायवडिए धण्णस्स सत्थवाहस्स एयम णिवेदेइ । तणं से धणे सत्थवाहे पंथयदासचेडगस्स एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म तेण य महया पुत्तसोएणाभिभूए समाणे परसुणियत्ते व चंपगपायवे धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सण्णिवइए। तए णं से धण्णे सत्थवाहे तओ मुहुत्तंतरस्स आसत्थे पच्छागयपाणे देवदिण्णस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेइ । देवदिण्णस्स दारगस्स कत्थइ सुई वा खुई वा पठत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महत्थं पाहुडं गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव णगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं महत्थं पाहुडं उवणेइ, उवणइत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पुत्ते भद्दाए भारिया देवदिण्णे णामं दारए इट्ठे जाव उंबरपुप्फं पिव दुल्लहे सवणयाए, किमंग पुण पासणयाए ? तए णं सा भद्दा देवदिण्णं ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं पंथगस्स हत्थे दल पायवडिए तं मम णिवेदेइ । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! देवदिण्णदारगस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेह । तए णं ते णगरगोत्तिया धण्णेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवया उप्पीलिय सरासणपट्टिया जाव गहियाउह-पहरणा धण्णेणं सत्थवाहेणं सद्धिं 47 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ २७ ज्ञाताधर्मकथा रायगिहस्स णयरस्स बहूणि अइगमणेसु य जाव पवासु य मग्गण - गवेसणं करेमाणा रायगिहाओ णयराओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव जिणुज्जाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उगागच्छंति, उवागच्छित्ता देवदिण्णस्स दारगस्स सरीरगं णिप्पाणं णिच्चेट्टं जीव-विप्पजढं पासंति, पासित्ता 'हा हा अहो अकज्जमिति' कट्टु देवदिणं दारयं भग्गकूवाओ उत्तारेंति, धण्णस्स सत्थवाहस्स हत्थे दलयंति । तए णं ते णगरगुत्तिया विजयस्स तक्करस्स पयमग्गमणुगच्छमाणा जेणेव मालुयाच्छ तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छयं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता विजयं तक्करं ससक्खं सहोडं सगेवेज्जं जीवग्गाहं गिण्हंति, गिण्हित्ता अट्ठि-मुट्ठि-जाणु- कोप्परपहार- संभग्ग-महिय-गत्तं करेंति, करित्ता अवउडबंधणं करेंति । करित्ता देवदिण्णस्स दारगस्स आभरणं गेण्हति, गेण्हित्ता विजयस्स तक्करस्स गीवाए बंधंति, बंधिता मालुयाकच्छयाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव रायगिहे णयरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता रायगिहं णयरं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता रायगिहे यरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर- चउम्मुह- महापहपहेसु कसप्पहारे य लयप्पहारे य छिवापहारे य णिवाएमाणा णिवाएमाणा छारं च धूलिं च कयवरं च उवरिं पक्किरमाणा पक्किरमाणा महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा एवं वयंति एस णं देवाणुप्पिया ! विजए णामं तक्करे जाव बालघायए, बालमारए । तं णो खलु देवाणुप्पिया ! एयस्स केइ राया वा रायमच्चे वा अवरज्झइ, एत्थट्टे अप्पणो सयाइं कम्माइं अवरज्झंति त्ति कट्टु जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छत्ता हडिबंधणं करेंति, करित्ता भत्तपाणणिरोहं करेंति, करित्ता तिसंझं कसप्पहारे य जाव णिवाएमाणा- णिवाएमाणा विहरंति । तए णं से धण्णे सत्थवाहे मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि- परियणेणं सद्धिं रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिण्णस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्ढीसक्कार-समुदणं णीहरणं करेइ, करित्ता बहूइं लोइयाइं मयगकिच्चाई करेइ, करित्ता केणइ कालंतरेणं अवगयसो या होत्था । तए णं से धण्णे सत्थवाहे अण्णया कयाइ लहुसयंसि रायावराहंसि संपलत्ते जाए यावि होत्था। तए णं ते णगरगुत्तिया धण्णं सत्थवाहं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव चारए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता चारगं अणुपवेसंति, अणुपवेसित्ता विजएणं तक्करेणं सद्धिं एगयओ हडिबंधणं करेंति । 48 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं सा भद्दा भारिया कल्लं जाव जलंते विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेड, भोयणपिडयं भरेइ, भरित्ता भायणाई पक्खिवइ, लंछिय-मुद्दियं करेइ, करित्ता एगं च सुरभिवारिपडिपुण्णं दगवारयं भरेइ, भरित्ता पंथयं दासचेडं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छ णं तुम देवाणुप्पिया ! इमं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं गहाय चारगसालाए धण्णस्स सत्थवाहस्स उवणेहि । तए णं से पंथए भद्दाए सत्यवाहीए एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे तं भोयणपिडयं तं च सुरभिवरवारिपडिपुण्णं दगवारयं गेण्हइ, गेण्हित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहे णयरे मज्झमज्झेणं जेणेव चारगसाला, जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता भोयणपिडयं ठावेई, ठावेत्ता उल्लंछड़, उल्लंछित्ता भायणाई गेण्हइ | गेण्हित्ता भायणाई धोवेइ, धोवित्ता हत्थसोयं दलयइ, दलइत्ता धण्णं सत्थवाहं तेणं विउलेणं असण-पाण- खाइम -साइमेणं परिवेसेड़ । तए णं से विजए तक्करे धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम एयाओ विउलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेहि । तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी- अवियाइं अहं विजया ! एयं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं कागाणं वा सुणगाणं वा दलएज्जा, उक्कुरुडियाए वा णं छड्डेज्जा, णो चेव णं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स पडिणीयस्स पच्चामित्तस्स एत्तो विपुलाओ असण -पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेज्जामि | तए णं धण्णे सत्थवाहे तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारेइ, आहारित्ता तं पंथयं पडिविसज्जेइ | तए णं से पंथए दासचेडे तं भोयणपिडगं गिण्हइ, गिण्हित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए | तए णं तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारियस्स समाणस्स उच्चार-पासवणे णं उब्बाहित्था । तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वयासी- एहि ताव विजया ! एगंतमवक्कमामो, जेण अहं उच्चारपासवणं परिद्ववेमि | तए णं से विजए तक्करे धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- तुब्भं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारियस्स अत्थि उच्चारे वा पासवणे वा, मम णं देवाणुप्पिया ! इमेहिं बहूहिं कसप्पहारेहि य जाव लयापहारेहि य तण्हाए य छुहाए य परब्भवमाणस्स Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ ३५ |३६| ३७ ज्ञाताधर्मकथा णत्थि केइ उच्चारे वा पासवणे वा । तं छंदेणं तुमं देवाणुप्पिया ! एगंते उवक्कमित्ता उच्चार पासवणं परिट्ठवेहि । तए णं धण्णे सत्थवाहे विजएणं तक्करेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणिए संचिट्ठइ। तए णं से धण्णे सत्थवाहे मुहुत्तंतरस्स बलियतरागं उच्चार- पासवणेणं उव्वाहिज्जमाणे विजयं एवं वयासी- एहि ताव विजया ! जाव अवक्कमामो । तए णं से विजए तक्करे धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! ओ विउलाओ असण-पाण-खाइम साइमाओ संविभागं करेहि, तओ हं तुम्हेहिं सद्धिं एगंतं अवकमामि | तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयं एवं वयासी- अहं णं तुब्भं तओ विउलाओ असण- पाणखाइम - साइमाओ संविभागं करिस्सामि । तए णं से विजए धण्णस्स सत्थवाहस्स एयमट्ठे पडिसुणेइ । तए णं से विजए धण्णेणं सद्धिं एगंते अवक्कमेइ, उच्चार- पासवणं परिट्ठवेइ, आयंते चोक्खे परमसुइभूतमेव उवसंकमित्ताणं विहरइ । तणं सा भद्दा कल्लं जाव जलते विउलं असण- पाण- खाइम - साइमं जाव परिवेसेइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे विजयस्स तक्करस्स तओ विउलाओ असण- पाण- खाइम - साइमाओ संविभागं करेइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे पंथयं दासचेडं विसज्जेइ तणं से पंथ भोयणपिडयं गहाय चारगाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गेहे, जेणेव भद्दा सत्थवाही, तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भद्दं सत्थवाहिं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिए ! धण्णे सत्थवाहे पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स ताओ विउलाओ असण- पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेइ | तणं सा भद्दा सत्थवाही पंथयस्स दासचेडयस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा आसुरत्ता रुट्ठा जाव मिसिमिसेमाणी धण्णस्स सत्थवाहस्स पओसमावज्जइ । तणं धणे सत्थवाहे अण्णया कयाइं मित्त-णाइ-णियग- सयण-संबंधि-परिजणेणं सण य अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं मोयावेइ, मोयावित्ता चारगसालाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अलंकारियकम्मं करेइ करित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अद्दधोयमट्टियं गेण्हइ । गेण्हित्ता पोक्खरिणि ओगाहेइ, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ, करित्ता ण्हाए जाव रायगिहं 50 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० ४१ ज्ञाताधर्मकथा णयरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता रायगिहस्स णयरस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तणं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासित्ता रायगिहे णयरे बहवे णागर - णियग-सेट्ठिसत्थवाह-पभिइओ आढंति, परिजाणंति, सक्कारेंति, सम्मार्णेति, अब्भुट्ठेति, सरीरकुलं पुच्छंति । तणं से धणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छड़ जावि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवइ, तंजहा- दासा इ वा, पेस्सा इवा, भयगा इवा, भाइल्लगा इ वा; से विय णं धण्णं सत्थवाहं एज्जंतं पासइ, पासित्ता पायवडियाए खेमकुसलं पुच्छति । वय से तत्थ अब्भंतरिया परिसा भवइ तं जहा- माया इ वा पिया इ वा भाया इवा भइणी इ वा; सावि य णं धण्णं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ आसणाओ अब्भुट्ठेइ, कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खणं करेइ । तणं से धण्णे सत्थवाहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छइ । तए णं सा भद्दा सत्थवाही धण्णं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता णो आढाइ, णो परियाणाइ, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी तुसिणीया परम्ही संचि । तए णं से धणे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वयासी- किं णं तुब्भं देवाणुप्पिए! ण तुट्ठी वा, ण हरिसे वा, णाणंदे वा ? जं मए सएणं अत्थसारेणं रायकज्जाओ अप्पाणं विमोइए । तणं सा भद्दा धणं सत्थवाहं एवं वयासी- कहं णं देवाणुप्पिया ! मम तुट्ठी वा हरिसे वा आणंदे वा भविस्सइ? जेणं तुमं मम पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स ताओ विलाओ असण-पाण- खाइम- साइमाओ संविभागं करेसि । तए णं से धण्णे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वयासी- णो खलु देवाणुप्पिया ! धम्मो त्ति वा, तवो त्ति वा, कयपडिकयाइ वा, लोगजत्ता इ वा णायए इ वा, घाडियए इ वा, सहाए इ वा, सुही इ वा, ताओ विउलाओ असण-पाण- खाइम- साइमाओ संविभागे कए, णण्णत्थ सरीरचिंताए । तए णं सा भद्दा धण्णेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठा जाव आसणाओ अब्भुट्ठे, कंठाकंठिं अवयासेइ, खेमकुसलं पुच्छइ, पुच्छित्ता ण्हाया जाव विभूसिया विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ । 51 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४२ तए णं से विजय तक्करे चारगसालाए तेहिं बंधेहिं वहेहिं कसप्पहारेहिं य जाव तण्हाए य छुहाए य परज्झमाणे कालमासे कालं किच्चा णरएसु रइयत्ताए उववण्णे | से णं तत्थ णेरइए जाए- काले कालोभासे जाव वेयणं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ । से णं तओ उव्वट्टित्ता अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंत-संसारकंतारं अणु-परियट्टिस्सइ। एवामेव जंब ! जे णं अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे विउलमणि- मोत्तिय-धण-कणग-रयणसारेणं लब्भइ से वि य एवं चेव । तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा णाम थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा जाव पुव्वाणुपुव् िचरमाणा, गामाणुगामं दूइज्जमाणा, सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव रायगिहे णयरे जेणेव गुणसीलए चेइए जाव अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति | परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ । तए णं तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा जाव इहमागया, इहं संपत्ता, तं गच्छामि णं थेरे भगवंते वंदामि णमंसामि । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता बहाए जाव सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गणसीलए चेइए, जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदइ, णमंसइ [जाव पज्जवासइ] | तए णं थेरा भगवंतो धण्णस्स सत्थवाहस्स तीसे य महइ महालियाए परिसाए विचित्तं धम्ममाइक्खंति । तए णं से धण्णे सत्थवाहे धम्म सोच्चा एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते ! णिग्गथं पावयणं जाव पव्वइए जाव बहणि वासाणि सामण्ण-परियागं पाउणित्ता, भत्तं पच्चक्खाइत्ता मासियाए संलेहणाए सहिँ भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे | तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता | तत्थ णं धण्णस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता | से णं धण्णे देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेहिइ । जहा णं जंबू ! धण्णेणं सत्थवाहेणं णो धम्मो त्ति वा जाव विजयस्स तक्करस्स तओ विउलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागे कए णण्णत्थ सरीरसारक्खणढाए, एवामेव जंब ! जे णं अम्हं णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा जाव पव्वईए समाणे ववगय-ण्हाणम्मद्दण Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पुप्फ-गंध-मल्लालंकारविभूसे इमस्स ओरालिय-सरीरस्स णो वण्णहेउं वा, णो रूवहेउं वा, णो बलहेउं वा णो विसयहे वा तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारमाहारेइ, णण्णत्थ णाण-दंसण-चरित्ताणं वहणयाए | से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाण य बहूणं साविगाण य अच्चणिज्जे जाव पज्जुवासणिज्जे भवइ । परलोए वि य णं णो । हत्थच्छेयणाणि य कण्णच्छेयणाणि य णासाछेयणाणि य हिययउप्पाडणाणि य वसणुप्पाडणाणि य उल्लंबणाणि य पाविहिइ । अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमदं चाउरंत-संसार-कंतारं वीइवइस्सइ; जहा से धण्णे सत्थवाहे | एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव दोच्चस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते | || त्ति बेमि || || बीअं अज्झयणं समत्त || तइअं अज्झयणं अंडे जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स णायाधम्म- कहाणं अयमढे पण्णत्ते, तच्चस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था, वण्णओ । तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए सुभूमिभाए णामं उज्जाणे होत्था । सव्वोउय-प्प्फ- फलसमिद्धे सुरम्मे णंदणवणे इव सह-सुरभि- सीयल- च्छायाए समणबद्धे । तस्स णं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उत्तरओ एगदेसम्मि माल्याकच्छए होत्था, वण्णओ । तत्थ णं एगा वणमऊरी दो पुढे परियागए पिटुंडीपंडुरे णिव्वणे णिरुवहए भिण्णमुहिप्पमाणे मऊरीअंडए पसवइ, पसवित्ता सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संचिढेमाणी विहरइ । तत्थ णं चंपाए णयरीए दुवे सत्थवाहदारगा परिवसंति, तंजहा- जिणदत्तपुत्ते य सागरदत्तपुत्ते य सहजायया सहवढियया सहपंसुकीलियया सहदारदरिसी अण्णमण्णमणुरत्तया अण्णमण्णमणुव्वया अण्णमण्ण छंदाणुवत्तया अण्णमण्णहियइच्छियकारया अण्णमण्णेसु गिहेसु किच्चाई करणिज्जाइं पच्चणुभवमाणा विहरंति | |ब्द Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ত ज्ञाताधर्मकथा तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अण्णया कयाइं एगयओ सहियाणं समुवागयाणं सण्णिसण्णाणं सण्णिविट्ठाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था- जणं देवाणुप्पिया ! अम्हं सुहं वा दुक्खं वा पव्वज्जा वा विदेसगमणं वा समुप्पज्जइ, तणं अम्हेहिं एगयओ समेच्चा णित्थरियव्वं ति कट्टु अण्णमण्णमेयारूवं संगारं पडिसुर्णेति, पडणेत्ता सम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था । 目 तत्थ णं चंपाए णयरीए देवदत्ता णामं गणिया परिवसइ, अड्ढा जाव चउसट्ठिकलापंडिया चउसट्ठिगणियागुणोववेया अउणत्तीसं विसेसे रममाणी एक्कवीस-रइगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला णवंगसुत्तपडिबोहिया अट्ठारस देसी भासाविसारया सिंगारागार- चारुवेसा संगय-गय-हसिय जाव ऊसियझया सहस्सलंभा विइण्णछत्त-चामर- बालवीयणिया कण्णीरह- प्पयाया यावि होत्था, बहूणं गणियासहस्साणं आहेवच्चं जाव विहरइ । तए णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अण्णया कयाइ पुव्वावरण्हकालसमयंसि जिमियभुत्तुत्तरागयाणं समाणाणं आयंताणं चोक्खाणं परमसुइभूयाणं सुहासणवरगयाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था - तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं-पाणं-खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता तं विपुलं असणं-पाणं-खाइमं - साइमं धूवपुप्फ-गंध-वत्थं गहाय देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुभवमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स एयमहं पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता कल्लं जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी गच्छह णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेह, उवक्खडित्ता तं विपुलं असण-पाण-खाइम - साइमं धूव - पुप्फ-गंध-वत्थं च गहाय जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे, जेणेव णंदा पुक्खरिणी, तेणामेव उवागच्छह, उवगच्छित्ता णंदापुक्खरिणीओ अदूरसामंते थूणामंडवं आहणह आहणित्ता आसित्त-संमज्जिओवलित्तं जाव गंधवट्टिभूयं करेह, करित्ता अम्हे पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठह जाव चिट्ठति । तए णं सत्थवाहदारगा दोच्चंपि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव लहुकरण-जुत्त-जोइयं समखुरवालिहाण-समलिहिय-तिक्खग्गसिंगएहिं रययामय-घंट सुत्तरज्जुय-पवरकंचण-खचिय- णत्थपग्गहोवग्गहिएहिं णीलुप्पलकयामेलएहिं पवर-गोणजुवाणएहिं णाणामणि- रयण-कंचण- घंटियाजालपरिक्खित्तं जुत्तामेव पवहणं उवणेह । ते वि तहेव उवर्णेति । 54 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [] |१० ११ १३ ज्ञाताधर्मकथा तए णं ते सत्थवाहदारगा ण्हाया जाव पवहणं दुरुहंति, दुरुहित्ता जेणेव देवदत्ता गणिया गिहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पवहणाओ पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता देवदत्ताए गणियाए गिहं अणुपविसेंति । तणं सा देवदत्ता गणिया सत्थवाहदारए एज्जमाणे पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठा आसणाओ अब्भु, अब्भुट्ठित्ता सत्तट्ठपयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ते सत्थवाहदारए एवं वयासीसंदितुणं देवाप्पिया ! किमिहागमणप्पओयणं ? तए णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्तं गणियं एवं वयासी- इच्छामो णं देवाणुप्पिए ! तुम्हे सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा विहरित्तए । तणं सा देवदत्ता तेसिं सत्थवाहदारगाणं एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता ण्हाया जाव सिरि- समाणवेसा जेणेव सत्थवाहदारगा तेणेव समागया । तए णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं जाणं दुरुहंति, दुरुहित्ता चपाए य मज्झंमज्झेणं जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे, जेणेव णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पवहणाओ पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता णंदा-पोक्खरिणि ओगाहिंति, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेंति, करेत्ता जलकिड्ड करेंति, करेत्ता ण्हाया देवदत्ताए सद्धिं पच्चुत्तरंति । जेणेव थूणामंडवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थूणामंडवं अणुपविसित्ता सव्वालंकार- विभूसिया आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया देवदत्ताए सद्धिं तं विउलं असणपाण-खाइम- साइमं धूवपुप्फगंधवत्थं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभाएमाणा परिभुंजेमाणा एवं च णं विहरंति । जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं देवदत्ताए सद्धिं विपुलाई माणुस्साई कामभोगाइं भुंजमाणा विहति । तणं सत्थवाहदारगा पुव्वावरण्हकालसमयंसि देवदत्ताए गणियाए सद्धिं थूणा - मंडवाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता हत्थसंगेल्लीए सुभूमिभागे उज्जाणे बहुसु आलिघरएसु य कयलीघरएसु य लयाघरएसु य अच्छणघरएसु य पेच्छणघरएसु य पसाहण- घरएसु य मोहणघरएसु य सालघरएसु य जालघरएसु य कुसुमघरएसु य उज्जाणसिरिं पच्चणुभवमाणा विहरंति । तए णं ते सत्थवाहदारगा जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं सा वणमऊरी ते सत्थवाहदारए एज्जमाणे पासइ, पासित्ता भीया तत्था तसिया उव्विग्गा पलाया महया महया सद्देणं केकारवं विणिम्मुयमाणी विणिम्मुयमाणी मानुयाच्छाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता एगंसि रुक्खडालयंसि ठिच्चा ते सत्थवाहदारए मालुयाकच्छयं च अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी चिट्ठइ । 55 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा __ तए णं सत्थवाहदारगा अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी- जह णं देवाणुप्पिया ! एसा वणमऊरी अम्हे एज्जमाणा पासित्ता भीया तत्था तसिया उव्विग्गा पलाया महया महया सद्देणं जाव अम्हे मालुयाकच्छयं च पेच्छमाणी पेच्छमाणी चिट्ठइ, तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं त्ति कट्ट मालुयाकच्छयं अंतो अणुपविसंति, अणुपविसित्ता तत्थ णं दो पुढे परियागए जाव पासित्ता अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमे वणमऊरीअंडए साणं जाइमंताणं कुक्कुडियाणं अंडएसु य पक्खिवावित्तए | तए णं ताओ जातिमंताओ कुक्कुडियाओ एए अंडए सए य अंडए सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणीओ संगोवेमाणीओ विहरिस्संति। तए णं अम्हं एत्थ दो कीलावणगा मऊरी-पोयगा भविस्संति त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता सए सए दासचेडे सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी-'गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! इमे अंडए गहाय सयाणं जाइमंताणं कुक्कुडीणं अंडएसु पक्खिवह; जाव ते वि पक्खिवेंति । तए णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुभवमाणा विहरित्ता तमेव जाणं दुरूढा समाणा जेणेव चंपाणयरी जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता देवदत्ताए गिहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता देवदत्ताए गणियाए विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति, दलइत्ता सक्कारेंति, सक्कारित्ता सम्माणेति, सम्माणित्ता देवदत्ताए गिहाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सयाइं गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था । तए णं जे से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए से णं कल्लं जाव जलंते जेणेव से वणमयूरीअंडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तंसि मयूरी-अंडयंसि संकिए कंखिए विइगिच्छासमावण्णे भेयसमावण्णे कलुससमावण्णे-किं प्रणं ममं एत्थ कीलावणएमऊरीपोयए भविस्सइ, उदाहु णो भविस्सइ? त्ति कट्ट तं मऊरीअंडयं अभिक्खणंअभिक्खणं उव्वत्तेइ, परियत्तेइ, आसारेइ, संसारेइ, चालेइ, फंदेइ, घट्टेइ, खोभेइ, अभिक्खणं- अभिक्खणं कण्णमूलंसि टिट्टियावेइ । तए णं से मउरीअंडए अभिक्खणं अभिक्खणं उव्वत्तिज्जमाणे जाव टिट्टियावेज्जमाणे पोच्चडे जाए यावि होत्था। तए णं से सागरदत्तपत्ते सत्थवाहदारए अण्णया कयाइं जेणेव से मऊरीअंडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं मऊरीअंडयं पोच्चडमेव पासइ, पासित्ता 'अहो णं ममं एस कीलावणए ण जाइ' ति कट्ट ओहयमणसंकप्पे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्झाणोवगए झियाइ । Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा आयरिय - उवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंचमहव्वएस्, छज्जीवणिकाएस् णिग्गंथे पावयणे संकिए जाव कलुससमावण्णे से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाण य हीलणिज्जे णिंदणिज्जे खिसणिज्जे गरिहणिज्जे परिभवणिज्जे | परलोए वि य णं आगच्छइ बहूणि दंडणाणि य जाव अणुपरियट्टिस्सइ । तए णं से जिणदत्तपत्ते जेणेव से मऊरीअंडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तंसि मऊरीअंडयंसि णिस्संकिए, सुवत्तए णं मम एत्थ कीलावणए मऊरी-पोयए भविस्सइ त्ति कट्ट तं मऊरी-अंडयं अभिक्खणं-अभिक्खणं णो उव्वत्तेइ जाव णो टिट्टियावेइ । १८ तए णं से मऊरी-अंडए अणुव्वत्तिज्जमाणे जाव अटिट्टियाविज्जमाणे तेणं काले णं तेणं समएणं उब्भिण्णे मयूरी-पोयए एत्थ जाए । तए णं से जिणदत्तपत्ते तं मऊरी-पोययं पासइ, पासित्ता हद्वतुढे मऊर-पोसए सद्दावेइ। सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमं मऊरपोययं बहूहिं मऊरपोसणपाउठगेहिं दव्वेहिं अणुपुव्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवड्ढेह, णटुल्लगं च सिक्खावेह । तए णं ते मऊरपोसगा जिणदत्तस्स पुत्तस्स एयमद्वं पडिसुणेति, तं मऊर-पोययं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति, तं मऊर-पोयगं जाव णडल्लगं सिक्खावेंति | तए णं से मऊर-पोयए उम्मुक्कबालभावे विण्णाय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुपत्ते लक्खणवंजण-गुणोववेए माणुम्माण-पमाणपडिपुण्णपक्ख-पेहणकलावे विचित्तपिच्छ-सयचंदए णीलकंठए णच्चणसीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए अणेगाइं णडल्लगसयाई केकाइयसयाणि य करेमाणे विहरइ । तए णं ते मऊर-पोसगा तं मयूर-पोयगं उम्मुक्कबालभावं जाव केकाइय सयाणि य करेमाणं पासित्ता तं मऊर-पोयगं गेण्हंति, गेण्हित्ता जिणदत्त-पुत्तस्स उवणेति । तए णं से जिणदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए मऊर-पोयगं उम्मुक्कबालभावं जाव केकाइयसयाणि य करेमाणं पासित्ता हद्वतुढे तेसिं विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं से मऊर-पोयए जिणदत्तपत्तेणं एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए णंगोला भंगसिरोधरे सेयावंगे ओयारिय-पइण्ण-पक्खे उक्खित्त-चंदकाइय-कलावे केक्काइयसयाणि मुच्चमाणे णच्चइ । तए णं से जिणदत्तपत्ते तेणं मयूर-पोयएणं चंपाए णयरीए सिंघाडग जाव पहेसु सइएहिं य साहस्सिएहिं य सयसाहस्सिएहिं य पणिएहिं य जयं करेमाणे विहरइ। २२ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा पव्वइए समाणे पंचसु महव्वएस, छसु जीवणिकाएसु, णिग्गंथे पावयणे य णिस्संकिए णिक्कंखिए णिव्वितिगिच्छे, से णं इह भवे बहूणं समणाणं समणीणं जाव वीइवइस्सइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव णायाणं तच्चस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते | ॥त्ति बेमि॥ ॥ तइअं अज्झयणं समत्त || चउत्थ अज्झयणं कुम्मे जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं तच्चस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, चउत्थस्स णं णायझयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी णामं णयरी होत्था, वण्णओ | तीसे णं वाणारसीए णयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसिभागे गंगाए महाणईए मयंगतीरद्दहे णामं दहे होत्था-अणुपुव्वसुजायवप्प-गंभीरसीयलजले अच्छ-विमल-सलिल-पलिच्छण्णे संछण्णपत्त-पुप्फ-पलासे-बहुउप्पल-पउम-कुमुय-णलिण-सुभग-सोगंधिय-पुंडरीय-महापुंडरीय-सयपत्तसहस्सपत्त- केसर-पुप्फोवचिए पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ णं बहूणं मच्छाण य कच्छभाण य गाहाण य मगराण य सुंसमाराण य सयाणि य सहस्साणि य सयसहस्साणि य जूहाइं णिब्भयाइं णिरुव्विग्गाइं सुहंसुहेणं अभिरममाणाई अभिरममाणाई विहरंति | तस्स णं मयंगतीरद्दहस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महं एगे मालयाकच्छए होत्था, वण्णओ | तत्थ णं दुवे पावसियालगा परिवसंति- पावा चंडा रोद्दा तल्लिच्छू साहसिया लोहियपाणी आमिसत्थी आमिसाहारा आमिसप्पिया आमिसलोला आमिसं गवेसमाणा रत्तिं वियालचारिणो दिया पच्छण्णं चावि चिट्ठति । तए णं ताओ मयंगतीरद्दहाओ अण्णया कयाइं सूरियंसि चिरत्थमियंसि लुलियाए संझाए पविरलमाणुसंसि णिसंतपडिणिसंतंसि समाणंसि दुवे कुम्मगा आहारत्थी आहारं गवसमाणा सणियं-सणियं उत्तरंति, तस्सेव मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं सव्वओ समंता परिघोलेमाणा परिघोलेमाणा वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति । Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा | छ तयाणंतरं च णं ते पावसियालगा आहारत्थी जाव आहारं गवेसमाणा मालुया- कच्छयाओ पडिणिक्खमित्ता जेणेव मयंगतीरद्दहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तस्सेव मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं परिघोलेमाणा परिघोलेमाणा वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति । तए णं ते पावसियाला ते कुम्मए पासंति, पासित्ता जेणेव ते कुम्मए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ७ तए णं ते कम्मगा ते पावसियालए एज्जमाणे पासंति, पासित्ता भीया तत्था तसिया उव्विग्गा संजायभया हत्थे य पाए य गीवाओ य सरहिं-सएहिं काएहिं साहरंति, साहरित्ता णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति । तए णं ते पावसियालया जेणेव ते कुम्मगा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ते कुम्मगा सव्वओ समंता उव्वत्तेंति, परियत्तेंति, आसारेंति, संसारेंति, चालेंति, घट्टेति, फंदेंति, खोभेति, णहेहिं आलूपंति, दंतेहिं च अक्खोडेंति, णो चेव णं संचाएंति तेसिं कुम्मगाणं सरीरस्स आबाहं वा, पबाहं वा, वाबाहं वा उप्पाएत्तए छविच्छेयं वा करेत्तए | तए णं ते पावसियालया एए कम्मए दोच्चं पि तच्चपि सव्वओ समंता उव्वत्तेंति जाव दंतेहिं च अक्खोडेंति णो चेव णं संचाएंति जाव छविच्छेयं वा करेत्तए, ताहे संता तंता परितंता णिव्विण्णा समाणा सणियं-सणियं पच्चोसक्कंति, एगंतमवक्कमंति, णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति । तए णं एगे कुम्मए ते पावसियालए चिरंगए दूरंगए जाणित्ता सणियं सणियं एगं पायं णिच्छुभइ । तए णं ते पावसियालया तेणं कुम्मएणं सणियं-सणियं एगं पायं णीणियं पासंति, पासित्ता ताए उक्किट्ठाए गईए सिग्धं चवलं तुरियं चंडं जइणं वेगियं जेणेव से कुम्मए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तस्स णं कुम्मगस्स तं पायं णखेहिं आलुपंति, दंतेहिं अक्खोडेंति, तओ पच्छा मंसं च सोणियं च आहारेंति, आहारित्ता तं कम्मगं सव्वओ समंता उव्वत्तेति जाव दंतेहिं य अक्खोडेंति जाव णो चेव णं संचाएंति तस्स किंचि आबाहं वा जाव छविच्छेयं वा करेत्तए | ताहे दोच्चं पि अवक्कमति । एवं चत्तारि वि पाया । तओ णं सणियं सणियं गीवं णीणेइ । तए णं ते पावसियालया तेणं कम्मएणं गीवं णीणियं पासंति, पासित्ता ताए उक्किट्ठाए गईए सिग्घं जाव णहेहिं दंतेहिं कवालं विहाति, विहाडित्ता तं कुम्मगं जीवियाओ ववरोति, ववरोवित्ता मंसं च सोणियं च आहारेंति | एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंच य से इंदियाइं अगुत्ताइं भवंति, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं साविगाणं हीलणिज्जे, परलोए वि य णं आगच्छइ बहूणि दंडणाणि जाव अणुपरियट्टइ, जहा व से कुम्मए अगुत्तिंदिए । तए णं ते पावसियालया जेणेव से दोच्चए कुम्मए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं कुम्मयं सव्वओ समंता उव्वत्तेति जाव दंतेहिं अक्खोडंति । णो चेव णं तस्स किंचि आबाहं वा जाव छविच्छेयं वा करित्तए | तए णं ते पावसियालया दोच्चं पि तच्चं पि जाव णो संचाएंति तस्स कम्मगस्स किंचि आबाहं वा पवाहं विबाहं वा उप्पाएत्तए, छविच्छेयं वा करित्तए, ताहे संता तंता परितंता णिव्विण्णा समाणा जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं से कुम्मए ते पावसियालए चिरंगए दूरंगए जाणित्ता सणियं-सणियं गीवं णीणेइ, णीणेत्ता दिसावलोयं करेइ, करित्ता जमगसमगं चत्तारि वि पाए णीणेइ, णीणेत्ता ताए उक्किट्ठाए कम्मगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव मयंगतीरद्दहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सद्धिं अभिसमण्णागए यावि होत्था। एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा समणी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंच से इंदियाइं गुत्ताइं भवंति जाव से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाण य अच्चणिज्जे वंदणिज्जे णमंसणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएण पज्जुवासणिज्जे भवइ । परलोए वि य णं णो बहुणि हत्थछेयणाणि य कण्णच्छेयणाणि य णासाछेयणाणि य हिययउप्पाडणाणि य वसणुप्पाडणाणि य उल्लंबणाणि य पाविहिइ । पुणो अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं वीइवइस्सइ; जहा व से कुम्मए गुत्तिंदिए । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्थस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि || १४ || चउत्थं अज्झयणं समत्त || Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पंचम अज्झयणं सेलगे जड़ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्थस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, पंचमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवई णाम णयरी होत्था, पाईणपडीणायया उदीणदाहिणवित्थिण्णा णवजोयणवित्थिण्णा द्वालसजोयणायामा धणवइमइणिम्मिया चामीयर-पवर-पायारा णाणामणि-पंचवण्ण-कवि-सीसग-सोहिया अलकापुरि-संकासा पमुइयपक्कीलिया पच्चक्खं देवलोगभूया | तीसे णं बारवईए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए रेवतए णाम पव्वए होत्या- तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे णाणाविहगुच्छ-गुम्म-लया-वल्लि-परिगए हंस-मिग मऊर-कोंचसारस-चक्कवाय-मयणसाल-कोइलकुलोववेए अणेग-तडाग-कडग वियर-उज्झरय- पवायपब्भार-सिहर-पउरे अच्छरगण-देवसंघ-चारण-विज्जाहर-मिहणसंविचिण्णे णिच्चच्छणए दसारवर वीरपुरिसतेलोक्क -बलवगाणं सोमे सुभगे पियदंसणे सुरूवे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तस्स णं रेवयगस्स अदूरसामंते, एत्थ णं णंदणवणे णामं उज्जाणे होत्था सव्वोउय- पुप्फफल-समिद्धे रम्मे णंदणवणप्पगासे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तस्स णं उज्जाणस्स बहुमज्झभागे सुरप्पिए णामं जक्खाययणे होत्था- दिव्वे, वण्णओ। तत्थ णं बारवईए णयरीए कण्हे णामं वासुदेवे राया परिवसइ । से णं तत्थ समुद्दविजयपामोक्खाणं दसण्हं दसाराणं, बलदेव-पामोक्खाणं पंचण्हं महावीराणं, उग्गसेण- पामोक्खाणं सोलसण्हं राईसहस्साणं पज्जुण्ण-पामोक्खाणं अछुट्टाणं कुमारकोडीणं, संब- पामोक्खाणं सट्ठीए दुइंतसाहस्सीणं, वीरसेण-पामोक्खाणं एक्कवीसाए वीरसाहस्सीणं, महासेणपामोक्खाणं छप्पण्णाए बलवगसाहस्सीणं, रुप्पिणीपामोक्खाणं बत्तीसाए महिला-साहस्सीणं, अणंगसेणा- पामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं अण्णेसिं च बहूणं ईसर- तलवर जाव सत्थवाह- पभिईणं वेयड्ढगिरि-सायर-पेरंतस्स य दाहिणढ-भरहस्स, बारवईए य णयरीए आहेवच्चं जाव पालेमाणं विहरइ । Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा E तत्थ णं बारवईए णयरीए थावच्चा णामं गाहावइणी परिवसइ- अड्ढा जाव अपरिभूया। तीसे णं थावच्चए गाहावइणीए पुत्ते थावच्चापुत्ते णामं सत्थवाहदारए होत्था सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे । तए णं सा थावच्चा गाहावइणी तं दारयं साइरेगअट्ठवासजायगं जाणित्ता सोहणंसि तिहिकरण-णक्खत्त-मुहत्तंसि कलायरियस्स उवणेइ जाव अलं भोगसमत्थं जाणित्ता बत्तीसाए इब्भकलबालियाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेइ । बत्तीसाओ दाओ जाव बत्तीसाए इब्भकुलबालियाहिं सद्धिं विउले सद्द-फरिस-रस-रूव-वण्ण-गंधे जाव भुंजमाणे विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिद्वणेमी आइगरे तित्थयरे जाव दसधणुस्सेहे णीलुप्पलगवलगुलिय-अयसिकुसुमप्पगासे, अट्ठारसहिं समणसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुड़े चत्तालीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दुइज्जमाणे जेणेव बारवई णयरी, जेणेव रेवयगपव्वए, जेणेव णंदणवणे उज्जाणे, जेणेव सुरप्पियस्स जक्खस्स जक्खाययणे, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ। तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लद्धढे समाणे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसियं गंभीरं महुरसई कोमुइयं भेरिं तालेह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठ जाव मत्थए अंजलिं कट्ट- “एवं सामी ! तह त्ति" जाव पडिसुणेति, पडिसुणित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सभा सुहम्मा, जेणेव कोमुइया भेरी, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं मेघोघरसियं गंभीरं महरसदं कोमुइयं भेरि तालेति । तओ णिद्ध-महुर-गंभीरपडिसुएणं पिव सारइएणं बलाहएणं अणुरसियं भेरीए | तए णं तीसे कोमुइयाए भेरीयाए तालियाए समाणीए बारवईए णयरीए णवजोयणवित्थिण्णाए दुवालसजोयणायामाए सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-कंदर-दरी-विवर-कुहरगिरिसिहर-णगरगोउर-पासाय-दुवार-भवण-देउल-पडिसुया-सय-सहस्ससंकुलं सदं करेमाणे बारवई णयरिं सब्भितरबाहिरियं सव्वओ समंता सद्दे विप्पसरित्था । ११ तए णं बारवईए णयरीए णवजोयणवित्थिण्णाए बारसजोयणायामाए समद्दविजय- पामोक्खा दस दसारा जाव गणियासहस्साई कोमुइयाए भेरीए सई सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठा बहाया जाव आविद्ध-वग्घारिय-मल्लदाम-कलावा अहयवत्थ-चंदणोकिण्णगायसरीरा अप्पेगइया 62 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा हयगया अप्पेगया गयगया एवं रह-सीया-संदमाणीगया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंतियं पाउब्भवित्था । तए णं कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे जाव अंतियं पाउब्भवमाणे पासित्ता हट्ठ-तुट्ठ जाव कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरंगिणिं सेणं सज्जेह, विजयं च गंधहत्थिं उवट्ठवेह । ते वि तह त्ति जाव उवट्ठति । तएणं कण्हे वासुदेवे बहाए जाव पज्जुवासइ । थावच्चापुत्ते वि णिग्गए । जहा मेहे तहेव धम्म सोच्चा णिसम्म जेणेव थावच्चा गाहावइणी तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता, पायग्गहणं करेइ । जहा मेहस्स तहा चेव णिवेयणा । तएणं तं थावच्चापुत्तं थावच्चा गाहावइणी, जाहे णो संचाएइ बहूहिं विसयाणुलोमाहिं च विसयपडिकूलाहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा सण्णवित्तए वा विण्णवित्तए वा, ताहे अकामिया चेव थावच्चापुत्तदारगस्स णिक्खमणमणुमण्णित्था । तए णं सा थावच्चा गाहावइणी आसणाओ अब्भुढेइ, अब्भुद्वित्ता महत्थं महग्घं महरिहं रायारिहं पाहुडं गेण्हइ, गेण्हित्ता मित्त-णाइ जाव सद्धिं संपरिवुडा जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स भवणवर-पडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पडिहारदेसिएणं मग्गेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वदावेइ, वद्धावित्ता तं महत्थं महग्धं महरिहं रायारिहं पाहुडं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! मम एगे पुत्ते थावच्चापुत्ते णामं दारए इढे जाव से णं संसारभयउव्विग्गे भीए; इच्छइ अरहओ अरिट्ठणेमिस्स जाव पव्वइत्तए | अहं णं णिक्खमणसक्कारं करेमि । इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्तस्स णिक्खममाणस्स छत्तमउडचामराओ य विदिण्णाओ । तए णं कण्हे वासुदेवे थावच्चा गाहावइणिं एवं वयासी- अच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिए ! सुणिव्वुया वीसत्था, अहं णं सयमेव थावच्चापुत्तस्स दारगस्स णिक्खमण- सक्कारं करिस्सामि । तए णं से कण्हे वासुदेवे चाउरंगिणीए सेणाए विजयं हत्थिरयणं दुरुढे समाणे जेणेव थावच्चाए गाहावइणीए भवणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थावच्चापुत्तं एवं वयासी Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा मा णं तुमे देवाणुप्पिया ! मुंडे भवित्ता पव्वयाहि, भंजाहि णं देवाणुप्पिया ! विउले माणुस्सए कामभोए मम बाहच्छाया-परिग्गहिए, केवलं देवाणुप्पियस्स अहं णो संचाएमि वाउकायं उवरिमेणं गच्छमाणं णिवारित्तए । अण्णे णं देवाणुप्पियस्स जं किंचि वि आबाहं वा विबाहं वा उप्पाएइ, तं सव्वं णिवारेमि | तए णं से थावच्चापुत्ते कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- जड़ णं तुमं देवाणुप्पिया ! मम जीवियंतकरणं मच्चु एज्जमाणं णिवारेसि, जरं वा सरीररूवविणासिणिं सरीरं अइवयमाणिं णिवारेसि, तए णं अहं तव बाहुच्छायापरिग्गहिए विउले माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे विहरामि । तए णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे थावच्चापुत्तं एवं वयासी- एए णं देवाणुप्पिया ! दुरइक्कमणिज्जा, णो खलु सक्का सुबलिएणावि देवेण वा दाणवेण वा णिवारित्तए, णण्णत्थ अप्पणो कम्मक्खएणं । तए णं से थावच्चापुत्ते कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- जइ णं एए दुरइक्कमणिज्जा, जाव अप्पणो कम्मक्खएणं; तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! अण्णाण-मिच्छत्त-अविरइ- कसायसंचियस्स अत्तणो कम्मक्खयं करित्तए । तए णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं देवाणुप्पिया ! बारवईए णयरीए सिंघाडग-तिय-चउक्कचच्चर-महापह-पहेसु हत्थिखंधवरगया महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा उग्घोसणं करेह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्ते संसारभउव्विग्गे भीए जम्मणजरमरणाणं, इच्छइ अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए, तं जो खलु देवाणुप्पिया! राया वा, जुवराया वा, देवी वा, कुमारे वा, ईसरे वा, तलवरे वा, कोडुंबिय-माइंबिय-इब्भ- सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहे वा थावच्चापुत्तं पव्वयंतमणुपव्वयइ, तस्स णं कण्हे वासुदेवे अणुजाणाइ; पच्छाउरस्स वि य से मित्त-णाइ-णियग-संबंधि-परिजणस्स जोगक्खेमं वट्टमाणी पडिवहइ त्ति कट्ट घोसणं घोसेह जाव घोसंति । तए णं थावच्चापुत्तस्स अणुराएणं पुरिससहस्सं णिक्खमणाभिमुहं पहायं जाव सव्वालंकारविभूसियं पत्तेयं-पत्तेयं पुरिससहस्सवाहिणीसु सिवियासु दुरूढं समाणं मित्तणाइ जाव परिवुडं थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भूयं । तए णं से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्सं अंतियं पाउब्भवमाणं पासइ, पासित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- जहा मेहस्स णिक्खमणाभिसेओ तहेव सेयापीएहिं कलसेहिं २१ 64 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ण्हावेइ जाव अरहओ अरिडणेमिस्स छत्ताइछत्तं पड़ागाइपडागं विज्जाहरचारणे जंभए य देवे पासइ, पासित्ता सिवियाओ पच्चोरुहइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तं पुरओ काउं जेणेव अरिहा अरिट्ठणेमी, सव्वं तं चेव जाव सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ । तए णं से थावच्चा गाहावइणी हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरण-मल्लालंकारं पडिच्छइ, हार-वारिधार-सिंधुवार-छिण्ण- मुत्तावलिपगासाई अंसूणि विणिम्मुयमाणी- विणिम्मुयमाणी एवं वयासी- जइयव्वं जाया ! घडियव्वं जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! अस्सिं च णं अढे णो पमाएयव्वं जाव जामेव दिसिं पाउब्भया तामेव दिसिं पडिगया । २३ २४ तए णं से थावच्चापुत्ते पुरिससहस्सेहिं सद्धिं सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ जाव पव्वइए | तए णं से थावच्चापुत्ते अणगारे जाए- इरियासमिए भासासमिए जाव विहरइ । तए णं से थावच्चापुत्ते अरहओ अरिडणेमिस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइय- माइयाइं चोद्दसपुव्वाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बूहहिं चउत्थ जाव विहरइ । तए णं अरिहा अरिद्वणेमी थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स तं इब्भाइयं अणगारसहस्सं सीसत्ताए दलयइ । तए णं से थावच्चापुत्ते अणगारे अण्णया कयाइं अरहं अरिहणेमि वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे सहस्सेणं अणगाराणं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया । तए णं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सेलगपुरे णामं णयरे होत्था | सुभूमिभागे उज्जाणे। सेलए राया। पउमावई देवी । मंडुए कुमारे जुवराया । तस्स णं सेलगस्स पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया होत्था- उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मजाए पारिणामियाए चउव्विहाए बुद्धीए उववेया, रज्जधुर-चिंतया यावि होत्था । तए णं थावच्चापुत्ते अणगारे सेलगपुरे समोसढे । सेलए वि राया विणिग्गए । धम्मो कहिओ | धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठा जाव वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं जाव जहा णं देवाणप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा जाव चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइया, तहा णं अहं णो संचाएमि पव्वइत्तए | तओ णं अहं देवाणप्पियाणं अंतिए पंचणव्वइयं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामि जाव समणोवासए जाए- अहिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ | पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया य समणोवासया जाया । थावच्चापुत्ते बहिया जणवयविहारं विहरइ । Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तेणं कालेणं तेणं समएणं सोगंधिया णामं णयरी होत्था, वण्णओ | णीलासोए उज्जाणे, वण्णओ | तत्थ णं सोगंधियाए णयरीए सुदंसणे णामं णगरसेट्ठी परिवसइ- अड्ढे जाव अपरिभूए । तेणं कालेणं तेणं समएणं सुए णामं परिव्वायए होत्था- रिउव्वेय-जजुव्वेय-सामवेयअथव्वणवेय-सद्वितंतकुसले संखसमए लद्धढे पंचजम-पंचणियमजुत्तं सोयमूलयं दसप्पयारं परिव्वायगधम्म दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च आघवेमाणे पण्णवेमाणे धाउरत्त- वत्थ-पवर-परिहिए तिदंड-कुंडिय-छत्त-छण्णालय-अंकुस-पवित्तिय-केसरीहत्थगए परिव्वायग- सहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव सोगंधिया णयरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता परिव्वायगावसहंसि भंडगणिक्खेवं करेड, करित्ता संखसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं सोगंधियाए णयरीए सिंघाडग जाव बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खड्- एवं खलु सुए परिव्वायए इह हव्वमागए जाव विहरइ । परिसा णिग्गया । सुदंसणो वि णिग्गओ | तए णं से सुए परिव्वायए तीसे परिसाए, सुदंसणस्स य अण्णेसिं च बहूणं संखाणं धम्म परिकहेइ- एवं खलु सुदंसणा ! अम्हं सोयमूलए धम्मे पण्णत्ते । से वि य सोए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वसोए य भावसोए य | दव्वसोए य उदएणं मट्टियाए य | भावसोए दब्भेहिं य मंतेहिं य । जं णं अम्हं देवाणुप्पिया ! किंचि असुई भवइ तं सव्वं सज्जो पुढवीए आलिप्पड़, तओ पच्छा सुद्धेण वारिणा पक्खालिज्जइ, तओ तं असुई सुई भवइ । एवं खलु जीवा जलाभिसेय-पूयप्पाणो अविग्घेणं सग्गं गच्छंति । तए णं से सुदंसणे सुयस्स अंतिए धम्म सोच्चा हट्टे, सुयस्स अंतियं सोयमूलयं धम्म गेण्हइ, गेण्हित्ता परिव्वायए विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणं संखसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से सुए परिव्वायए सोगंधियाओ णयरीओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं थावच्चापुत्तस्स समोसरणं, परिसा णिग्गया । सुदंसणो वि णिग्गओ। थावच्चापुत्तं वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- तुम्हाणं किंमूलए धम्मे पण्णत्ते ? तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणेणं एवं वुत्ते समाणे सुदंसणं एवं वयासी- सुदंसणा ! अम्हाणं विणयमले धम्मे पण्णत्ते । से वि य विणए दविहे पण्णत्ते. तंजहा- अगारविणए य अणगारविणए य । तत्थ णं जे से अगारविणए से णं पंच अणुव्वयाइं, सत्तसिक्खावयाई, एक्कारस उवासगपडिमाओ | तत्थ णं जे से अणगारविणए से णं पंच महव्वयाई, तंजहा Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ ३५ ज्ञाताधर्मकथा सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं, सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं, सव्वाओ राइभोयणाओ वेरमणं जाव सव्वाओ मिच्छादंसणसल्लाओ वेरमणं, दसविहे पच्चक्खाणे, बारस भिक्खुपडिमाओ, इच्चेणं दुविहेणं विणयमूलएणं धम्मेणं जीवा अणुपुवेण अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता लोयग्गपइट्ठाणा भवति । तणं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी- तुब्भे णं सुदंसणा ! किंमूल धम्मे पण्णत्ते ? अम्हाणं देवाणुप्पिया ! सोयमूले धम्मे पण्णत्ते जाव सग्गं गच्छति । तए णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वयासी- सुदंसणा ! जहाणामए केई पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेज्जा तए णं सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स रुहिरेण चेव पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि काइ सोही ? णो इणट्ठे समट्ठे । एवामेव सुदंसणा ! तुब्भं पि पाणाइवाएण जाव मिच्छादंसण- सल्लेणं णत्थि सोही, जहा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं चेव पक्खालिज्जमाणस्स णत्थि सोही । सुदंसणा ! से जहाणामए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं सज्जियाखारेणं अणुलिंपइ, अणुलिंपित्ता पयणं आरुहेइ, आरुहित्ता उन्हं गाहेइ, गाहित्ता तओ पच्छा सुद्धेणं वारिणा धोवेज्जा से णूणं सुदंसणा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स सज्जियाखारेणं अणुलित्तस्स पयणं आरुहियस्स उण्हं गाहियस्स सुद्धेणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स सोही भवइ ? हंता भवइ । एवामेव सुदंसणा ! अम्हं पि पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छा - दंसण- सल्ल-वेरमणेणं अत्थि सोही, जहा वि तस्सरुहिरकयस्स वत्थस्स जाव सुद्धेणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि सोही । तत्थ णं सुदंसणे संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अंतिए धम्मं सोच्चा जाणित्तए । तएणं थावच्चापुत्ते अणगारे सुदंसणस्स, तीसे य महइ-महालियाए परिसाए धम्मं कहेइ जाव समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ | तए णं तस्स सुयस्स परिव्वायगस्स इमीसे कहाए लद्धट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे जाव सज्जित्था एवं खलु सुदंसणेणं सोयधम्मं विप्पजहाय विणयमूले धम्मे पडिवणे, तं सेयं खलु मम सुदंसणस्स दिट्ठि वामेत्तए पुणरवि सोयमूलए धम्मे आघवित्तए त्ति क एवं संपेहेइ, संपेहित्ता परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं जेणेव सोगंधिया णयरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता परिव्वायगावसहंसि भंडणिक्खेवं करेइ, 67 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ ३६ तए णं सुदंसणे तं सुयं परिव्वायग एज्जमाणं पासइ, पासित्ता णो अब्भुट्ठेइ, णो पच्चुग्गच्छइ, णो आढाइ, णो परियाणाइ, णो वंदइ, तुसिणीए संचिट्ठइ । ३८ |३९| ४० ४१ ज्ञाताधर्मकथा ४२ करित्ता धाउरत्त-वत्थ-परिहिए पविरल-परिव्वायगेणं सद्धिं संपरिवुडे परिव्वायगावसहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सोगंधियाए णयरीए मज्झमज्झेणं जेणेव सुदंसणस्स गिहे जेणेव सुदंसणे तेणेव उवागच्छइ । तए णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं अणब्भुट्ठियं पासित्ता एवं वयासी- तुमं णं सुदंसणा ! अण्णया ममं एज्जमाणं पासित्ता अब्भुट्ठेसि जाव वंदसि, इयाणिं सुदंसणा ! तुमं मं एज्जमाणं पासित्ता जाव णो वंदसि, तं कस्स णं तुमे सुदंसणा ! इमेयावे विणयमूलधम्मे पडिवण्णे ? तए णं से सुदंसणे सुएणं परिव्वायएणं एवं वुत्ते समाणे आसणाओ अब्भुट्ठे, अब् करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु सुयं परिव्वायगं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतेवासी थावच्चापुत्ते णामं अणगारे जाव इहमागए, इह चेव णीलासोए उज्जाणे विहरइ । तस्स णं अंतिए अहं विणयमूले धम्मे पडिवणे । तए णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं एवं वयासी- तं गच्छामो णं सुदंसणा ! तव धम्मायरियस्स थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामो, इमाई च णं एयारूयाइं अट्ठाइं हेऊइं पसिणाइं कारणाइं वागरणाई पुच्छामो । तं जइ णं मे से इमाइं अट्ठाई जाव वागरे, णं अहं वंदामि णमंसामि । अह मे से इमाइं अट्ठाई जाव णो वागरेइ, तए णं अहं एएहिं चेव अट्ठेहिं हेऊहिं णिप्पट्ठ-पसिणवागरणं करिस्सामि । तए णं से सुए परिव्वायगसहस्सेणं सुदंसणेण य सेट्ठिणा सद्धिं जेणेव णीलासोए उज्जाणे जेणेव थावच्चापुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थावच्चापुत्तं एवं वयासीजत्ता ते भंते ! जवणिज्जं ते भंते! अव्वाबाहं ते भंते ! फासुयविहारं ते भंते ? सुया ! जत्ता वि मे, जवणिज्जं पि मे, अव्वाबाहं पि मे, फासुयविहारं पि मे । से किं ते भंते ! जत्ता ? सुया ! जं मे तव-नियम-संजम झाणावस्सयमाइएस जोगेसु जयणा, से तं जत्ता । सज्झाय से किं ते भंते ! जवणिज्जं ? सुया ! जवणिज्जे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- इंदियजवणिज्जे य णोइंदिय - जवणिज्जे य । से किं तं इंदियजवणिज्जे ? सुया ! इंदिय - जवणिज्जे- जं मे सोइंदिय चक्खिंदिय-घाणिंदियजिब्भिंदिय-फासिंदियाइं णिरुवहयाइं वसे वट्टंति । से तं इंदिय - जवणिज्जे । 68 Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४३ से किं तं णोइंदियजवणिज्जे ? सुया ! णोइंदियजवणिज्जे- जं मे कोह- माण-माया- लोभा वोच्छिण्णा, णो उदीरेंति, से तं णोइंदिय-जवणिज्जे । से तं जवणिज्जे । से किं ते भंते ! अव्वाबाहं ? स्या ! जं मे वाइय-पित्तिय -सिभिय -सण्णिवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसंता, णो उदीरेंति । से तं अव्वाबाहं । से किं ते भंते ! फासुयविहारं ? सुया ! जण्णं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थी-पसु-पंडग- विवज्जियासु वसहीसु फासु-एसणिज्जं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं उवसंपज्जित्ता णं विहरामि, से तं फासुयविहारं । सरसिवा ते भंते ! किं भक्खेया, अभक्खेया ? सुया ! सरिसवा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि | से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- सरिसवा ते भक्खेया वि अभक्खेया वि ? से णूणं ते सुया ! बंभण्णएसु णएसु दुविहा सरिसवा पण्णत्ता, तं जहा- मित्तसरिसवा य धण्णसरिसवा य । तत्थ णं जे ते मित्तसरिसवा ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- सहजायया, सहवडढियया, सहपंसकीलिययाः ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते धण्णसरिसवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य; तत्थ णं जे ते असत्थपरिणया ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते सत्थपरिणया ते विहा पण्णत्ता, तं जहा- एसणिज्जा य अणेसणिज्जा य । तत्थ णं जे ते अणेसणिज्जा ते समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते एसणिज्जा ते विहा पण्णत्ता, तं जहा- जाइया य अजाइया य । तत्थ णं ते अजाइया ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जे ते जाइया ते विहा पण्णत्ता, तं जहा- लद्धा य अलद्धा य। तत्थ णं जे ते अलद्धा ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया | तत्थ णं जे ते लद्धा ते णं समणाणं णिग्गंथाणं भक्खेया, से तेणटेणं सय एवं वच्चइ जाव अभक्खेया वि | मासा ते भंते ! किं भक्खेया, अभक्खेया ? सुया ! मासा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि | से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अभक्खेया वि ? से णूणं ते सुया ! बंभण्णएसु णएसु दुविहा मासा पण्णत्ता, तं जहा- दव्वमासा य कालमासा य । तत्थ णं जे ते कालमासा ते णं सावणाईया आसाढपज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता, तं जहा- सावणे, भद्दवए, आसोए, कत्तिए, मग्गसिरे, पोसे, माहे, फग्गुणे, चित्ते, वइसाहे, जेट्ठामूले, आसाढे; ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते दव्वमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- अत्थमासा य धण्णमासा य । तत्थ णं जे ते Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सुवण्णमासा य रुप्पमासा य, ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते धण्णमासा दुविहा पण्णत्ता, तं जहासत्थपरिणया य असत्थपरिणया य, एवं जहा धण्णसरिसवा जाव से तेणटेणं सुया ! जाव अभक्खेया वि | कुलत्था ते भंते ! किं भक्खेया, अभक्खेया ? सुया ! कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि । से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अभक्खेया वि ? से णूणं सुया! ते बंभण्णएसु णएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, तं जहा- इत्थिकुलत्था य धण्णकुलत्था य । तत्थ णं जे ते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- कुलकण्णया इ वा, कुलबहुया इ वा, कुलमाउया इ वा, ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जे ते धण्णकुलत्था, एवं जहा धण्णसरिसवा जाव से तेणटेणं सुया! जाव अभक्खेया वि। से णूणं भंते ! एगे भवं, दुवे भवं, अक्खए भवं, अव्वए भवं, अवट्ठिए भवं, अणेगभूयभावभविए भवं ? सुया ! एगे वि अहं जाव अणेगभूयभाव-भविए वि अहं। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अणेगभूयभाव-भविए वि अहं ? सुया ! दव्वट्ठयाए एगे वि अहं, णाणदंसणट्ठयाए दुवे वि अहं, पएसट्ठयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवओगट्ठयाए अणेगभूयभावभविए वि अहं। से तेणद्वेणं स्या ! जाव अणेगभूयभाव-भविए वि अहं । एत्थ णं से सुए संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते! तुब्भे अंतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं णिसामित्तए | धम्मकहा भाणियव्वा। तए णं सुए परिव्वायए थावच्चापुत्तस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तए णं सुए परिव्वायए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे अवक्कमइ अवक्कमित्ता तिदंडयं जाव धाउरत्ताओ य एगंते एडेइ, एडित्ता सयमेव सिहं उप्पाडेइ, उपाडित्ता जेणेव थावच्चापुत्ते जाव पव्वइए। सामाइयमाझ्याई चोद्दसपुव्वाइं अहिज्जइ । तए णं थावच्चापुत्ते सुयस्स अणगारसहस्सं सीसत्ताए वियरइ । Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ५१ तए णं थावच्चापत्ते सोगंधियाओ णयरीओ णीलासोयाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धि संपरिवुडे जेणेव पुंडरीए पव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुंडरीयं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहइ, दुरुहित्ता मेघघणसण्णिगासं देवसण्णिवायं पुढविसिलापट्टयं जाव पाओवगमणं समणुवण्णे । तए णं से थावच्चापुत्ते बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सढि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता जाव केवलवरणाणदंसणे समुप्पाडेत्ता तओ पच्छा सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिणिव्वुड़े सव्वदुक्खप्पहीणे । तए णं सुए अण्णया कयाई जेणेव सेलगपुरे णयरे, जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव समोसरिए | परिसा णिग्गया, सेलओ णिग्गच्छइ । धम्म सोच्चा जं णवरं- देवाणुप्पिया ! पंथगपामोक्खाइं पंच मंतिसयाई आपुच्छामि, मंडुयं च कुमारं रज्जे ठावेमि। तओ पच्छा देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि। अहासुहं देवाणुप्पिया ! ५३ तए णं से सेलए राया सेलगपुरं णयरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव सए गिहे, जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणं सण्णिसण्णे । तए णं से सेलए राया पंथयपामोक्खे पंच मंतिसए सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुयस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए । अहं णं देवाणुप्पिया ! संसारभय-उव्विग्गे जाव पव्वयामि । तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! किं करेह ? किं वसेह ? किं वा ते हियइच्छिए सामत्थे त्ति ? तए णं तं पंथयपामोक्खा सेलगं रायं एवं वयासी- जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! संसारभयउव्विग्गे जाव पव्वयह, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! किमण्णे आहारे वा आलंबे वा? अम्हे वि य णं देवाणुप्पिया ! संसारभय-उव्विगा जाव पव्वयामो । जहा णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अम्हं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य जाव चक्खुभूए तहा णं पव्वइयाण वि समाणाणं बहुसु कज्जेसु य जाव चक्खुभूए | तए णं से सेलए पंथगपामोक्खे पंच मंतिसए एवं वयासी- जइ णं देवाणुप्पिया! तुब्भे संसारभयउव्विगा जाव पव्वयह, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! सएसु सएसु कुटुंबेसु जेडे पुत्ते कुंडुबमज्झे ठावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरुढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह । तहेव जाव पाउब्भवति । ५४ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ५५ तए णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउब्भवमाणाइं पासइ, पासित्ता हहतुढे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मंडुयस्स कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह । एवं जाव अभिसिंचइ जाव राया जाए जाव विहरइ । तए णं से सेलए मंडुयं रायं आपुच्छड़ । तए णं से मंडुए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सेलगपुरं णयरं आसिय जाव गंधवट्टिभयं करेह य कारवेह य, एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं से मंडुए दोच्चं पि कोडुबयपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सेलगस्स रणो महत्थं जाव णिक्खमणाभिसेयं करेह। एवं जहेव मेहस्स तहेव णवरं पउमावई देवी अग्गकेसे पडिच्छइ । सेसं तं चेव जाव पडिग्गहं गहाय सीयं दुरुहंति, जाव पव्वइए जाव सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाइ अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरइ । तए णं से सुए सेलयस्स अणगारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंच अणगारसयाइं सीसत्ताए वियरइ । तए णं से सुए अण्णया कयाइं सेलगपुराओ णगराओ सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । तए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइं तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगाम दुइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव पुंडरीए पव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुंडरीयं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहइ, दुरुहित्ता जाव भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणमणुवण्णे । तए णं से सुए अणगारे बहूणि वासणि सामण्ण-परियायं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सहि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता जाव केवलवरणाणदंसणं समुप्पाडेत्ता तओ पच्छा सिद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे । तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहिं य पंतेहिं य तुच्छेहि य लूहेहिं य अरसेहिं य विरसेहिं य सीएहिं य उण्हेहिं य कालाइक्कंतेहिं य पमाणाइक्कंतेहिं य णिच्चं पाणभोयणेहिं य पयइ-सुकुमालस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया- उज्जला जाव दुरहियासा, कंडुय-दाह-पित्तज्जर-परिगयसरीरे यावि विहरइ । तए णं से सेलए तेणं रोगायंकेणं सुक्के भुक्खे जाए यावि होत्था | Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९ ६० ६१ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से सेलए अण्णया कयाइं पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव विहरइ । परिसा णिग्गया, मंडुओ वि णिग्गओ, सेलयं अणगारं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पज्जुवासइ । तए णं से मंडुए राया सेलयस्स अणगारस्स सरीरयं सुक्कं भुक्खं जाव सव्वाबाहं सरोगं पासइ, पासित्ता एवं वयासी- अहं णं भंते! तुब्भं अहापवित्तेहिं तिगिच्छएहिं अहापवित्तेहिं ओसह-भेसज्जेणं भत्तपाणेणं य तिगिच्छं आउट्टावेमि । तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, फासुयं एसणिज्जं पीढ-फलग-सेज्जा - संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहरह । तए णं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रण्णो एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेइ । तए णं से मंडु सेलयं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । तए णं से सेलए कल्लं जाव जलंते सभंड- मत्तोवगरणमायाय पंथगपामोक्खेहिं पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुरमणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव मंडुयस्स जाणसाला तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता फासुयं पीढ फलग- सेज्जा संथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरइ । तए णं मंडुए राया तिमिच्छए सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! सेलयस्स फासुय-एसणिज्जेणं ओसह-भेसज्ज-भत्त-पाणेणं तेगिच्छं आउट्टेह । तए णं तेगिच्छया मंडुएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा सेलयस्स रायरिसिस्स अहापवित्तेहिं ओसह-भेसज्ज - भत्तपाणेहिं तेगिच्छं आउट्टेति । तए णं तस्स सेलयस्स अहापवित्तेहिं ओसह-भेसज्जे-भत्तपाणेहिं से रोगायंके उवसंते होत्था, हट्ठे जाव बलियसरीरे जाए ववगयरोगायंके । तए णं से सेलए तंसि रोगायंकंसि उवसंतंसि समाणंसि तंसि विउलंसि असण- पाण- खाइमसाइमंसि ओसह-भेसज्जंसि य मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववण्णे ओसण्णे ओसण्णविहारी, पासत्थे पासत्थविहारी, कुसीले कुसीलविहारी, पमत्ते पमत्तविहारी, संसत्ते संसत्तविहारी, उउबद्ध-पीढ-फलग-सेज्जा - संथारए पमत्ते यावि विहरइ, णो संचाएइ फासुयं एसणिज्जं पीढफलग-सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणित्ता मंडुयं च रायं आपुच्छित्ता बहिया जणवयवहारं विहरित । तणं तेसिं पंथयवज्जाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अण्णया कयाइं एगयओ सहियाणं जाव पुव्वरत्तावरत्तकाल - समयंसि धम्मजागरियं जागरमाणाणं अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु सेलए रायरिसी चइत्ता रज्जं जाव पव्वइए विउलेणं असण-पाणखाइम-साइमे ओसह-भेसज्जे य मुच्छिए णो संचाएइ जाव विहरित्तए । णो खलु कप्पइ 73 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा देवाणुप्पिया ! समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए । तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कल्लं सेलयं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठवेत्ता बाहिया अब्भुज्जएणं जणवयविहारेणं विहरित्तए, एवं संपेहेंति, संपेहित्ता कल्लं जेणेव सेलए रायरिसी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेलयं आपच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग- सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणंति, पच्चप्पिणित्ता पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठावेंति, ठावित्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । तए णं से पंथए सेलगस्स सेज्जा-संथारय- उच्चार-पासवण -खेल- सिंघाण-मत्तग ओसहभेसज्ज-भत्त-पाणएणं अगिलाए विणएणं वेयावडियं करेइ । तए णं से सेलए अण्णया कयाई कत्तिय-चाउम्मासियंसि विउलं असण-पाण- खाइम साइमं आहारमाहारिए पच्चावरण्हकाल-समयंसि ६५ तए णं से पंथए कत्तियचाउम्मासियंसि कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कते चाउम्मासियं पडिक्कमिउकामे सेलयं रायरिसिं खामणट्ठयाए सीसेणं पाएस संघट्टेइ । तए णं से सेलए पंथएणं सीसेण पाएसु संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसमिसेमाणे उढेइ, उद्वित्ता एवं वयासी- से केस णं भो ! एस अपत्थियपत्थिए जाव परिवज्जिए जे णं ममं सुहपसुत्तं पाएसु संघट्टेइ ? । तए णं से पंथए सेलएणं एवं वुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयलपरिग्गहियं एवं वयासी- अहं णं भंते ! पंथए कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कंते, चाउम्मासियं खामेमाणे देवाणुप्पियं वंदमाणे सीसेणं पाएसु संघट्टेमि । तं खामेमि णं तुब्भे देवाणुपिया! तं खमंतु णं देवाणुप्पिया ! मे अवराहं, तुम णं देवाणुप्पियाणं णाइभुज्जो एवं करणयाए त्ति कटु सेलयं अणगारं एयमé सम्मं विणएणं भुज्जो भुज्जो खामेइ । तए णं सेलयस्स रायरिसिस्स पंथएणं एवं वुत्तस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं चइत्ता रज्जं जाव पव्वइए; ओसण्णे ओसण्णविहारी जाव विहरामि । तं णो खल कप्पड़ समणाणं णिग्गंथाणं ओसण्णाणं जाव विहरित्तए । तं सेयं खलु मे कल्लं मंडुयं रायं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीठ-फलग-सेज्जा-संथारयं पच्चप्पिणित्ता पंथएणं अणगारेणं सद्धिं बहिया अब्भज्जएणं जणवयविहारेणं विहरित्तए; एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव विहरइ । Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवामेव समणाउसो ! जे णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा ओसण्णे जाव संथारए पमत्ते विहरड़, से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्ठइ । तए णं ते पंथगवज्जा पंच अणगारसया इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा अण्णमण्णं सद्दावेति, सद्दावित्ता एवं वयासी- सेलए रायरिसी पंथएणं अणगारेणं सद्धिं बहिया जाव विहरइ, तं सेयं खलु, देवाणुप्पिया! अम्हं सेलयं रायरिसिं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेंति, संपेहित्ता सेलयं रायरिसिं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति । तए णं ते सेलए रायरिसी पंथगपामोक्खा पंच अणगारसया जेणेव पोंडरीए पव्वए तेणेव उवागच्छंति, एवं जहेव थावच्चापत्ते तहेव सिद्धा | एवामेव समणाउसो ! जो णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव संसारकंताणं वीईवइस्सइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि॥ ॥ पंचमं अज्झयणं समत्त | छठं अज्झयणं जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स णायज्झणस्स अयमढे, पण्णत्ते, छट्ठस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं | परिसा णिग्गया । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते जाव सुक्कज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से इंदभूई णामं अणगारे जायसड्ढे जाव एवं वयासी- कहं णं भंते ! जीवा गरुयत्तं वा लयत्तं वा हव्वमागच्छंति ? Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे एगं महं सुक्कं तुंबं णिच्छिदं णिरुवहयं दब्भेहिं य कुसेहिं य वेढेइ, वढित्ता मट्टियालेवेणं लिंपइ, लिंपित्ता उण्हे दलयइ, दलइत्ता सुक्कं समाणं दोच्चं पि दब्भेहि य कुसेहि य वेढेइ, वेढित्ता मट्टियालेवेणं लिंपइ, लिंपित्ता उण्हे सुक्कं समाणं तच्चं पि दब्भेहि य कुसेहि य वेढेइ, वेढित्ता मट्टियालेवेणं लिंपड़; एवं खलु एएणं उवाएणं अंतरा वेढेमाणे अंतरा लिंपेमाणे, अंतरा सुक्कवेमाणे जाव अट्ठहिं मट्टियालेवेहिं आलिंपइ, अत्थाहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेज्जा | से णूणं गोयमा ! से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवेणं गरुयत्ताए भारियत्ताए गरुयभारियत्ताए उप्पिं सलिलमइवइत्ता अहे धरणितल-पइट्ठाणे भवइ । एवामेव गोयमा ! जीवा वि पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं अणुपुव्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ समज्जिणंति | तासिं गरुयत्ताए भारियत्ताए गरुयभारियत्ताए कालमासे कालं किच्चा धरणितलमइवइत्ता अहे णरगतल-पइट्ठाणा भवंति । एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति । अहण्णं गोयमा ! से तुंबे तंसि पढमिल्लुगंसि मट्टियालेवंसि तित्तंसि कुहियंसि परिसडियंसि ईसिं धरणितलाओ उप्पइत्ता णं चिट्ठइ । तयाणंतरं च णं दोच्चं पि मट्टियालेवे तित्ते, कुहिए, परिसडिए ईसिं धरणितलाओ उप्पइत्ता णं चिट्ठइ । एवं खलु एएणं उवाएणं तेसु अट्ठसु मट्टियालेवेसु तित्तेसु कुहिएसु परिसडिएसु से तुंबे विमुक्कबंधणे अहे धरणितलमइवइत्ता उप्पिं सलिलतल-पइट्ठाणे भवइ । | w एवामेव गोयमा ! जीवा पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादंसणसल्लवेरमणेणं अणपव्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता गगणतलमप्पइत्ता उप्पिं लोयग्ग-पइट्ठाणा भवंति । एवं खल गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं छट्ठस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते | || त्ति बेमि || || छटुं अज्झयणं समत्त || Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा सत्तमं अज्झयणं रोहिणी जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं छट्ठस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, सत्तमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णाम णयरे होत्था । सुभूमिभागे उज्जाणे होत्था । तत्थ णं रायगिहे णयरे धण्णे णामं सत्थवाहे परिवसइ- अड्ढे जाव अपरिभूए | तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स भद्दा णामं भारिया होत्था, अहीणपंचिंदियसरीरा जाव सुरूवा । तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स पत्ता भद्दाए भारियाए अत्तया चत्तारि सत्थवाहदारया होत्था, तंजहा- धणपाले, धणदेवे, धणगोवे, धणरक्खिए | तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स चउण्हं पुत्ताणं भारियाओ चत्तारि सुहाओ होत्था, तंजहाउज्झिया, भोगवइया, रक्खिया, रोहिणिया | तए णं तस्स सत्यवाहस्स अण्णया कयाइं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं रायगिहे णयरे बहूणं राईसर जाव पभिईणं सयस्स य कुटुंबस्स बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य कुटुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएस य ववहारेस य आपच्छणिज्जे पडिपच्छणिज्जे, मेढी, पमाणं, आहारे, आलंबणे, चक्खू; मेढीभूए, पमाणभूए, आहारभूए, आलंबणभूए, चक्खूभूए सव्वकज्जवड्ढावए । तं ण णज्जइ जं मए गयंसि वा चुयंसि वा मयंसि वा भग्गंसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियसि वा विदेसत्थसि वा विप्पवसियसि वा इमस्स कडुबस्स कि मण्णे आहारे वा आलंबे वा पडिबंधे वा भविस्सइ ? तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलते विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता मित्त-णाइ जाव चउण्हं सुण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेत्ता तं मित्त-णाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं विउलेणं असण-पाण- खाइम-साइमेणं धूव-पुप्फ-वत्थ-गंध मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-णाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्ठयाए पंच-पंच सालिअक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का किहं वा सारक्खेइ वा संगोवेइ वा संवड्ढेइ वा ? एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, मित्तणाइ जाव चउण्हं सुण्हाणं कुलवरवग्गं आमंतेइ । Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तओ पच्छा बहाए, भोयणमंडवंसि सहासणवरगए, तेणं मित्त-णाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गेणं सद्धिं तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणे जाव सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता तस्सेव मित्त-णाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ पंच सालिअक्खए गेण्हइ, गेण्हित्ता जेहँ सुण्हं उज्झियं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुम णं पुत्ता ! मम हत्थाओ इमे पंच सालिअक्खए गेण्हाहि, गेण्हित्ता अणुपुव्वेणं सारक्खेमाणी संगोवेमाणी विहराहि । जया णं अहं पुत्ता ! तुम इमे पंच सालिअक्खए जाएज्जा, तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए पडिणिज्जाएज्जासि त्ति कट्ट सुण्हाए हत्थे दलयइ, दलइत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सा उज्झिया धण्णस्स तह त्ति एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता धण्णस्स सत्थवाहस्स हत्थाओ ते पंच सालिअक्खए गेण्हइ, गेण्हित्ता एगंतमवक्कमइ, एगंतमवक्कमियाए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जेत्था- एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि बहवे पल्ला सालीणं पडिपुण्णा चिट्ठति, तं जया णं ममं ताओ इमे पंच सालिअक्खए जाएस्सइ, तया णं अहं पल्लंतराओ अण्णे पंच सालिअक्खए गहाय दाहामि त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता ते पंच सालिअक्खए एगंते एडेइ, सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था । एवं भोगवइयाए वि, णवरं सा छोल्लेइ, छोल्लित्ता अणगिलइ, अणगिलित्ता सकम्मसंजुत्ता जाया । एवं रक्खिया वि, णवरं गेण्हइ, गेण्हित्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु ममं ताओ इमस्स मित्त-णाइ जाव चउण्हं सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ सद्दावेत्ता एवं वयासी- तुम णं पुत्ता ! मम हत्थाओ जाव पडिणिज्जाएज्जासि, त्ति कट्ट मम हत्थंसि पंच-सालिअक्खए दलयइ । तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं ति कट्ट एवं संपेहेइ संपेहित्ता ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे बंधइ, बंधित्ता रयणकरंडियाए पक्खिवेइ, पक्खिवित्ता उसीसामूले ठावेइ, ठावित्ता तिसंझं पडिजागरमाणीपडिजागरमाणी विहरइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे तस्सेव मित्त-णाइ जाव चउत्थिं रोहिणीयं सुण्हं सद्दावेइ जाव तं भवियव्वं एत्थ कारणेणं । तं सेयं खलु मम एए पंच सालिअक्खए सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए संवड्ढेमाणीए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कुलघर-पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीतुब्भे णं देवाणुप्पिया ! एए पंच सालिअक्खए गेण्हइ, गेण्हित्ता पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि णिवइयंसि समाणंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेह, करित्ता इमे पंच सालिअक्खए वावेह, वावेत्ता दोच्चं पि तच्चपि उक्खय-णिक्खए करेह, करेत्ता वाडिपरिक्खेवं करेह, करित्ता सारक्खमाणा संगोवेमाणा अणुपुव्वेणं संवड्ढेह । 78 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [] १० ११ १४ १५ ज्ञाताधर्मकथा तए णं ते कोडुंबिया रोहिणीए एयमहं पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता ते पंच सालिअक्ख गेण्हंति, गेण्हित्ता अणुपुव्वेणं सारक्खंति, संगोवंति, विहरंति । तए णं ते कोडुंबिया पढमपाउसंसि महावुट्ठिकायंसि णिवइयंसि समाणंसि खुड्डायं केयारं सुपरिकम्मियं करेंति, करित्ता ते पंच सालिअक्खए ववंति, ववित्ता दोच्चं पि तच्चं पि उक्खय-णिक्खए करेंति, करित्ता वाडिपरिक्खेवं करेंति, अणुपुव्वेणं सारक्खेमाणा संगोवेमाणा संवड्ढेमाणा विहरंति । तए णं ते सालिअक्खए अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवड्ढिज्जमाणा साली जाया, किण्हा किण्होभासा जाव णिउरंबभूया पासाईया दरिसणीया अभिरुवा पडिवा I तणं ते साली पत्तिया वत्तिया गब्भिया पसूया आगयगंधा खीराइया बद्धफला पक्का परियागया सल्लइया पत्तइया हरियपव्वकंडा जाया यावि होत्था । तए णं ते कोडुंबिया ते सालीए पत्तिए जाव सल्लइए पत्तइए जाणित्ता तिक्खेहिं णवपज्जएहिं असिएहिं लुणेंति, लुणित्ता करयलमलिए करेंति, करेत्ता पुणंति । तत्थ णं चोक्खाणं सूइयाणं अखंडाणं अफुडियाणं छड्डछड्डापूयाणं सालीणं मागहए पत्थए जाए । तणं ते कोडुंबिया ते साली णवएसु घडएसु पक्खिवंति, पक्खिवित्ता उवलिंपंति, उवलिंपित्ता लंछियमुद्दिए करेंति, करित्ता कोट्ठागारस्स एगदेसंसि ठावें ठ सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरंति । तए णं ते कोडुंबिया दोच्चम्मि वासारत्तंसि पढमपाउसंसि महावुट्ठिकायंसि णिवइयंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेंति, ते साली ववंति, दोच्चं पि तच्चं पि उक्खयणिक्खए जाव लुर्णेति जाव चलणतलमलिए करेंति, करित्ता पुणंति, तत्थ णं सालीणं बहवे कुडवा जाया जाएगदेसंसि ठावेंति, ठावित्ता सारक्खेमाणा संगोवेमाणा विहरंति । तए णं ते कोडुंबिया तच्चंसि वासारत्तंसि महावुट्ठिकायंसि बहवे केयारे सुपरिकम्मिए करेंति जाव लुणेंति, लुणित्ता संवहंति, संवहित्ता खलयं करेंति करित्ता मलेंति जाया । तए णं ते कोडुंबिया साली कोट्ठागारांसि पक्खिवंति जाव विहरति । चउत्थे वासारत्ते बहवे कुंभसया जाया । तए णं तस्स धण्णस्स पंचमयंसि संवच्छरंसि परिणममाणंसि पुव्वरत्तावरत्त- कालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - एवं खलु मए इओ अईए पंचमे संवच्छरे चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्टयाए ते पंच सालिअक्खया हत् दिण्णा । तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते पंच सालिअक्खए परिजाइत्तए | जाव ( एवं ) जाणामि ताव काए किहं सारक्खिया वा संगोविया वा संवड्ढिया वा ? त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव 79 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ १७ १९ २० ज्ञाताधर्मकथा जलंते विउलं असणं जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं सम्माणित्ता तस्सेव मित्तणाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ जेट्टं उज्झियं सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासीएवं खलु अहं पुत्ता ! इओ अईए पंचमम्मि संवच्छरे इमस्स मित्तणाइ जाव च सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ तव हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयामि । जया णं अहं पुत्ता ! एए पंच सालिअक्खए जाएज्जा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए णिज्जाएसि त्ति कट्टु तं हत्थंसि दलयामि; से णूणं पुत्ता ! अट्ठे समट्ठे ? हंता, अत्थि। तं णं पुत्ता! मम ते सालिअक्खए पडिणिज्जाएहि । - तए णं सा उज्झिया धण्णस्स सत्थवाहस्स एयमट्ठे सम्मं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जेणेव कोट्ठागारं तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पल्लाओ पंच सालिअक्खए गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- “एए णं ते पंच सालिअक्खए" ति कट्टु धण्णस्स सत्थवाहस्स हत्थंसि ते पंच सालिअक्खए दलय । तए णं धण्णे सत्थवाहे उज्झियं सवहसावियं करेइ, करित्ता एवं वयासी- किं णं पुत्ता ! एए चेव पंच सालिअक्खए उदाहु अण्णे ? तए णं उज्झिया धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- एवं खलु तुब्भे ताओ ! इओ अईए पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्तणाइ जाव वियराहि । तए णं अहं तुब्भं एयमट्ठे पडिसुणेमि, ते पंच सालिअक्खए गेण्हामि, एंगंतमवक्कमामि । तए णं मम इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि जाव सकम्मसंजुत्ता । तं णो खलु ताओ ! ते चेव पंच सालिअक्खए, एए णं अणे । तए णं से धण्णे उज्झियाए अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म आसुरत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उज्झिइयं तस्स मित्त-णाइ-णियग- चउण्ह-सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स य पुरओ तस्स कुलघरस्स छारुज्झियं च छाणुज्झियं च कयवरुज्झियं च संपुच्छियं च सम्मज्जियं च पाओवदाइयं च ण्हाणोवदाइयं च बाहिर - पेसणकारियं च ठवेइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए पंच य से महव्वयाइं उज्झियाइं भवंति से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं, बहूणं समणीणं, बहूणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सइ । जहा सा उज्झिया । एवं भोगवइया वि णवरं तस्स कुलघरस्स कंडेंतियं कोट्टेतियं पीसंतियं च एवं रुंधतियं च रंधतियं च परिवेसंतियं च परिभायंतियं च अब्भिंतरियं पेसणकारिं महाणसिणिं ठवेइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा समणी वा पंच य से महव्वयाइं फोडियाई भवंति, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं, बहूणं समणीणं, बहूणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सइ; जहा व सा भोगवइया । 80 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २१ स एवं रक्खिया वि, णवरं-जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मंजूसं विहाडेइ, विहाडित्ता रयणकरंडगाओ ते पंच सालिअक्खए गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंच सालिअक्खए धण्णस्स सत्थवाहस्स हत्थे दलयइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे रक्खियं एवं वयासी- किं णं पुत्ता ! ते चेव एए पंच सालिअक्खए, 3 अण्णे ? तए णं रक्खिया धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी- ते चेव ताया ! एए पंच सालिअक्खया, णो अण्णे | कहं णं पुत्ता ? एवं खलु ताओ ! तुब्भे इओ पंचमे संवच्छरे जाव भवियव्वं एत्थ कारणेणं ति कट्ट ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे जाव तिसंझं पडिजागरमाणी यावि विहरामि | तओ एएणं कारणेणं ताओ ! ते चेव एए पंच सालिअक्खए, णो अण्णे | तए णं से धण्णे सत्थवाहे रक्खियाए अंतिए एयमहूँ सोच्चा हद्वतुढे तस्स कुलघरस्स हिरण्णस्स य कंस-दूस-विउलधण जाव सावएज्जस्स य भंडागारिणिं ठवेइ । एवामेव समणाउसो ! जाव पंच य से महव्वयाइं रक्खियाई भवंति, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं, बहूणं समणीणं, बहूणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं अच्चणिज्जे जाव चाउरंत संसार कंतारं वीईवइस्सइ; जहा से रक्खिया | रोहिणिया वि एवं चेव । णवरं- तुब्भे ताओ ! मम सुबहुयं सगडीसागडं दलाहि, जेण अहं तुब्भं ते पंच सालिअक्खए पडिणिज्जाएमि । तए णं से धण्णे सत्थवाहे रोहिणिं एवं वयासी- कहं णं । । पत्ता ! ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं णिज्जाइस्ससि ? तए णं सा रोहिणी धण्णं एवं वयासी- एवं खलु ताओ ! इओ तुब्भे पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त-णाइ जाव कुलघरवग्गस्स पुरओ मम पंच सालिअक्खए दिण्णे जाव ते पंचसालिअक्खए बहवे कंभसया जाया, तेणेव कमेणं । एवं खल ताओ ! तब्भे ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं णिज्जाएमि । तए णं से धण्णे सत्थवाहे रोहिणीयाए सुबहयं सगड-सागडं दलयइ । तए णं रोहिणी सुबहुसगडसागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कोट्ठागारे विहाडेइ, विहाडित्ता पल्ले उभिंदइ, उभिदित्ता सगडी-सागडं भरेइ, भरित्ता रायगिहं णगरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ । तए णं रायगिहे णयरे सिंघाडग जाव बहुजणो अण्णमण्णं एवमाइक्खइ- धण्णे णं देवाणप्पिया ! धण्णे सत्थवाहे, जस्स णं रोहिणिया सण्हा, जीए णं पंच सालिअक्खए सगड- सागडिएणं णिज्जाइए | Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ રાણ २९ [ ♡ M ज्ञाताधर्मकथा तणं से धणे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगड- सागडेणं णिज्जाइए पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता तस्सेव मित्त-णाइ जाव चउण्ह य सुण्हाणं कुलघर- वग्गस्स पुरओ रोहिणीयं सुण्हं तस्स कुलघरवग्गस्स बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य कुडुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य आपुच्छणिज्जं जाव वड्ढावियं पमाणभूयं ठावेइ । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा समणी वा पंच महव्वया संवड्ढिया भवंति, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं जाव वीईवइस्सइ, जहा व सा रोहिणीया । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बे ॥ | सत्तमं अज्झयणं समत्त ॥ अट्ठम अज्झयणं मल्ली जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, अट्ठमस्स णं भंते ! के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, णिसदस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं, सीतोदाए महाणईए दाहिणेणं, सुहावहस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरच्छिमेणं एत्थं णं सलिलाव णामं विजय पण्णत्ते । तत्थ णं सलिलावईविजए वीयसोगा णामं रायहाणी पण्णत्ता- णवजोयण-वित्थिण्णा जाव पच्चक्खं देवलोगभूया । तीसे णं वीयसोगाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिदिसिभा एत्थ णं इंदकुंभे णामं उज्जाणे होत्था । तत्थ णं वीयसोगाए रायहाणीए बले णामं राया होत्था । तस्स धारिणीपामोक्खं देविसहस्सं ओरोहे होत्था । तणं सा धारिणी देवी अण्णया कयाइ सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा जाव महब्बले णामं दारए जाए, उम्मुक्कबालभावे जाव भोगसमत्थे । तए णं तं महब्बलं अम्मापियरो सरिसियाणं कमलसिरिपामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकण्णासयाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेंति | पंच पासायसया पंचसओ दाओ जाव विहरइ । 82 Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा | 30 तेणं कालेणं तेणं समएणं इंदकंभे उज्जाणे, थेरा समोसढा, परिसा णिग्गया | बलो वि राया णिग्गओ | धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वतुढे जाव महब्बलं कुमारं रज्जे ठावेमि जाव पव्वइओ जाव एक्कारसअंगवी | बहूणि वासाणि सामण्णपरियायं पाउणित्ता जेणेव चारुपव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मासिएणं भत्तेणं सिद्धे । तए णं सा कमलसिरी अण्णया कयाइ सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा जाव बलभद्दो कुमारो जाओ | जुवराया यावि होत्था । तस्स णं महब्बलस्स रण्णो इमे छप्पि य बालवयंसगा रायाणो होत्था, तंजहा- अयले धरणे पूरणे वसू वेसमणे अभिचंदे, सहजायया जाव समेच्चा णित्थरियव्वे त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति । तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा थेरा इंदकंभे उज्जाणे समोसढा | परिसा णिग्गया । महब्बलो वि राया णिग्गओ | महब्बले णं धम्म सोच्चा- जं णवरं छप्पिय बालवयंसगे आपुच्छामि, बलभदं च कुमारं रज्जे ठावेमि जाव छप्पिय बालवयंसए आपुच्छइ । तए णं ते छप्पिय बालवयंसए महब्बलं रायं एवं वयासी- जइ णं देवाणप्पिया! तब्भे पव्वयह, अम्हं के अण्णे आहारे वा ? जाव आलंबे वा ? अम्हे वि य णं पव्वयामो | तए णं से महब्बले राया ते छप्पि य बालवयंसए एवं वयासी- जइ णं तुब्भे मए सद्धिं पव्वयह, तं गच्छह, जेट्टपुत्तं सएहिं सएहिं रज्जेहिं ठावेह, पुरिससहस्सवाहणीओ सीयाओ दुरूढा समण्णा मम अंतिए पउब्भवह | ते वि तहेव जाव पाउब्भवंति | तए णं से महब्बले राया छप्पि य बालवयंसए पाउब्भूए पासइ, पासित्ता हद्वतुढे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ जाव बलभद्दस्स अभिसेओ । जाव बलभदं रायं आपुच्छड़ ।। तए णं से महब्बले जाव महया इड्ढीए पव्वइए | एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता बहहिं चउत्थ जाव अप्पाणं भावेमाणा जाव विहरंति । सत्तण्हं अणगाराणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियाणं इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था- जं णं अम्हं देवाणुप्पिया! एगे तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं णं अम्हेहिं सव्वेहिं सद्धिं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तए णं से महब्बले अणगारे इमेण कारणेणं इत्थिणामगोयं कम्मं णिव्वत्तिंसु- जड़ णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा चउत्थं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तओ से महब्बले अणगारे छटुं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ । जइ णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा छटुं उवसंपज्जित्ता ९ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णं विहरंति, तओ से महब्बले अणगारे अट्ठम उवसंपज्जित्ता णं विहरइ | एवं अट्ठमं तो दसमं, अह दसमं तो दुवालसमं । इमेहि य वीसाएहि य कारणेहिं आसेविय बहुलीकएहिं तित्थयरणामगोयं कम्मं णिव्वत्तिंसु तं जहाअरिहंत सिद्ध पवयण, गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीसु । वच्छलया य तेसिं, अभिक्ख णाणोवओगे य ॥१॥ दंसण विणए आवस्सए य, सीलव्वए णिरइयारो | खणलव तवच्चियाए, वेयावच्चे समाही य ॥२॥ अपुव्वणाणगहणे, सुयभत्ती पवयणे पभावणया । एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो ॥३॥ तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति जाव एगराइयं भिक्खुपडिमं आराहेति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहणिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तं जहाचउत्थं करेंति, सव्वकामगुणियं पारेंति, छठें करेंति, चउत्थं करेंति । अट्ठमं करेंति, छटुं करेंति | दसमं करेंति, अट्ठमं करेंति । दुवालसमं करेंति, दसमं करेंति। चाउद्दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति | सोलसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति । अट्ठारसमं करेंति, सोलसमं करेंति । वीसइमं करेंति, अट्ठारसमं करेंति। वीसइमं करेंति, सोलसमं करेंति | अट्ठारसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति | सोलसमं करेंति, दुवालसमं करेंति | चोद्दसमं करेंति, दसमं करेंति । दुवालसमं करेंति, अट्ठमं करेंति । दसमं करेंति, छटुं करेंति । अट्ठमं करेंति, चउत्थं करेंति | छटुं करेंति, चउत्थं करेंति । सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेति । एवं खलु एसा खुड्डागसीह-णिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहिं य अहोरत्तेहिं अहासुत्ता जाव आराहिया भवइ । तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति, णवरं विगइवज्जं पारेति । एवं तच्चा वि परिवाडी, णवरं पारणए अलेवाडं पारेति । एवं चउत्था वि परिवाडी, णवरं पारणए आयंबिलेणं पारेति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहणिक्कीलियं तवोकम्मं दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीइच्छामो णं भंते ! महालयं सीहणिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । तहेव जहा खड्डागं, णवरं चोत्तीसइमाओ णियत्तइ । एगा चेव परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठारसेहि य अहोरत्तेहिं समप्पेड़ । सव्वं पि महालयं सीहणिक्कीलियं छहिं वासेहिं, दोहि य मासेहिं, बारसेहि य अहोरत्तेहिं समप्पेइ ।। तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा महालयं सीहणिक्कीलियं तवोकम्मं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता बहूणि चउत्थ जाव विहरंति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं उरालेणं तवोक्कमेणं सुक्का भुक्खा जहा खंदओ, णवरं थेरे आपुच्छित्ता चारुपव्वयं दुरुहंति जाव दोमासियाए संलेहणाए सवीसं भत्तसयं अणसणं, चउरासीइं वाससयसहस्साइं सामण्णपरियागं पाउणंति पाउणित्ता चुलसीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववण्णा । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता | तत्थ णं महब्बलवज्जाणं छहं देवाणं देसणाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिई, महब्बलस्स देवस्स य पडिपण्णाई बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । तए णं ते महब्बलवज्जा छप्पिय देवा जयंताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विसुद्धपिइमाइवंसेसु रायकुलेसु पत्तेयं पत्तेयं कुमारत्ताए पच्चायाया । तं जहा- पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया, संखे कासिराया, रूप्पी कुणालाहिवई, अदीणसत्तू कुरूराया, जियसत्तू पंचालाहिवई । तए णं से महब्बले देवे तिहिं णाणेहिं समग्गे उच्चट्ठाणट्ठिएसु गहेसु, सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु, जइएसु सउणेसु, पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिंसि मारुयंसि पवायंसि, णिप्फण्ण- सस्स-मेइणीयंसि कालंसि, पमुइय-पक्कीलिएसु जणवएसु, अद्धरत्तकाल-समयंसि अस्सिणीणक्खत्तेणं जोगमुवागएणं; जे से हेमंताणं चउत्थे मासे, अट्ठमे पक्खे फग्गुणसुद्धे; तस्स णं फग्गुणसुद्धस्स चउत्थीपक्खेणं जयंताओ विमाणाओ बत्तीससागरोवम- द्विइयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभगस्स रण्णो पभावईए देवीए कच्छिंसि आहारवक्कंतीए सरीरवक्कंतीए भववक्कंतीए गब्भत्ताए वक्कंते । २० Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २२ २७ जं रयणिं च णं महब्बले देवे पभावई देवीए कचंछिसि गब्भत्ताए वक्कंते, तं रयणिं च णं सा पभावई देवी चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा । भत्तारकहणं । सुमिणपाढग पुच्छा जाव विहरइ। तए णं तीसे पभावईए देवीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमेयारूवे दोहले पाउब्भूएधण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाओ णं जल- थल एप्पभूएणं दसद्धवण्णेणं मल्लेणं अत्थ्य-पच्चत्थुयंसि सयणिज्जंसि सण्णिसण्णाओ संतुयट्टाओ (सणिवण्णाओ) य विहरंति । एगं च महं सिरिदामगंडं पाडल-मल्लिय- चंपय- असोग- पुण्णाग- मरुयग- दमणगअणोज्जकोज्जय- कोरंटपत्तवर-पउरं परमसुहफासं दरिसणिज्जं महया गंधद्धणिं मुयंतं अग्घाय- माणीओ डोहलं विणेति। तए णं तीसे पभावईए देवीए इमेयारूवं डोहलं पाउब्भूयं पासित्ता अहासण्णिहिया वाणमंतरा देवा खिप्पामेव जलथलय-भासुरप्पभूयं दसद्धवण्ण-मल्लं, कुंभग्गसो य भारग्गसो य कुंभगस्स रण्णो भवणंसि साहरंति, एगं च णं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणिं मुयंतं उवणेति । तए णं सा पभावई देवी ते णं जल-थलय-भासुर-प्पभूएणं मल्लेणं डोहलं विणेइ । तए णं सा पभावई देवी पसत्थडोहला जाव विहरइ । तए णं सा पभावई देवी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धहमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं जे से हेमंताणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे मग्गसिरसुद्धे, तस्स णं मगसिर सुद्धस्स एक्कारसीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अस्सिणीणक्खत्तेणं जोगमुवागएणं उच्चट्ठाणगएसु गहेसु जाव पमुइय- पक्कीलिएसु जणवएसु आरोयारोयं एगूणवीसइमं तित्थयरं पयाया । तेणं कालेणं तेणं समएणं अहोलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरीयाओ जहा जंबूदीवपण्णत्तीए जम्मणुस्सवं भाणियव्वं । णवरं मिहिलाए णयरीए कुंभरायस्स भवणंसि पभावईए देवीए अभिलावो संजोएयव्वो जाव णंदीसरवरे दीवे महिमा | तया णं कुंभए राया बहूहिं भवणवइ वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएहिं देवेहिं-तित्थयरजम्मणाभिसेय महिमाए कयाए समाणीए, जायकम्म जाव णामकरणं करेइ-जम्हा णं अम्हे इमीए दारियाए माउएगब्भंसि वक्कममाणंसि मल्लसयणिज्जंसि डोहले विणीए, तं होउ णं अम्हं दारिया णामेणं “मल्ली" णामं ठवेइ, जहा महाबले णामं जाव सुहं सुहेणं परिवड्ढइ । तए णं सा मल्ली विदेहवररायकण्णा उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था । तए णं सा मल्ली विहेदवररायकण्णा देसूणवाससयजाया | ते छप्पि य रायाणो विउलेण ओहिणा आभोएमाणी-आभोएमाणी विहरइ, तं जहा- पडिबुद्धिं जाव जियसत्तुं पंचालाहिवइं। २७ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ३० तए णं सा मल्ली कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! असोगवणियाए एगं महं मोहणघरं करेह अणेगखंभसयसण्णिविहुँ । तस्स णं मोहणघरस्स बहुमज्झदेसभाए छ गब्भघरए करेह । तेसिं णं गब्भघराणं बहुमज्झदेसभाए जालघरयं करेह । तस्स णं जालघरयस्स बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह जाव पच्चप्पिणंति। तए णं सा मल्ली मणिपेढियाए उवरि अप्पणो सरिसियं सरिसत्तयं सरिसव्वयं सरिसलावण्ण- रुव-जोव्वण-गुणोववेयं कणगमई मत्थयच्छिड्ई पउम्प्पल-प्पिहाणं पडिमं करेइ, करित्ता जं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारेइ, तओ मणुण्णाओ असण-पाणखाइम-साइमाओ कल्लाकल्लिं एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कणगमईए मत्थयच्छिड्डाए पउमुप्पलपिहाणाए पडिमाए मत्थयंसि पक्खिवमाणी -पक्खिवमाणी विहरइ । तए णं तीसे कणगमईए जाव मत्थयछिड्डाए पडिमाए एगमेगंसि पिंडे पक्खिप्पमाणे पक्खिप्पमाणे पउमुप्पलपिहाणं पिहेइ । तओ गंधे पाउब्भवइ, से जहानामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए। तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसले णाम जणवए होत्था । तत्थ णं सागेए णामं णयरे होत्था । तस्स णं उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं महं एगे णागघरए होत्था । दिव्वे सच्चे सच्चोवाए संणिहिय-पाडिहेरे । तत्थ णं णयरे पडिबुद्धी णाम इक्खागराया परिवसइ । पउमावई देवी । सुबुद्धी अमच्चे साम-दंड-भेद-उपप्पयाण-णीति-सुपउत्त-णयविहण्णू जाव विहरइ । तए णं पउमावईए अण्णया कयाइ णागजण्णए यावि होत्था | तए णं सा पउमावई णागजण्णमुवट्ठियं जाणित्ता जेणेव पडिबुद्धी राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव एवं वयासी- एवं खलु सामी ! मम कल्लं णागजण्णए यावि भविस्सइ । तं इच्छामि णं सामी ! तुब्भेहिं अब्भणण्णाया समाणी णागजण्णयं गमित्तए | तुब्भे वि णं सामी ! मम णागजण्णयंसि समोसरह । तए णं पडिबुद्धी पउमावईए देवीए एयमढें पडिसुणेइ । तए णं पउमावई पडिबुद्धिणा रण्णा अब्भणुण्णाया हद्वतुट्ठा जाव कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! मम कल्लं णागजण्णए भविस्सइ, तं तब्भे मालागारे सद्दावेह, सद्दावित्ता एवं वयहएवं खलु पउमावईए देवीए कल्लं णागजण्णए भविस्सइ, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया! जलथलयभासरप्पभूयं दसद्धवण्णं मल्लं णागघरयंसि साहरह, एगं च णं महं सिरिदामगंडं उवणेह | तए णं जलथलयभासुरप्पभूएणं दसद्धवण्णेणं मल्लेणं णाणाविहभत्तिविरइयं करेह । तंसि भत्तिसि हंस-मिय-मयूर-कोंच-सारस-चक्कवाय-मयणसाल-कोइल-कुलोववेयं Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ईहामियं जाव भत्तिचित्तं महग्धं महरिहं विउलं पुप्फमंडवं विरएह । तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एगं महं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणिं मुयंतं उल्लोयंसि ओलंबेह, पउमावइं देविं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठह । तए णं ते कोडुंबिय पुरिसा जाव चिट्ठति | तए णं सा पउमावई देवी कल्लं जाव कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सागेयं णगरं सब्भितरबाहिरियं आसित्त- सम्मज्जियोवलित्तं करेह जाव पच्चप्पिणंति। तए णं सा पउमावई देवी दोच्चंपि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासीलहुकरणजुत्तं जाव जुत्तामेव उवट्ठवेंति । तए णं सा पठमावई अंतो अंतेउरंसि ण्हाया जाव लहुकरणजुत्तं(धम्मियं) जाणं दुरूढा | तए णं सा पठमावई णियग-परिवाल-संपरिवुडा सागेयं णगरं मज्झमज्झेणं णिज्जइ, जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुक्खरिणिं ओगाहेइ, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ जाव परम सुइभूया उल्लपडसाडया जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव णागघरए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं पउमावईए देवीए दासचेडीओ बहूओ पुप्फपडलग-हत्थगयाओ धूवकडुच्छुयहत्थगयाओ पिट्ठओ समणुगच्छंति ।। तए णं पउमावई सव्विड्ढीए जेणव णागघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता णागघरयं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता लोमहत्थगं परामुसइ जाव धूवं डहइ, डहित्ता पडिबुद्धिं रायं पडिवालेमाणी पडिवालेमाणी चिट्ठइ । तए णं पडिबुद्धी राया ण्हाए जाव अलंकिय सरीरे हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं वीइज्जमाणे हय-गय-रह-पवर-जोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे- महयाभड- चडगर-रह-पहकर-विंद-परिक्खित्ते साकेयं णयरं मज्झं- मज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव णागघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता आलोए पणामं करेइ, करित्ता पुप्फमंडवं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता पासइ तं एगं महं सिरिदामगंड | तए णं पडिबुद्धी तं सिरिदामगंडं सुइरं कालं णिरिक्खड़, णिरिक्खित्ता तंसि सिरिदामगंडंसि जायविम्हए सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासीतुमं णं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागर जाव संण्णिवेसाइं आहिंडसि, बहूणि राईसर जाव गिहाई अणुपविससि, तं अत्थि णं तुमं कहिंचि एरिसए सिरिदामगंडे दिठ्ठपुव्वे, जारिसए णं इमे पउमावईए देवीए सिरिदामगंडे ? ४२ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४३ तए णं सुबुद्धी पडिबुद्धिं रायं एवं वयासी- एवं खलु सामी ! अहं अण्णया कयाइं तुब्भं दोच्चेणं मिहिलं रायहाणिं गए, तत्थ णं मए कुंभगस्स रण्णो धूयाए पभावई देवीए अत्तयाए मल्लीए विदेहवररायकण्णाए संवच्छरपडिलेहणगंसि दिव्वे सिरिदामगंडे दिपव्वे । तस्स णं सिरिदामगंडस्स इमे पउमावईए सिरिदामगंडे सयसहस्सइमं पि कलं ण अग्घइ । तए णं पडिबुद्धी राया सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! मल्ली विदेहवररायकण्णा जस्स णं संवच्छरपडिलेहणयंसि सिरिदामगंडस्स पठमावईए देवीए सिरिदामगंडे सयसहस्सइमं पि कलं ण अग्घइ ? तए णं सुबुद्धी अमच्चे पडिबुद्धिं इक्खागरायं एवं वयासी- एवं खलु सामी ! मल्ली विदेहवररायकण्णगा सुपइट्ठियकुम्मुण्णयचारूचरणा, वण्णओ | तए णं पडिबुद्धी राया सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म सिरिदामगंडजणियहरिसे दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छाहि णं तुम देवाणुप्पिया! मिहिलं रायहाणिं; तत्थ णं कुंभगस्स रण्णो धूयं पभावईए देवीए अत्तयं मल्लिं विदेहवररायकण्णगं मम भारियत्ताए वरेहि, जइ वि णं सा सयं रज्जसुंका | तए णं से दूए पडिबुद्धिणा रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्टे पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता जेणेव सए गिहे, जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं पडिकप्पावेइ, पडिकप्पावित्ता दुरूढे जाव हय-गय जाव महयाभडचडगरेणं साकेयाओ णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव विदेहजणवए जेणेव मिहिला रायहाणी तेणेव पहारेत्थ गमणाए | तेणं कालेणं तेणं समएणं अंगे णामं जणवए होत्था | तत्थ णं चंपा णामं णयरी होत्था । तत्थ णं चंपाए णयरीए चंदच्छाए अंगराया होत्था । तत्थ णं चंपाए णयरीए अरहण्णगपामोक्खा बहवे संजत्ता णावावाणियगा परिवति, अड्ढा जाव अपरिभया | तए णं से अरहण्णगे समणोवासए यावि होत्था, अहिगयजीवाजीवे वण्णओ । तए णं तेसिं अरहण्णगपामोक्खाणं संजत्ता णावावाणियगाणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियाणं इमे एयारूवे मिहोकहा-संलावे समुप्पज्जित्थासेयं खलु अहं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च परिच्छेज्जं च भंडगं गहाय लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णं एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च भंडगं गेण्हइ, गेण्हित्ता सगडीसागडियं च सज्जेंति, सज्जेत्ता गणिमस्स च धरिमस्स च मेज्जस्स च पारिच्छेज्जस्स च भंडगस्स सगडसागडियं भरेंति, भरेत्ता | सोहणंसि तिहि-करण-णक्खत्त-मुहत्तंसि विउलं असणं पाणं 89 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, मित्त-णाइ- णियग-सयण-संबंधि-परियणं भोयणवेलाए भुंजावेंति जाव आपुच्छंति, आपुच्छित्ता सगडीसागडियं जोयंति, चंपाए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छंति, णिग्गच्छित्ता जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति; उवागच्छित्ता सगडीसागडियं मोयंति, मोइत्ता पोयवहणं सज्जेंति, सज्जित्ता गणिमस्स य धरिमस्स य मेज्जस्स य पारिच्छेज्जस्स य चउव्विहस्स भंडगस्स पोयवहणं भरेंति, भरित्ता तंडुलाण य समियस्स य तेल्लयस्स य गुलस्स य घयस्स य गोरसस्स य उदयस्स य उदयभायणाण य ओसहाण य भेसज्जाण य तणस्स य कट्ठस्स य पावरणाण य पहरणाण य अण्णेसिं च बहूणं पोयवहणपाउग्गाणं दव्वाणं पोयवहणं भरेंति । सोहणंसि तिहि-करण- णक्खत्त विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावित्ता मित्त-णाइ- णियग-सयण -संबंधि-परियणं भुंजावेंति जाव आपुच्छंति, आपुच्छित्ता जेणेव पोयहाणे तेणेव उवागच्छति । तए णं तेसिं अरहण्णगपामोक्खाणं संजुत्ता णावावाणियगाणं परिजणा ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं ओरालाहिं वग्गूहिँ अभिणंदंता य अभिसंथणमाणा य एवं वयासी- अज्ज! ताय! भाय! माउल! भाइणेज्ज! भगवया समुद्देणं अभिरक्खिज्जमाणा अभिरक्खिज्जमाणा चिरं जीवह, भदं च भे, पुणरवि लद्धढे कयकज्जे अणहसमग्गे णियगं घरं हव्वमागए पासामो त्ति कटु ताहिं सोमाहि णिद्धाहिं दीहाहिं सप्पिवासाहिं पप्पुयाहिं दिट्ठीहिं णिरिक्खमाणा मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठति । तओ समाणिएसु पुप्फबलिकम्मेसु, दिण्णेसु सरस-रत्तचंदण-दद्दर-पंचंगुलितलेसु, अणुक्खित्तंसि, धूवंसि, पूइएसु समुद्दवाएसु संसारियासु वलयबाहासु, ऊसिएसु सिएसु झयग्गेसु, पडुप्पवाइएसु तुरेसु, जइएसु सव्वसउणेसु, गहिएसु रायवरसासणेसु, महया उक्किट्ठ- सीहणाय बोल-कलकल रवेणं पक्खुभियं-महासमुद्द रवभूयं पिव मेइणिं करेमाणा एगदिसिं एगाभिमुहा अरहण्णग पामोक्खा संजत्ता णावा वाणियगा णावाए दुरूढा | तओ पुस्समाणवो वक्कमुदाहु- हं भो ! सव्वेसिमवि भे अत्थसिद्धी, उवट्ठियाइं कल्लाणाइं, पडिहयाइं सव्वपावाइं, जुत्तो पूसो, विजओ मुहुत्तो अयं देसकालो ।। तओ पुस्समाणवेणं वक्कमुदाहिए हट्टतुट्ठा कुच्छिधार-कण्णधार-गब्भिज्जसंजत्ताणावावाणियगा वावारिंसु, तं णावं पुण्णुच्छगं पुण्णमुहिं बंधणेहिंतो मुंचंति । तए णं सा णावा विमुक्कबंधणा पवणबल-समाहया उस्सियसिया विततपक्खा इव गरुलजुवई गंगासलिल-तिक्ख-सोयवेगेहिं संखुब्भमाणी- संखुब्भमाणी उम्मी- तरंग-मालासहस्साइं समइच्छमाणी समइच्छमाणी कइवएहिं अहोरत्तेहिं लवणसमुई अणेगाई जोयणसयाई ओगाढा । 90 Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ५६ तए णं तेसिं अरहण्णगपामोक्खाणं संजत्ता-नावावाणियगाणं लवणसमुदं अणेगाइं जोयणसयाई ओगाढाणं समाणाणं बहूइं उप्पाइयसयाई पाउब्भूयाइं तं जहा- अकाले गज्जिए, अकाले विज्जुए, अकाले थणियसद्दे, अभिक्खणं अभिक्खणं आगासे देवयाओ णच्चंति, एगं च णं महं पिसायरूवं पासंतितालजंघं दिवंगयाहिं बाहाहिं मसिमूसगमहिसकालगं, भरिय-मेहवण्णं, लंबोटुं, णिग्गयग्गदंतं, णिल्लालिय-जमल-जुयल-जीहं, आऊसिय-वयण-गंडदेसं, चीण-चिपिट- णासियं, विगयभुग्गभुमयं, खज्जोयग-दित्तचक्खुरागं, उत्तासणगं, विसालवच्छं, विसालकुच्छिं, पलंबकच्छिं, पहसिय-पयलिय- पयडियगत्तं, पणच्चमाणं, अप्फोडतं, अभिवयंतं, अभिगज्जंतं, बहुसो बहसो य अट्टहासे विणिम्मयंतं णीलुप्पल-गवल-गुलियअयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं गहाय अभिमुहमावयमाणं पासंति । [तए णं ते अरहण्णगवज्जा संजत्ताणावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं पासंतितालजंघ, दिवंगयाहिं बाहाहिं फुट्टसिरं भमर-णिगर वरमासरासि महिसकालगं भरिय मेहवण्णं सुप्पणहं फालसरिस- जीए, लंबोटु, धवल वट्ट असिलिट्ठ-तिक्ख- थिर-पीण-कुडिलदाढोवगूढवयणं, विकोसिय-धारासिजुयल-समसरिस-तणुय-चंचल-गलंतरसलोल-चवलफुरुंफुरंत-णिल्लालियग्गजीहं अवयत्थिय-महल्ल-विगय-वीभच्छ-लालपगलंत-रत्ततालय हिंगुलुय- सगब्भकंदरबिलं व अंजणगिरिस्स, अग्गिजालुग्गिलं- तवयणं आऊसियअक्खचम्म- उट्ठगंडदेसं चीण-चिमिढ-वंक-भग्गंणासं, रोसागय-धम- धर्मत- मारुय-णिहुरखर- फरुसझुसिरं, ओभुग्ग-णासियपुडं घाडुब्भड-रइय-भीसणमुहं, उद्धमुहकण्ण- सक्कुलियमहंतविगय-लोम- संखालग-लंबंत-चलियकण्णं, पिंगलदिप्पं- तलोयणं, भिउडि-तडियणिडालं णरसिरमाल-परिणद्धचिंधं, विचित्तगोणस-सुबद्धपरिकरं अवहोलंत-पुप्फुयायंत सप्प-विच्छुयगोधुंदर-णउ ल सरड-विरइय-विचित्त- वेयच्छमालियागं, भोगकूरकण्हसप्पधमधमेतलंबंतकण्णपूरं, मज्जार-सियाल-लइयखंधं, दित्तघुघुयंतघूय- कयकुंभरसिरं, घंटारवेणं भीम, भयंकर, कायरजणहिययफोडणं, दित्तं अट्टहासं विणिम्मुयंतं वसा-रुहिर- पूय-भस-मल-मलिण-पोच्चडतणुं उत्तासणयं, विसालवच्छं पेच्छंता भिण्णणहमुह- णयण- कण्णं वरवग्ध-चित्त-कत्ती-णिवसणं, सरस-रुहिर-गयचम्म- वितत-ऊसवियबाहुजुयलं ताहि य खर-फरुस- असिणिद्ध- अणिट्ठ-दित्त- असुभ-अप्पिय-अकंत-वग्गूहि य तज्जयंतं पासंति। तए णं ते अरहगवज्जा संजत्ता-णावावाणियगा तं तालपिसायरूवं जाव भिमहमावायमाणं पासंति, पासित्ता भीया संजायभया अण्णमण्णस्स कायं समतुरंगेमाणा बहूणं इंदाण य खंदाण य रूद्द-सिव- वेसमण-णागाणं भूयाण य जक्खाण य अज्जकोट्ट- किरियाण य बहूणि उवाइयसयाणि ओवाइयमाणा चिट्ठति । गा Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से अरहण्णए समणोवासए तं दिव्वं पिसायरूवं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता अभीए अतत्थे अचलिए असंभंते अणाउले अणुव्विग्गे अभिण्णमुहराग - णयणवण्णे अदीणविमण-माणसे पोयवहणस्स एगदेसंसि वत्थंतेणं भमि पमज्जड़, पमज्जित्ता ठाणं ठाइ, ठाइत्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासीणमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं जाव ठाणं संपत्ताणं, जइ णं अहं एत्तो उवसग्गाओ मुंचामि तो मे कप्पइ पारित्तए, अह णं एत्तो उवसग्गाओ ण मुंचामि तो मे तहा पच्चक्खाएयव्वे त्ति कट्ट सागारं भत्तं पच्चक्खाइ । तए णं से पिसायरूवे जेणेव अरहण्णए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अरहण्णगं एवं वयासीहं भो अरहण्णगा ! अपत्थियपत्थिया ! जाव परिवज्जिया ! णो खल कप्पइ तव सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासाइं चालित्तए वा खोभित्तए वा खंडित्तए वा, भंजित्तए वा उज्झित्तए वा परिच्चइत्तए वा । तं जड णं तमं सीलव्वयं जाव । परिच्चयसि तो ते अहं एयं पोयवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गेण्हामि, गेण्हित्ता सत्तट्ठतलप्पमाणमेत्ताई उड्ढं वेहासे उव्विहामि, उव्विहित्ता अंतो जलंसि णिच्छोलेमि, जेणं तमं अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे असमाहिपत्ते अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तए णं से अरहण्णए समणोवासए तं देवं मणसा चेव एवं वयासी- अहं णं देवाणुप्पिया! अरहण्णए णाम समणोवासए अभिगयजीवाजीवे | णो खल अहं सक्का केणइ देवेण वा जाव णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभेत्तए वा विपरिणामेत्तए वा, तमं णं जा सद्धा तं करेहि त्ति कट्ट अभीए जाव अभिण्णमुहराग-णयणवण्णे अदीण- विमण-माणसे णिच्चले णिप्फंदे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहण्णगं समणोवासयं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी- हं भो अरहण्णगा ! जाव धम्मज्झाणोवगए विहरड़ । तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहण्णगं धम्मज्झाणोवगयं पासइ, पासित्ता बलियतरागं आसुरत्ते तं पोयवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गिण्हइ, गिण्हित्ता सत्तद्वतलाइं जाव अरहण्णगं एवं वयासी- हं भो अरहण्णगा ! अपत्थिय-पत्थिया ! णो खल कप्पड़ तव सीलव्वय जाव धम्मज्झाणोवगए विहरइ । तए णं से पिसायरूवे अरहण्णगं जाहे णो संचाएइ णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे संते तंते परितंते णिव्विण्णे तं पोयवहणं सणियंसणियं उवरिं जलस्स ठवेइ, ठवित्ता तं दिव्वं पिसायरूवं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता दिव्वं ६० Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ ६५ ज्ञाताधर्मकथा देवरूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता अंतलिक्ख- पडिवण्णे सखिखिणियाई दसद्धवण्णाइं वत्थाई पवर परिहिए अरहण्णगं समणोवासयं एवं वयासी हं भो अरहण्णगा ! समणोवासया ! धण्णोसि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले, जस्स णं तव णिग्गंथे पावयणे इमेयारूवे पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया। एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्म बहूणं देवाणं मज्झगए महया महया सद्देणं एवं आइक्खइ एवं खलु जंबुद्दीवे दीवे भार वासे चंपाए णयरीए अरहणए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे । णो खलु सक्के के देवेण वा दाणवेण वा णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्त वा । तणं अहं देवाणुप्पिया ! सक्कस्स देविंदस्स एयमहं णो सद्दहामि, णो पत्तियामि णोरोययामि । तए णं मम इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव गच्छामि णं अरहण्णयस्स अंतियं पाउब्भवामि, जाणामि ताव अहं अरहण्णगं ? किं पियधम्मे णो पियधम्मे ? दढधम्मे णो दढधम्मे ? शीलव्वय गुणव्वय किं चालेइ णो चालेइ जाव परिच्चयइ णो परिच्चयइ ? त्ति कट्टु एवं संपेहेमि, संपेहित्ता ओहिं पउंजामि, परंजित्ता देवाणुप्पियं! ओहिणा आभोएमि, आभोइत्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसिभागं अवक्कमामि उत्तरवेउव्वियं रूवं विउव्वामि विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए जेणेव लवणसमुद्दे जेणेव देवाणुप्पिए उवागच्छामि, उवागच्छित्ता देवाणुप्पियाणं उवसग्गं करेमि णो चेव णं देवाणुप्पिया भीए जाव जाए । तं जं णं सक्के देविंदे देवराया वदइ, सच्चे णं एसमट्ठे । तं दिट्ठे णं व देवाणुप्पियाणं इड्ढी जुई जसो बलं वीरियं पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खमंतुमरिहसि णं देवाणुप्पिया ! णाइ भुज्जो एवं करणयाए त्ति कट्टु पंजलिउडे पायवडिए एयम विणणं भुज्जो भुज्जो खामेइ, अरहण्णयस्स य दुवे कुंडलजुयले दलयइ, दलइत्ता जामेव दिसं पाब्भू तामेव दिसिं पडिगए । तए णं अरहण्णए णिरुवसग्गमित्ति कट्टु पडिमं पारेइ । तए णं ते अरहणग-पामा संजत्ता णावा वाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयं लंबंति, लंबित्ता, सगडिसागडं सज्जेंति, सज्जित्ता तं गणिमं धरिमं मेज्जं परिच्छेज्जं सगडिसागडं संकामेंति, संकामित्ता सगडिसागडं जोएंति, जोइत्ता जेणेव मिहिला णगरी तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता मिहिलाए रायहाणीए बहिया अग्गुज्जाणंसि सगडिसागडं मोएंति, मोइत्ता महत्थं महग्घं विउलं रायरिहं पाहु दिव्वं कुंडलजुयलं च गेण्हंति, गेण्हित्ता मिहिलाए रायहाणीए अणुपविसंति, अणुपविसित्ता 93 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ εε ६७ £ ६९ ७० ७१ ज्ञाताधर्मकथा जेणेव कुंभ राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थ अंजलिं कट्टु तं महत्थं दिव्वं कुंडलजुयलं उवर्णेति जाव पुरओ ठवेंति । तए णं कुंभए राया तेसिं संजत्तगाणं णावावाणियगाणं जाव पडिच्छइ, पडिच्छित्ता मल्लिं विदेहवररायकण्णं सद्दावेइ, सद्दावित्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं मल्लीए विदेहवरराय-कण्णगाए पिणद्धेइ, पिणद्धेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कुंभए राया ते अरहण्णगपामोक्खे जाव वाणियगे विउलेणं असण-पाण- खाइमसाइमेणं वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं जाव उस्सुक्कं वियरेइ, वियरित्ता रायमग्ग-मोगाढे य आवासे वियरइ, वियरित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं अरहण्णगपामोक्खा संजत्ता णावा वाणियगा जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भंडववहरणं करेंति, करित्ता पडिभंडं गेण्हंति, गेण्हित्ता सगडीसागडं भरेंति, भरित्ता जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयवहणं सज्जेंति, सज्जित्ता भंडं संकार्मेति, दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव चंपाए पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयं लंबेंति, लंबित्ता सगडिसागडं सज्जेंति, सज्जित्ता तं गणिमं धरिमं मेज्जं पारिच्छेज्जं सगडीसागडं संकामेंति, संकामित्ता जाव महत्थं पाहुडं दिव्वं च कुंडलजुयलं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव चंदच्छाए अंगराया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं महत्थं जाव उवर्णेति । तए णं चंदच्छाए अंगराया तं दिव्वं महत्थं च कुंडलजुयलं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता ते अरहण्णगपामोक्खे एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव सण्णिवेसाइं आहिंडह, लवणसमुद्दं च अभिक्खणं अभिक्खणं पोयवहणेहिं ओगाहेह, तं अत्थियाइं भे इ कहिंचि अच्छेरए दिट्ठपुव्वे ? तए णं ते अरहण्णगपामोक्खा चंदच्छायं अंगरायं एवं वयासी एवं खलु सामी ! अम्हे चंपाए णयरीए अरहण्णगपामोक्खा बहवे संजत्तगा णावावाणियगा परिवसामो तए णं अम्हे अण्णया कयाइं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च परिच्छेजं च गेण्हामो तहेव अहीणमइरित्तं जाव कुंभगस्स रण्णो उवणेमो । तए णं से कुंभए मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए तं दिव्वं कुंडलजुयलं पिणद्धेइ, पिणद्धित्ता पडिविसज्जेइ । तं एस णं सामी ! अम्हेहिं कुंभरायभवणं मल्ली विदेहरायवरकण्णा अच्छेरए दिट्ठे । तं णो खलु अण्णा का वि तारिसिया देवकण्णा वा जाव जारिसिया णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा । तए णं चंदच्छाए ते अरहण्णगपामोक्खे सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माि पडिविसज्जेइ । तए णं चंदच्छाए वाणियगजणियहरिसे दूयं सद्दावेड् जाव पहारेत्थ गमणाए । 94 Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ فاقا ७८ ज्ञाताधर्मकथा तेणं कालेणं तेणं समएणं कुणाला णामं जणवए होत्था, वण्णओ । तत्थ णं सावत्थी णामं णयरी होत्था, वण्णओ । तत्थ णं रुप्पी कुणालाहिवई णामं राया होत्था, वण्णओ । तस्स णं रुप्पिस्स धूया धारिणीए देवीए अत्तया सुबाहु णामं दारिया होत्था, सुकुमाल - पाणिपाया जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था । तीसे णं सुबाहूए दारियाए अण्णया चाउम्मासिय-मज्जणए जाए यावि होत्था । तए णं से रुप्पी कुणालाहिवई सुबाहूए दारियाए चाउम्मासिय-मज्जणयं उवट्ठियं जाणइ, जाणित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! सुबाहू दारियाए कल्लं चाउम्मासिय-मज्जणए भविस्सइ, तं कल्लं तुब्भे णं रायमग्गमोगाढंसि चक्कंसि पुप्फमंडवंसि जल-थलय- दसद्धवण्णमल्लं साहरेह, एगं महं सिरिदामगंड गंधद्धणिं मुयंतं उल्लोयंसि ओलएह । तेवि तहेव ओलइंति । तए णं रुप्पी कुणालाहिवई सुवण्णगार - सेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! रायमग्गमोगाढंसि पुप्फमंडवंसि णाणाविहपंच वण्णेहिं तंदुलेहिं णगरं आलिहह। तस्स बहुमज्झदेसभाए पट्टयं रएह, रइत्ता जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से रूप्पि कुणालाहिवई हत्थिखंधवरगए चाउरंगिणीए सेणाए महया भड-चडकर-रहपहकरविंद-परिक्खित्ते अंतेउर-परियाल - संपरिवुडे सुबाहुं दारियं पुरओ कट्टु जेणेव रायमग्गे, जेणेव पुप्फमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पुप्फमंडवं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे । तओ णं ताओ अंतेउरियाओ सुबाहुं दारियं पट्टयंसि दुरूहेंति, दुरूहित्ता सेयपीयएहिं कलसेहिं ण्हार्णेति, सव्वालंकारविभूसियं करेंति, करित्ता पिउणो पायं वंदिउं उवर्णेति । तणं सुबाहू दारिया जेणेव रुप्पी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पायग्गहणं करेइ । तए णं से रुप्पी राया सुबाहुं दारियं अंके णिवेसेइ, णिवेसित्ता सुबाहुए दारियाए रुवेण जोव्वणेण य लावण्णेण य जायविम्हए वरिसधरं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागर-णगर जाव गिहाणि अणुपविससि, तं अत्थियाई से कस्सइ रण्णो वा ईसरस्स वा कहिंचि एयारिसए मज्जणए दिट्ठपुव्वे, जारिसए णं इमीसे सुबाहुदारिया मज्जणए ? तए णं से वरिसधरे रुप्पिं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासीएवं खलु सामी ! अहं अण्णया तुब्भं दोच्चेणं मिहिलं गए । तत्थ णं मए कुंभगस्स रण्णो धूयाए, पभावईए देवीए अत्तयाए मल्लीए विदेहरायवरकण्णयाए मज्जणए दिट्ठे । तस्स मज्जणगस्स इमे सुबाहूए दारियाए मज्जणए सयसहस्सइमं पि कलं ण अग्घेइ । 95 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से रुप्पी राया वरिसधरस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म मज्जणग-जणिय- हरिसे दूयं सद्दावेइ जाव तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तेणं कालेणं तेणं समएणं कासी णामे जणवए होत्था, वण्णओ | तत्थ णं वाणारसी णाम णयरी होत्था, वण्णओ | तत्थ णं संखे णामं राया कासीराया होत्था, वण्णओ | तए णं तीसे मल्लीए विदेहरायवरकण्णयाए अण्णया कयाइं तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए यावि होत्था । तए णं कुंभए राया सुवण्णगारसेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधि संघाडेह, संघाडेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं सा सुवण्णगारसेणी एयमé तह त्ति पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव सुवण्णगार-भिसियाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुवण्णगार-भिसियासु णिवेसेइ, णिवेसित्ता बहूहिं आएहिं य जाव परिणामेमाणा इच्छंति तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधिं घडित्तए, णो चेव णं संचाएंति संघडित्तए | तए णं सा सुवण्णगारसेणी जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी- एवं खलु सामी ! अज्ज तुब्भे अम्हे सद्दावेह, सद्दावेत्ता जाव संधि संघाडेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं अम्हे तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेण्हामो जेणेव सवण्णगार-भिसियाओ जाव णो संचाएमो संघाडित्तए | तए णं अम्हे सामी! एयस्स दिव्वस्स कुंडलस्स अण्णं सरिसयं कुंडलजुयलं घडेमो । | ८४ तए णं से कुंभए राया तीसे सुवण्णगारसेणीए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते रुडे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडिं णिडाले साहट्ट एवं वयासी- केस णं तुब्भे कलाया णं भवह, जे णे तुब्भे इमस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स णो संचाएह संधिं संघाडेत्तए ? ते सुवण्णगारे णिव्विसए आणवेइ । तए णं सुवण्णगारा कुंभेण रण्णा णिव्विसया आणत्ता समाणा जेणेव साइं-साइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सभंडमत्तोवगरणमायाए मिहिलाए रायहाणीए मज्झमझेण णिक्खमंति, णिक्खमित्ता विदेहस्स जणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कासी जणवए, जेणेव वाणारसी णयरी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अग्गुज्जाणंसि सगडीसागडं मोएंति, मोइत्ता महत्थं जाव पाहुडं गेण्हंति, गेण्हित्ता वाणारसीए णयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव संखे कासीराया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेंति, वद्धावित्ता पुरओ ठावेंति, ठावित्ता संखरायं एवं वयासी Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९ ९० ज्ञाताधर्मकथा ८७ तए णं से संखे राया सुवण्णगारे एवं वयासी- केरिसिया णं देवाणुप्पिया! कुंभगस्स या पभावईए देवीए अत्तया मल्ली विदेहरायवरकण्णा ? तए णं ते सुवण्णगारा संखयं एवं वयासी- णो खलु सामी ! अण्णा काई तारिसिया देवकण्णा वा जाव जारिसिया णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा । तए णं कुंडल-जुयल-जणिय-हरिसे दूयं सद्दावेइ जाव तहेव पहारेत्थ गमणाए । ९१ अम्हे णं सामी ! मिहिलाओ णयरीओ कुंभएणं रण्णा णिव्विसया आणत्ता समाणा इहं हव्वमागया । तं इच्छामो णं सामी ! तुब्भं बाहुच्छायापरिग्गहिया णिब्भया णिरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसिउं । ८८ तेणं कालेणं तेणं समएणं कुरु णामं जणवए होत्था । तत्थ णं हत्थिणाउरे णामं णयरे होत्था। तत्थ णं अदीणसत्तू णामं राया होत्था जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ । ९२ तए णं संखे कासीराया ते सुवण्णगारे एवं वयासी- किं णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कुंभणं रण्णा णिव्विसया आणत्ता ? तए णं ते सुवण्णगारा संखं एवं वयासी एवं खलु सामी ! कुंभगस्स रण्णोधूया भाव देवीए अत्तयाए मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए । तए णं से कुंभ राया सुवणगारसेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता जाव णिव्विसया आणता । तत्थ णं मिहिलाए, तस्स कुंभगस्सरण्णो पुत्ते, पभावईए अत्तए, मल्लीए अणुजाय मल्लदिण्णए णामं कुमारे जाव जुवराया यावि होत्था । तए णं मल्लदिण्णे कुमारे अण्णया कयाइ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुब्भे मम पमयवणंसि एगं महं चित्तसभं करेह- अणेगखंभसयसण्णिविट्ठे जाव यमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तहेव पच्चप्पिणंति | तए णं मल्लदिण्णे कुमारे चित्तगरसेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! चित्तसभं हाव-भाव-विलास - विब्बोयकलिएहिं रूवेहिं चित्तेह, चित्तित्ता एयमाणत्तियं पचप्पिणह । तए णं सा चित्तगरसेणी एयमद्वं तहत्ति पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जेणेव सयाई, गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता तूलियाओ, वण्णए य गेण्हति, गेण्हित्ता जेणेव चित्तसभा तेणेव अणुपविसइ, अणुपविसित्ता भूमिभागे विरचति, विरचित्ता भूमिं सज्जइ, सज्जित्ता चित्तसभं हावभाव जाव चित्तेउं पयत्ता यावि होत्था । 97 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं एगस्स चित्तगारस्स इमेयारूवे चित्तगर-लद्धी लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया जस्स णं दुपयस्स वा चउपयस्स वा अपयस्स वा एगदेसमवि पासइ, तस्स णं देसाणुसारेणं तयाणुरूवं रूवं णिव्वत्तेइ । तए णं से चित्तगरदारए मल्लीए जवणियंतरियाए जालंतरेण पायंगुटुं पासइ । तए णं तस्स चित्तगरस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था सेयं खलु ममं मल्लीए वि पायंगुट्ठाणुसारेणं सरिसगं जाव गुणोववेयं रूवं णिव्वत्तित्तए, एवं संपेहेइ, संपेहित्ता भूमिभागं सज्जेइ, सज्जित्ता मल्लीए विदेह रायवरकण्णाए पायंगुट्ठाणुसारेणं सरिसगं जाव गुणाववेयं रूवं णिव्वत्तेइ । तए णं सा चित्तगर-सेणी चित्तसभं हाव-भाव-विलास-विब्बोय-कलिएहिं, रूवेहिं चित्तेइ, चित्तित्ता जेणेव मल्लदिण्णे कमारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ। तए णं मल्लदिण्णे चित्तगर-सेणिं, सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं मल्लदिण्णे कुमारे अण्णया पहाए अंतेउर-परियाल-संपरिवुडे अम्मधाईए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चित्तसभं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता हावभाव-विलास-बिब्बोय-कलियाई रूवाइं पासमाणे-पासमाणे जेणेव मल्लीए विदेहवररायकण्णाए तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं से मल्लदिण्णे कुमारे मल्लीए विदेहवररायकण्णाए तयाणुरूवं रूवं णिव्वत्तियं पासइ, पासित्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एस णं मल्ली विदेहवररायकण्ण त्ति कटु लज्जिए वीडिए वेड्डे सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ । तए णं मल्लिदिण्णकुमारं अम्मधाई सणियं-सणियं पच्चोसक्कंतं पासित्ता एवं वयासी- किं णं तुमं पुत्ता ! लज्जिए वीडिए वेड्डे सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ ? तए णं से मल्लदिण्णकुमारे अम्मधाइं एवं वयासी- जुत्तं णं अम्मो ! मम जेट्टाए भगिणीए गुरूदेवभूयाए लज्जणिज्जाए समं चित्तसभं अणुपविसित्तए ? तए णं अम्मधाई मल्लदिण्णकुमारे एवं वयासी- णो खलु पुत्ता ! एस मल्ली विदेहवररायकण्णा। चित्तगरएणं तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तिए । तए णं मल्लदिण्णे कुमारे अम्मधाईए एयमढे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते एवं वयासी- केस णं भो! से चित्तगरए अप्पत्थियपत्थिए जाव परिवज्जिए, जेण मम जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवभूयाए जाव णिव्वत्तिए? त्ति कट्ट तं चित्तगरं वज्झं आणवेइ । o/ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१ १०२ |१०३ १०४ १०५ १०६ ज्ञाताधर्मकथा तए णं सा चित्तगर-सेणी इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा जेणेव मल्लदिण्णे कुमारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेइ, वद्धावित्ता एवं वयासी एवं खलु सामी ! तस्स चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तगर-लद्धी लद्धा पत्ता अभिसमण्णागयाजस्स णं दुपयस्स वा जाव णिव्वत्तेइ । तं मा णं सामी ! तुब्भे तं चित्तगरं वज्झं आणवेह। तं तुब्भे णं सामी ! तस्स चित्तगरस्स अण्णं तयाणुरूवं दंडं णिव्वत्तेह | तए णं से मल्लदिण्ण कुमारे तस्स चित्तगरस्स संडासगं छिंदावेइ, छिंदावित्ता णिव्विस आवे | तए णं से चित्तगरए मल्लदिण्णेणं णिव्विसए आणत्ते समाणे सभंडमत्तोवगरणमायाए मिहिलाओ णयरीओ णिक्खमइ, णिक्खमित्ता विदेहस्स जणवयस्स मज्झंमज्झेणं णिक्खमित्ता जेणेव कुरुजणवए, जेणेव हत्थिणाउरे णयरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भंडणिक्खेवं करेइ, करित्ता चित्तफलगं सज्जेइ, सज्जित्ता मल्लीए विदेहरायवर-कण्णगाए पायंगुट्ठाणुसारेणं रूवं णिव्वत्तेइ, णिव्वत्तित्ता कक्खंतरंसि छुब्भइ, छुब्भइत्ता महत्थं जाव पाहुडं गेण्हइ, गेण्हित्ता हत्थिणाउरस्स णयरस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेइ, वद्धावित्ता पाहुडं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासी- एवं खलु अहं सामी ! महिलाओ रायहाणीओ कुंभगस्स रण्णो पुत्तेणं पभावईए देवीए अत्तएणं मल्लदिण्णेणं कुमारेणं णिव्विस आणत्ते समाणे इह हव्वमागए, तं इच्छामि णं सामी ! तुब्भं बाहुच्छाया परिग्गहिए जाव परिवसित्तए । तणं से अदीणसत्तू राया तं चित्तगरदारयं एवं वयासी- किं णं तुमं देवाणुप्पिया ! मल्लदिण्णेणं णिव्विसए आणत्ते ?' तए णं से चित्तयरदारए अदीणसत्तुरायं एवं वयासी- एवं खलु सामी ! मल्लदिण्णे कुमारे अण्णया कयाइ चित्तगर-सेणिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! मम चित्तसभं, तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव मम संडासंग छिंदावेइ छिंदावित्ता णिव्विसयं आणवेइ । तं एवं खलु सामी ! मल्लदिण्णेणं कुमारेणं णिव्विसए आणत्ते । तए णं अदीणसत्तू राया तं चित्तगरं एवं वयासी - से केरिसए णं देवाणुप्पिया! तुमे मल्लीए तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तिए ? तए णं से चित्तगरे कक्खंतराओ चित्तफलयं णीणेइ, णीणित्ता अदीणसत्तुस्स उवणे, उवणित्ता एवं वयासी- एस णं सामी ! मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए तयाणुरुवस्स रूवस्स केइ आगार- भाव-पडोयारे णिव्वत्तिए । णो खलु सक्का केणइ देवेण वा जाव मल्ल विदेहरायवरकण्णगाए तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तित्तए । तणं अदीणसत्तू राया पडिरूवजणियहरिसे दूयं सद्दावेइ जाव पहारेत्थ गमणाए । 99 Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७ | १०८ १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ज्ञाताधर्मकथा तेणं कालेणं तेणं समएणं पंचाले नामं जणवए होत्था, वण्णओ । कंपिल्ले पुरे णयरे होत्था, वण्णओ । तत्थ णं जियसत्तू णामं राया होत्था पंचालाहिवई, वण्णओ । तस्स णं जियसत्तुस्स धारिणीपामोक्खं देविसहस्सं ओरोहे होत्था, वण्णओ । तत्थ णं मिहिलाए चोक्खा णामं परिव्वाइया रिउव्वेय जाव यावि होत्था । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मिहिलाए बहूणं राईसर जाव सत्थवाहपभिईणं पुरओ दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च आघवेमाणी पण्णवेमाणी परूवेमाणी उवदंसेमाणी विहरइ । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया अण्णया कयाइ तिदंडं च कुंडियं च जाव धाराओ गिण्हइ, गिण्हित्ता परिव्वाइगावसहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता पविरलपरिव्वाइया सद्धिं संपरिवुडा मिहिलं रायहाणिं मज्झमज्झेणं जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे, जेणेव कण्णंतेउरे, जेणेव मल्ली विदेहरायवरकण्णा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदयपरिफासियाए, दब्भोवरि पच्चत्थुयाए भिसियाए णिसीयइ, णिसीइत्ता मल्लीए विदेहरायवरकण्णा पुरओ दाणधम्मं जाव विहरइ । तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकण्णा चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी - तुब्भे णं चोक्खे ! किंमूल धम्मे पत्ते ? तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मल्लिं विदेहरायवरकण्णं एवं वयासी- अम्हं णं देवाणुप्पिया! सोयमूलए धम्मे पण्णवेमि, जं णं अम्हं किंचि असुई भवइ, तं णं उदएण य मट्टियाए य जाव अविग्घेणं सग्गं गच्छामो । तए णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी- चोक्खा ! से जहाणाम केइ पुरिसे रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेज्जा, अत्थि णं चोक्खा! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं धोव्वमाणस्स काई सोही ? णो इणट्ठे समट्ठे । एवामेव चोक्खा ! तुब्भेणं पाणाइवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं णत्थि काई सोही, जहा व तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं धोव्वमाणस्स । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए एवं वुत्ता समाणा संकिया कंखिया विइगिच्छया भेयसमावण्णा जाया यावि होत्था, मल्लीए णो संचाएइ किंचिवि पामोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीया संचिट्ठइ । तए णं तं चोक्खं मल्लीए बहूओ दासचेडीओ हीलेंति, णिदंति, खिसंति, गरहंति, अप्पेगइयाओ, हेरुयालंति, अप्पेगइयाओ मुहमक्कडियाओ करेंति, अप्पेगइयाओ वग्घाडीओ करेंति, अप्पेगइयाओ तज्जेमाणीओ णिच्छुभंति । तए णं सा चोक्खा मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए दासचेडियाहिं हीलिज्जमाणी जाव मिसमिसेमाणी मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए पओसमावज्जइ, भिसियं गेण्हइ, गेण्हित्ता 100 Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा कण्णंतेउराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता मिहिलाओ णिग्गच्छइ, णिग्गछित्ता परिव्वाइया- संपरिवुडा जेणेव पंचालजणवए जेणेव कंपिल्लपुरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बहूणं राईसर जाव परूवेमाणी विहरइ। ११५ तए णं से जियसत्तू अण्णया कयाइ अंतेउर-परियाल-सद्धिं संपरिवुड़े एवं जाव सीहासण वरगए यावि विहरइ । तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया-संपिरवुडा जेणेव जियसत्तुस्स रण्णो भवणे, जेणेव जियसत्तू तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता । गं विजएणं वद्धावेइ। तए णं से जियसत्त् चोक्खं परिव्वाइयं एज्जमाणे पासइ, पासित्ता सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुद्वित्ता चोक्खं परिव्वाइयं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता आसणेणं उवणिमंतेइ। ११६ तए णं सा चोक्खा उदगपरिफासियाए दब्भोवरि पच्चत्थुयाए भिसियाए णिविसइ, जियसत्तुं रायं रज्जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ । तए णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रण्णो दाणधम्मं च जाव विहरइ । तए णं से जियसत्तू अप्पणो ओरोहंसि जाय विम्हए चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी- तुमं णं देवाणुप्पिए ! बहूणि गामागर जाव आहिंडसि, बहूंण य राईसरसत्यवाहप्पभिइणं गिहाइ अणुपविससि, तं अत्थियाइं ते कस्स वि रण्णो वा जाव एरिसए ओरोहे दिद्वपुव्वे जारिसए णं इमे मम ओरोहे ? ११८ तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया जियसत्तुणा एवं वुत्ता समाणी ईसिं अवहसियं करेइ, करित्ता एवं वयासी-एवं च सरिसए णं तुमे देवाणुप्पिया ! तस्स अगडदडुरस्स | केस णं देवाणुप्पिए ! से अगडदडुरे ? जियसत्तू ! से जहानामए अगडदडुरे सिया । से णं तत्थ जाए तत्थेव वुड्ढे अण्णं अगडं वा तलागं वा दहं वा सरं वा सागरं वा अपासमाणे एवं मण्णइ-अयं चेव अगडे वा जाव सागरे वा। तए णं तं कूवं अण्णे सामुद्दए दडुरे हव्वमागए । तए णं से कूवदडुरे तं सामुद्ददडुरं एवं वयासी- से केस णं तुम देवाणुप्पिया ! कत्तो वा इह हव्वमागए? तए णं से सामुद्दए दडुरे तं कूवददुरं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सामुद्दए दडुरे । । तए णं से कूवदडुरे तं सामुद्दयं दडुरं एवं वयासी- केमहालए णं देवाणुप्पिया! से समुद्दे? तए णं सामुद्दए दडुरे तं कूवदडुरे एवं वयासी- महइ महालए णं देवाणुप्पिया! समुद्दे । तए णं से कूवदद्दरे पाएणं लीहं कड्ढेइ, कढित्ता एवं वयासी- ए महालए णं देवाणप्पिया ! से समुद्दे ? णो इणढे समढे, महालए णं से समुद्दे । तए णं से कूवदडुरे पुरच्छिमिल्लाओ तीराओ उप्फिडित्ता णं पच्चत्थिमिल्लं तीरं गच्छइ, गच्छित्ता एवं वयासी- ए महालए णं देवाणुप्पिया! से समुद्दे? णो इणढे समढे । 101 Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |११९ १२० |१२२ ज्ञाताधर्मकथा १२३ एवामेव तुमं पि जियसत्तू ! अण्णेसिं बहूणं राईसर जाव सत्थवाहपभिईणं भज्जं वा भगिणिं वा धूयं वा सुण्हं वा अपासमाणे जाणसि- जारिसए मम चेव णं ओरोहे तारि णो अण्णस्स । तं एवं खलु जियसत्तु ! मिहिलाए णयरीए कुंभगस्स धूया पभावईए अत्तया मल्ली णामं विदेहवररायकण्णा रूवेण य जोव्वणेण जाव णो खलु अण्णा काई देवकण्णा वा जारिसिया मल्ली विदेहरायवरकण्णाए; तीसे छिण्णस्स वि पायंगुट्ठस्स इमे तवोरोहे सयसहस्सइमं पि कलं ण अग्घइ त्ति कट्टु जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया । |१२१ तए णं से कुंभए राया तेसिं दूयाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा आसुरत्ते जाव एवं वयासीदेमि णं अहं तुब्भं मल्लिं विदेहरायवरकण्णं ति कट्टु ते छप्पि दूये अक्कार असम्माणिय अवद्दारेणं णिच्छुभावेइ । तए णं जियसत्तू परिव्वाइयाजणियहरिसे दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता जाव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं छप्पि य दूयगा जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मिहिलाए अग्गुज्जाणंसि पत्तेयं - पत्तेयं खंधावारणिवेसं करेंति, करित्ता मिहिलं रायहाणिं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव कुंभए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पत्तेयंपत्तेयं करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं दसणहं मत्थए अंजलिं कट्टु साणं-साणं राई वाइं णिवेदेंति । तए णं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया कुंभएणं रण्णा असक्कारिया असम्माणिया अवद्दारेणं णिच्छुभाविया समाणा जेणेव सया सया जणवया, जेणेव सयाइं सयाई गराई जेणेव सया सया रायाणो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी एवं खलु सामी ! अम्हे जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया जमगसमगं चेव जेणेव मिहिला तेणेव उवागया जाव अवद्दारेणं णिच्छुभावेइ । तं ण देइ णं सामी ! कुंभए राया मल्लिं विदेहरायवरकण्णं, साणं-साणं राईणं एयमद्वं णिवेदेइ । तणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म आसुरत्ता अण्णमणस्स दूयसंपेसणं करेंति, करित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं छण्हं राईणं दूया जमगसमगं चेव जाव णिच्छूढा, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कुंभगस्स जत्तं गेण्हित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स एयमट्ठे पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता पहाया जाव सण्णद्धा हत्थिखंधवरगया सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं इज्जाणा महयाहय-गय-रह-पवरजोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्ढीए जाव दुंदुभिणाइयरवेणं सएहिंतो सएहिंतो 102 Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ १२५ १२६ १२७ | १२८ ज्ञाताधर्मकथा णगरेहिंतो णिग्गच्छंति, णिग्गच्छित्ता एगयओ मिलायंति, मिलाइत्ता जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तणं कुंभ राया इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे बलवाउयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हय-गय-रह-पवर - जोह-कलियं सेण्णं सण्णाहेह जाव पच्चप्पिणंति । तणं कुंभए राया पहाए जाव सण्णद्धे हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं वीइज्जमाणे चाउरंगिणी सेणाए सद्धिं संपरिवडे सव्विड्ढी जाव मिथिलं रायहाणिं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता विदेहं जणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव देसअंते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंधावारणिवेसं करेइ, करित्ता जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे पडिचिट्ठइ । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुंभएणं रण्णा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था । तणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभयं रायं हय-महिय- पवरवीरघाइयणिवडिय- चिंधद्धय-प्पडागं- किच्छप्पाणोवगयं दिसो दिसिं पडिसेहिंति । तणं से कुंभए राया जियसत्तुपामोक्खेहिं छहिं-राईहिं हय-महिय जाव पडिसेहिए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कार- परक्कम्मे अधारणिज्जमिति कट्टु सिग्घं तुरियं चवलं चंडं जइणं वेइयं जेणेव मिहिला णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिहिलं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता, मिहिलाए दुवाराइं पिहेइ, पिहित्ता रोहसज्जे चिट्ठइ । तणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मिहिलं रायहाणिं णिस्संचारं णिरुच्चारं सव्वओ समंता ओरंभित्ता णं चिट्ठति। तणं कुंभ राया मिहिलं रायहाणिं ओरुद्धं जाणित्ता अब्भंतरियाए उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य मम्माणि य अलभमाणे, बहुहिं आएहि य उवाएहि य उप्पित्तियाहि यबुद्ध परिणामेमाणे परिणामेमाणे किंचि आयं वा उवायं वा अलभमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ । १२९ इमं च णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा ण्हाया जाव बहूहिं खुज्जाहिं जाव पारसीहिं परिवुडा जेणेव कुंभए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कुंभगस्स पायग्गहणं करेइ । तए णं कुंभए राया मल्ली विदेहरायवरकण्णं णो आढाइ, णो परियाणाइ, तुसिणीए संचिट्ठइ । 103 Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० १३१ १३३ १३४| ज्ञाताधर्मकथा १३२ तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो कल्लं पाउप्पभायाए जाव जालंतरेहिं कणगमयं मत्थयछिड्डं पउमुप्पलपिहाणं पडिमं पासंति, “एस णं मल्ली विदेहरायवरकण्ण" त्ति क मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य मुच्छिया गिद्धा जाव अज्झोववण्णा अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणा पेहमाणा चिट्ठति । १३५ तए णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा कुंभयं रायं एवं वयासी- तुब्भे णं ताओ! अण्णा म एज्जमाणं जाव णिवेसेह, किं णं तुब्भं अज्ज ओहयमणसंकप्पे जाव झियायह ? तए णं कुंभए राया मल्लिं विदेहरायवरकण्णं एवं वयासी- एवं खलु पुत्ता ! तव कज्जे जियसत्तुपामोक्खेहिं छहिं राईहिं दूया संपेसिया, ते णं मए असक्कारिया जाव णिच्छूढा । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा परिकुविया समाणा जाव मिहिलं रायहाणिं णिस्संचारं चिट्ठति । तए णं अहं पुत्ता ! तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं अंतराणि अलभमाणे जाव झियामि । तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकण्णा कुंभयं रायं एवं वयासी- मा णं तुब्भे ताओ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तुब्भे णं ताओ ! तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं पत्तेयं-पत्तेयं रहसियं दूयसंपेसे करेह, एगमेगं एवं वयह- तव देमि मल्लिं विदेहरायवरकण्णं, ति कट्टु संझाकालसमयंसि पविरल - मणूसंसि णिसंतंसि पडिणिसंतंसि पत्तेयं-पत्तेयं मिहिलं रायहाणि अणुप्पवेसेह, अणुप्पवेसित्ता गब्भघरएस अणुप्पवेसेह, मिहिलाए रायहाणीए दुवाराइं पिहेह, पिहेत्ता रोहासज्जे चिट्ठह । तए णं कुंभए राया एवं तं चेव जाव पवेसेइ, रोहसज्जे चिट्ठइ | तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकण्णा ण्हाया जाव सव्वालंकारविभूसिया बहूहिं खुज्जाहिं जाव परिक्खित्ता जेणेव जालघरए, जेणेव कणगपडिमा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तीसे कणगपडिमाए मत्थयाओ तं परमं पिहाणं अवणेइ । तए णं गंधे णिद्धावइ से जहाणाम अहम इ वा जाव असुभतराए चेव । तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं सएहिं उत्तरिज्जेहिं आसाइं पिहेंति, पिहित्ता परम्हा चिट्ठति । तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकण्णा ते जियसत्तुपामोक्खे एवं वयासी- किं णं तुब्भं देवाणुप्पिया ! सएहिं सएहिं उत्तरिज्जेहिं जाव परम्मुहा चिट्ठह ? तएणं ते जियसत्तुपामोक्खा मल्लिं विदेहरायवरकण्णं एवं वयंति एवं खलु देवाणुप्पिए ! अम्हे इमेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं सएहिं उत्तरिज्जेहिं जाव चिट्ठामो । तए णं मल्ली विदेहरायवरकण्णा ते जियसत्तुपामोक्खे एवं वयासी- जइ ताव देवाणुप्पिया ! इमीसे कणगमईए जाव पडिमाए कल्लाकल्लिं ताओ मणुण्णाओ असण- पाण- खाइम 104 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा साइमाओ एगमेगे पिंडे पक्खिप्पमाणे-पक्खिप्पमाणे इमेयारूवे असुभे पोग्गल-परिणामे, इमस्स पुण ओरालियसरीरस्स खेलासवस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कसोणियपूयासवस्स दुरूवऊसास- णीसासस्स दुरूव-मुत्त-पूइय-पुरीस-पुण्णस्स सडण-पडण-छेयणविद्धंसण- धम्मस्स केरिसए परिणामे भविस्सइ ? तं मा णं तुब्भे देवाणुप्पिया! माणुस्सएसु कामभोगेसु रज्जह, गिज्झह, मुज्झह, अज्झोववज्जह ।' एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमाओ तच्चे भवग्गहणे अवरविदेहवासे सलिलावइंसि विजए वीयसोगाए रायहाणीए महब्बलपामोक्खा सत्त वि य बालवयंसगा रायाणो होत्था, सह जाया जाव पव्वइया | तए णं अहं देवाणुप्पिया ! इमेणं कारणेणं इत्थीणामगोयं कम्मं णिव्वत्तेमि- जइ णं तुब्भे चउत्थं उवसंपज्जित्ताणं विहरह, तए णं अहं छठें उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । सेसं तहेव सव्वं । तए णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कालमासे कालं किच्चा जयंते विमाणे उववण्णा। तत्थ णं तुब्भे देसूणाई बत्तीसाइं सागरोवमाइं ठिइं । तए णं तुब्भे ताओ देवलोयाओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे जाव साइं-साइं रज्जाइं उवसंपज्जित्ता णं विहरह | तए णं अहं देवाणुप्पिया! ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं जाव दारियत्ताए पच्चायाया । तए णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं रायाणं मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए अंतिए एयमटुं सोच्चा णिसम्म सुभेणं परिणामेणं पसत्येणं अज्झवसाणेणं, लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं, तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहा-पोह-मग्गण-गवेसणं करेमाणाणं जाइस्सरणे समुप्पण्णे । एयम९ सम्म अभिसमागच्छंति । १३९ तए णं मल्ली अरहा जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो समुप्पण्णजाइसरणे जाणित्ता गब्भघराणं दाराइं विहाडावेइ । तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छति । तए णे महब्बलपामोक्खा सत्तवि य बालवयंसा एगयओ अभिसमण्णागया यावि होत्था । तए णं मल्ली अरहा जियसत्तुपामोक्खे छप्पि य रायाणो एवं वयासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! संसारभयउव्विग्गा जाव पव्वयामि । तं तुब्भे णं किं करेह ? किं वा ववसह? किं वा भे हियइच्छिए सामत्थे(मंते) य ? १४१ तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो मल्लिं अरहं एवं वयासी-जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसारभयउव्विगा जाव पव्वयह, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! के अण्णे आलंबणे वा आहारे वा पडिबंधे वा? जह चेव णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे अम्हे इओ तच्चे भवग्गहणे बहुसु कज्जेसु य मेढी पमाणं जाव धम्मधुरा होत्था, तहा चेव णं देवाणुप्प्यिा ! इण्हिं पि 105 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा जाव भविस्सह। अम्हे वि य णं देवाणुप्पिया! संसारभयउव्विग्गा जाव भीया जम्ममरणाणं, देवाणुप्पियाणं सद्धिं मुंडा भवित्ता जाव पव्वयामो | तए णं मल्ली अरहा ते जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो एवं वयासी- जं णं तुब्भे संसारभउव्विगा जाव मए सद्धिं पव्वयह, तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सएहिं-सएहिं रज्जेहिं जेट्टे पुत्ते रज्जे ठावेह, ठावेत्ता पुरिसहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरुहह, दुरूढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह। तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो मल्लिस्स अरहओ एयमद्वं पडिसुणेति । तए णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे गहाय जेणेव कुंभए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कुंभगस्स पाएसु पाडेइ । तए णं कुंभए राया ते जियसत्तुपामोक्खा विउलेणं असण-पाण- खाइम-साइमेणं-पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभएणं रण्णा विसज्जिया समाणा जेणेव साइंसाइं रज्जाइं, जेणेव साइं-साइं णयराइं तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सयाई-सयाई रज्जाइं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति । तए णं मल्ली अरहा संवच्छरावसाणे णिक्खमिस्सामि त्ति मणं पहारेइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्कस्स आसणं चलइ । तए णं सक्के देविंदे देवराया आसणं चलियं पासइ, पासित्ता ओहिं पउंजइ, पउंजित्ता मल्लिं अरहं ओहिणा आभोएइ, आभोइत्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मिहिलाए रायहाणीए कुंभगस्स रण्णो धूया मल्ली अरहा णिक्खमिस्सामि त्ति मणं पहारेइ । तं जीयमेयं तीय-पच्चुप्पण्ण-मणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवरायाणं, अरहंताणं भगवंताणं णिक्खममाणाणं इमेयारूवं अत्थसंपयाणं दलित्तए । तं जहातिण्णेव य कोडिसया, अट्ठासीइं च होंति कोडीओ | असिइं च सयसहस्सा, इंदा दलयंति अरहाणं | एवं संपेहेइ, संपेहित्ता वेसमणं देवं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं ख णप्पिया! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जाव असीइं च सयसहस्साई दलइत्तए, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे कुंभगस्स रण्णो भवणंसि इमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहराहि, साहरित्ता खिप्पामेव मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं देविंदेण देवरण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे करयल जाव पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जंभए देवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं, कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिण्णेव 106 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १४८ य कोडिसया, अट्ठासीयं च कोडीओ असीइं च सयसहस्साइं; अयमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहरह, साहरित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह | तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं एवं वुत्ता समाणा जाव पडिसुणेत्ता उत्तरपुरच्छिम दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता जाव उत्तरवेउव्वियाई रूवाइं विउव्वंति, विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुंभगस्स रण्णो भवणंसि तिणि कोडिसया जाव साहरंति, साहरित्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणइ । तए णं मल्ली अरहा कल्लाकल्लिं जाव मागहओ पायरासो त्ति बहणं सणाहाण य अणाहाण य पंथियाण य पहियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडिं अट्ठ य अणूणाई सयसहस्साई इमेयारूवं अत्यंसंपयाणं दलयइ । तए णं से कुंभए राया मिहिलाए रायहाणीए तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे बहूओ महाणससालाओ करेइ । तत्थ णं बहवे मण्या दिण्णभइ- भत्त-वेयणा -विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेंति । जे जहा आगच्छंति तं जहा- पंथिया वा पहिया वा करोडिया वा कप्पडिया वा पासंडत्था वा गिहत्था वा; तस्स य तहा आसत्थस्स वीसत्थस्स सुहासणवरगयस्स तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं परिभाएमाणा परिवेसेमाणा विहरंति। तए णं मिहिलाए सिंघाडग जाव बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ- एवं खलु देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स रण्णो भवणंसि सव्वकामगुणियं किमिच्छियं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं बहूणं समणाय य जाव परिवेसिज्जइ । वरवरिया घोसिज्जइ, किमिच्छियं दिज्जए बहुविहीयं । सुर-असुर-देव-दाणव-नरिंद-महियाण णिक्खमणे || तए णं मल्ली अरहा संवच्छरेणं तिण्णि कोडिसया अट्ठासीइं च होंति कोडीओ असिइं च सयसहस्साई इमेयारूवं अत्थसंपयाणं दलइत्ता णिक्खमामि त्ति मणं पहारेइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिटे विमाणपत्थडे सरहिं सएहिं विमाणेहिं सरहिं-सएहिं पासायवडिसएहिं पत्तेयं पत्तेयं चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहिं लोगंतिएहिं देवेहिं सद्धिं संपरिवुडा महयाहय-णट्ट-गीय जाव वाइय रवेणं भुंजमाणा विहरंति, तं जहा १५१ ઉછરો १५३ 107 Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ १५५) १५६ ज्ञाताधर्मकथा १५९ सारस्सयमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वाबाहा, अग्गिच्चा चेव रिट्ठा य ॥ तणं तेसिं लोयंतियाणं देवाणं पत्तेयं पत्तेयं आसणाई चलति तहेव जाव तं जीयमेयं लोगंतियाणं देवाणं अरहंताणं णिक्खममाणाणं संबोहणं करेत्तए त्ति । तं गच्छामो णं अम्हे व मल्लिस अरहओ संबोहणं करेमो त्ति कट्टु एवं संपेर्हेति, संपेहित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभायं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणंति, समोहणित्ता संखिज्जाइं जोयणाइं दंडं णिसिरंति, एवं जहा जंभगा जाव जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णा सखिखिणियाई दसद्धवण्णाइं वत्थाइं पवरपरिहिया करयल जाव अंजलिं कट्टु ताहिं इट्ठाहिं जाव एवं वयासी बुज्झाहि भयवं ! लोगणाहा ! पवत्तेहि धम्मतित्थं, जीवाणं हिय-सुह-णिस्सेयसकरं भविस्सइ त्ति कट्टु दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयंति, वइत्ता मल्लिं अरहं वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तणं मल्ली अरहा तेहिं लोगंतिएहिं देवेहिं संबोहिए समाणे जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छड्, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- इच्छामि णं अम्मयाओ ! हिं अण्णा समाणे मुंडे भवित्ता जाव पव्वइत्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं कुंभए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्साणं भोमेज्जाणं कलसाणं, अण्णं च महत्थं महग्घं हरिहं विलं तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह । जाव उवट्ठवेंति । १५७ तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे जाव अच्चुयपज्जवसाणा आगया । | १५८ तणं सक्के देविंदे देवराया आभिओगिए देवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अण्णं च तं विउलं उवट्ठवेह । जाव उवट्ठवेंति। तेवि कलसा ते चेव कलसे अणुपविट्ठा । तए णं से सक्के देविंदे देवराया कुंभराया य मल्लिं अरहं सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहं णिवेसेइ, अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं जाव अभिसिंचइ । तए णं मल्लिस्स भगवओ अभिसे वट्टमाणे अप्पेगइया देवा मिहिलं च सब्भिंतरं बाहिरियं जाव सव्वओ समंता आधावंति परिधावति । 108 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा राया दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावेइ जाव सव्वालंका करेइ, करित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवायुप्पिया ! मणोरमं सीयं उवट्ठवेह जाव ते वि उवट्ठति । तए णं सक्के देविंदे देवराया आभियोगिए देवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव अणेगखंभं जाव मनोरमं सीयं उवट्ठवेह । जाव सावि सीया तं चेव सीयं अणुपविट्ठा । तए णं मल्ली अरहा सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुद्वित्ता जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मणोरमंसीयं अणुपयाहिणी करेमाणा मणोरमं सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ।। तए णं कुंभए राया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ण्हाया जाव सव्वालंकारविभूसिया मल्लिस्स सीयं परिवहह। तेवि जाव परिवहति। तए णं सक्के देविंदे देवराया मणोरमाए दक्खिणिल्लं उवरिल्लं बाहं गेण्हइ, ईसाणे उत्तरिल्लं उवरिल्लं बाहं गेण्हइ, चमरे दाहिणिल्लं हेद्विल्लं, बली उत्तरिल्लं हेद्विल्लं, अवसेसा देवा जहारिहं मणोरमं सीयं परिवहति । १६५ पुव् िउक्खित्ता माणुस्सेहिं, साहद्वरोमकूवेहिं । पच्छा वहति सीयं, असुरिंदसुरिंदणागेंदा ॥१॥ चलचवलकुंडलधरा, सच्छंदविउव्वियाभरणधारी । देविंददाणविंदा, वहति सीयं जिणिंदस्स ॥२॥ तए णं मल्लिस्स अरहओ मणोरमं सीयं दुरूढस्स इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए एवं णिग्गमो जहा जमालिस्स | तए णं मल्लिस्स अरहओ णिक्खममाणस्स अप्पेइगया देवा मिहिलं रायहाणिं अभिंतरबाहिरं आसिय-संमज्जिय-संमट्ठ-सुइ-रत्यंतरावणवीहियं करेंति जाव परिधावति । तए णं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता आभरणालंकारं ओमुयइ । तए णं पभावई हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणालंकारे पडिच्छइ । तए णं मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ । तए णं सक्के देविंदे देवराया मल्लिस्स केसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता खीरोदगसमुद्दे पक्खिवइ । तए णं मल्ली अरहा णमोत्थुणं सिद्धाणं ति कट्ठ सामाइयचरित्तं पडिवज्जइ । 109 Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा जं समयं च णं मल्ली अरहा सामाइय चरित्तं पडिवज्जइ, तं समयं च देवाण य मणुस्साण य णिग्घोसे तुरिय-णिणाय-गीय-वाइय-णिग्घोसे य सक्कस्स वयणसंदेसेणं णिलक्के यावि होत्था। जं समयं च णं मल्ली अरहा सामाइयं चरित्तं पडिवण्णे तं समयं च णं मल्लिस्स अरहओ माणुसधम्माओ उत्तरिए मणपज्जवणाणे समुप्पण्णे | मल्ली णं अरहा जे से हेमंताणं दोच्चे मासे चउत्थे पक्खे पोससुद्धे तस्स णं पोससुद्धस्स एक्कारसीपक्खेणं पुव्वण्हकालसमयंसि अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं, अस्सिणीहिं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं तिहिं इत्थीसएहिं अभिंतरियाए परिसाए, तिहिं पुरिससएहिं बाहिरियाए परिसाए सद्धिं मुंडे भवित्ता पव्वइए । मल्लिं अरहं इमे अट्ठ णायकुमारा अणुपव्वइंसु, तं जहाणंदे य णंदिमित्ते, सुमित्त बलमित्त भाणुमित्ते य । अमरवइ अमरसेणे, महसेणे चेव अट्ठमए || तए णं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया देवा मल्लिस्स अरहओ णिक्खमण- महिमं करेंति, करित्ता जेणेव गंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अट्ठाहियं महिम करेंति, करित्ता जाव पडिगया । तए णं मल्ली अरहा जं चेव दिवसं पव्वइए, तस्सेव दिवसस्स पच्छावरण्ह- कालसमयंसि असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहासणवरगयस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेणं, पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं, तयावरण-कम्मरय-विकरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते जाव केवलणाणदंसणे समुप्पण्णे | तेणं कालेणं तेणं समएणं सव्वदेवाणं आसणाई चलंति, समोसढा, धम्म सुणेति, अट्ठाहियमहिमा गंदीसरे, जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । कुंभए वि णिग्गच्छद । तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो जेट्टपुत्ते रज्जे ठावित्ता पुरिससहस्सवाहिणीयाओ सीयाओ दुरूढा समाणा सव्विढिए जेणेव मल्ली अरहा जाव पज्जुवासंति । तए णं मल्ली अरहा तीसे महइ महालियाए परिसाए कुंभगस्स रण्णो, तेसिं च जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं धम्मं कहेइ । परिसा जामेव दिसिं पाउब्भूआ तामेव दिसिं पडिगया | कुंभए समणोवासए जाए जाव पडिगए, पभावई य समणोवासिया जाया जाव पडिगया । 110 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | १७८ १७९ ज्ञाताधर्मकथा तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो धम्मं सोच्चा णिसम्म एवं वयासी- आलित्ते णं भत्ते जाव पव्वइया । चोद्दसपुव्विणो, अनंते केवले, सिद्धा । १८३ तए णं मल्ली अरहा सहसंबवणाओ उज्जाणाओ णिक्खमइ, णिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । १८० मल्लिस णं अरहओ भिसग पामोक्खा अट्ठावीसं गणा, अट्ठावीसं गणहरा होत्था । मल्लिस णं अरहओ भिसग पामोक्खा चत्तालीसं समणसाहस्सीओ उक्कोसियाओ समण संपया होत्था, बंधुमईपामोक्खाओ पणपण्णं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया संपया होत्था । एवं सावयाणं एगा सयसाहस्सीओ चुलसीइं च सहस्सा, सावियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ पण्णट्ठि च सहस्सा, छस्सया चोद्दसपुव्वीणं, वीससया ओहिणाणीणं, बत्तीसं सया केवलणाणीणं, पणतीसं सया वेउव्वियाणं, अट्ठसया मणपज्जवणाणीणं, चोद्दससया वाईणं, वीसं सया अणुत्तरोववाइयाणं संपया होत्था । १८१ मल्लिस्स अरहओ दुविहा अंतगडभूमी होत्था । तंजहा-जुगंतकरभूमी, परियायंतकर- भूमी य। जाव वीसइमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी, दुवासपरियाए अंतमकासी । १८२ मल्ली णं अरहा पणुवीसं धणूणि उड्ढं उच्चत्तेणं, वण्णेणं पियंगुसमे, समचउरंससंठाणे, वज्जरिसभणाराचसंघयणे, मज्झदेसे सुहं सुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेए पव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सम्मेयसेलसिहरे पाओवगमणमणुववण्णे । मल्ली णं एगं वाससयं आगारवासं मज्झे पणपण्णं वाससहस्साइं वाससयऊणाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता, पणपण्णं वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेत्तसुद्धे, तस्स णं चेतसुद्धस्स चउत्थीए पक्खेणं भरणीए णक्खत्तेणं अद्धरत्तकालसमयंसि पंचहिं अज्जियासएहिं अब्भिंतरियाए परिसाए पंचहिं अणगारसएहिं बाहिरियाए परिसाए, मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं, वग्घारियपाणी, खीणे वेयणिज्जे आउए णामे गोए सिद्धे । एवं परिणिव्वाणमहिमा भाणियव्वा जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए, णंदीसरे अट्ठाहियाओ, पडिगयाओ । १८४ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ अट्ठमं अज्झयणं समत्तं ॥ 111 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णवमं अज्झयणं मायंदी |ब्द जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, णवमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था, वण्णओ | पुण्णभद्दे चेइए, वण्णओ । तत्थ णं माकंदी णामं सत्थवाहे परिवसइ, वण्णओ | तस्स णं भद्दा णामं भारिया होत्था, वण्णओ। तीसे णं भद्दाए भारियाए अत्तया वे सत्थवाहदारया होत्था, तंजहा- जिणपालिए य जिणरक्खिए य । तए णं तेसिं मागंदियदारगाणं अण्णया कयाई एगयओ इमेयारूवे मिहोकहा समुल्लावे समुप्पज्जित्था- एवं खलु अम्हे लवणसमुदं पोयवहणेणं एक्कारस वारा ओगाढा | सव्वत्थ वि य णं लट्ठा कयकज्जा अणहसमग्गा पुणरवि णियघरं हव्वमागया । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! दुवालसमं पि लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहित्तए ति कटटु अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता एवं वयासीएवं खलु अम्हे अम्मयाओ ! एक्कारस वारा तं चेव जाव णियघरं हव्वमागया। तं इच्छामो णं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा दुवालसमं लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहित्तए । तए णं ते माकंदियदारए अम्मापियरो एवं वयासी- इमे भे जाया ! अज्जग जाव परिभाएउं। तं अणुहोह ताव जाया ! विउले माणुस्सए इड्ढीसक्कारसमुदए । किं भे सपच्चवाएणं णिरालंबणेणं लवणसमुद्दोत्तारेणं ? एवं खलु पुत्ता ! दुवालसमी जत्ता सोवसग्गा यावि भवइ । तं माणं तुब्भे दुवे पुत्ता ! दुवालसमं पि लवणसमुदं पोयवहणेणं ओगाहेह। मा हु तुब्भं सरीरस्स वावत्ती भविस्सइ । तए णं माकंदियदारगा अम्मापियरो दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी- एवं खलु अम्हे अम्मयाओ ! एक्कारसवारा लवणसमुदं ओगाढा जाव ओगाहित्तए । तए णं माकंदीयदारए अम्मापियरो जाहे णो संचाएंति बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा, ताहे अकामा चेव एयमटुं जाणित्था । | छ । 112 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं ते माकंदियदारगा अम्मापिऊहिं अब्भणण्णाया समाणा गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च भंडगं गेंहंति, जहा अरहण्णगस्स जाव लवणसमुदं बहूइं जोयणसयाई ओगाढा। तए णं तेसिं मागंदियदारगाणं अणेगाइं जोयणसयाइं ओगाढाणं समाणाणं अणेगाई उप्पाइयसयाई पाउब्भूयाई, तं जहा- अकाले गज्जिए, अकाले विज्जुए, अकाले थणियसद्दे, कालियवाए तत्थ समुट्ठिए। तए णं सा णावा तेणं कालियवाएणं आहुणिज्जमाणी आहुणिज्जमाणी संचालिज्ज- माणी संचालिज्जमाणी संखोभिज्जमाणी संखोभिज्जमाणी सलिल- तिक्ख-वेगेहिं आयडिज्जमाणी आयडिज्जमाणी कोट्टिमंसि करतलाहते विव तेंदूसए तत्थेव तत्थेव ओवयमाणी य उप्पयमाणी य|/उप्पयमाणी विव धरणीयलाओ सिद्धविज्जा विज्जाहरकण्णगा, ओवयमाणी विव गगणतलाओ भट्ठविज्जा विज्जाहरकण्णगा, विपलायमाणी विव महागरुल-वेगवित्तासिया भुयगवरकण्णगा, धावमाणी विव महाजण- रसियसद्द-वित्तत्था ठाणभट्ठा आसकिसोरी, णिगुंजमाणी विव गुरुजणा- दिट्ठावरहा सुजणकुलकण्णगा, घुम्ममाणी विव वीची-पहार-सय-तालिया, गलिय-लंबणा विव गगणतलाओ, रोयमाणी विव सलिलगंठिविप्पड़र-माण- घोरंसुवाएहिं णववह उवरतभत्तुया, विलवमाणी विव परचक्करायाभिरोहिया परममहब्भयाभिट्ठया महापुरवरी, झायमाणी विव कवड- च्छोभप्पओगजुत्ता जोगपरिव्वाइया, णिसासमाणी विव महाकंतार- विणिग्गय-परिस्संता परिणयवया अम्मया, सोयमाणी विव तव-चरण खीणपरिभोगा चयणकाले देववरवहू, संचुणिय-कट्ठकूवरा, भग्गमेढि-मोडिय-सहस्समाला, सूलाइय-वंकपरिमासा, फलहंतर-तडतडेंत-फुटुंत- संधिवियलंतलोहकीलिया, सव्वंग-वियंभिया, परिसडिय-रज्जुविसरंतसव्वगत्ता, आमगमल्लगभूया, अकयपुण्ण- जणमणोरहो विव चिंतिज्जमाणगुरूई, हाहाकय-कण्णधार-णाविय-वाणियगजणकम्मकर-विलविया । णाणाविह-रयण-पणिय-संपुण्णा बहूहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंदमाणेहिं सोयमाणेहिं तिप्पमाणेहिं विलवमाणेहिं एगं महं अंतोजलगयं गिरिसिहरमासाइत्ता संभग्गकूवतोरणा मोडियज्झयदंडा वलयसयखंडिया करकरस्स तत्थेव विद्दवं उवगया | तए णं तीए णावाए भिज्जमाणीए ते बहवे पुरिसा विउल- पणिय -भंडमायाए अंतोजलंम्मि णिमज्जाविया यावि होत्था । तए णं ते मागंदियदारगा छेया दक्खा पत्तट्ठा कुसला मेहावी णिउणसिप्पोवगया बहुसु पोतवहण संपराएसु कयकरणा लद्धविजया अमूढा अमूढहत्था एगं महं फलगखंडं आसानैति। 113 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा जंसि च णं पएसंसि पोयवहणे विवण्णे, तंसि च णं पएसंसि एगे महं रयणद्दीवे णामं दीवे होत्था- अणेगाइं जोयणाई आयामविक्खंभेणं, अणेगाई जोयणाई परिक्खेवेणं णाणामखंडमंडिउद्देसे सस्सिरीए पासाईए दंसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तस्स णं बहुमज्झदेसभाए तत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए होत्था- अब्भुग्गयमूसिय- पहसिए जाव सस्सिरीयरूवे पासाईए दंसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे | तत्थ णं पासायवडेंसए रयणद्दीवदेवया णामं देवया परिवसइ- पावा चंडा रुद्दा, खुद्दा साहसिया। तस्स णं पासायवडेंसयस्स चउद्दिसिं चत्तारि वणसंडा किण्हा, किण्होभासा । तए णं ते माकंदियदारगा तेणं फलयखंडेणं ओवुज्झमाणा ओवुज्झमाणा रयणदीवंतेणं संवूढा यावि होत्था । तए णं ते माकंदियदारगा थाहं लभंति, मुहत्तंतरं आससंति, फलगखंडं विसज्जेइ, रयणद्दीवं उत्तरंति, फलाणं मग्गण-गवेसणं करेंति, फलाई आहारेंति, णालिएराणं मग्गण- गवेसणं करेंति, करित्ता णालिएराइं फोडेंति, णालिएरतेल्लेणं अण्णमण्णस्स गत्ताइं अब्भंगेति, पोक्खरणीओ ओगाहिंति, जलमज्जणं करेंति, पोक्खरणीओ पच्चत्तरंति, पढविसिलापट्टयंसि णिसीयंति. णिसीइत्ता आसत्था वीसत्था सहासणवरगया चंपाणयरिं अम्मापिउआपच्छणं च लवणसमुद्दोत्तारं च कालिय वायसमुत्थणं च पोयवहणविवत्तिं च फलयखंडस्सासायणं च रयणदीवुत्तारं च अणुचिंतेमाणा अणुचिंतेमाणा ओहयमणसंकप्पा जाव झियाएंति | तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते माकंदिय-दारए ओहिणा आभोएइ, असि-फलग-वग्ग- हत्था सत्तद्वतालप्पमाणं उड्ढं वेहासं उप्पयइ, उप्पइत्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए वीइवयमाणी वीइवयमाणी जेणेव माकंदिय-दारए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आसुरुत्ता माकंदिय-दारए खर-फरुस- णिदुर- वयणेहिं एवं वयासीहं भो माकंदिय-दारया ! अप्पत्थियपत्थिया ! जइ णं तुब्भे मए सद्धिं विउलाइं भोगभोगाई भंजमाणा विहरह, तो भे अत्थि जीवियं । अहण्णं तुब्भे मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणा णो विहरह, तो भे इमेणं णीलुप्पल-गवल -गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासेणं खुरधारेण असिणा रत्तगंडमसयाई माउयाहिं उवसोहियाई तालफलाणि व सीसाई एगते एडेमि | तए णं ते माकंदियदारगा रयणदीवदेवयाए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म भीया संजायभया करयल जाव एवं वयासी- जं णं देवाणुप्पिया वइस्ससि तस्स आणा-उववाय- वयण-णिद्देसे चिहिस्सामो । तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते माकंदियदारए गेण्हइ, जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असुभपुग्गलावहारं करेइ, करित्ता सुभपोग्गलपक्खेवं करेइ, तओ पच्छा तेहिं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भंजमाणी विहरइ । कल्लाकल्लिं च अमयफलाइं उवणेइ । 114 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १८ तए णं सा रयणद्दीवदेवया सक्कवयण-संदेसेणं सुट्ठिएणं लवणाहिवइणा लवणसमुद्दे तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टियव्वे त्ति जं किंचि तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कयवरं वा असुइं पूइयं दुरभिगंधमचोक्खं, तं सव्वं आहुणिय-आहुणिय तिसत्तखुत्तो एगते एडेयव्वं ति कट्ठ णिउत्ता । तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते माकंदिय दारए एवं वयासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! सक्कवयणसंदेसेणं सुट्टिएणं लवणाहिवइणा तं चेव जाव णिउत्ता । तं जाव अहं देवाणुप्पिया! लवणसमुद्दे जाव एडेमि ताव तुब्भे इहेव पासायवडिंसए सुहंसुहेणं अभिरममाणा चिट्ठह । जइ णं तुब्भे एयंसी अंतरंसि उव्विग्गा वा, उस्सुया वा, उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तब्भे परच्छिमिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह | तत्थ णं दो उऊ सया साहीणा, तंजहा- पाउसे य वासारत्ते य । तत्थं णं तुब्भे देवाणुप्पिया! बहुसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु बहुसु आलीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा विहरेज्जाह । [तत्थ उ कंदल सिलिंध दंतो, णिउर वरपुप्फपीवरकरो । कुडयज्जुण-णीव-सुरभिदाणो, पाउस उठ गयवरो साहीणो ॥१॥ तत्थ य सुरगोवमणि विचित्तो, ददुरकुलरसिय-उज्झररवो । बरहिणविंद-परिणदसिहरो, वासारत्त उउ-पव्वओ साहीणो ॥२॥ जइ णं तुब्भे एत्थ वि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तुब्भे उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह । तत्थं णं दो उऊ सया साहीणा, तंजहा- सरओ य हेमंतो य । तत्थं णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बहुसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु बहुसु आलीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा विहरेज्जाह । तत्थ उ-सण-सत्तवण्ण-कउओ, णीलप्पल-पउम-णलिण-सिंगो । सारस-चक्कवाय-रविय-घोसो, सरयउउ-गोवई साहीणो ॥३॥ तत्थ य-सियकुंद-धवलजोहो, कुसुमिय-लोद्धवणसंड-मंडलतलो । तुसार-दगधार-पीवरकरो, हेमंतउऊ ससी सया साहीणो ॥४॥ जइ णं तुब्भे तत्थ वि उव्विग्गा वा जाव उस्सुया वा भवेज्जाह तो गं तुब्भे अवरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह । तत्थ णं दो उउ साहीणा तंजहा- वसंते य गिम्हे य । तत्थं णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बहुसु वावीसु य जाव सरसरपंतियासु बहुसु आलीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा विहरेज्जाह | तत्थ उ-सहकार-चारुहारो णियारासोगमउडो। ऊसियतिलग बउलायवत्तो, वसंतउउ-णरवई साहीणो ॥५॥ 115 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तत्थ य-पाडल-सिरीस-सलिलो, मलिया-वासंतिय-धवलवेलो । सीयल-सुरभि-अणिल-मगरचरिओ, गिम्हउउ-सागरो साहीणो ॥६॥ जइ णं तुब्भे देवाणप्पिया! तत्थ वि उव्विग्गा उस्स्या भवेज्जाह, तओ तुब्भे जेणेव पासायवडिंसए तेणेव उवागच्छेज्जाह, ममं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिटेज्जाह, मा णं तुब्भे दक्खिणिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह | तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंडविसे घोरविसे महाविसे अइकाय-महाकाए, एवं जहा तेयणिसग्गे जाव (मसिमहिसामूसाकालए नयणविसारोसपुण्णे अंजणपुंजनियरप्पगासे रत्तच्छे जमलजुयलचंचलचलंतजीहे धरणियलवेणिभूए उक्कडफुडकुडिल जडिलाकक्खडवियडफडाडोवकरणदच्छे लोहागारधम्ममाणधमधमेंतघोसे अणागलियचंडतिव्वरोसे समूहिं तरिय चवलं धमघमंत)दिट्ठीविसे सप्पे य परिवसइ । मा णं तब्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सइ । ते माकंदियदारए दोच्चं पि तच्चं पि एवं वदइ, वदित्ता वेठब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए लवणसमुदं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टेउं पयत्ता यावि होत्था । तए णं ते माकंदियदारया तओ मुहुत्तंतरस्स पासायवडिंसए सई वा रइं वा धिइं वा अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! रयणद्दीवदेवया अम्हे एवं वयासी- एवं खलु अहं सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठिएणं लवणाहिवइणा जाव मा णं तुब्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सइ। तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्लं वणसंड गमित्तए, अण्णमण्णस्स एयमढे पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छित्ता तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य अभिरममाणा-अभिरममाणा विहरंति । तए णं ते माकंदिय दारया तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव उत्तरिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति । तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य विहरंति । तए णं ते मागंदियदारया तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा जेणेव पच्चत्थमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छति जाव विहरंति । तए णं ते माकंदिय दारया तत्थ वि सई वा जाव अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे रयणद्दीवदेवया एवं वयासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! सक्कस्स वयण- संदेसेणं सुट्टिएण लवणाहिवइणा णिउत्ता जाव मा णं तुब्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सइ। तं भवियव्वं एत्थ कारणेणं । तं सेयं खल अम्हं दक्खिणिल्लं वणसंडं 116 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २८ गमित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमटुं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं गंधे णिद्धाइ से जहाणामए अहिमडे इ वा जाव अणिद्वतराए चेव । तए णं ते मागंदियदारया तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सरहिं-सएहिं उत्तरिज्जेहिं आसाइं पिहेंति, पिहित्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव उवागया । तत्थ णं महं एगं आघायणं पासंति, पासित्ता अट्ठियरासि-सय-संकुलं भीम-दरिसणिज्जं । एगं च तत्थ सूलाइयं पुरिसं कलुणाई कट्ठाइं विस्सराई कूवमाणं पासंति, भीया जाव संजायभया जेणेव से सूलाइपुरिसे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं सूलाइयं पुरिसं एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया ! कस्साघायणे ? तुमं च णं के, कओ वा इहं हव्वमागए ? केण वा इमेयारूवं आवइं पाविए ? । तए णं से सूलाइयपुरिसे माकंदिय दारए एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया ! रयणद्दीवदेवयाए आघायणे । अहण्णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवाओ भारहाओ वासाओ कागंदीए आसवाणियए विपुलं पणियभंडमायाए पोयवहणेणं लवणसमुदं ओयाए | तए णं अहं पोयवहणविवत्तीए णिब्बड्ड-भंडसारे एगं फलगखंडं आसाएमि । तए णं अहं ओवुज्झमाणे ओवुज्झमाणे रयणदीवंतेणं संवूढे । तए णं सा रयणद्दीवदेवया ममं ओहिणा पासइ, पासित्ता ममं गेण्हइ, गेण्हित्ता मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ । तए णं सा रयणद्दीवदेवया अण्णया कयाइ अहालहसगंसि अवराहसि परिकविया समाणी ममं एयारूवं आवइं पावेइ । तं ण णज्जइ णं देवाणुप्पिया ! तुम्हं पि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवई भविस्सइ ? तए णं ते माकंदियदारया तस्स सूलाइयस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म बलियतरं भीया जाव संजातभया सलाइयं परिसं एवं वयासी- कहं णं देवाणप्पिया! अम्हे रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं णित्थरिज्जामो ? तए णं से सूलाइए पुरिसे ते माकंदियदारगे एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया! पुरच्छिमिल्ले वणसंडे सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे सेलए णाम आसरूवधारी जक्खे परिवसइ। तए णं से सेलए जक्खे चोद्दसहमुद्दिठ्ठपुण्णमासिणीस आगयसमए पत्तसमए महया महया सद्देणं एवं वयइ- कं तारयामि ? कं पालयामि ? ३२ तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! पुरच्छिमिल्लं वणसंड सेलगस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फच्चणियं करेह, करित्ता जण्णुपायवडिया पंजलिउडा विणएणं पज्जुवासमाणा चिट्ठह | 117 Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ३४ जाहे णं से सेलए जक्खे आगयसमए एवं वएज्जा- कं तारयामि ? के पालयामि? ताहे तुब्भे वदह- अम्हे तारयाहि, अम्हे पालयाहि | सेलए भे जक्खे परं रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं णित्थारेज्जा | अण्णहा भे ण याणामि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवई भविस्सइ । तए णं ते माकंदियदारगा तस्स सूलाइयस्स परिसस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म सिग्घं चंडं चवलं तुरियं वेइयं जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे, जेणेव पोक्खरिणी, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोक्खरिणिं ओगाहंति, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेंति, करित्ता जाई तत्थ उप्पलाइं जाव गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता आलोए पणामं करेंति, करित्ता महरिहं पुप्फच्चणियं करेंति, करित्ता जण्णुपायवडिया सुस्सूसमाणा णमंसमाणा पज्जुवासंति । तए णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वयासी- कं तारयामि ? कं पालयामि ? तए णं ते माकंदियदारया उट्ठाए उडेति, करयल जाव एवं वयासी- अम्हे तारयाहि। अम्हे पालयाहि। तए णं से सेलए जक्खे ते माकंदियदारए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! तुब्भे मए सद्धिं लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं वीइवयमाणेणं सा रयणदीवदेवया पावा चंडा रूद्दा खुद्दा साहसिया बहूहिं खरएहि मठएहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गं करेहिए। तं जड़ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवयाए एयमढे आढाह वा परियाणह वा अवयक्खह वा तो भे अहं पिट्ठाओ विधुणामि । अह णं तुब्भे रयणदीवदेवयाए एयमटुं णो आढाह, णो परियाणह, णो अवेयक्खह, तो भे रयणद्दीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं णित्थारेमि | तए णं ते माकंदिय-दारया सेलगं जक्खं एवं वयासी- जं णं देवाणुप्पिया ! वइस्संति तस्स णं उववाय-वयण-णिद्देसे चिहिस्सामो । तए णं से सेलए जक्खे उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं णिस्सरइ, दोच्चं पि वेउव्वियसमग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता एगं महं आसरूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता ते माकंदियदारए एवं वयासी- हं भो माकंदियदारया ! आरुहह णं देवाणुप्पिया ! मम पिटुंसि | तए णं से माकंदियदारया हद्वतुट्ठ सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेंति, करित्ता सेलगस्स पिटुं दुढा । तए णं से सेलए ते माकंदियदारए पिटुिं दुढे जाणित्ता सत्तद्वतालप्पमाणमेत्ताई उड्ढं वेहायं उप्पयइ, उप्पइत्ता य ताए उक्किट्ठाए तुरियाए दिव्वाए देवगईए लवणसमुदं 118 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा मज्झंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेव चंपाणयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं सा रयणद्दीवदेवया लवणसमुदं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टइ, जं जत्थ तणं वा जाव एडेइ, एडित्ता जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ते माकंदियदारया पासायवडेंसए अपासमाणी जेणेव पुरच्छिमिल्ले वणसंडे जाव सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ, करित्ता तेसिं माकंदिय-दारगाणं कत्थइ सुई वा(खुहं वा पउत्तिं वा) अलभमाणी जेणेव उत्तरिल्ले वणसंडे, एवं चेव पच्चत्थिमिल्ले वि जाव अपासमाणी ओहिं पउंजइ, पउंजित्ता ते माकंदियदारए सेलएणं सद्धिं लवणसमई मज्झमज्झेणं वीइवयमाणे वीइवयमाणे पासइ, पासित्ता आसुरुत्ता असिखेडगं गेण्हइ, गेण्हित्ता सत्तट्ठ जाव उप्पयइ, उप्पइत्ता ताए उक्किट्ठाए जेणेव माकंदियदारगा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासीहं भो माकंदियदारगा ! अपत्थियपत्थिया ! किं णं तुब्भे जाणह ममं विप्पजहाय सेलएणं जक्खेणं सद्धिं लवणसमुई मज्म ज्झेण वीईवयमाणा ? तं एवमवि गए जइ णं तुब्भे मम अवयक्खह तो भे अत्थि जीवियं । अहण्णं णावयक्खह तो भे इमेण णीलुप्पलगवल जाव एडेमि। ३९ तए णं ते माकंदियदारए रयणद्दीवदेवयाए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म अभीया अतत्था अणुव्विग्गा अक्खुभिया असंभंता रयणद्दीवदेवयाए एयमटुं णो आढ़ति, णो परियाणंति, णो अवेक्खंति, अणाढायमाणा अपरियाणमाणा अणवेक्खमाणा सेलएण जक्खेण सद्धिं लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं वीइवयंति । तए णं सा रयणद्दीवदेवया ते माकंदिय दारए जाहे णो संचाएइ बहुहिं पडिलोमेहि य उवसग्गेहिं य चालित्तए वा खोभित्तए विपरिणामित्तए वा लोभित्तए वा सिंगारेहि य कलणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गेउं पयत्ता यावि होत्थाहं भो माकंदियदारगा ! जइ णं तुब्भेहिं देवाणप्पिया ! मए सद्धिं हसियाणि य, रमियाणि य, ललियाणि य, कीलियाणि य, हिंडियाणि य, मोहियाणि य, ताहे णं तुब्भे सव्वाइं अगणेमाणा ममं विप्पजहाय सेलएणं सद्धिं लवणसमुई मज्झंमज्झेणं वीइवयह ? तए णं सा रयणदीवदेवया जिणरक्खियस्स मणं ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता एवं वयासीणिच्चं पि य णं अहं जिनपालियस्स अणिट्ठा, अकंता, अप्पिया, अमणण्णा, अमणामा, णिच्चं मम जिणपालिए अणिढे अकंते, अप्पिए, अमणण्णे, अमणामे | णिच्चं पि य णं अहं जिणरक्खियस्स इट्ठा, कंता, पिया, मणण्णा, मणामा । णिच्चं पि य णं ममं जिणरक्खिए इडे कंते, पिए, मणण्णे, मणामे | जइ णं ममं जिणपालिए रोयमाणिं 119 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ ४२ तणं से जिणरक्खिए चलमणे तेणेव भूसणरवेणं कण्णसुह-मणोहरेणं तेहि य सप्पणयसरल-महुर-भणिएहिं संजाय - विगुण - रागे रयणदीवस्स देवयाए तीसे सुंदरथण - जहण- वयणकर-चरण-णयण-लावण्ण-रूव - जोव्वणसिरिं च दिव्वं सरभस-उवगूहियाइं जाई विब्बोयविलसियाणि य विहसिय-सकडक्ख-दिट्ठि - णिस्ससिय-मलिय-उवललिय-ठिय-गमण-पणयखिज्जिय-पासादियाणि य सरमाणे राग- मोहियमई अवसे कम्मवसगए अवयक्खड़ मग्गओ सविलियं । ४४ ४५ ४६ ज्ञाताधर्मकथा ४७ कंदमाणिं सोयमाणिं तिप्पमाणिं विलवमाणिं णावयक्खड़, किं णं तुमं जिणरक्खिया ! मं रोमाणि जाव णावयक्खसि ? तए णं जिणरक्खियं समुप्पण्णकलुणभावं मच्चु गलत्थल्ल - गोल्लियमइं अवयक्तं त क्खे 3 सेल जाणिऊण सणियं सणियं उव्विहइ णियगपिट्ठाहि विगयसद्धे । तणं सा रयणदीवदेवया णिस्संसा कलुणं जिणरक्खियं सकलुसा सेलग-पिट्ठाहि ओवयंतं दास! ओसि त्ति जंपमाणी, अप्पत्तं सागरसलिलं गेण्हिय बाहाहिं आरसंतं उड्ढं उव्विहइ अंबरतले ओवयमाणं च मंडलग्गेणं पडिच्छित्ता णीलुप्पल - गवल गुलिय- अयसिप्पगासेण असिवरेण खंडाखंडि करेइ, करित्ता तत्थ विलवमाणं तस्स य सरसवहियस्स घेत्तूण अंगमंगाई सरुहिराई उक्खित्तबलिं चउद्दिसिं करेइ सा पंजली पहिट्ठा । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा आयरिय उवज्झायाणं अंति पव्वइए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे आसायइ पत्थयइ पीहेइ अभिलसइ, से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं जाव संसारं अणुपरियट्टिस्सइ, जहा वा से जिणरक्खिए । तए णं सा रयणद्दीवदेवया जेणेव जिणपालिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता बहू अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य खर- महुर- सिंगारेहिं-कलुणेहि य उवसग्गेहि य जाहे णो संचाएइ चालित्तए वा खोभित्तए वा विप्परिणामित्तए वा ताहे संता तंता परितंता णिव्विण्णा समाणा जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं से सेलए जक्खे जिणपालिएणं सद्धिं लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीईवयइ, वीईवइत्ता जेणेव चंपा णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चंपाए णयरीए अग्गुज्जाणंसि जिणपालियं पिट्ठाओ ओयारेइ, ओयारित्ता एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया ! चंपा णयरी दीसइ त्ति कट्टु जिणपालियं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता जामेव दिसिं पाउब्भू तामेव सिं पडिगए । 120 Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४८ तए णं जिणपालिए चंपं अणुपविसइ, अण्पविसित्ता जेणेव सए गिहे, जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अम्मापिऊणं रोयमाणे जाव विलवमाणे जिणरक्खियवावत्तिं णिवेदेइ । तए णं जिणपालिए अम्मापियरो मित्तणाइ जाव परियणेणं सद्धिं रोयमाणा बहूई लोइयाइं मयकिच्चाई करेंति, करित्ता कालेणं विगयसोया जाया । तए णं जिणपालियं अण्णया कयाइ सुहासणवरगयं अम्मापियरो एवं वयासी- कहं णं पत्ता! जिणरक्खिए कालगए ? तए णं जिणपालिए अम्मापिऊणं लवणसमुद्दोत्तारं च कालियवाय-समुत्थणं च पोयवहणविवत्तिं च फलगखंड-आसायणं च : रं च रयणदीवदेवया-गिण्हणं च भोगविभई च रयणदीवदेवयाघायणं च सूलाइयपुरिसदरिसणं च सेलगजक्खआरुहणं च रयणदीवदेवयाउवसग्गं च जिणरक्खियवावत्तिं च लवणसमद्दउत्तरणं च चंपागमणं च सेलगजक्खआपुच्छणं च जहाभूयमवितहमसंदिद्धं परिकहेइ । तए णं जिणपालिए जाव अप्पसोगे जाए, विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव चंपा णयरी, पुण्णभद्दे चेइए, तेणेव समोसढे | परिसा णिग्गया । कणिओ वि राया णिग्गओ | जिणपालिए धम्म सोच्चा पव्वइए । एक्कारसअंगविऊ | मासियाए भत्तेणं जाव सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे, दो सागरोवमाइं ठिई | महाविदेहे सिज्झिहिइ । एवामेव समणाउसो ! जाव माणुस्सए कामभोगे णो पुणरवि आसाइ, से णं जाव वीइवइस्सइ, जहा वा से जिणपालिए । ५३ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं णवमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ णवमं अज्झयणं समत्तं ॥ दसमं अज्झयणं चंदिमा जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं णवमस्स णायज्झयणस्स अयमद्वे पण्णत्ते, दसमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अद्वे पण्णत्ते ? 121 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवं खल जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे जाव गोयमसामी समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-कहं णं भंते ! जीवा वड्ढति वा हायति वा ? गोयमा ! से जहाणामए बहुलपक्खस्स पडिवया-चंदे, पुण्णिमा-चंदं पणिहाय हीणे वण्णेणं हीणे सोम्मए हीणे णिद्धयाए हीणे कंतीए एवं दित्तीए जुत्तीए छायाए पभाए ओयाए लेस्साए मंडलेणं । तयाणंतरं च णं बिइयाचंदे, पाडिवयं-चंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव हीणतराए मंडलेणं । तयाणंतरं च णं तइया-चंदे, बिइया-चंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव हीणतराए मंडलेणं। एवं खल एएणं कमेणं परिहायमाणे-परिहायमाणे जाव अमावसा-चंदे, चाउद्दसिचंदं पणिहाय णढे वण्णेणं जाव णढे मंडलेणं । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे हीणे खंतीए एवं मुत्तीए, गुत्तीए, अज्जवेणं, मद्दवेणं, लाघवेणं, सच्चेणं, तवेणं, चियाए, अकिंचणयाए, हीणे बंभचेरवासेणं। तयाणंतरं च णं हीणे हीणतराए खंतीए जाव हीणतराए बंभचेरवासेणं | एवं खलु एएणं कमेणं परिहीयमाणे परिहीयमाणे णडे खंतीए जाव णडे बंभचेरवासेणं । जहा से सुक्कपक्खस्स पाडिवया-चंदे अमावासा-चंदं पणिहाय अहिए वण्णेणं जाव अहिए मंडलेणं । तयाणंतरं च णं बिइया-चंदे पडिवया-चंदं पणिहाय अहियतराए वण्णेणं जाव अहियतराए मंडलेणं | एवं खल एएणं कमेणं परिवड्ढेमाणे-परिवड्ढेमाणे जाव पण्णिमा-चंदे चाउद्दसिं चंदं पणिहाय पडिपुण्णे वण्णेणं जाव पडिपुण्णे मंडलेण । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिगंथो वा णिगंथी वा जाव पव्वइए समाणे अहिए खंतीए जाव अहिए बंभचेरवासेणं। तयाणंतरं च णं अहियतराए खंतीए जाव अहियतराएबंभचेरवासेणं । एवं खलु एएणं कमेणं परिवड्ढेमाणे-परिवड्ढेमाणे पडिपुण्णे खंतीए जाव पडिपुण्णे बंभचेरवासेणं । एवं खलु गोयमा ! जीवा वड्ढंति वा हायंति वा । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स णायज्झयणस्य अयमढे पण्णत्ते । || त्ति बेमि || ट। | 9 ॥ दसमं अज्झयणं समत्तं || 122 Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एक्कारसमं अज्झयणं दावदवे जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स णायज्झयणस्स अयमद्वे पण्णत्ते, एक्कारसमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अद्वे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे गोयमे समणं भगवं महावीरं एवं वयासी- कहं णं भंते ! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति ? गोयमा ! से जहाणामए एगंसि समुद्दकूलंसि दावद्दवा णामं रूक्खा पण्णत्ता- किण्हा जाव णिउरंबभूया; पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियग-रेरिज्जमाणा - रेरिज्जमाणा सिरीए अईवअईव उवसोभेमाणा चिट्ठति । जया णं दीविच्चगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति, तया णं बहवे दावद्दवा रूक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति । अप्पेगइया दावद्दवा रूक्खा जुण्णा झोडा परिसडियपंडुपत्त-पुप्फ-फला-सुक्करूक्खओ विव मिलायमाणा -मिलायमाणा चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जे अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं सम्मं सहइ जाव बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं णो सम्मं सहइ जाव णो अहियासेइ एस णं मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते । समणाउसो ! जया णं में परेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति, तया णं बहवे दावद्दवा रूक गा झोडा मिलायमाणा मिलायमाणा चिटुंति । अप्पेगइया दावद्दवा रूक्खा पत्तिया पुप्फिया जाव उवसोभेमाणा चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा पव्वइए समाणे बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं सम्मं सहइ बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं णो सम्मं सहइ एस णं मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते ।। र समणाउसो ! जया णं णो दीविच्चगा णो सामुद्दगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदेवाया महावाया वायंति, तया णं सव्वे दावद्दवा रूक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलायमाणामिलायमाणा चिट्ठति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे बहणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं णो सम्मं सहइ, एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते । 123 Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० १२ ११ एवामेव समणाउसो ! जे अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी जाव पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं सम्मं सहइ- एस णं मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते । एवं खलु गोयमा ! जीवा आह वा विराहगा वा भवंति । [] M ज्ञाताधर्मकथा ल समणाउसो ! जया णं दीविच्चगा वि सामुद्दगा वि ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावायं महावायं वायंति, तया णं सव्वे दावद्दवा रूक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं एक्कारसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ || एक्कारसमं अज्झयणं समत्तं ॥ बारसमं अज्झयणं उदगणाए जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं एक्कारसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, बारसमस्स णं णायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था, वणओ । पुणभद्दे चेइए, वण्णओ । तत्थणं जियसत्तु राया, धारिणी देवी, अदीणसत्तु कुमारे जुवराया यावि होत्था, वण्णओ । सुबुद्धी अमच्चे जाव रज्जुधुराचिंतए, समणोवासए । तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमेणं एगे फरिहोदए यावि होत्था- मेय- वसामंस-रुहिर-पूय-पडल-पोच्चडे-मयग-कलेवर-संछण्णे अमणुण्णे वण्णेणं जाव फासेणं, से जहाणामए-अहिमडेइ वा गोमडे इ वा जाव मय-कुहिय-विणट्ठ-किमिण-वावण्ण-दुरभिगंधे किमिजालाउले संसत्ते असुइ-विगय- वीभत्थ-दरिसणिज्जे । भवेयारूवे सिया ? णो इणट्ठे समट्ठे। एत्तो अणिट्ठतराए चेव जाव पण्णत्ते । तए णं से जियसत्तु राया अण्णया कयाइ पहाए जाव अलंकियसरीरे बहूहिं राईसर सत्थवाहपभिइहिं सद्धिं भोयणमंडवंसि भोयणवेलाए सुहासणवरगए विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं जाव विहरइ । जिमियभुत्तुत्तराए जाव सुईभूए तंसि विउलंसि असण-पाणखाइम- साइमंसि जाव जायविम्हए ते बहवे ईसर जाव सत्थवाह पभिईए एवं वयासी 124 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा | अहो णं देवाणुप्पिया ! इमे मणुण्णे असणं पाणं खाइमं साइमं वण्णेणं उववेए जाव फासेणं उववेए अस्सायणिज्जे विस्सायणिज्जे पीणणिज्जे दीवणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे बिहणिज्जे सव्विंदियगाय-पल्हायणिज्जे । तए णं ते बहवे राईसर जाव सत्यवाहपभिइओ जियसत्तुं एवं वयासी- तहेव णं सामी ! जं णं तुब्भे वदह- अहो णं इमे मणुण्णे असणं पाणं खाइमं साइमं वण्णेणं उववेए जाव पल्हायणिज्जे। तए णं जियसत्तु सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- अहो णं सुबुद्धी ! इमे मणुण्णे असणं पाणं खाइमं साइमं जाव पल्हायणिज्जे । तए णं सुबुद्धी अमच्चे जियसत्तुस्स रण्णो एयमढे णो आढाइ णो परियाणाइ । तएणं जियसत्तु राया सुबुद्धिं दोच्चपि तच्चपि एवं वयासी- अहो णं देवाणुप्पिया सुबुद्धी! इमे मणुण्णे जाव सव्विंदियगाय पल्हायणिज्जे | तए णं सुबुद्धी अमच्चे जियसत्तुणा रण्णा दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे जियसत्तुं रायं एवं वयासी- णो खलु सामी ! अहं एयंसि मणुण्णंसि असण-पाण-खाइम- साइमंसि केइ विम्हए। एवं खलु सामी ! सुब्भिसद्दा वि पुग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, दुन्भिसद्दा वि पोग्गला सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति । सुरुवा वि पोग्गला दुरूवत्ताए परिणमंति, दुरूवा वि पोग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति | सुब्भिगंधा वि पोग्गला दुब्भिगंधत्ताए परिणमंति, दुब्भिगंधा वि पोग्गला सुब्भिगंधत्ताए परिणमंति । सुरसा वि पोग्गला दुरसत्ताए परिणमंति, दुरसा वि पोग्गला सुरसत्ताए परिणमंति । सुहफासा वि पोग्गला दुहफासत्ताए परिणमंति, दुहफासा वि पोग्गला सुहफासत्ताए परिणमंति । पओग-वीससा-परिणया वि य णं सामी! पोग्गला पण्णत्ता | तए णं से जियसत्तु राया सुबुद्धिस्स अमच्चस्स एवमाइक्खमाणस्स एयमद्वं णो आढाइ, णो परियाणइ, तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं से जियसत्तु राया अण्णया कयाइ ण्हाए जाव आसखंधवरगए महया भडचडगरपह-करविंद-परिक्खित्ते आसवाहिणियाए णिज्जायमाणे तस्स फरिहोदगस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ। तए णं जियसत्तु राया तस्स फरिहोदगस्स असुभेणं गंधेण अभिभूए समाणे सएणं उत्तरिज्जेण आसगं पिहेइ, एगंतं अवक्कमइ, ते बहवे ईसर जाव सत्यवाह पभिइओ एवं वयासी- अहो णं देवाणुप्पिया ! इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं गंधेणं रसेणं फासेणं, से जहाणामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पण्णत्ते । 125 Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ११ १२ १३ १४ १५ |१६| ज्ञाताधर्मकथा तए णं ते बहवे ईसर जाव सत्थवाहपभिइओ एवं वयासी - तहेव णं तं सामी! जं णं तु ुब्भे वयह- अहो णं इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं गंधेणं रसेणं फासेणं, से जहाणामए हम वा जाव अमणामतराए चेव गंधेणं पण्णत्ते । तए णं से जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- अहो णं सुबुद्धी ! इमे फरह अणुणे वण्णेणं जाव फासेणं, से जहाणामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव पण्णत्ते । तए णं से सुबुद्धी अमच्चे जाव तुसिणीए संचिट्ठइ । तणं से जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी- अहो णं तं चेव जाव पण्णत्ते । तणं से सुबुद्धी अमच्चे जियसत्तुणा रण्णा दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे एवं वयासी- णो खलु सामी ! अम्हं एयंसि फरिहोदयंसि केइ विम्हए । एवं खलु सामी ! सुब्भिसद्दा वि पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, तं चेव जाव पओग-वीससा-परिणया वि य णं सामी! पोग्गला पण्णत्ता । तए णं जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अप्पाणं च परं च तदुभयं च बहूहिं य असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेण य वुग्गहेमाणे वुप्पाएमाणे विहराहि । तए णं सुबुद्धिस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - अहो णं जियसत्तू संते तच्चे तहिए अवित सब्भूए जिणपण्णत्ते भावे णो उवलभइ । तं सेयं खलु मम जियसत्तुस्स रण्णो संताणं तच्चाणं तहियाणं अवितहाणं सब्भूयाणं जिणपण्णत्ताणं भावाणं अभिगमणट्टयाए एयमट्ठे उवाइणावेत्तए । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता पच्चइएहिं पुरिसेहिं सद्धिं अंतरावणाओ णवए घडए य पडए य पगेण्हइ, पगेण्हित्ता संझाकालसमयंसि पविरलमणुस्संसि णिसंत- पडिणिसंतंसि जेणेव फरिहोदए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं फरिहोदयं गेण्हावेइ, गेण्हावित्ता णवएसु पडएसु गालावेइ, गालावित्ता णवएसु घडएस पक्खिवावेइ, पक्खिवावित्ता सज्जखारं पक्खिवावेइ, पक्खिवावेत्ता लंछियमुद्दिए करावेइ, करावित्ता सत्तरत्तं परिसवावेइ । परिसवावित्ता दोच्चं पि णवएस पडएस गालावेइ, गालावित्ता णवएस घडएसु पक्खिवावेइ, पक्खिवावित्ता सज्जक्खारं पक्खिवावेइ, पक्खिवावित्ता लंछियमुद्दिए करावेइ, करावित्ता सत्तरत्तं परिसवावेइ, परिसवावित्ता तच्चं पि णवएसु घडएसु जाव परिसवावेइ । एवं खलु एएणं उवाएणं अंतरा गलावेमाणे अंतरा पक्खिवावेमाणे, अंतरा य परिसवावेमाणे परिसवावेमाणे सत्त- सत्तय-राइंदियाइं परिसवावेइ । तए णं से फरिहोदए सत्तमसत्यंसि परिणममाणंसि उदगरयणे जाए यावि होत्था - अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवण्णा 126 Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा वण्णेणं उववेए, गंधेणं उववेए, रसेणं उववेए, फासेणं उववेए, आसायणिज्जे जाव सव्विंदियगायपल्हायणिज्जे । तए णं सुबुद्धी अमच्चे जेणेव से उदगरयणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलंसि आसाएइ, आसाइत्ता तं उदगरयणं वण्णेणं उववेयं, गंधेणं उववेयं, रसेणं उववेयं, फासेणं उववेयं, आसायणिज्जं जाव सव्विंदियगाय-पल्हायणिज्जं जाणित्ता हजुतुढे बहूहि उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेइ, संभारित्ता जियसत्तस्स रणो पाणियघरियं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-तुमं च णं देवाणुप्पिया ! इमं उदगरयणं गेण्हाहि, गेण्हित्ता जियसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवणेज्जासि। १८ तए णं से पाणिय-घरए सुबुद्धिस्स एयमद् पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता तं उदगरयणं गिण्हाइ, गिण्हित्ता जियसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवद्ववेइ । तए णं से जियसत्तु राया तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणे जाव विहरइ । जिमियभत्तत्तराए णं जाव परमसइभए तंसि उदगरयणे जायविम्हए ते बहवे राईसर जाव एवं वयासी- अहो णं देवाणप्पिया ! इमे उदगरयणे अच्छे जाव सव्विंदियगायपल्हायणिज्जे । तए णं ते बहवे राईसर जाव एवं वयासी- तहेव णं सामी ! जं णं तब्भे वयह जाव एवं चेव पल्हायणिज्जे । तए णं जियसत्तु राया पाणिय-घरियं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एस णं तुब्भे देवाणप्पिया! उदयरयणे कओ आसाइए ? तए णं पाणिय-घरिए जियसत्तं एवं वयासीएस णं सामी ! मए उदगरयणे सुबुद्धिस्स अंतियाओ आसाइए | तए णं जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- अहो णं सुबुद्धी ! केणं कारणेणं अहं तव अणिढे अकंते अप्पिए अमणुण्णे अमणामे, जेण तुमं मम कल्लाकल्लिं भोयणवेलाए इमं उदगरयणं ण उवट्ठवेसि ? तं एस णं तुमे देवाणुप्पिया! उदगरयणे कओ उवलद्धे? तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी- एस णं सामी ! से फरिहोदए । तए णं से जियसत्तु सुबुद्धिं एवं वयासी- केणं कारणेणं सुबुद्धी ! एस से फरिहोदए ? तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी-एवं खलु सामी! तुम्हे तया मम एवमाइक्ख-माणस्स भासमाणस्स पण्णवेमाणस्स परूवेमाणस्स एयमढें णो सहहह। तए णं मम इमेया-रूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था- अहो णं जियसत्तु राया संते जाव भावे णो सद्दहइ, णो पत्तियइ, णो रोएइ । तं सेयं खलु मम जियसत्तुस्स रण्णो संताणं जाव सब्भूयाणं जिणपण्णत्ताणं भावाणं अभिगमणट्ठयाए एयमद्वं उवाइणावेत्तए, एवं संपेहेमि, संपेहित्ता तं चेव जाव पाणिय-घरियं सद्दावेमि, सद्दावित्ता एवं वदामि- तमं णं २० 127 Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा देवाणुप्पिया ! इमं उदगरयणं जियसत्तुस्स भोयणवेलाए उवणेहि । तं एएणं कारणेणं सामी! एस से फरिहोदए । तए णं जियसत्तु राया सुबुद्धिस्स अमच्चस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एयमहूं णो सद्दहइ, णो पत्तियइ, णो रोएइ, असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे अभिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अंतरावणाओ णव घडए पडए य गेण्हह जाव उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेह । ते वि तहेव संभारेंति, संभारित्ता जियसत्तुस्स उवणेति। तए णं जियसत्तु राया तं उदगरयणं करतलंसि आसाएइ, आसाइत्ता तं आसायणिज्जं जाव सव्विंदियगायपल्हाणिज्जं जाणित्ता सुबुद्धि अमच्चं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- सुबुद्धी! एएणं तुमे संता तच्चा तहिया अवितहा सब्भूया भावा कओ उवलद्धा ? तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी- एए णं सामी ! मए संता जाव भावा जिणवयणाओ उवलद्धा । तए णं जियसत्तु सुबुद्धिं एवं वयासी- इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तव अंतिए जिणवयणं णिसामेत्तए । तए णं सुबुद्धी जियसत्तुस्स विचित्तं केवलिपण्णत्तं चाउज्जामं धम्म परिकहेइ, तमाइक्खइ, जहा जीवा बज्झंति जाव पंच अणुव्वयाइं । तए णं जियसत्तु सुबुद्धिस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वतुटु सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- सद्दहामि णं देवाणुप्पिया ! णिग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वयह | तं इच्छामि णं तव अंतिए पंचाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए | अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से जियसत्तु राया सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए पंचाणुवइयं जाव गिहिधम्म पडिवज्जइ । तए णं जियसत्तु समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं जियसत्तु राया सुबुद्धी य णिग्गच्छड़ । सुबुद्धी धम्म सोच्चा जं णवरं जियसत्तुं आपुच्छामि जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया । तए णं सुबुद्धी अमच्चे जेणेव जियसत्तु राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासीएवं खलु सामी ! मए थेराणं अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, इच्छिय- पडिच्छिए; तए णं अहं सामी ! संसारभय-उव्विग्गे, भीए जम्म-मरणाणं, इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे जाव पव्वत्तए । २३ २४ 128 Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी-अच्छासु ताव देवाणुप्पिया ! कइवयाई वासाइं उरलाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणा तओ पच्छा एगयओ थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता णं जाव पव्वइस्सामो | तए णं सुबुद्धि अमच्चे जियसत्तुस्स रण्णो एयमद्वं पडिसुणेइ । तए णं तस्स जियसत्तुस्स रण्णो सुबुद्धिणा सद्धिं विउलाई माणुस्स जाव पच्चणुब्भवमाणस्स दुवालस वासाइं वीइक्कंताई। तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं । तए णं जियसत्तु राया धम्म सोच्चा एवं जं णवरं देवाणुप्पिया ! सुबुद्धिं आमंतेमि, जेट्टपुत्तं रज्जे ठवेमि, तए णं तुब्भं अंतिए जाव पव्वयामि। अहासुहं देवाणुप्पिया । तए णं जियसत्तु राया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुबुद्धिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु मए थेराणं जाव पव्वज्जामि, तुमं णं किं करेसि ? तए णं सुबुद्धी जियसत्तुं एवं वयासी-जाव के अण्णे आहारे वा जाव पव्वयामि । तएणं जियसत्तु राया सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी- तं जइ णं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वयाहि; गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुंबे ठावेहि, ठावित्ता सीयं दुरुहित्ता णं ममं अंतिए जाव पाउब्भवह। तए णं सुबुद्धी अमच्चे तहेव जाव पाउब्भवइ । तए णं जियसत्तु कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! अदीणसत्तुस्स कुमारस्स रायाभिसेयं उवट्ठवेह । जाव अभिसिंचंति जाव पव्वइए । २९ तए णं जियसत्तु रायरिसी एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सामण्ण परियायं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता जाव सिद्धे । तए णं सुबुद्धी अणगारे वि एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहूणि वासाणि सामण्ण परियायं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता जाव सिद्धे । ३० एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं बारसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि || ॥ बारसमं अज्झयणं समत्तं || 129 Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तेरसमं अज्झयणं मंडुक्के जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं बारसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, तेरसमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं णयरे, गुणसीलए चेइए, वण्णओ। समोसरणं | परिसा णिग्गया । तेणं कालेणं तेणं समएणं सोहम्मे कप्पे दद्दरवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए दद्दरंसि सीहासणंसि दडुरे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गमहिसीहिं, सपरिसाहिं एवं जहा सूरियाभे जाव दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे -आभोएमाणे जाव णट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगए, जहा सूरियाभे। भंते ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-अहो णं भंते ! दद्दुरे देवे महिढिए महज्जुईए महब्बले महायसे महासोक्खे महाणुभागे । दडुरस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभावे कहिं गया ? कहिं अणुपविट्ठा? गोयमा ! सरीरं गया, सरीरं अणुपविट्ठा कूडागारदिहंतो । दडुरेणं भंते ! देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी जाव किण्णा लद्धा, किण्णा पत्ता, किण्णा अभिसमण्णागया ? एवं खल गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे णयरे, गणसीलए चेइए, सेणिए राया, वण्णओ | तत्थ णं रायगिहे णंदे णामं मणियारसेट्ठी परिवसइ, अड्ढे दित्ते जाव अपरिभूए । तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा ! समोसढे | परिसा णिग्गया | सेणिए राया वि णिग्गए | तए णं से णंदे मणियारसेट्ठी इमीसे कहाए लद्धढे समाणे पायचारेणं जाव पज्जुवासइ । णंदे मणियार सेट्ठी धम्म सोच्चा समणोवासए जाए। तए णं अहं रायगिहाओ पडिणिक्खंते बहिया जणवयविहारं विहरामि | तए णं से गंदे मणियारसेट्ठी अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणाए य अणणुसासणाए य असुस्सूसणाए य सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं-परिहायमाणेहिं मिच्छत्त-पज्जवेहिं परिवड्ढमाणेहिं-परिवड्ढमाणेहिं मिच्छत्तं विप्पडिवण्णे जाए यावि होत्था । 130 Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं णंदे मणियारसेट्ठी अण्णया कयाइ गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलंसि मासंसि अट्ठमभत्तं परिगेण्हइ, परिगेण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए इव बंभचारी उम्मुक्क मणिसुवण्णे ववगयमालावण्णग विलेवणे णिक्खित्त-सत्थ-मूसले एगे अबीए दब्भ संथारोवगए विहरइ । तए णं णंदस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि तण्हाए छुहाए य अभिभूयस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समप्पज्जित्था- धण्णा णं ते ईसरपभियओ जाव कयविभवा णं ते ईसरपभियओ जेसिं णं रायगिहस्स बहिया बहूओ वावीओ पोक्खरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ, जत्थ णं बहूजणो ण्हाइ य पियइ य पाणियं च संवहइ । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए सेणियं रायं आपुच्छित्ता रायगिहस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए बेभारपव्वयस्स अदूरसामंते वत्थुपाढग-रोइयंसि भूमिभागंसि गंदं पोक्खरिणिं खणावेत्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव पोसहं पारेइ, पारित्ता प्रहाए जाव विभूसिए मित्त-णाइ जाव संपरिवडे महत्थं महग्घं महरिहं रायारिहं पाहुडं गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छड़ जाव पाहुडं उवद्ववेइ, उवट्ठवित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं सामी ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे रायगिहस्स बहिया जाव खणावेत्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया । तए णं णंदे सेणिएणं रण्णा अब्भणण्णाए समाणे हद्व-तुट्टे रायगिहं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गछित्ता वत्थुपाढय-रोइयंसि भूमिभागंसि गंदं पोक्खरिणिं खणाविउं पयत्ते यावि होत्था । तए णं सा गंदा पोक्खरिणी अणुपुव्वेणं खणमाणा खणमाणा पोक्खरिणी जाया यावि होत्था- चाउक्कोणा समतीरा अणुपुव्व सुजायवप्पसीयलजला संछण्ण-पत्त-भिस-मणाला बहु - उप्पल - परम - कुमुय - णलिणी - सुभग - सोगंधिय - पुंडरीय - महापुंडरीय - सयपत्त-सहस्सपत्त-पप्फुल्लकेसरोववेयापरिहत्थ-भमंत-मत्तछप्पय-अणेग-सउणगण-मिहुणवियरिय-सढुण्णइय- महरसरणाइया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ।। तए णं से णंदे मणियारसेट्ठी णंदाए पोक्खरिणीए चउदिसिं चत्तारि वणसंडे रोवावेइ। तए णं ते वणसंडा अपव्वेणं सारक्खिज्जमाणा य संगोविज्जमाणा य संवढियमाणा य वणसंडा जाया- किण्हा जाव महामेह णिकुरंबभूया पत्तिया पुप्फिया जाव उवसोभेमाणाउवसोभेमाणा चिट्ठति । तए णं णंदे मणियारसेट्ठी पुरच्छिमिल्ले वणसंडे एगं महं चित्तसभं कारावेइ, अणेगखंभसयसंणिविटुं पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं । तत्थ णं बहूणि किण्हाणि य जाव सक्किलाणी य कट्टकम्माणि य पोत्थकम्माणि य चित्त-लिप्प-गंथिम-वेढिमपूरिम- संघाइमाइं उवदंसिज्जमाणाइं उवदंसज्जिमाणाइं चिट्ठति । 131 Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १३ तत्थ णं बहूणि आसणाणि य सयणायाणि य अत्थुयपच्चत्थयाइं चिट्ठति । तत्थ णं बहवे णडा य णट्टा य जाव दिण्णभइ-भत्त-वेयणा तालायर-कम्मं करेमाणा विहरंति | रायगिहविणिग्गया एत्थ बहू जणा तेसु पुव्वण्णत्थेसु आसण-सयणेसु सण्णिसण्णा य संतुयट्टा य सुणमाणा य पेच्छमाणा य साहेमाणा य सुहंसुहेणं विहरइ । तए णं णंदे मणियारसेट्ठी दाहिणिल्ले वणसंडे एग महं महाणससालं कारावेइ, अणेगखंभसयसण्णिविढे जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे पुरिसा दिण्ण-भइ-भत्त-वेयणा विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेंति, बहूणं समण माहण अतिहि किवण वणीमगाणं परिभाएमाणा-परिभाएमाणा विहरति । तए णं णंदे मणियारसेट्ठी पच्चत्थिमिल्ले वणसंडे एगं महं तेगिच्छियसालं कारेड, अणेगखंभसयसण्णिविढं जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे वेज्जा य, वेज्जपुत्ता य, जाणुया य, जाणुयपुत्ता य, कुसला य, कुसलपुत्ता य, दिण्णभइ-भत्त-वेयणा बहूणं वाहियाणं, गिलाणाणं, रोगियाणं, दुब्बलाणं, तेइच्छं कम्मं करेमाणा-करेमाणा विहरंति | अण्णे य एत्थ बहवे पुरिसा दिण्ण-भइ- भत्त-वेयणा तेसिं बहूणं वाहियाणं, रोगियाणं, गिलाणाणं, दुब्बलाणं च ओसह- भेसज्ज-भत्तपाणेणं पडियारकम्मं करेमाणा-करेमाणा विहरंति । तए णं णंदे मणियारसेट्ठी उत्तरिल्ले वणसंडे एगं महं अलंकारियसभं कारेइ, अणेगखंभसयसण्णिविटुं जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे अलंकारियपरिसा दिण्णभइ- भत्तवेयणा बहूणं समणाण य, माहणाण य अणाहाण य, गिलाणाण य, रोगियाण य, दुब्बलाण य अलंकारियकम्मं करेमाणा करेमाणा विहरति । तए णं तीए णंदाए पोक्खरिणीए बहवे सणाहा य अणाहा य पंथिया य पहिया य करोडिया य कप्पडिया य कारिया य तणाहारा य पत्तहारा य कट्ठहारा य; अप्पेगइया पहायंति, अप्पेगइया पाणियं पियंति, अप्पेगइया पाणियं संवहंति, अप्पेगइया विसज्जियसेयजल्लमल्ल- परिस्सम-णिद्द-खुप्पिवासा सुहंसुहेणं विहरंति । रायगिहविणिग्गओ वि जत्थ बहुजणो, किं ते ? जलरमण-विविहमज्जण- कयलि-लयाघरय कुसुमसत्थरय-अणेगसउणगण-रुयरिभियसंकुलेसु सुहंसुहेणं अभिरममाणो अभिरममाणो विहरइ। तए णं णंदाए पोक्खरिणीए बहुजणो ण्हायमाणो य, पीयमाणो य, पाणियं च संवहमाणो य अण्णमण्णं एवं वयासी- धण्णे णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारसेट्ठी, कयत्थे जाव जम्मजीवियफले, जस्स णं इमेयारूवा गंदा पोक्खरिणी चाउक्कोणा जाव पडिरूवा, जस्स णं पुरथिमिल्ले तं चेव चउसु वि वणसंडेसु जाव रायगिहविणिग्गओ जत्थ बहुजणो आसणेसु 132 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा य सयणेसु य सण्णिसण्णो य संतुयट्टो य पेच्छमाणो य साहेमाणो य सुहंसुहेणं विहरइ; तं धण्णे कयत्थे जाव जम्मजीवियफले णंदस्स मणियारस्स देवाणुप्पिया ! तए णं रायगिहे संघाडग जाव बहुजणो अण्णमण्णस्स एयमाइक्खइ-धण्णे णं देवाणुप्पिया! णंदे मणियारे एवं सो चेव गमओ जाव सुहंसुहेण विहरइ । तए णं णंदे मणियारे बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्टे धाराहय- कलंबगं विव समूसवियरोमकूवे परं सायासोक्खमणुभवमाणे विहरइ । तए णं तस्स गंदस्स मणियारसेहिस्स अण्णया कयाई सरीरगंसि सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तंजहासासे कासे जरे दाहे, कुच्छिसूले भगंदरे । अरिसा अजीरए दिहि, मुद्धसूले अकारए ||१|| अच्छिवेयणा कण्णवेयणा कंडू दउदरे कोढे । तए णं से गंदे मणियारसेट्ठी सोलसहिं रोगायंकेहिं अभिभूए समाणे कोकुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे णयरे सिंघाडग जाव महापहपहेसु महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा -उग्घोसेमाणा एवं वयहएवं खल देवाणुप्पिया ! णंदस्स मणियारसेट्ठिस्स सरीरगंसि सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तं जो णं इच्छड़ देवाणुप्पिया ! वेज्जो वा वेज्जपुत्तो वा जाणुओ वा जाणुयपुत्तो वा कुसलो वा कुसलपुत्तो वा गंदस्स मणियारस्स तेसिं च सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायंकं उवसामित्तए, तस्स णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारे विउलं अत्थसंपयाणं दलयइ त्ति कट्ट दोच्चं पि तच्चं पि घोसणं घोसह, घोसित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। ते वि तहेव पच्चप्पिणंति । तए णं रायगिहे णयरे इमेयारूवं घोसणं सोच्चा णिसम्म बहवे वेज्जा य वेज्जपुत्ता य जाव कुसलपत्ता य सत्थकोसहत्थगया य सिलियाहत्थगया य गलियाहत्थगया य ओसहभेसज्जहत्थगया य सएहिं सएहिं गेहेहिंतो णिक्खमंति, णिक्खमित्ता रायगिह मज्झमज्झेणं जेणेव णंदस्स मणियारसेहिस्स गिहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता गंदस्स मणियारसेहिस्स सरीरं पासंति, तेसिं रोगायंकाणं णियाणं पुच्छंति, पुच्छित्ता णंदस्स मणियारसेहिस्स बहूहिं उव्वलणेहि य उव्वट्टणेहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि य सेयणेहि य अवदहणेहि य अवण्हाणेहि य अणुवासणेहि य वत्थिकम्मेहि य णिरूहेहि य सिरावेहेहि य तच्छणाहि य पच्छणाहि य सिरावेढेहि य तप्पणाहि य पुटवाएहि य छल्लीहि वल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य 133 Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ २३ २४ २५ २६ २८ ज्ञाताधर्मकथा गुलियाहि य ओसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायंकं उवसामित्तए, णो चेव णं संचाएंति उवसामेत्तए । तणं ते बहवे वेज्जा य वेज्जपुत्ता य जाणुया य जाणुयपुत्ता य कुसला य कुसलपुत्ता य जाहे णो संचाएंति तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायकं उवसामेत्तए ताहे संता तंता परितंता णिव्विण्णा समाणा जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया । तए णं णंदे तेहिं सोलसेहिं रोगायंकेहिं अभिभूए समाणे णंदा-पोक्खरिणीए मुच्छि तिरिक्खजोणिएहिं णिबद्धाउए, बद्धपएसिए अट्टदुहट्टवसट्टे कालमासे कालं किच्चा णंदाए पोक्खरिणीए दद्दुरी कुच्छिंसि दद्दुरत्ताए उववण्णे । तए णं णंदे दद्दुरे गब्भाओ विणिम्मुक्के समाणे उम्मुक्कबालभावे विण्णायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते णंदाए पोक्खरिणीए अभिरममाणे- अभिरममाणे विहरइ । तए णं णंदाए पोक्खरिणीए बहू जणे ण्हायमाणो य पियमाणो य पाणियं संवहमाणो य अण्णमण्णस्स एवं आइक्खइ- धण्णे णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारे जस्स णं इमेयारूवा णंदा पुक्खरिणी चाउक्कोणा जाव पडिरूवा, जस्स णं पुरत्थिमिल्ले वणसंडे चित्तसभा अणेगखंभसयसण्णिविट्ठा तहेव चत्तारि सहाओ जाव जम्मजीवियफले । तए णं तस्स दद्दुरस्स अभिक्खणं अभिक्खणं बहुजणस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जेत्था से कहिं मण्णे मए इमेयारूवे सद्दे णिसंतपुव्वे त्ति कट्टु सुभेणं परिणामेणं जाव जाइसरणे समुप्पण्णे, पुव्वजाई सम्मं समागच्छइ । तए णं तस्स दद्दुरस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव मणोगयसंकप्पे समुप्पज्जेत्था- एवं खलु अहं इहेव रायगिहे णयरे णंदे णामं मणियारे अड्ढे । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे । तए णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्व सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे गिहिधम्मे पडिवणे । तए णं अहं अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण य जाव मिच्छत्तं विप्पडिवण्णे । तए णं अहं अण्णया कयाइ गिम्हकालसमयंसि पोसहं उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । एवं जव चिंता, आपुच्छणा, णंदा पुक्खरिणी, वणसंडा, सभाओ, तं चैव सव्वं जाव णंदाए पुक्खरिणीए दद्दुरत्ताए उववण्णे । तं अहो ! णं अहं अधणे अपुण्णे अकयपुण्णे णिग्गंथाओ पावयणाओ ट्ठे भट्ठे परिब्भट्ठे । तं सेयं खलु ममं सयमेव पुव्वपविणाई पंचाणुव्वयाइं सत्तसिक्खावयाइं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता पुव्वपडिवण्णाइं पंचाणुव्वयाइं सत्तसिक्खावयाइं आरुहेइ, आरुहित्ता इमेयारूवे अभिग्गहं अभिगिण्हइ - कप्पड़ मे जावज्जीवं छटुं छद्वेणं अणिक्खित्तेणं तवो कम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्स वि य णं पारणगंसि कप्पड़ मे णंदाए 134 Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |२९| ३० ३१ ३२ ३४ ज्ञाताधर्मकथा पोक्खरिणीए परिपेरंतेसु फासुएणं ण्हाणोदएणं उम्मद्दणालोलियाहि य वित्तिं कप्पेमाणस्स विहरित्तए इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हित्ता जावज्जीवाए छट्ठछट्टेणं जाव विहरइ | तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा ! गुणसीलए चेइए समोसढे । परिसा णिग्गया । तए णं णंदाए पुक्खरिणीए बहुजणो ण्हायमाणो य पियमाणो य पाणियं संवहमाणो य अण्णमण्णं एवमाइक्खड़ एवं खलु समणे भगवं महावीरे इहेव गुणसीलए चेइए समोसढे । तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो जाव पज्जुवासामो । एयं मे इहभवे परभवे य हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ । तए णं तस्स दद्दुरस्स बहुजणस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म अयमेयारूवे अज्झत्थि चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जेत्था- एवं खलु समणे भगवं महावीरे समोसढे । तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता णंदाओ पुक्खरिणीओ सणियं-सणियं उत्तरड़, उत्तरित्ता जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उक्किट्ठाए दद्दुरगईए वीईवयमाणे - वीईवयमाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । इमं च णं सेणिए राया भंभसारे पहाए जाव सव्वालंकारविभूसए हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामरेहि य उद्धव्वमाणेहिं महयाहय-गयरह- भड-चडगर-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे मम पायवंदए हव्वमागच्छइ । तणं से दद्दुरे सेणियस्स रण्णो एगेणं आसकिसोरएणं वामपाएणं अक्कंते समाणे अंतणिग्घाइए कए यावि होत्था । त णं से दद्दुरे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति एतमवक्कम जाव एवं वयासी णमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं जाव सिद्धि गइणामधेज्जं ठाणं संपत्ताणं । णमोत्थुणं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स । पुव्विं पि य णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए । तं इयाणिं पि तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि जावज्जीवं । सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं पच्चक्खामि जावज्जीवं । जं पि य इमं सरीरं इट्ठे कंतं जाव मा णं विविहा रोगायंका परिसहोवसग्गा फुसंतु; एयं पिणं चरिमेहिं ऊसासेहिं वोसिरामि त्ति कट्टु । तए णं से दद्दुरे कालमासे कालं किच्चा जाव सोहम्मे कप्पे दद्दुरवडिंस विमाणे उववायसभाए दद्दुरदेवत्ताए उववण्णे । एवं खलु गोयमा ! दद्दुरेणं सा दिव्वा देवड्ढी द्धा पत्ता जाव अभिसमण्णागया । दद्दुरस्स णं भंते! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? 135 Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता | से णं दद्दरे देवे आउक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, बुज्झिहिइ जाव अंतं करिहिइ । ३५ एवं खलु समणेणं भगवया महावीरेणं तेरसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्टे पण्णत्ते । || त्ति बेमि || ॥ तेरसमं अज्झयणं समत्तं || चोद्दसमं अज्झयणं तेयली जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं तेरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, चोद्दसमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खल जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं तेयलिरे णामं णयरे, पमयवणे उज्जाणे कणगरहे राया वण्णओ | तस्स णं कणगरहस्स रणो पउमावई णामं देवी होत्था, वण्णओ । तस्स णं कणगरहस्स रण्णो तेयलिपुत्ते णामं अमच्चे साम-दंड जाव विहरइ दक्खे । तत्थ णं तेयलिपुरे कलादे णामं मूसियारदारए होत्था- अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स णं भद्दा णामं भारिया | तस्स णं कलायस्स मुसियारदारयस्स धूया भद्दाए अत्तया पोट्टिला णाम दारिया होत्था- रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किदुसरीरा । तए णं सा पोट्टिला दारिया अण्णया कयाइ ण्हाया जाव सव्वालंकारविभूसिया चेडियाचक्कवाल-संपरिवडा उप्पिं पासायवरगया आगासतलगंसि कणगमएणं तिंदसएणं कीलमाणी कीलमाणी विहरइ । इमं च णं तेयलिपुत्ते अमच्चे बहाए जाव आसखंधवरगए महया भड-चडगर-आस वाहणियाए णिज्जायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । तए णं से तेयलिपुत्ते मूसियारदारगगिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे- वीईवयमाणे पोट्टिलं दारियं उप्पिं पासायवरगयं आगासतलगंसि कणग-तिंदूसएणं कीलमाणिं पासइ, पासित्ता पोट्टिलाए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य अज्झोववण्णे, कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एस णं देवाणप्पिया ! कस्स दारिया किं णामधेज्जा वा ? ५ 136 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा । तए णं कोडुबियपरिसे तेयलिपुत्तं एवं वयासी- एस णं सामी ! कलायस्स मूसियारदारयस्स धूया भद्दाए अत्तया पोट्टिला णामं दारिया रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा। तए णं से तेयलिपुत्ते आसवाहणियाओ पडिणियत्ते समाणे अभिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कलायस्स मूसियारदारगस्स धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह । तए णं ते अभिंतरद्वाणिज्जा पुरिसा तेयलिणा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा, करयल जाव एवं सामी ! तहत्ति आणाए, विणएणं वयणं पडिसुणेत्ति जाव जेणेव कलायस्स मूसियारदारयस्स गिहे तेणेव उवागया । तए णं कलाए मूसियारदारए ते पुरिसे एज्जमाणे पासइ, पासित्ता हहतुढे आसणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता सत्तट्ठपयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता आसणेणं उवणिमंतेइ, उवणिमंतित्ता आसत्थे वीसत्थे सुहासणवरगए एवं वयासी- संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं ? तए णं ते अभिंतरद्वाणिज्जा पुरिसा कलायस्स मूसियारदारयस्स एवं वयासी- अम्हे णं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स भारियत्ताए वरेमो । तं जइ णं जाणसि देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो ता दिज्जउ णं पोट्टिला दारिया तेयलिपुत्तस्स | तो भण देवाणुप्पिया ! किं दलामो सुक्कं ? तए णं कलाए मूसियारदारए ते अब्भिंतरद्वाणिज्जे पुरिसे एवं वयासी- एस चेव णं देवाणुप्पिया! मम सुक्के जं णं तेयलिपुत्ते मम दारियाणिमित्तेणं अणुग्गहं करेइ । ते अभिंतरठाणिज्जे पुरिसे विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । तए णं ते अभितर-ठाणिज्जा पुरिसा कलायस्स मूसियारदारयस्स गिहाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेयलिपुत्तं एयमद्वं णिवेयंति। तए णं कलाए मूसियारदारए अण्णया कयाइं सोहणंसि तिहि-करण-णक्खत्त-मुहत्तंसि पोट्टिलं दारियं ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मित्तणाई जाव संपरिबुडे साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सव्विड्ढीए तेयलिपुरं मज्झमज्झेणं जेणेव तेयलिपुत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयइ । 137 Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ११ तए णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलं दारियं भारियत्ताए उवणीयं पासइ, पासित्ता हहतुट्टे; पोट्टिलाए सद्धिं पट्टयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सेयापीएहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेइ, मज्जावित्ता अग्गिहोमं करेइ, करित्ता पाणिग्गहणं करेइ, करित्ता पोट्टिलाए भारियाए मित्त-णाइणियग- सयण-संबंधि परिजणं विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पुप्फ-वत्थ गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेइ, सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से तेयलिपत्ते पोट्टिलाए भारियाए अणुरत्ते अविरत्ते उरालाई माणुस्साई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । तए णं से कणगरहे राया रज्जे य रहे य बले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारे य पुरे य अंतेउरे य मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववण्णे जाए यावि होत्था | जाए पुत्ते वियंगेइ, अप्पेगइयाणं हत्थंगुलियाओ छिंदइ अप्पेगइयाणं हत्थंगुट्ठए छिंदइ, एवं पायंगुलियाओ पायंगुट्ठए वि कण्णसक्कलीए वि णासापुडाइं फालेइ, अंगमंगाइं वियंगेइ । तए णं तीसे पउमावईए देवीए अण्णया पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे अज्झत्थिए समुप्पज्जित्था- एवं खलु कणगरहे राया रज्जे य जाव अंगमंगाइं वियंगेइ, तं जइ अहं दारयं पयायामि, सेयं खलु ममं तं दारगं कणगरहस्स रहस्सिययं चेव सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता तेयलिपुत्तं अमच्चं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेइ, तं जइ णं अहं देवाणुप्पिया! दारगं पयायामि, तए णं तुमं कणगरहस्स रहस्सिययं चेव अणुपुव्वेण सारक्खमाणे दारए उम्मक्कबालभावे जोव्वणगमणपत्ते तव य मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ । तए णं से तेयलिपुत्ते अमच्चे पउमावईए देवीए एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता पडिगए | तए णं पउमावई य देवी पोट्टिला य अमच्ची सममेव गब्भं गेण्डिंति, सममेव गब्भं परिवहंति, सममेव गब्भं परिवड्ढेति । तए णं सा पउमावई देवी णवण्हं मासाणं पडिपुण्णाणं जाव पियदंसणं सुरूवं दारगं पयाया । जं रयणिं च णं पउमावई देवी दारयं पयाया तं रयणिं च पोट्टिला वि अमच्ची णवण्हं मासाणं पडिपुणाणं विणिहायमावण्णं दारियं पयाया । तए णं सा पठमावई देवी अम्मधाई सद्दावेइ, सदावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुम अम्मो! तेयलिपुत्तं रहस्सिययं चेव सद्दावेह । 138 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं सा अम्मधाई तह त्ति पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता अंतेउरस्स अवद्दारेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव तेयलिपुत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! पउमावई देवी सद्दावेइ ।। तए णं तेयलिपुत्ते अम्मधाईए अंतियं एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्टे; अम्मधाईए सद्धिं साओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता अंतेउरस्स अवद्दारेणं रहस्सिययं चेव अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए कायव्वं । तए णं पउमावई देवी तेयलिपुत्तं एवं वयासी- एवं खलु कणगरहे जाव वियंगेइ । अहं च णं देवाणुप्पिया ! दारगं पयाया । तं तुमं णं देवाणुप्पिया ! एयं दारगं गिण्हाहि जाव तव मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ त्ति कट्ट तेयलिपुत्तस्स हत्थे दलयइ । तए णं तेयलिपुत्ते पउमावईए हत्थाओ दारगं गेण्हइ, उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहित्ता अंतेउरस्स रहस्सिययं अवदारेणं णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव सए गिहे जेणेव पोट्टिला भारिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोट्टिलं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया जाव पुत्ते वियंगेइ । अयं च णं दारए कणगरहस्स पुत्ते पउमावईए अत्तए | तण्णं तुम देवाणुप्पिया ! इमं दारगं कणगरहस्स रहस्सियं चेव अणुपुव्वेणं सारक्खाहि य, संगोवेहि य, संवड्ढेहि य । तए णं एस दारए उम्मुक्कबालभावे तव य मम य पउमावईए य आहारे भविस्सइ त्ति कट्ट पोट्टिलाए पासे णिक्खिवइ, णिक्खिवित्ता पोट्टिलाए पासाओ तं विणिहायमावणियं दारियं गेण्हइ, गेण्हित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहित्ता, अंतेउरस्स अवद्दारेणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पठमावईए देवीए पासे ठावेइ जाव पडिणिग्गए । तए णं तीसे पउमावईए अंगपडियारियाओ पउमावई देविं विणिहायमावणियं च दारियं पयायं पासंति, पासित्ता जेणेव कणगरहे राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु सामी ! पउमावई देवी मएल्लियं दारियं पयाया । तए णं कणगरहे राया तीसे मएल्लियाए दारियाए णीहरणं करेइ, बहूणि लोइयाई मयकिच्चाई करेड़, कालेणं विगयसोए जाए | तए णं तेयलिपुत्ते कल्लं कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव चारगसोहणं करेह जाव ठिइवडियं दसदेवसियं करेह, कारवेह य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। जम्हा णं अम्हं एस दारए कणगरहस्स रज्जे जाए, तं होउ णं दारए णामेणं कणगज्झए जाव अलं भोगसमत्थे जाए । [3] 139 Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ २३ २४ २५ २६ ज्ञाताधर्मकथा तएणं पोटिल्ला अण्णया कयाई तेयलिपुत्तस्स अणिट्ठा अकंता अप्पिया अण्णा अमणामा जाया यावि होत्था - णेच्छइ णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलाए णामगोयमवि सवणयाए, किं पुण दंसणं वा परिभोगं वा । तएणं तीसे पोट्टिलाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं तेयलिस्स पुव्विं इट्ठा आसी, इयाणिं अणिट्ठा जाया । णेच्छइ णं तेयलिपुत्ते मम जाव झियायइ । तए णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं वयासी- मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहयमणसंकप्पा, तुमं णं मम महाणसंसि विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेहि, उवक्खडावित्ता बहूणं समण-माहण अतिकिवण-वणीमगाणं देयमाणी य दवावेमाणी य विहराहि । तए णं सा पोट्टिला तेयलिपुत्तेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा तेयलिपुत्तस्स एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता कल्लाकल्लिं महाणसंसि विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं जा उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता बहूणं समण जाव देयमाणी य दवावेमाणी य विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ णामं अज्जाओ ईरियासमियाओ गुत्तबंभयारिणीओ बहुस्सुयाओ बहुपरिवाराओ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणीओ जेणामेव तेयलिपुरे णयरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणीओ विहरति । जाव तए णं तासिं सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेड् जाव अडमाणीओ तेयलिपुत्तस्स गिहं अणुपविट्ठाओ । तए णं सा पोट्टिला ताओ अज्जाओ एज्जमाणीओ पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठा आसणाओ अब्भट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता वंदइ णमंस, वंदित्ता णमंसित्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं पडिलाभेइ, पडिलाभित्ता एवं वयासीएवं खलु अहं अज्जाओ ! तेयलिपुत्तस्स पुव्विं इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा आसी, इयाणिं अणिट्ठा जाव दंसणं वा परिभोगं वा । तं तुब्भे णं अज्जाओ ! सिक्खियाओ, बहुणायाओ, बहुपढियाओ बहूणि गामागर जाव आहिंडह, बहूणं राईसर जाव गिहाई अणुपविसह, तं अत्थियाइं भे अज्जाओ ! केइ कहिंचि चुण्णजोए वा, मंतजोगे वा कम्मणजोए वा हियउड्डावणे वा काउड्डावणे वा आभिओगिए वा वसीकरणे वा कोउयकम्मे वा भूइकम्मे वा मूले कंदे छल्लो वल्ली सिलिया वा गुलिया वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धपुव्वे ? जेणाहं तेयलिपुत्तस्स पुणरवि इट्ठा भवेज्जामि । तए णं ताओ अज्जाओ पोट्टिलाए एवं वुत्ताओ समाणीओ दोवि कण्णे (अंगुलियं) ठावेंति, ठावेत्ता पोट्टिलं एवं वयासी- अम्हे णं देवाणुप्पिया ! समणीओ णिग्गंथीओ जाव 140 Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा गुत्तबंभचारिणीओ । णो खलु कप्पइ अम्हं एयप्पयारं कण्णेहिं वि णिसामेत्तए, किमंग पुण उवदंसित्तए वा आयरित्तए वा ? अम्हे णं तव देवाणुप्पिया! विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्म परिकहिज्जामो । तए णं सा पोट्टिला ताओ अज्जाओ एवं वयासी- इच्छामि णं अज्जाओ ! तुम्ह अंतिए केवलिपण्णत्तं धम्म णिसामित्तए । तए णं ताओ अज्जाओ पोट्टिलाए विचित्तं केवलि पण्णत्तं धम्म परिकहेंति । तए णं सा पोट्टिला धम्म सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठा एवं वयासीसहामि णं अज्जाओ ! णिग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तब्भे वयह । इच्छामि णं अहं तुब्भं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्त सिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिए । तए णं सा पोट्टिला तासिं अज्जाणं अंतिए पंचाणव्वइयं जाव गिहिधम्म पडिवज्जइ, ताओ अज्जाओ वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं सा पोट्टिला समणोवासिया जाया जाव पडिलाभेमाणी विहरइ । तए णं तीसे पोट्टिलाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु अहं तेयलिपुत्तस्स पुट्विं इट्ठा कंता जाव परिभोगं वा । तं सेयं खलु मम सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए पव्वइत्तए, एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए धम्मे णिसंते जाव अब्भणुण्णाया पव्वइत्तए | २९ तए णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलं एवं वयासी- एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! मुंडा भवित्ता पव्वइया समाणी कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेस देवलोएस उववज्जिहिसि । तं जड णं तमं देवाणप्पिए ! ममं ताओ देवलोयाओ आगम्म केवलिपण्णत्ते धम्मे बोहिहि, तो हं विसज्जेमि । अह णं तुमं ममं ण संबोहेसि, तो ते ण विसज्जेमि । तए णं सा पोट्टिला तेयलिपुत्तस्स एयमढें पडिसुणेइ । तए णं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावित्ता मित्तणाइ जाव आमंतेइ, आमंतित्ता जाव सम्माणेइ, सम्माणित्ता पोट्टिलं पहायं जाव सव्वलंकार-विभूसियं पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरुहित्ता मित्तणाइ जाव परिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिणिग्घोस णाइय रवेणं तेतलिपुरस्स मज्झमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता पोट्टिलं पुरओ कट्ट जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पोट्टिला भारिया इट्ठा जाव एस णं 141 Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा संसारभउव्विग्गा जाव पव्वइत्तए | पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिए! सिस्सिणिभिक्खं दलयामि । अहासुहं, मा पडिबंधं करेहि । तए णं सा पोट्टिला सुव्वयाहिं अज्जाहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठ-तुट्ठा उत्तरपुरित्थमं दिसिभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमयइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवाच्छइ, उवागच्छित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं भंते ! लोए एवं जहा देवाणंदा जाव एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसित्ता सहिँ भत्ताई अणसणेणं छेइत्ता आलोइय पडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववण्णा । तए णं से कणगरहे राया अण्णया कयाइ कालधम्मणा संजुत्ते यावि होत्था । तए णं राईसर जाव णीहरणं करेंति, करित्ता अण्णमण्णं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगित्था, अम्हे णं देवाणुप्पिया! रायाहीणा, रायाहिट्ठिया, रायाहीणकज्जा | अयं च णं तेतली अमच्चे कणगरहस्स रण्णो सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु लद्धपच्चए दिण्णवियारे सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्था । तं सेयं खलु अम्हं तेयलिपुत्तं अमच्चं कुमारं जाइत्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेयलिपुत्तं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेइ, अम्हे य णं देवाणुप्पिया! रायाहीणा रायाहिट्ठिया रायाहीणकज्जा । तुमं च णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो सव्वट्ठाणेसु जाव रज्जधुराचिंतए होत्था । तं जइ णं देवाणुप्पिया ! अत्थि केइ कुमारे रायलक्खणसंपण्णे अभिसेयारिहे, तं गं तुम अम्हं दलाहि, जा णं अम्हे महया रायाभिसेएणं अभिसिंचामो । तए णं तेयलिपुत्ते तेसिं ईसरपभिईणं एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता कणगज्झयं कुमारं ण्हायं जाव सस्सिरीयं करेइ, करित्ता तेसिं ईसरपभिईणं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासीएस णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो पुत्ते, पउमावईए देवीए अत्तए कणगज्झएणामं कुमारे अभिसेयारिहे रायलक्खणसंपण्णे, मए कणगरहस्स रण्णो रहस्सियं संवढिए | एयं णं तुब्भे महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचह । सव्वं च से उट्ठाणपरियावणियं परिकहेइ। तए णं ते ईसरपभिइओ कणगज्झयं कुमारं महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति तए णं से कणगज्झए कमारे राया जाए, महया हिमवंत-महंत- मलय -मंदर-महिंदसारे जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ । ३४ 142 Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५ 319 ३९ ४० ज्ञाताधर्मकथा तए णं सा पउमावई देवी कणगज्झयं रायं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-एस णं पुत्ता! तव रज्जे य जाव अंतेउरे य तुमं च तेयलिपुत्तस्स अमच्चस्स पहावेणं । तेयलिपुत्तं अमच्चं आढाहि परिजाणाहि, सक्कारेहि, सम्माणेहि, इंतं अब्भुट्ठेहि ठियं पज्जुवासाहि वच्चंतं पडिसंसाहेहि, अद्धासणेणं उवणिमंतेहि, भोगं च से अणुवड्ढेहि । तए णं से कणगज्झए पउमावईए देवीए वयणं तह त्ति पडिसुणेइ जाव भोगं च से तए णं से पोट्टिले देवे तेयलिपुत्तं अभिक्खणं-अभिक्खणं केवलिपण्णत्ते धम्मे संबोहेइ, णो चेव णं से तेयलिपुत्ते संबुज्झइ । तए णं तस्स पोट्टिलदेवस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु कणगज्झए राया तेयलिपुत्तं आढाइ जाव भोगं च अणुवड्ढेइ, तए णं से तेयलिपुत्ते अभिक्खणं-अभिक्खणं संबोहिज्जमाणे वि धम्मे णो संबुज्झइ । तं सेयं खलु मम कणगज्झयं तेयलिपुत्ताओ विप्परिणामित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कणगज्झयं तेयलिपुत्ताओ विप्परिणामेइ । तए णं तेयलिपुत्ते कल्लं पहाए जाव आसखंधवरगए बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे साओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव कणगज्झए राया तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तेयलिपुत्तं अमच्चं से जहा बहवे राईसरतलवर जाव पभिइओ पासंति ते तहेव आढायंति परिजाणंति अब्भुट्ठेति, अंजलिपरिग्गहं करेंति, इट्ठाहिं कंताहिं जाव वग्गूहिं आलवमाणा य संलवमाणा य पुरओ य पिट्ठओ य पासओ य मग्गओ य समणुगच्छंति । तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव कणगज्झए राया तेणेव उवागच्छइ । तए णं कणगज्झ या तेयलिपुत्तं एज्जमाणे पासइ, पासित्ता णो आढाइ, णो परियाणाइ, णो अब्भु, यमाणे अपरियाणमाणे अणब्भुट्ठायमाणे परम्मुहे संचि । तए णं तेयलिपुत्ते अमच्चे कणगज्झयस्स रण्णो अंजलिं करेइ । तओ य णं कणगज्झ राया अणाढायमाणे अपरियाणमाणे अणब्भुट्टेमाणे तुसिणीए परम्मुहे संचिट्ठइ। तए णं तेयलिपुत्ते कणगज्जयं विप्परिणयं जाणित्ता भीए जाव संजायभए एवं वयासी-“रुट्ठे णं मम कणगज्झए राया । हीणे णं मम कणगज्झए राया । अवज्झाए णं कणगज्झए राया । तं ण णज्जइ णं मम केणइ, कु-मारेण मारेहि" त्ति कट्टु भीए तत्थे जाव सणियंसणियं पच्चोसक्केइ, पच्चोसक्कित्ता तमेव आसखंधं दुरुहेइ, दुरुहित्ता तेयलिपुरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तेयलिपुत्तं जे जहा ईसर जाव पासंति ते तहा णो आढायंति, णो परियाणंति, णो अब्भुट्ठेति, णो अंजलिपरिग्गहं करेंति, इट्ठाहिं जाव णो संलवंति, णो पुरओ य पिट्ठओ य पासओ य मग्गओ य समणुगच्छति । 143 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४१ तए णं तेयलिपुत्ते जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छड् । जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, तंजहा- दासे इ वा पेसे इ वा भाइल्लए इ वा, सा वि य णं णो आढाइ णो परियाणाइ णो अब्भुढेइ जा वि य से अभिंतरिया परिसा भवइ, तंजहा- पिया इ वा माया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा भज्जा इ वा पुत्ता इ वा धूया इ वा सुण्हा इ वा, सा वि य णं णो आढाइ णो परियाणाइ णो अब्भुढेइ । तए णं से ते ते जेणेव वासघरे जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता सयणिज्जसि णिसीयइ, णिसीइत्ता एवं वयासी- “एवं खलु अहं सयाओ गिहाओ णिग्गच्छामि तं चेव जाव अभिंतरिया परिसा णो आढाइ णो परियाणाइ णो अब्भुढेइ । तं सेयं खलु मम अप्पाणं जीवियाओ ववरोवित्तए" त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता तालउडं विसं आसगंसि पक्खिवइ । से य विसे णो संकमइ ।। तए णं से तेयलिपुत्ते णीलुप्पल गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं खंधे ओहरइ । तत्थ वि य से धारा ओपल्ला | तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासगं गीवाए बंधइ, बंधित्ता रुक्खं दुरुहइ, दुरुहित्ता पास रुक्खे बंधइ, बंधित्ता अप्पाणं मुयइ । तत्थ वि य से रज्जू छिण्णा। तए णं से तेयलिपुत्ते महइ महालियं सिलं गीवाए बंधइ, बंधित्ता अत्थाहमतारम- पोरि सियंसि उदगंसि अप्पाणं मुयइ । तत्थ वि से थाहे जाए । तए णं से तेयलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडंसि अगणिकायं पक्खिवइ, पक्खिवित्ता अप्पाणं मुयइ । तत्थ वि य से अगणिकाए विज्झाए । तए णं से तेयलिपुत्ते एवं वयासी- सद्धेयं खलु भो ! समणा वयंति । सद्धेयं खलु भो ! माहणा वयंति । सद्धेयं खलु भो ! समणा माहणा वयंति । अहं एगो असद्धेयं वयामि । एवं खलु अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ? सह मित्तेहिं अमित्ते, को मेदं सद्दहिस्सइ ? एवं अत्थेणं, दारेणं, दासेहिं, पेसेहिं, परिजणेणं । एवं खलु तेयलिपुत्तेणं अमच्चेणं कणगज्झएणं रण्णा अवज्झाएणं समाणेणं तालपुडगे विसे आसगंसि पक्खित्ते, से वि य णो संकमड । को मेदं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपत्तेणं णीलप्पल जाव खंधसि ओहरिए, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला; को मेदं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपुत्तेणं पासगं गीवाए बंधेत्ता जाव रज्जू छिण्णा; को मेदं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपुत्तेणं महासिलयं गीवाए बंधित्ता अत्थाह जाव उदगंसि अप्पा मुक्के, तत्थ वि य णं थाहे जाए; को मेदं सद्दहिस्सइ ? तेयलिपुत्तेणं सुक्कंसि तणकूडे अग्गी विज्झाए, को मेदं सद्दहिस्सइ ? ओहयमणसंकप्पे जाव झियाइ । ४५ 144 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४८ तए णं से पोट्टिले देवे पोट्टिलारूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता तेयलिपुत्तस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं वयासी- हं भो तेयलिपुत्ता! पुरओ पवाए पिट्ठओ हत्यिभयं, दुहओ अचक्खुफासे, मज्झेसराणि वरिसंति। गामे पलत्ते रण्णे झियाइ। रण्णे पलित्ते गामे झियाइ, आउसो तेयलिपुत्ता! उभओ पलित्ते कओ वयामो ? तए णं तेयलिपुत्ते पोट्टिलं देवं एवं वयासी-भीयस्स खलु भो ! पव्वज्जा सरणं, उक्कंठियस्स सदेसगमणं, छुहियस्स अण्णं, तिसियस्स पाणं, आउरस्स भेसज्जं, माइयस्स रहस्सं, अभिजुत्तस्स पच्चयकरणं, अद्धाणपरिसंतस्स वाहणगमणं, तरिउकामस्स पवहण किच्चं, परं अभिउंजिउकामस्स सहायकिच्चं । खंतस्स दंतस्स जिइंदियस्स एत्तो एगमवि ण भवइ । तए णं से पोट्टिले देवे तेयलिपुत्तं अमच्चं एवं वयासी- सुइ णं तुमं तेयलिपुत्ता ! एयमटुं आयाणाहि त्ति कट्ट दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयइ, वइत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए | तए णं तस्स तेयलिपुत्तस्स सुभेणं परिणामेणं जाइसरणे समुप्पण्णे । तए णं तस्स तेयलिपुत्तस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पण्णे- एवं खलु अहं इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे पोक्खलावई विजए पोंडरीगिणीए रायहाणीए महापउमे णामं राया होत्था। तए णं अहं थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइए सामाइयमाइयाइं चोद्दसपुव्वाइं अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए महासुक्के कप्पे देवत्ताएउववण्णे । तए णं अहं ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव तेयलिपुरे तेयलिस्स अमच्चस्स भद्दाए भारियाए दारगत्ताए पच्चायाए | “तं सेयं खलु मम पुव्वद्दिट्ठाई महव्वयाई सयमेव उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए;" एवं संपेहेइ, संपेहित्ता सयमेव महव्वयाइं आरुहेइ, आरुहित्ता जेणेव पमयवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहणिसण्णस्स अणुचिंतेमाणस्स पुव्वाहीयाई सामाइयमाइयाइं चोद्दसपुव्वाइं सयमेव अभिसमण्णागयाइं । तए णं तस्स तेयलिपुत्तस्स अणगारस्स सुभेणं परिणामेणं जाव तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं कम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं पविट्ठस्स केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे | तए णं तेयलिपुरे णगरे अहासंणिहिएहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य देवदुंदुहीओ समाहयाओ, दसद्धवण्णे कुसुमे णिव्वाए, दिव्वे गीय-गंधव्वणिणाए कए यावि होत्था । तए णं से कणगज्झए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे एवं वयासी- एवं खलु तेयलिपुत्ते मए अवज्झाए मुंडे भवित्ता पव्वइए । तं गच्छामि णं तेयलिपुत्तं अणगारं वंदामि 145 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा णमंसामि, वंदित्ता णमंसित्ता एयमटुं विणएणं भुज्जो भुज्जो खामेमि । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता बहाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं जेणेव पमयवणे उज्जाणे जेणेव तेयलिपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तेयलिपुत्तं अणगारं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एयमद्वं च विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेइ, णच्चासण्णे जाव पज्जुवासइ । तए णं से तेयलिपुत्ते अणगारे कणगज्झयस्स रण्णो तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ । तए णं कणगज्झए राया तेयलिपुत्तस्स केवलिस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे, वण्णओ | तए णं तेयलिपुत्ते केवली बहूणि वासाणि केवलिपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ जाव ण दुक्खं पत्ता, माणभंसं च पाणिणो पायं । ताव ण धम्मं गेण्हंति, भावओ तेयलीसुयव्व ॥१॥ || चोद्दसमं अज्झयणं समत्तं ॥ पण्णरसमं अज्झयणं णंदीफले जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, पण्णरसमस्स णायज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था | पुण्णभद्दे चेइए | जियसत्तू राया । तत्थ णं चंपाए णयरीए धण्णे णामं सत्थवाहे होत्था- अड्ढे जाव अपरिभूए । तीसे णं चंपाए णयरीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए अहिच्छत्ता णामं णयरी होत्थारिद्धत्थिमिय- समिद्धा, वण्णओ | तत्थ णं अहिच्छत्ताए णयरीए कणगकेऊ णामं राया होत्था, महया वण्णओ। 146 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स अण्णया कयाइ पव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- सेयं खलु मम विउलं पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं णयरिं वाणिज्जाए गमित्तए, एवं संपेहेइ, संपेहित्ता गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च चउव्विहं भंडं गेण्हइ, गेण्हित्ता सगडी-सागडं सज्जेइ, सज्जित्ता सगडी-सागडं भरेइ, भरित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए णयरीए सिंघाडग जाव महापह-पहेसु उग्घोसेमाणाउग्घोसेमाणा एवं वयह- एवं खलु देवाणुप्पिया ! धण्णे सत्थवाहे विउले पणियं आदाय इच्छइ अहिच्छत्तं णयरिं वाणिज्जाए गमित्तए | तं जो णं देवाणप्पिया ! चरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छुडे वा पंडुरंगे वा गोयमे वा गोवईए वा गिहिधम्मे वा गिहिधम्मचिंतए वा अविरूद्ध-विरुद्ध-वड्ढ-सावग-रत्तपड-णिग्गंथप्पभिई पासंडत्थे वा गिहत्थे वा, धण्णेणं सत्थवाहेणं सद्धिं अहिच्छत्तं णयरिं गच्छइ, तस्स णं धण्णे सत्थवाहे अच्छत्तगस्स छत्तगं दलयइ, अण्वाहणस्स उवाहणाओ दलयइ, अकुंडियस्स कुंडियं दलयइ, अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयइ, अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयइ, अंतरा वि य से पडियस्स वा भग्गलुग्गस्स साहेज्जं दलयइ, सुहंसुहेण य णं अहिच्छत्तं संपावेइ, त्ति कट्ट दोच्चं पि तच्चं पि घोसणं घोसेह, घोसित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव एवं वयासी-हंदि ! सुणंतु भगवंतो चंपाणगरीवत्थव्वा बहवे चरगा य जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से कोडुबियपुरिसाणं घोसणं सोच्चा चंपाए णयरीए बहवे चरगा य जाव गिहत्था य जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति । तए णं धण्णे तेसिं चरगाण य जाव गिहत्थाण य अच्छत्तगस्स छत्तं दलयइ जाव पत्थयणं दलयइ, दलइत्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए णयरीए बहिया अग्गुज्जाणंसि ममं पडिवालेमाणा-पडिवालेमाणा चिट्ठह । तए णं चरगा य जाव गिहत्था य धण्णेणं सत्यवाहेणं एवं वुत्ता समाणा जाव चिट्ठति । तए णं धण्णे सत्थवाहे सोहणंसि तिहि-करण-णक्खत्तंसि विउलं असणं पाणं खाइमं साइम उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता मित्त-णाइ जाव आमंतेड़, आमंतित्ता भोयणं भोयावेइ, भोयावित्ता आपुच्छड़, आपुच्छित्ता सगडी-सागडं जोयावेइ, जोयावित्ता चंपाणयरीओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता णाइविप्पगिटेहिं अद्धाणेहिं वसमाणे-वसमाणे सुहेहिं वसहिपायरासेहिं अंगं जणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव देसग्गं तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सगडी-सागडं मोयावेइ, मोयावेत्ता सत्थणिवेसं करेइ, करित्ता से सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी 147 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८ तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सत्थणिवेसंसि महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं वह एवं खलु देवाणुप्पिया ! इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं बहवे णंदिफला णामं रुक्खा - किण्हा जाव पत्तिया पुप्फिया फलिया हरिया रेरिज्जमाणा सिरीए अईव - अईव उवसोभेमाणा चिट्ठति; मणुण्णा वण्णेणं, मणुण्णा गंधेणं, मणुण्णा रसेणं, मणुण्णा फासेणं, मणुण्णा छायाए । १० ११ ज्ञाताधर्मकथा १२ तं जो णं देवाणुप्पिया ! तेसिं णंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंदाणि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारेइ, छायाए वा वीसमइ, तस्स णं आवाए भद्दए भवइ । तओ पच्छा परिणममाणा परिणममाणा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेंति । तं मा णं देवाणुप्पिया ! केइ तेसिं णंदिफलाणं मूलाणि वा जाव हरियाणि वा आहरउ, छायाए वा वीसमउ मा णं से वि अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जस्सइ । तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! अण्णेसिं रूक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य आहारेह, छायासु वीसमह, त्ति घोसणं घोसेह जाव पच्चप्पिणंति । तणं धणे सत्थवाहे सगडी - सागडं जोएइ, जोइत्ता जेणेव णंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तेसिं णंदिफलाणं अदूरसामंते सत्थणिवेसं करेइ, करित्ता दोच्चंपि तच्चंपि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! म सत्थणिवेसंसि महया - महया सद्देणं उग्घोसेमाणा- उग्घोसेमाणा एवं वयह- एए णं देवाणुप्पिया! ते णंदिफला रुक्खा किण्हा जाव मणुण्णा छायाए । तं जो णं देवाणुप्पिया! एएसिं णंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा जाव हरियाणि वा आहारेइ जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेंति । तं मा णं तुब्भे जाव दूरं दूरेणं परिहरमाणा वीसमह, मा णं अकाले जीवियाओ ववरोविस्संति। अण्णेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव आहारेह छायाए य वीसमह त्ति कट्टु घोसणं घोसेह जाव पच्चप्पिणंति। तत्थ णं अत्थेगइया पुरिसा धण्णस्स सत्थवाहस्स एयमद्वं सद्दहंति, पत्तियंति रोयंति, एयमट्ठे सद्दहमाणा पत्तियमाणा रोयमाणा तेसिं णंदिफलाणं दूरंदूरेणं परिहरमाणापरिहरमाणा अण्णेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमंति । तेसिं णं आवाए णो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणा - परिणममाणा सुहरूवत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमंति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पंचसु कामगुणे णो सज्जेइ, णो रज्जेइ, से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं, समणीणं, सावयाणं, सावियाणं अच्चणिज्जे भवइ, परलोए वि य णो आगच्छड़ जाव वीईवइस्सइ; जहा व ते पुरिसा । तत्थ णं जे से अप्पेगइया पुरिसा धण्णस्स एयमहं णो सद्दहंति णो पत्तियंत्ति णो रोयंति, धण्णस्स एयमट्ठे असद्दहमाणा जेणेव ते णंदिफला तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेसिं 148 Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा & णंदिफलाणं मूलाणि य जाव आहारेंति, छायाए य वीसमंति, तेसिं णं आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणा जाव ववरोति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे पंचसु कामगुणेसु सज्जेइ जाव अणुपरियट्टिस्सइ, जहा व ते पुरिसा । तए णं से धण्णे सत्यवाहे सगडी-सागडं जोयावेइ, जोयावित्ता जेणेव अहिच्छत्ता णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहिच्छत्ताए णयरीए बहिया अग्गुज्जाणे सत्थणिवेसं करेड़, करित्ता सगडी-सागडं मोयावेइ ।। तए णं से धण्णे सत्थवाहे महत्थं महग्घं महरिहं रायारिहं पाहुडं गेण्हइ, गेण्हित्ता बहुपुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुड़े अहिच्छत्तं णयरिं मज्झमझेणं अणुप्पविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेइ, वद्धावित्ता तं महत्थं पाहुडं उवणेइ । तए णं से कणगकेऊ राया हद्वतुढे धण्णस्स सत्थवाहस्स तं महत्थं जाव पाहुडं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता धण्णं सत्थवाहं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता उस्सुक्कं वियरइ, वियरित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से धण्णे सत्थवाहे अहिच्छत्ताणयरीए जाव भंडविणिमयं करेइ, करित्ता पडिभंडं गेण्हइ, गेण्हित्ता सुहंसुहेणं जेणेव चंपा णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मित्तणाइणियगसयण-संबंधी परिजणेणं सद्धि अभिसमण्णागए विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं। धण्णे सत्यवाहे धम्म सोच्चा, जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता पव्वइए | सामाइमाइयाई एक्कारस अंगाइं अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सामण्ण- परियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सद्विभत्ताइंअणसणाइं छेदित्ता अण्णयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववण्णे | से णं देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पण्णरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते। || त्ति बेमि || ॥ पण्णरसमं अज्झयणं समत्तं || सोलसमं अज्झयणं : अवरकंका जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं पण्णरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, सोलसमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अद्वे पण्णत्ते ? 149 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा [ब्द एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णाम णयरी होत्था, वण्णओ | तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तर पुरच्छिमे दिसीभाए सुभूमिभागे णामं उज्जाणे होत्था, वण्णओ। तत्थ णं चंपाए णयरीए तओ माहणा भायरो परिवति, तंजहा- सोमे, सोमदत्ते, सोमभूई, अड्ढा जाव अपरिभूया; रिउव्वेय जउव्वेय-सामवेय-अथव्वणवेय जाव बंभण्णएसु य सत्थेसु सुपरिणिढ़िया । तेसिं णं माहणाणं तओ भारियाओ होत्था, तंजहा- णागसिरी, भूयसिरी-जक्खसिरी, सुकुमालपाणिपायाओ जाव तेसि णं माहणाणं इट्ठाओ, विउले माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणीओ विहरंति । तए णं तेसिं माहणाणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियाणं समुवागयाणं जाव इमेयारूवे मिहोकहा-समुल्लावे समुप्पज्जित्था- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमे विउले धण जाव सावएज्जे अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ; पकामं दाउं पकामं भोत्तं पकामं परिभाएउं । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! अण्णमण्णस्स गिहेसु कल्लाकल्लिं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेउं परिभुंजमाणाणं विहरित्तए । अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति, कल्लाकल्लिं अण्णमण्णस्स गिहेसु विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावित्ता परिभंजेमाणा विहरति । तए णं तीसे णागसिरीए माहणीए अण्णयाकयाइ भोयणवारए जाए यावि होत्था । तए णं सा णागसिरी विठलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेइ, एगं महं सालइयं (सारइयं) तित्तालाउयं बहुसंभारसंजुत्तं णेहावगाढं उवक्खडेइ, एगं बिंदुयं करयलंसि आसाएइ, तं खारं कडुयं अखज्जं अभोज्जं विसभूयं जाणित्ता एवं वयासी- धिरत्थु णं मम णागसिरीए अहण्णाए अपुण्णाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगणिंबोलियाए, जाए णं मए सारइए तित्तालाउए बहुसंभारसंभिए णेहावगाढे उवक्खडिए सुबहुदव्वक्खए णेहक्खए य कए | तं जइ णं ममं जाउयाओ जाणिस्संति, तो णं मम खिंसिस्संति । तं जाव ताव ममं जाउयाओ ण जाणंति ताव मम सेयं एयं सारइयं तित्तालाउयं बहुसंभारणेहकडं एगते गोवेत्तए, अण्णं सारइयं महरालाउयं बहुसंभारसंभियं णेहावगाढं उवक्खडेत्तए; एवं संपेहेइ, संपेहित्ता तं सारइयं जाव गोवेइ अण्णं सारइयं महुरालाउयं उवक्खडेइ, उवक्खडेत्ता; तेसिं माहणाणं ण्हायाणं जाव भोयणमंडवंसि सुहासणवरगयाणं तं विउलं असणं पाणं खाइम साइमं परिवेसेइ । तए णं ते माहणा जिमियभुत्तुत्तरागया समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया सकम्मसंपत्ता जाया यावि होत्था | तए णं ताओ माहणीओ पहायाओ जाव 150 Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ज्ञाताधर्मकथा ११ विभूसियाओ तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारेंति, आहारित्ता जेणेव सयाइं हाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सकम्मसंपउत्ताओ जायाओ । R तए णं तेसिं धम्मघोसाणं थेराणं अंतेवासी धम्मरुई णामं अणगारे ओराले जाव मासंमासेणं खममाणे विहरइ | तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा णामं थेरा जाव बहुपरिवारा जेणेव चंपा णामं णयरी, जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति । परिसा णिग्गया । कहिओ । परिसा पडिगया । तणं से धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए झाणं झियाइ, एवं जहा गोयमसामी तहेव भायणाई उग्गाहेइ, तहेव धम्मघोसं थेरं आपुच्छइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए जाव अडमाणे जेणेव णागसिरीए माहणीए गिहे तेणेव अणुपविट्ठे । तए णं सा णागसिरी माहणी धम्मरुइं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता तस्स सारइयस्स तित्तालाउयस्स बहुसंभार-संभियस्स णेहावगाढस्स एडणट्ठयाए हट्ठतुट्ठा उट्ठेइ, उट्ठित्ता जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं सारइयं तित्तालाउयं बहुसंभारसंभियं णेहावगाढं धम्मरुइस्स अणगारस्स पडिग्गहंसि सव्वमेव णिसिर । तए णं से धम्मरुई अणगारे अहापज्जत्तमिति कट्टु णागसिरीए माहणीए गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता चंपाए णगरीए मज्झंमज्झेणं पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मघोसस्स अदूरसामंते इरियावहियं पडिक्कमइ, अण्णपाणं पडिलेहेइ अण्णपाणं करयलंसि पडिदंसेइ । १२ तणं ते धम्मघोसा थेरा तस्स सारइयस्स तित्तालाउयस्स बहुसंभारसंभियस्स णेहावगाढस्स गंधेण अभिभूया समाणा तओ सारइयाओ णेहावगाढाओ एगं बिंदुयं गाय करयलंसि आसाएइ, तित्तगं खारं कडुयं अखज्जं अभोज्जं विसभूयं जाणित्ता धम्मरुइं अणगारं एवं वयासी- जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयं जाव आहारेसि तो णं तुमं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तं मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं जाव आहारेसि, मा णं तुम अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि । तं गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सारइयं जाव एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले परिट्ठवेहि, परिट्ठवित्ता अण्णं फासुयं एसणिज्जं असणं पाणं खाइमं साइमं पडिगाहेत्ता आहारं आहारेहि । 151 Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३ ||१४| १६ १७ ज्ञाताधर्मकथा तए णं से धम्मरुई अणगारे धम्मघोसेणं थेरेणं एवं वुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ अदूरसामंते थंडिल्लं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता तओ सारइयाओ एगं बिंदुगं गहेइ गहित्ता थंडिलंसि णिसिरइ । तए णं तस्स सारइयस्स तित्तालाउयस्स बहुणेहावगाढस्स गंधेणं बहूणि पिपीलिगासहस्साणि पाउब्भूयाइं । जा जहा य णं पिपीलिगा आहारेइ, सा तहा अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जइ । तए णं तस्स धम्मरुइस्स अणगारस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- जइ ताव इमस्स सालइयस्स जाव एगम्मि बिंदुगम्मि पक्खित्तम्मि अणेगाइं पिपीलिगासहस्साइं ववरोविज्जंति, तं जई णं अहं एयं सारइयं थंडिल्लंसि सव्वं णिसिरामि, तणं बहू पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं वहकारणं भविस्सइ । तं सेयं खलु ममेयं सारइयं जाव णेहावगाढं सयमेव आहारेत्तए, मम चेव एएणं सरीरेणं णिज्जाउ त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता मुहपोत्तियं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता ससीसोवरियं कायं पमज्जेइ, पमज्जित्ता तं सारइयं तित्तलाउयं ब हुणेहावगाढं बिलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं सव्वं सरीरकोट्ठगंसि पक्खिवइ । तए णं तस्स धम्मरुईस्स सारइयं जाव णेहावगाढं आहारियस्स समाणस्स मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया - उज्जला विउला कक्खडा चंड दुख दुर तए णं धम्मरुई अणगारे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कट्टु आयारभंडगं एगंते ठवेइ, ठवित्ता थंडिल्ले पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता दब्भसंथारगं संथारेइ, संथारित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंक- णिसण्णे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी णमोत्थुणं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं । णमोत्थुणं धम्मघोसाणं थेराणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसगाणं । पुव्विं पिणं मए धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए सव्वे पाणावा पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव सव्वे मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए । इयाणिं पि णं अहं तेसिं चेव भगवंताणं अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जाव सव्वं मिच्छाद्दंसणसल्लं पच्चक्खामि जावज्जीवाए एवं जहा खंदओ जाव चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं वोसिरामि त्ति कट्टु आलोइय- पडिक्कंते समाहिपत्ते कालगए । तए णं ते धम्मघोसा थेरा धम्मरुइं अणगारं चिरं गयं जाणित्ता समणे णिग्गंथे सद्दावेंति सद्दावित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्स अणगारस्स मासखमणपारणगंसि सारइयस्स जाव णेहावगाढस्स णिसिरणट्टयाए बहिया णिग्गए 152 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९ |२०| २१ २२ ज्ञाताधर्मकथा चिरावेइ। तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेह । तए णं ते समणा णिग्गंथा जाव पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता धम्मघोसाणं थेराणं अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणा जेणेव थंडिल्ले तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स सरीरगं णिप्पाणं णिच्चेट्टं जीवविप्पजढं पासंति, पासित्ता- हा हा अहो! अकज्जमिति कट्टु धम्मरुइस्स अणगारस्स परिणिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति, करित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स आयारभंडगं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता गमणागमणं पडिक्कमंति, पडिक्कमित्ता एवं वयासी एवं खलु अम्हे तुब्भं अंतियाओ पडिणिक्खमामो, पडिणिक्खमित्ता सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स परिपेरंतेणं धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणा जेणेव थंडिल्ले तेणेव उवागच्छामो, उवागच्छित्ता जाव इहं हव्वमागया । तं कालगए णं भंते ! धम्मरुइ अणगारे । इमे से आयारभंड | तए णं ते धम्मघोसा थेरा पुव्वगए उवओगं गच्छंति, गच्छित्ता समणे णिग्गंथे णिग्गंथीओ य सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु अज्जो ! मम अंतेवासी धम्मरुइ णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए मासंमासेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे जाव णागसिरीए माहणीए गिहे अणुपविट्ठे । तए णं सा णागसिरी माहणी जाव णिसिरइ । तए णं से धम्मरुइ अणगारे अहापज्जत्तमिति कट्टु णागसिरीए माहणीए गिहाओ पडिणिक्खमइ जाव समाहिपत्ते कालगए । से णं धम्मरुइ अणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढे जाव सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववण्णे । तत्थ णं अजहण्णमणुक्कोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । तत्थ धम्मरुइस्स वि देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । से णं धम्मरुई देवे ताओ देवलोगाओ जाव चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । तं धिरत्थु णं अज्जो ! णागसिरीए माहणीए अधण्णाए अपुण्णाए जाव णिंबोलियाए, जाए णं तहारूवे साहू धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि सारइएणं जाव णेहावगाढेणं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविए । तए णं ते समणा णिग्गंथा धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म चंपा सिंघाडग- तिग जाव बहुजणस्स एवमाइक्खंति- धिरत्थु णं देवाणुप्पिया ! णागसिए 153 Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ २४ २५ २६ २७ २८ ज्ञाताधर्मकथा माहणीए जाव णिंबोलियाए, जाए णं तहारूवे साहू साहूरूवे धम्मरुई अणगारे सारइणं अकाले चेव जीवियाओ ववरोविए । तए णं तेसिं समणाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भास- धिरत्थु णं णागसिरीए माहणीए जाव जीवियाओ ववरोविए । तए णं ते माहणा चंपाए णयरीए बहुजणस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव णागसिरी माहणी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता णागसिरिं माहणिं एवं वयासी हं भो णागसिरी ! अपत्थियपत्थिए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउद्दसे धिरत्थु णं तव अधण्णाए अपुण्णाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगणिंबोलियाए, जाए णं तुमे तहारूवे साहू साहूरूवे मासखमणपारणगंसि सारइएणं जाव ववरोविए । उच्चावएहिं अक्कोसणाहिं अक्कोसंति उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेंति, उच्चावयाहिं णिब्भत्थणाहिं णिब्भत्येंति, उच्चावयाहिं णिच्छोडणाहिं णिच्छोडेंति, तज्जेंति, तालेंति, तज्जेत्ता तालेत्ता सयाओ गिहाओ णिच्छुभंति । तए णं सा णागसिरी सयाओ गिहाओ णिच्छूढा समाणी चंपाए णयरीए सिंघाडग-तियचउक्क-चच्चर-चउम्मुह - महापह - पहेसु बहुजणेणं हीलिज्जमणी खिंसिज्जमाणी णिंदिज्जमाणी गरहिज्जमाणी तज्जिज्जमाणी पव्वहिज्जमाणी धिक्कारिज्जमाणी थुक्कारिज्जमाणी कत्थइ ठाणं वा णिलयं वा अलभमाणी दंडीखंड - णिवसणा खंडमल्लगखंडघडग-हत्थगया फुट्ट - हडाहड - सीसा मच्छिया-चडगरेणं अण्णिज्जमाणमग्गा गेहं गेहेणं हंबलियाए वित्तिं कप्पेमाणी विहरइ । तए णं तीसे णागसिरीए माहणीए तब्भवंसि चेव सोलसरोगायंका पाउब्भूया । तंजहा- सासे कासे जोणिसूले जाव कोढे । तए णं सा णागसिरी माहणी सोलसेहिं रोगायंकेहिं अभिभूया समाणी अट्ठ-दुहट्ट-वसट्टा कालमा कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्सोसेणं बावीससागरोवमठिइएसु णरएस णेरइयत्ताए उववण्णा । सा णं तओ अणंतरं उव्वट्ठित्ता मच्छेसु उव्वण्णा, तत्थ णं सत्थवज्झा दाहवक्की कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसाए तित्तीससागरोवमठिइएस णरएस णेरइयत्ताए उववण्णा । सा णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जइ, तत्थ वि य णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि अहेसत्तमाए पुढवीए उक्कोसं तेत्तीससागरोवमठिइएसु णरइएस णेरइयत्ताए उववज्जइ । 154 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २९ सा णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता तच्चं पि मच्छेसु उववण्णा । तत्थ वि य णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए कालं किच्चा दोच्चं पि छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवम ठिइएसु णरएसु रइयत्ताए उववण्णा । तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता उरएसु, एवं जहा गोसाले तहा णेयव्वं जाव खरबायर पुढविकाइएसु, अणेगसयसहस्सखुत्तो । सा णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए णयरीए सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिंसि दारियत्ताए पच्चायाया । तए णं सा भद्दा सत्यवाही णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारियं पयाया । सुकुमालकोमलियं गय- तालुयसमाणं । तीसे दारियाए णिव्वत्ते बारसाहियाए अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंति- जम्हा णं अम्हं एसा दारिया सुकुमाला गयतालुयसमाणा, तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए णामधेज्जं सुकुमालिया । तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो णामधेज्जं करेंति “सुकुमालिय" त्ति | ३३ तए णं सा सुकुमालिया दारिया पंचधाईपरिग्गहिया, तंजहा- खीरधाईए जाव गिरिकंदरमल्लीणा इव चंपगलया णिव्वाय-णिव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्ढइ । तए णं सा सकमालिया दारिया उम्मक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था । ३४ तत्थ णं चंपाए णयरीए जिणदत्ते णामं सत्थवाहे, वण्णओ । तस्सणं जिणदत्तस्स भद्दा भारिया, सूमाला इट्ठा जाव माणुस्सए कामभोए पच्चणुब्भवमाणा विहरइ । तस्स णं जिणदत्तस्स पुत्ते, भद्दाए भारियाए अत्तए, सागरए णामं दारए सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे । तए णं से जिणदत्ते सत्यवाहे अण्णया कयाइ साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सागरदत्तस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीईवयइ । इमं च णं सूमालिया दारिया बहाया, चेडियासंघपरिवुडा उप्पिं आगासतलगंसि कणग-तिंदूसएणं कीलमाणीकीलमाणी विहरइ । तए णं ते जिणदत्ते सत्थवाहे सूमालियं दारियं पासइ, पासित्ता सूमालियाए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य जायविम्हए; कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया! कस्स दारिया ? किं वा णामधेज्जं से ? तए णं ते कोडुबियपुरिसा जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा करयल जाव एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया ! सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स धूया भद्दाए भारियाए 155 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा अत्तया सूमालिया णामं दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा। तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे तेसिं कोडुबियाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बहाए जाव मित्तणाइपरिवुडे चंपाए णयरीए मज्झमज्झेण जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ | तए णं सागरदत्ते सत्थवाहे जिणदत्तं सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ, पासइत्ता आसणाओ अब्भुटेइ, अब्भद्वित्ता आसणेणं उवणिमंतेइ, उवणिमंतित्ता आसत्थं वीसत्थं सुहासणवरगयं एवं वयासी- भण देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं ? तए णं से जिणदत्ते सत्यवाहे सागरदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! तव धूयं भद्दाए अत्तियं सूमालियं सागरदत्तस्स भारियत्ताए वरेमि । जइ णं जाणह देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो, ता दिज्जउ णं सूमालिया सागरदारगस्स। तए णं देवाणुप्पिया ! भण किं दलयामो सुकं सूमालियाए ? तए णं से सागरदत्ते तं जिणदत्तं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! सूमालिया दारिया मम एगा एगजाया इट्टा जाव उंबरपुप्फ व दुल्लहा सवणयाए, किमंग पुण पासणयाए ? तं णो खलु अहं इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पओगं । तं जइ णं देवाणुप्पिया! सागरदारए मम घरजामाउए भवइ, तो णं अहं सागरस्स सूमालियं दलयामि। तए णं जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सागरदारगं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु ! सागरदत्ते सत्थवाहे ममं एवं वयासी- एवं खल देवाणप्पिया ! समालिया दारिया मम एगा एगजाया इट्ठा, तं चेव सव्वं । तं जइ णं सागरदारए मम घरजामाउए भवइ तो णं दलयामि । तए णं से सागरएदारए जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं जिणदत्ते सत्थवाहे अण्णया कयाई सोहणंसि तिहि-करण-णक्खत्त-मुहत्तंसि विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, मित्तणाइ जाव सक्कारेत्ता सम्माणित्ता सागरदारयं ण्हायं जाव सव्वालंकार विभूसियं करेइ, करित्ता परिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरुहावेइ, दुरुहावित्ता मित्त-णाइ जाव संपरिवुडे सव्विड्ढीए साओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता चंपाणयरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सागरगं दारगं सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स उवणेइ । 156 Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ४२ तए णं सागरदत्ते सत्थवाहे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावित्ता जाव सम्माणेत्ता सागरगं दारगं सूमालियाए दारियाए सद्धिं पट्टयं दुरुहावेइ, दुरुहावित्ता सेयापीयएहिं कलसेहिं मज्जावेड. मज्जावित्ता अग्गि होम करावेड, करावित्ता सागरं दारयं सूमालियाए दारियाए पाणिं गेण्हावेइ। तए णं सागरदारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं पडिसंवेदेइ, से जहाणामएअसिपत्ते इ वा करपत्ते इ वा खुरपत्ते इ वा कलंबचीरियापत्ते इ वा सत्तिअग्गे इ वा कोतग्गे इ वा तोमरग्गे इ वा भिडिमालग्गे इ वा सूचिकलावए इ वा विच्छुयडंके इ वा कविकच्छ इ वा इंगाले इ वा मम्मरे इ वा अच्ची इ वा जाले इ वा अलाए इ वा सुद्धागणी इ वा, भवे एयारूवे ? णो इणढे समढे | एत्तो अणिद्वतराए चेव अकंततराए चेव अप्पियतराए चेव अमणण्णतराए चेव अमणामतराए चेव पाणिफासं पडिसंवेदेइ | तए णं से सागरए अकामए अवसवसे तं मुहुत्तमित्तं संचिट्ठइ। ४ तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे सागरस्स दारगस्स अम्मापियरो मित्तणाइ जाव विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पुप्फवत्थ गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं सागरए दारए सूमालियाए सद्धिं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिमंसि णिवज्जइ । तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ, से जहाणामए असिपत्ते इ वा जाव अमणामतरागं चेव अंगफासं पच्चणभवमाणे विहरइ । तए णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए अंगफासं असहमाणे अवसवसे मुहुत्तमित्तं संचिद्वइ । तए णं से सागरदारए समालियं दारियं, सहपसत्तं जाणित्ता समालियाए दारियाए पासाओ उढेइ, उहित्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयणिज्जसि णिवज्जइ । तए णं सूमालिया दारिया तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पइव्वया पइमणुरत्ता पति पासे अपस्समाणी तलिमाउ उढेइ, उद्वित्ता जेणेव से सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सागरस्स पासे णिवज्जड़ । तए णं सागरदारए सूमालियाए दारियाए दोच्चं पि इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ, जाव अकामए अवसवसे मुहुत्तमित्तं संचिट्ठइ । तए णं से सागरदारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सयणिज्जाओ उद्देइ, उद्वित्ता वासघरस्स दारं विहाडेइ, विहाडित्ता मारामुक्के विव काए जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए। 157 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९ ५०/ ५१ ५३ ५४ ५५ ज्ञाताधर्मकथा तए णं सूमालिया दारिया तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा पइव्वया जाव अप सयणिज्जाओ उट्ठेइ, सागरस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणी- करेमाणी वासघरस्स दारं विहाडियं पासइ, पासित्ता एवं वयासी- “गए से सागरे" त्ति कट्टु ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ । एवं तए णं सा भद्दा सत्थवाही कल्लं पाउप्पभायाए दासचेडियं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वहुवरस्स मुहसोहणियं उवणेहि । तए णं सा दासचेंडी भा वुत्ता समाणी एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेइ, मुहसोहणियं गेण्हित्ता जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सूमालियं दारियं जाव झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं वयासीकिं णं तुमं देवाप्पिया ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि ? तए णं सा सूमालिया दासचेडिं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! सागरए दाए म सुहपसुत्तं जाणित्ता मम पासाओ उट्ठेइ, उट्ठित्ता वासघरदुवारं अवंगुणेइ जाव पडिगए । ततो अहं मुहुत्तंतरस्स जाव विहाडियं पासामि, पासित्ता “गए णं से सागरए" त्ति कट्टु ओहयमणसंकप्पा जाव झियायामि । तए णं सा दासचेडी सूमालियाए दारियाए एयमट्ठे सोच्चा जेणेव सागरदत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सागरदत्तस्स एयमट्ठे णिवेएइ | तए णं से सागरदत्ते दासचेडीए अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते जाव जेणेव जिणदत्तसत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जिणदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी- किं णं देवाणुप्पिया ! एवं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा, जं णं सागरदारए सूमालियं दारियं अदिट्ठदोसं पइव्वयं विप्पजहाय इहमागओ ? बहूहिं खिज्जणियाहि य रुंटणियाहि य उवालंभइ | तणं जिणदत्ते सागरदत्तस्स एयमट्ठे सोच्चा जेणेव सागरे दारए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सागरयं दारयं एवं वयासी- दुट्टु णं पुत्ता ! तुमे कयं सागरदत्तस्स गिहाओ इहं हव्वमागए । तं गच्छ्ह णं तुमं पुत्ता ! 'एयमवि गए' सागरदत्तस्स गिहे । तए णं से सागरए दारए जिणदत्तं एयं वयासी- अवियाइं अहं ताओ ! गिरिपडणं वा तरूपडणं वा मरुप्पवायं वा जलप्पवेसं वा जलणप्पवेसं वा विसभक्खणं वा वेहाणसं वा सत्थोवाडणं वा गिद्धपिट्टं वा पव्वज्जं वा विदेसगमणं वा अब्भुवगच्छिज्जामि, णो खलु अहं सागरदत्तस्स गिहं अणुगच्छिज्जा । तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे कुड्डंतरिए सागरस्स एयमट्ठे णिसामेइ, णिसामित्ता लज्जिए विलीए विड्डे जिणदत्तस्स गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सए गिहे तेव 158 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ १५७ ५८ ५९ ज्ञाताधर्मकथा उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुकुमालियं दारियं सद्दावेइ, सद्दावित्ता अंके णिवेसेइ, णिवेसित्ता एवं वयासी किं णं तव पुत्ता ! सागरएणं दारएणं मुक्का ? अहं णं तुमं तस्स दाहामि, जस्स णं तुम इट्ठा जाव मणामा भविस्ससि त्ति सूमालियं दारियं ताहिं इट्ठाहिं वग्गूहिं समासासेइ, समासासित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे अण्णया उप्पिं आगासतलगंसि सुहणिसणे रायमग्गं आलोएमाणे आलोएमाणे चिट्ठइ । तए णं से सागरदत्ते एगं महं दमगपुरिसं पास, दंडिखंडणिवसणं खंडमल्लग - खंडघडगहत्थगयं फुट्ट -हाड सीसं मच्छियासहस्सेहिं अण्णिज्जमाणमग्गं । तए णं से सागरदत्ते कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! एयं दमगपुरिसं विउलेणं असण-पाण- खाइम- साइमेणं पलोभेह, पलोभित्ता गिहं अणुप्पवेसेह, अणुप्पवेसित्ता खंडगमल्लगं खंडघडगं च से एगंते एडेह एडित्ता अलंकारियकम्मं कारेह, कारित्ता ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेह, करित्ता मणुण्णं असणं-पाणं-खाइमं साइमं भोयावेह, भोयावित्ता मम अंतियं उवणेह । तए णं कोडुंबियपुरिसा जाव पडिसुर्णेति, पडिसुणित्ता जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं दमगं असणं-पाणं-खाइमं - साइमं उवप्पलोभेइ, उवप्पलोभित्ता सयं गिहं अणुप्पवेसेंति, अणुप्पवेसित्ता तं खंडमल्लगं खंडघडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एते एडेंति । तणं से दमगे तंसि खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य एगंते एडिज्जमाणंसि महया महया सद्देणं आरसइ । तए णं से सागरदत्ते तस्स दमगपुरिसस्स तं महया महया आरसियसद्दं सोच्चा णिसम्म कोडुंबियपुरिसे एवं वयासी- किं णं देवाणुप्पिया ! एस दमगपुरिसे महया महया सद्देणं आरसइ ? तए णं ते कोडुंबियपुरिसा एवं वयासी- एस णं सामी ! तंसि खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य एगंते एडिज्जमाणंसि महया - महया सद्देणं आरसइ । तए णं से सागरदत्ते तं कोडुंबिय पुरिसे एवं वयासी- मा णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयस्स दमगस्स तं खंड एडेह, पासे ठवेह, जहा णं पत्तियं भवइ । ते वि तहेव ठवेंति । तए णं ते कोडुंबियपुरिसे तस्स दमगस्स अलंकारियकम्मं करेंति, करित्ता सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अब्भंगेइ, अब्भंगिए समाणे सुरभिगंधुव्वट्टणेणं गायं उव्वžति उव्वट्टेत्ता उसिणोदगगंधोदएणं ण्हाणेंति, सीओदगेणं ण्हाणेंति, ण्हाणित्ता पम्हल सुकुमालगंधकासाईए गायाइं लूहेंति, लूहित्ता हंसलक्खणं पट्टसाडगं परिर्हेति, परिहित्ता सव्वालंकार 159 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा विभूसियं करेंति, करित्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं भोयाति भोयावित्ता सागरदत्तस्स उवणेति । तए णं सागरदत्ते सूमालियं दारियं ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करित्ता तं दमगपुरिसं एवं वयासी- एस णं देवाणुप्पिया ! मम धूया इट्ठा, एयं च णं अहं तव भारियत्ताए दलामि भदियाए भद्दओ भविज्जासि । ६२ तए णं से दमगपुरिसे सागरदत्तस्स एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं वासघरं अणुपविसइ, सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिगंसि णिवज्जइ । तए णं से दमगपुरिसे सूमालियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेइ, सेसं जहा सागरस्स जाव सयणिज्जाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता वासघराओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता खंडमल्लगं खंडघडं च गहाय मारामुक्के विव काए जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए | तए णं सा सूमालिया जाव गए णं से दमगपुरिसे त्ति कट्ट ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ। तए णं सा भद्दा कल्लं पाउप्पभायाए दासचेडिं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-जाव सागरदत्तस्स एयमहूं णिवेदेइ । तए णं से सागरदत्ते तहेव संभंते समाणे जेणेव वासहरे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता समालियं दारियं अंके णिवेसेड़, णिवेसित्ता एवं वयासीअहो णं तुमं पुत्ता ! पुरापोराणाण जाव पच्चणुब्भवमाणी विहरसि । तं मा णं तुमं पुत्ता! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि, तुम णं पुत्ता ! मम महाणसंसि विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं जहा पोट्टिला जाव परिभाएमाणी विहराहि । तए णं सा सूमालिया दारिया एयमद्वं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता महाणसंसि विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं जाव दलमाणी विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं गोवालियाओ अज्जाओ बहुस्सुयाओ एवं जहेव तेयलिणाए सुव्वयाओ तहेव समोसढाओ, तहेव संघाडओ जाव अणुपविढे तहेव जाव सूमालिया पडिलाभित्ता एवं वयासी- एवं खलु अज्जाओ ! अहं सागरस्स अणिट्ठा जाव अमणामा, णेच्छइ णं सागरए मम णामं वा जाव परिभोगं वा ? जस्स जस्स वि य णं दिज्जामि तस्स तस्स वि य णं अणिट्ठा जाव अमणामा भवामि, तुब्भे य णं अज्जाओ ! बणायाओ, एवं जहा पोट्टिला जाव उवलद्धे जेणं अहं सागरस्स दारगस्स इट्ठा कंता जाव भवेज्जामि | अज्जाओ तहेव भणंति, तहेव साविया जाया, तहेव चिंता, तहेव सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छड़ जाव गोवालियाणं अंतिए पव्वइया । तए णं सा सूमालिया अज्जा जायाईरियासमिया जाव बंभयारिणी; बहहिं चउत्थछट्ठट्ठम जाव विहरइ । 160 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ ६७ ac ६९ ७० ७१ ७२ ज्ञाताधर्मकथा तणं सा सूमालिया अज्जा अण्णया कयाइ जेणेव गोवालियाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी - इच्छामि णं अज्जाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी चंपाओ बहिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छद्वंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुही आयावेमाणी विहरित्तए । तणं ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं एवं वयासी- अम्हे णं अज्जे! समणीओ णिग्गंथीओ ईरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ । णो खलु अम्हं कप्पइ बहिया गामस्स वा जाव सण्णिवेसस्स वा छट्ठछद्वेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुहीणं आयावेमाणीणं विहरित्तए । कप्पइ णं अम्हं अंतो उवस्सयस्स वइ ( वेइया ) परिक्खित्तस्स संघाडिपडिबद्धियाए णं समतलपाइयाए आयावित्तए । तणं सा सूमालिया गोवालियाए अज्जाए एयमट्ठे णो सद्दहइ, णो पत्तियइ, णो रोएइ, एयमट्ठे असद्दहमाणी अपत्तियमाणी अरोएमाणी सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरामं छछद्वेणं जाव विहरइ । तए णं चंपाए णयरीए ललिता णामं गोट्ठी परिवसइ णरवइ-दिण्ण-वियारा, अम्मापिइणियय-णिप्पिवासा, वेसविहा-कय- णिकेया, णाणाविहअविणयप्पहाणा अड्ढा जाव अपरिभूया । तत्थ णं चंपाए णयरीए देवदत्ता णामं गणिया होत्था - सुकुमाला, (वण्णओ) जहा अंडणाए । तए णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अण्णया पंच गोट्ठिल्लपुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति । तत्थ णं एगे गोट्ठिल्लपुरिसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे धरइ, एगे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, एगे पुप्फपूरयं रएइ, एगे पाए रएइ, एगे चामरुक्खेवं करेइ । तए णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहिं गोट्ठिल्लपुरिसेहिं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाइं भोगभोगाइं भुंजमाणिं पासइ, पासित्ता इमेयारूवे संकप्पे समुप्पज्जित्था - अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं जाव विहरइ, तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तव - णियम-बंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अत्थि, तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाइं उरालाई माणुस्सगाइं भोगभोगाई भुंजमाणी विहरिज्जामिति णियाणं करेइ, करित्ता आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ । तए णं सा सूमालिया अज्जा सरीरबउसा जाया यावि होत्था, अभिक्खणं-अभिक्खणं हत्थे धोवेइ, पाए धोवेइ, सीसं धोवेइ, मुहं धोवेइ, थणंतराई धोवेइ, कक्खंतराइं धोवेइ, गोज्झंतराइं धोवेइ, जत्थ णं ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ तत्थ वियणं पुव्वामेव उदपणं अब्भुक्खेत्ता तओ पच्छा ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ । 161 Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ ७४ ७५ १७६ وا ज्ञाताधर्मकथा तए णं ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं अज्जं एवं वयासी एवं खलु देवापि अज्जे ! अम्हं समणीओ णिग्गंथाओ ईरियासमियाओ जाव बंभचेरधारिणीओ। णो खलु कप्पइ अम्हं सरीरबाउसियाए होत्तए, तुमं च णं अज्जे ! सरीरबाउसिया अभिक्खणंअभिक्खणं हत्थे धोवसि जाव चेएसि, तं तुमं णं देवाणुप्पियाए ! तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तए णं सा सूमालिया गोवालियाणं अज्जाणं एयमहं णो आढाइ, णो परिज्जाणइ, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ । तए णं ताओ अज्जाओ सूमालियं अज्जं अभिक्खणं- अभिक्खणं अभिहीलति णिर्देति खिसेंति गरिहंति परिभवंति अभिक्खणं अभिक्खणं एयमट्ठे णिवारेंति । तए णं तीसे सूमालियाए समणीहिं णिग्गंथीहिं हीलिज्जमाणीए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - "जया णं अहं अगारवासमज्झे वसामि, तया णं अहं अप्वसा । जया णं अहं मुंडे भवित्ता पव्वइया, तया णं अहं परवसा । पुव्विं च णं ममं सीओ आढायंति, इयाणिं णो आढायंति । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए गोवालियाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिणिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए” त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए गोवालियाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ । तए णं सा सूमालिया अज्जा अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई अभिक्खणं अभिक्खणं हत्थे धोवेइ जाव चेएड् । तत्थ वि य णं पासत्था पासत्थाविहारी, ओसण्णा ओसण्णविहारी, कुसीला कुसीलविहारी, संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामण्ण- परियागं पाउणइ, अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता, तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय- अपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे अण्णयरंसि विमाणंसि देवगणियत्ताए उववण्णा । तत्थेगइयाणं देवीणं णव पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं मालिया देवी व पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता । तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पंचालेसु जणवएस कंपिल्लपुरे णामं णगरे होत्था, वण्णओ । तत्थ णं दुवए णामं राया होत्था, वण्णओ । तस्स णं चुलणी देवी, धट्ठजुण्णे कुमारे जुवराया । तए णं सा सूमालिया देवी ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पंचालेसु जणवएस कंपिल्लपुरे णयरे दुपयस्स रण्णो चुलणीए देवीए कुच्छिंसिं दारियत्ताए पच्चायाया । तए णं सा चुलणी देवी णवण्हं मासाणं जाव दारियं पयाया । 162 Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ज्ञाताधर्मकथा तणं तीसे दारियाए णिव्वत्तबारसाहियाए इमं एयारूवं णामधेज्जं - जम्हा णं एसा दारिया दुवयस्सरणो धूया चुलणीए देवीए अत्तया, तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए णामधिज्जे दोवई। तए णं तीसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं करेंतिदोवई । तए णं सा दोवई दारिया पंचधाइपरिग्गहिया जाव गिरिकंदरमल्लीणा इव चंपगलया णिवायणिव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्ढइ I तए णं सा दोवई रायवरकण्णा उम्मुक्कबालभावा जाव उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था । तए णं तं दोवइं रायवरकण्णं अण्णया कयाइ अंतेउरियाओ ण्हायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेंति, करित्ता दुवयस्स रण्णो पायवंदियं पेसंति । तए णं सा दोवई रायवरकण्णा जेणेव दुवए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दुवयस्स रण्णो पायग्गहणं करे | तए णं से दुवए राया दोवइं दारियं अंके णिवेसेइ, णिवेसित्ता दोवईए रायवरकण्णा वेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य जायविम्हए दोवई रायवरकण्णं एवं वयासी जस्स णं अहं पुत्ता ! रायस्स वा जुवरायस्स वा भारियत्ताए सयमेव दलइस्सामि, तत्थ णं तुमं सुहिया वा दुक्खिया वा भविज्जासि । तए णं ममं जावजीवाए हिययडाहे भविस्सइ । तं णं अहं तव पुत्ता ! अज्जयाए सयंवरं विरयामि । अज्जयाए णं तुमं दिण्णसयंवरा । जं गं तुमं सयमेव रायं वा जुवरायं वा वरेहिसि, से णं तव भत्तारे भविस्सइ, त्ति कट्टु ताहिं इट्ठाहिं जाव आसासेइ, आसासित्ता पडिविसज्जेइ । तणं से दुव राया दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! बारवइं णयरिं, तत्थ णं तुमं कण्हं वासुदेवं, समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे, बलदेवपामोक्खे पंच महावीरे, उग्गसेणपामोक्खे सोलस रायसहस्से, पज्जुण्णपामोक्खाओ अद्धुट्ठाओ कुमारकोडीओ, संबपामोक्खाओ सट्ठि दुद्दंतसाहस्सीओ, वीरसेणपामोक्खाओ इक्कवीसं वीरपुरिससाहस्सीओ, महासेणपामोक्खाओ छप्पण्णं बलवगसाहस्सीओ, अण्णे य बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय - कोडुंबिय - इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहपभिइओ करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जपणं विजएणं वद्धावेहि, वद्धावित्ता एवं वयाहि एवं खलु देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे णयरे दुवयस्स रण्णो धूयाए चुलणीए देवीए अत्तयाए धट्ठजुण्णकुमारस्स भगिणीए, दोवईए रायवरकण्णाए सयंवरे भविस्स । तं णं तुभे देवाणुप्पिया! दुवयं रायं अणुगिण्हेमाणा अकालपरिहीणं चेव कंपिल्लपुरे णयरे समोसरह । 163 Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ तए णं से दूए करयल जाव कट्टु दुवयस्स रण्णो एयमट्टं विणएणं पडिसुणेइ, पडिणित्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह। जाव ते वि तहेव उवट्ठवे | ८५ ज्ञाताधर्मकथा ८६ तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स दुयस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म हट्ठट्ठा तं दूयं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । ८८ ८७ तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसं सद्यावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरिं तालेहि । ८९ तए णं से दूए ण्हाए जाव अलंकियविभूसियसरीरे चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता बहूहिं पुरिसेहिं सण्णद्ध जाव गहियाउह-पहरणेहिं सद्धिं संपरिवुडे कंपिल्लपुरं णयरं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुरट्ठाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव बारवई णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बारवइं णगरिं मज्झंमज्झेणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं ठवेइ, ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता मणुस्सवग्गुरापरिक्खिते पायविहार- चारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कण्हं वासुदेवं समुद्दविजय- पामोक्खे य दस दसारे जाव छप्पन्नं बलवगसाहस्सीओ करयल तं चेव जाव समोसरह । ९० तए णं से कोडुंबियपुरिसे करयल जाव कण्हस्स वासुदेवस्स एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया भेरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सामुदाइयं महा-महया सद्देणं तालेइ । तए णं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव महासेणपामोक्खाओ छप्पण्णं बलवगसाहस्सीओ सत्थवाहप्पभिइओ पहाया जाव विभूसिया जहाविभव-इड्ढिसक्कार-समुदएणं अप्पेगइया हयगया जाव अप्पेगइया पायविहार- चारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव कण्हं वासुदेवं जणं विजएणं वद्धावेंति । तए णं से कहे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह, हयगय जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयण-कुट्टिमतले रमणिज्जे 164 Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ ९४ ९५ ९६ ९७ ९९ १०० ज्ञाताधर्मकथा ण्हाणमंडवंसि, णाणा- मणि- रयण-भत्ति चित्तंसि अंजणगिरिकूड-सण्णिभं गयवइं णरवई दुरूढे । हाणपीढंसि सुहणिसणे जाव तए णं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव अणंगसेणापामुक्खेहिं अणेगाहिं गणियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहि- णिग्घोसणाइय-रवेणं वारवइं णयरिं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता सुरट्ठाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कंपिल्लपुरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तणं से दुव राया दोच्चं दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरं णयरं । तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं- जुहिट्ठिलं भीमसेणं अज्जुणं नउलं सहदेवं, दुज्जोहणं भाइसयसमग्गं, गंगेयं विदुरं दोणं जयद्दहं सउणिं कीवं आसत्थामं करयल जाव कंपिल्लपुर णयरे समोसरह । तए णं से दूए करयल जाव विणणं पडिसुणेइ एवं जहा वासुदेवे तहेव हत्थिणापुरे पंडुराया, वरं भेत्थि जाव जेणेव कंपिल्लपुरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । एएणेव कमेणं तच्चं दूयं चंपाणयरिं, तत्थ णं तुमं कण्णं अंगरायं, सल्लं णंदिरायं (मद्दरायं) करयल तहेव जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । चउत्थं दूयं सुत्तिमदं णयरिं । तत्थ णं सिसुपालं दमघोससुयं पंचभाइयसयसंपरिवुडं करयल जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । पंचमगं दूयं हत्थिसीसणयरं । तत्थ णं तुमं दमदंतं णाम रायं करयल जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । छटुं दूयं महुरं णयरिं । तत्थ णं तुमं धरं रायं करयल जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । सत्तमं दूयं रायगिहं णयरं । तत्थ णं तुमं सहदेवं जरासंधसुयं करयल जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । अट्ठमं दूयं कोडिण्णं णयरं । तत्थ णं तुमं रूप्पिं भेसगसुयं करयल जाव सोसरह व पहारेत्थ गमणाए | णवमं दूयं विराडणगरं । तत्थ णं तुमं कीयगं भाउसयसमग्गं करयल जाव समोसरह जाव पहारेत्थ गमणाए । 165 दसमं दूयं अवसेसेसु य गामागरणगरेसु अणेगाइं रायसहस्साइं जाव समोसरह । तए णं से दूए तहेव णिग्गच्छइ, जेणेव गामागर जाव समोसरह । तए णं ताइं अणेगा रायसहस्सा Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तस्स दूयस्स अंतिए एयमहँ सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठा तं दूयं सक्कारेंतिं सम्माणेति, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जिंति । तए णं ते बहवे रायसहस्सा पत्तेयं पत्तेयं बहाया जाव संणद्ध-बद्ध- वम्मियकवया हत्थिखंधवरगया हय-गय-रह जाव सएहिं- सरहिं णगरेहिंतो अभिणिग्गच्छंति, अभिणिग्गच्छित्ता जेणेव पंचाले जणवए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । १०१ तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे णयरे बहिया गंगाए महाणईए अदूरसामंते एग महं सयंवरमंडवं करेह अणेगखंभ-सयसण्णिविटुं लीलट्ठिय- सालभंजियागं जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! वासुदेवपामोक्खाणं बहुणं रायसहस्साणं आवासे करेह, ते वि करित्ता पच्चप्पिणंति । तए णं दुवए राया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आगमणं जाणेत्ता पत्तेयं पत्तेयं हत्थिखंधवरगए जाव परिवुड़े अग्धं च पज्जं च गहाय सव्विड्ढीए कंपिल्लपुराओ णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव ते वासदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ताई वासुदेवपामोक्खाइं अग्घेण य पज्जेण य सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं पत्तेयं-पत्तेयं आवासे वियरइ । १०४ तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया सया आवासा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता हत्थिखंधेहिंतो पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता पत्तेयं-पत्तेयं खंधावारणिवेसं करेंति, करित्ता सए सए आवासे अणुपविसंति, अणुपविसित्ता सएसु सएसु आवासेसु आसणेसु य सयणेसु य सण्णिसण्णा य संतुयट्ठा य बहूहिं गंधव्वेहि य णाडएहि य उवगिज्जमाणा य उवणच्चिज्जमाणा य विहरंति । १०५ तए णं से दुवए राया कंपिल्लपुरं णगरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावित्ता, कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विउलं असणं पाणं जाव गंध-मल्लालंकारं च वासुदेवपामोक्खाणं रायसहस्साणं आवासेसु साहरह । ते वि साहरंति । तए णं वासुदेवपामुक्खा बहवे राय सहस्सा तं विपुलं असणं जाव आसाएमाणा विहरंति, जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता जाव सुहासणवरगया बहूहिं गंधव्वेहिं जाव विहरंति। तए णं से दुवए राया पुव्वावरण्हकालसमयंसि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे संघाडग जाव पहेसु, वासुदेवपामोक्खाण 166 Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा य रायसहस्साणं आवार त्थखंधवरगया महया -महया सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वयह- एवं खलु देवाणुप्पिया! कल्लं पाउप्पभायाए दुवयस्स रण्णो धूयाए, चुलणीए देवीए अत्तयाए, धट्ठजुण्णस्स भगिणीए, दोवईए रायवरकण्णाए सयंवरे भविस्सइ । तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! दुवयं रायाणं अणुगिण्हेमाणा व्हाया जाव विभूसिया हत्थिखंधवरगया सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं वीइज्जमाणा हयगयरह-पवरजोहकलियाए चउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा महया भडचडगरेणं परिक्खित्ता जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तेयं पत्तेयं णामंकेस आसणेस णिसीयह, णिसीइत्ता दोवइं रायवरकण्णं पडिवालेमाणा पाडिवालेमाणा चिट्ठह त्ति घोसणं घोसेह, घोसेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं कोडुबिया तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सयंवरमंडवं आसिय-संमज्जियोवलित्तं सुगंधवरगंधियं पंचवण्णपुप्फजोवयारकलियं कालागरु-पवर -कुंदुरुक्क -तुरुक्क जाव गंधवट्टिभूयं मंचाइमंचकलियं करेह कारवेह, करित्ता कारवेत्ता वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं पत्तेयं पत्तेयं णामंकियाइं आसणाई अत्थुय सेयवत्थ पच्चत्थुयाइं रएह, रयइत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह | ते वि जाव पच्चप्पिणंति । तए णं वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा कल्लं पाउप्पभायाए ण्हाया जाव विभूसिया हत्थिखंधवरगया जाव णाइय रवेणं जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अणुपविसंति अणुपविसित्ता पत्तेयं-पत्तेयं णामंकिएसु आसणेसु णिसीयंति, दोवइं रायवरकण्णं पडिवालेमाणा-पडिवालेमाणा चिटुंति । तए णं से दुवए राया कल्लं बहाए जाव सव्वलंकारविभूसिए हत्थिखंधवरगए जाव विंदपरिक्खित्ते कंपिल्लरं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सयंवरमंडवे, जेणेव मोक्खा बहवे रायसहस्सा, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तेसिं वासुदेवपामुक्खाणं करयल जाव वद्धावेत्ता कण्णस्स वासुदेवस्स सेयवरचामरं गहाय उववीयमाणे चिट्ठइ । तए णं सा दोवई रायवरकण्णा कल्लं पाउप्पभायाए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता ण्हाया जाव सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाई वत्थाई पवरपरिहिया जिणपडिमाणं अच्चणं करेइ, करित्ता जेणेव अंतेउरे तेणेव उवागच्छड़। ११० 167 Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ११२ तए णं तं दोवइं रायवरकण्णं अंतेउरियाओ सव्वालंकारविभूसियं करेंति । किं ते? वरपायपत्तेणेउरा जाव चेडिया-चक्कवाल-महयरग-विंद परिक्खित्ता अंतेउराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ । तए णं धद्वज्जुण्णे कुमारे दोवईए कण्णाए सारत्थं करेइ । तए णं सा दोवई रायवरकण्णा कंपिल्लपुरं णयरं मज्झमज्झेणं जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छड. उवागच्छित्ता रहं ठवेइ, ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता किड्डावियाए लेहिगाए य सद्धिं सयंवरमंडवं अणुपविसइ, करयल जाव तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायवर- सहस्साणं पणाम करेइ । तए णं सा दोवई रायवरकण्णा एग महं सिरिदामगंडं, किं ते ? पाडल-मल्लिय-चंपय जाव सत्तच्छयाईहिं गंधद्धणिं मुयंतं परमसुहफासं दरिसणिज्जं गिण्हइ । तए णं सा किड्डाविया सुरूवा जाव वामहत्थेणं चिल्लगं दप्पणं गहेउण सललियं दप्पणसंकेतबिंबसंदंसिए य से दाहिणेणं हत्थेणं दरिसिए पवररायसीहे । फुड-विसय- विसुद्धरिभिय-गंभीर-महर-भणिया सा तेसिं सव्वेसिं पत्थिवाणं अम्मापिऊणं वंस-सत्त-सामत्थगोत्त-विक्कंति-कंति-बहुविहआगम-माहप्प-रूव-जोव्वण-गुण-लावण्ण-कुल-सील- जाणिया कित्तणं करेइ । पढमं जाव वण्हिपुंगवाणं दसदसारवर-वीरपुरिसाणं तेलोक्कबलवगाणं सत्तु-सय- सहस्स माणावमद्दगाणं भवसिद्धिय-पवरपुंडरीयाणं चिल्लगाणं बल-वीरिय- रूव-जोव्वण-गुणलावण्ण-कित्तिया-कित्तणं करेइ, ततो पुणो उग्गसेणमाईणं जायवाणं, भणइ यसोहग्गरूव- कलिए वरेहि वरपुरिसगंधहत्थीणं जो हु ते होइ हियय-दइयो । तए णं सा दोवई रायवरकण्णगा बहूणं रायवरसहस्साणं मज्झमज्झेणं समइच्छमाणी समइच्छमाणी पव्वकयणियाणेणं चोइज्जमाणी चोइज्जमाणी जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता ते पंच पंडवे तेणं दसद्धवण्णेणं कुसुमदामेणं आवेढियपरिवेढियं करेइ, करित्ता एवं वयासी- एए णं मए पंच पंडवा वरिया । ११८ तए णं तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहुणिं रायसहस्साणि महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं वयंति- सुवरियं खलु भो! दोवईए रायवरकण्णाए त्ति कट्ट सयंवरमंडवाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सया सया आवासा तेणेव उवागच्छंति । ११९ तए णं धट्ठजुण्णे कुमारे पंच पंडवे दोवइं रायवरकण्णं चाउग्घंटं आसरहं दुरुहावेइ दुरुहावेत्ता कंपिल्लपुरं मज्झमज्झेणं जाव सयं भवणं अणुपविसइ । 168 Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |१२० १२१ |१२२ १२३ १२४ १२५ १२६ ज्ञाताधर्मकथा १२७ तए णं दुवए राया पंच पंडवे दोवई रायवरकण्णं पट्टयं दुरुहावेइ, दुरुहावेत्ता सेयापी हिं कलसेहिं, मज्जावेइ, मज्जावित्ता अग्गिहोमं करावेइ, पंचण्हं पंडवाणं दोवईए य पाणिग्गणं करावेइ । तणं से दुवए राया दोवईए रायवरकण्णयाए इमं एयारूवं पीइदाणं दलयइ, तंजहा- अट्ठ हिरण्णकोडीओ जाव अट्ठ पेसणकारीओ दासचेडीओ, अण्णं च विउलं धणकणग जाव दलयइ । तणं से दुवए राया ताइं वासुदेवपामोक्खाइं बहूइं रायसहस्साइं विउलेणं असण- पाणखाइम-साइमेणं पुप्फवत्थ-गंध मल्लालंकारणे सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जइ । तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं करयल जाव एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे णयरे पंचन्हं पंडवाणं दोवइए य देवीए कल्लाणकरे भविस्सइ । तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं अणुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं समोसरह । तणं वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं-पत्तेयं जाव जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं पंडुराया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे पंचन्हं पंडवाणं पंच पासायवडिंसए कारेह, अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ जाव पडिरूवे। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा पडिसुर्णेति जाव करावेंति । तए णं से पंडुए पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हयगयसंपरिवुडे कंपिल्लपुराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए । तए णं पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरस्स णयरस्स बहिया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं अणेगखंभसयसण्णिविट्टे आवासे कारेह तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तणं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव उवागच्छंति । तए णं से पंडुराया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहवे रायसहस्से आगए जाणित्ता हट्ठतुट्ठे हाए, एवं जहा दुवए जाव जहारिहं आवासे दलयइ । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सयाई-सयाई आवासाइं तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता जाव विहरंति । तए णं से पंडुराया हत्थिणाउरं णयरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं आवासेसु |१२८| 169 Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९ | १३० | १३१ १३३ ज्ञाताधर्मकथा |१३४| उवणेह तहेव जाव उवर्णेति । तए णं वासुदेवपामोक्खा बहवे राया ण्हाया जा विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं तहेव जाव विहरति । तए णं पंडुराया पंच पंडवे दोवइं च देवि पट्टयं दुरुहावेइ, दुरुहावेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेइ, ण्हावित्ता कल्लाणकरं करेड़, करित्ता ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विउलेणं असण-पाण- खाइम साइमेणं पुप्फ-वत्थेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता जाव पडिविसज्जेइ । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जाव पडगया । तए णं ते पंच पंडवा दोवईए देवीए सद्धिं कल्लाकल्लिं वारंवारेणं ओरालाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति । १३२ इमं च णं कच्छुल्लणारए-दंसणेणं अइभद्दए विणीए अंतो अंतो य कलुसहियए मज्झत्थोवत्थिए य अल्लीणसोमपियदंसणे सुरूवे अमइल - सगल - परिहिए कालमियचम्मउत्तरासंग-रइयवत्थे दंड - कमंडलु हत्थे जडामउडदित्तसिरए जण्णोवइय- गणेत्तिय-मुंजमेहलावागलधरे हत्थकय-कच्छभीए पियगंधव्वे धरणिगोयरप्पहाणे; संवरणावरणिओवयणुउप्पयणि-लेसणीसु य संकामणि- अभिओगि- पण्णत्ति-गमणी- थंभिणीसु य बहुसु विज्जाहरीसु विज्जासु विस्सुयजसे; इट्ठे रामस्स य केसवस्स य पज्जुण्ण-पईव-संबअणिरूद्ध-णिसढ-उम्मुय-सारण- गय- सुमुह- दुम्मुहाईण जायवाणं अद्धट्ठाण कुमारको हियय-दइए संथवए कलह जुद्ध - कोलाहलप्पिए भंडणाभिलासी बहुसु य समरेसु य संपराए य दंसणरए, समंतओ कलहं सदक्खणं अणुगवेसमाणे असमाहिकरे; दसारवर-वीरपुरिसतेलोक्कबलवगाणं आमंतेऊण तं भगवई पक्कमणि गगण-गमणदच्छं उप्पइओ गगणमभिलंघयंतो गाम जाव सहस्समंडियं थिमियमेइणीतलं णिब्भर - जणपदं वसुहं ओलोइंतो रम्मं हत्थिणाउरं उवागए पंडुरायभवणंसि अइवेगेण समोवइए । तणं से पंडुराया अण्णया कयाई पंचहिं पंडवेहिं, कोंतीए देवीए, दोवईए देवीए य सद्धिं अंतो अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिवुडे सीहासणवरगए यावि होत्था । तए णं से पंडुराया कच्छुल्लणारयं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता पंचहि पंडवेहिं कुंतीए य देवीए सद्धिं आसणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता कच्छुल्लणारयं सत्तट्ठपयाइं पच्चुग्गच्छइ, पच्चुग्गच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता महरिहेणं आसणेणं उवणिमंतेइ | तणं से कच्छुल्लणारए उदगपरिफोसियाए दब्भोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए णिसीयइ, णिसीइत्ता पंडुरायं रज्जे जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ । तए णं से पंडुराया कुंति देवी पंच य पंडवा कच्छुल्लणारयं आढंति जाव पज्जुवासंति । 170 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५ | १३६ तए णं तस्स कच्छुल्लणारयस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- अहो णं दोवई देवी रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य पंचहि पंडवेहिं अवत्थद्धा समाणी ममं णो आढाइ जाव णो पज्जुवासइ, तं सेयं खलु मम दोवईए देवीए विप्पियं करित्त ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता पंडुयरायं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता उप्पयणिं विज्जं आवाहेइ, आवाहित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव विज्जाहरगईए लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं पुरत्थाभिमु वीइवइउं पयत्ते यावि होत्था । | १३८ ज्ञाताधर्मकथा १३७ तेणं कालेणं तेणं समएणं धायइसंडे दीवे पुरत्थिमद्ध - दाहिणड्ढ-भरहवासे अमरकंका णामं यहाणी होत्था । तत्थ णं अमरकंकाए रायहाणीए पउमणाभे णामं राया होत्था- महया हिमवंत वण्णओ । तस्स णं पउमणाभस्स रण्णो सत्त देवीसयाइ ओरोहे होत्था । तस्स णं पउमणाभस्स रण्णो सुणाभे णामं पुत्ते जुवराया यावि होत्था । तए णं से पउमणाभे राया अंतो अंतेउरंसि ओरोहसंपरिवुडे सिंहासणवरगए विहरइ । तए णं सा दोवई देवी कच्छुल्लणारयं अस्संजयं अविरयं अप्पsिहय-पच्चक्खाय- पावकम्मं ति कट्टु णो आढाइ, णो परियाणाइ, णो अब्भुट्ठेइ, णो पज्जुवास १४० १४१ तणं से कच्छुल्लणारए जेणेव अमरकंका रायहाणी, जेणेव पउमणाभस्स भवणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पउमणाभस्स रण्णो भवणंसि झति वेगेण समोवइए । | १३९ तए णं से कच्छुल्लणारए उदयपरिफोसियाए दब्भोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए णिसीयइ, जा कुसलोदंतं आपुच्छइ । तणं से पमणा राया णियगओरोहे जायविम्हए कच्छुल्लणारयं एवं वयासी- तुब्भं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामाणि जाव गिहाई अणुपविससि, तं अत्थि याइं तं कहिं चि देवाणुप्पिया ! एरिसए ओरोहे दिट्ठपुव्वे, जारिसए णं मम ओराहे ? तए णं से पउमणाभे राया कच्छुल्लं णारयं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसणाओ अब्भुट्ठे, अब्भुट्ठित्ता अग्घेणं पज्जेणं आसणेणं उवणिमंते । तणं से कच्छुल्लणारए पउमणाभेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे ईसिं विहसियं करेइ, करित्ता एवं वयासी- सरिसे णं तुमं पउमणाभा ! तस्स अगडदद्दुरस्स । के णं देवाणुप्पिया! से अगडदद्दुरे ? एवं जहा मल्लिणाए । एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे दुपयस्स रण्णो धूया, चू देवीए अत्तया, पंडुस्स सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवई देवी रूवेण य जाव उक्किट्ठसरीरा। दोवईए णं देवीए छिण्णस्स वि पायंगुट्ठयस्स अयं तव ओरोहे सयंपि कलं ण अग्घइ त्ति कट्टु पउमणाभं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता जाव पडिगए । 171 Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १४४ १४२ तए णं से पउमणाभे राया कच्छुल्लणारयस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म दोवईए देवीए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववण्णे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं जाव पुव्वसंगइतयं देवं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे णयरे जाव उक्किट्ठसरीरा, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! दोवइं देविं इहमाणियं । | तए णं पुव्वसंगतिए देवे पउमणाभं एवं वयासी- णो खलु देवाणुप्पिया ! एवं भूयं भव्वं वा भविस्सं वा जं णं दोवई देवी पंच पंडवे मोत्तूण अण्णेणं पुरिसेणं सद्धिं ओरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरिस्सइ | तहावि य णं अहं तव पियट्ठयाए दोवई देविं इहं हव्वमाणेमि त्ति कट्ट पउमणाभं आपच्छड़, आपच्छित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए लवणसमुदं मज्झमज्झेणं जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिणाउरे जुहिहिले राया दोवईए देवीए सद्धिं आगासतलंसि सुहपसुत्ते यावि होत्था । तए णं से पुव्वसंगइए देवे जेणेव जुहिट्ठिले राया जेणेव दोवई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोवईए देवीए ओसोवणियं दलयइ, दलइत्ता दोवइं देविं गिण्हइ, गिण्हित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए जेणेव अमरकंका जेणेव पउमणाभस्स भवणे तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता पउमणाभस्स भवणंसि असोगवणियाए दोवइं देविं ठावेइ, ठावित्ता ओसोवणिं अवहरइ, अवहरित्ता जेणेव पउमणाभे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी- एस णं देवाणप्पिया ! मए हत्थिणाउराओ दोवई देवी इह हव्वमाणीया तव असोगवणियाए चिट्ठइ । अओ परं तुम जाणसि त्ति कट्ट जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए | तए णं सा दोवई देवी तओ मुहत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी तं भवणं असोगवणियं च अपच्चभिजाणमाणी एवं वयासी-णो खलु अम्हं एस सए भवणे, णो खलु एसा अम्हं सगा असोगवणिया । तं ण णज्जइ णं अहं केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किण्णरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा अण्णस्स रणो असोगवणियं साहरिय त्ति ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ । तए णं से पउमणाभे राया पहाए जाव सव्वालंकारविभूसिए अंतेउरपरियालसंपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जेणेव दोवई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोवइं देविं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणिं पासइ, पासित्ता एवं वयासी- किं णं तुमं देवाणुप्पिया! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि ? एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! मम पुव्वसंगइएणं देवेणं जंबुद्दीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ हत्थिणाउराओ णयराओ जुहिद्विलस्स रण्णो भवणाओ 172 Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ १५० १५१ ज्ञाताधर्मकथा | १४९ तए णं से पउमे राया दोवईए एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता दोवई देविं कण्णंतेउरे ठवे । तणं सा दोवई देवी छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिल परिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पा भावेमाणी विहरइ । १५२ साहरिया । तं मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि । तुमं णं मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहराहि । तणं सा दोवई देवी पउमणाभं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भार वासे वारवईए णयरीए कण्हे णामं वासुदेवे मम पियभाउए परिवसइ । तं जइ णं से छण्हं मासाणं ममं कूवं णो हव्वमागच्छइ, तए णं अहं देवाणुप्पिया ! जं तुमं वयसि, तस्स आणा- ओवाय-वयणणिद्देसे चिट्ठिस्सामि । तए णं से जुहिट्ठिले राया तओ मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धे समाणे दोवइं देवि पासे अपासमाणी सयणिज्जाओ उट्ठेइ, उट्ठित्ता दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ, करित्ता दोवईए देवीए कत्थइ सुइं वा खुइं वा पवत्तिं वा अलभमाणे जेणेव पंडुराया तेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंडुरायं एवं वयासी एवं खलु ताओ ! ममं आगासतलगंसि पसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी ण णज्जइ केइ देवेण वा जाव हिया वा णीया वा अवक्खित्ता वा ? इच्छामि णं ताओ ! दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं करित्तए । तए णं से पंडुराया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरे णयरे जाव महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं वह एवं खलु देवाणुप्पिया! जुहिट्ठिल्लस्स रण्णो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी ण णज्जइ केणइ देवेण वा जाव हिया वा णीया वा अवक्खित्ता वा तं जो णं देवाणुप्पिया ! दोवईए देवीए सुइं वा खुइं वा पवत्तिं वा परिकहेइ तस्स णं पंडुराया विठलं अत्थसंपयाणं दलयइ त्ति कट्टु घोसणं घोसावेह, घोसावित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिण । तए णं कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से पंडुराया दोवईए देवीए कत्थइ सुइं वा जाव अलभमाणे कोंतिं देविं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! बारवइं णयरिं कण्हस्स वासुदेवस्स एयमट्टं णिवेदेहि- कण्हे णं परं वासुदेवे दोवईए देवीए मग्गणगवेसणं करेज्जा, अण्णहा ण ज्जइ दोवईए देवीए सुई वा खुइं वा पवित्तिं वा उवलभेज्जा । | १५३ तए णं कोंती देवी पंडुरण्णा एवं वुत्ता समाणी जाव पडिसुणइ, पडिसुणित्ता ण्हाया जाव हत्थिखंधवरगया हत्थिणाउरं णयरं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता कुरुजणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव सुरट्ठजणवए जेणेव बारवई णयरी जेणेव अग्गुज्जाणे व 173 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बारवई णयरिं जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स गिहे तेणेव अणुपविसह, अणुपविसित्ता कण्हं वासुदेवं करयल जाव एवं वयहएवं खलु सामी ! तुब्भं पिउच्छा कोंती देवी हत्थिणाउराओ णयराओ इह हव्वमागया तुब्भं दंसणं कंखइ । तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव कहेंति । तए णं कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्टे हत्थिखंधवरगए बारवईए णयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेइ, करित्ता कोंतीए देवीए सद्धि हत्थिखंधं दुरुहित्ता बारवईए णयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता सयं गिह अणुपविसइ । १५५ तए णं से कण्हे वासुदेवे कोंतिं देविं पहायं जिमियभुत्तुत्तरागयं जाव सुहासणवरगयं एवं वयासी- संदिसउ णं पिउच्छा ! किमागमणपओयणं ? तए णं सा कोंती देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु पुत्ता ! हत्थिणाउरे णयरे जुहिद्विल्लस्स आगासतले सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी ण णज्जइ केणइ अवहिया वा णीया वा अवक्खित्ता वा । तं इच्छामि णं पत्ता ! दोवईए देवीए मग्गण-गवेसणं कयं | तए णं से कण्हे वासुदेवे कोंतिं पिउच्छिं एवं वयासी- जं णवरं पिउच्छा ! दोवईए देवीए कत्थइ सुई वा खुइं वा पवत्तिं लभामि तो णं पायालाओ वा भवणाओ वा अद्धभरहाओ वा समंतओ दोवइं साहत्थिं उवणेमि त्ति कट्ट कॉतिं पिउच्छं सक्कारेइ सम्माणेइ जाव पडिविसज्जेइ। तए णं सा कोंती देवी कण्हेणं वासुदेवेणं पडिविसज्जिया समाणी जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बारवइं एवं जहा पंडू तहा घोसणं घोसावेइ जाव पच्चप्पिणंति | १५९ तए णं से कण्हे वासुदेवे अण्णया अंतो अंतेउरगए ओरोहे जाव विहरइ । इमं च णं कच्छुल्लए जाव समोवइए जाव णिसीइत्ता कण्हं वासुदेवं कुसलोदंतं पुच्छइ । १६० तए णं से कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लं णारयं एवं वयासी- तुम णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव अणुपविससि, तं अत्थि याई ते कहिं वि दोवईए देवीए सुई वा जाव उवलद्धा? 174 Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १६१ तए णं से कच्छुल्ले णारए कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अण्णया धायईसंडे दीवे पुरत्थिमद्धं दाहिणद्ध-भरहवासं अमरकंका रायहाणिं गए । तत्थ णं मए पउमणाभस्स रण्णो भवणंसि दोवई देवी जारिसिया दिद्वपुव्वा यावि होत्था ।। तए णं कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लं णारयं एवं वयासी-तुब्भं चेव णं देवाणुप्पिया ! एवं पव्वकम्मं । तए णं से कच्छुल्लणारए कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे उप्पयणिं विज्जं आवाहेइ, आवाहित्ता जामेव दिसिं पाउब्भए तामेव दिसिं पडिगए । तए णं से कण्हे वासुदेवे दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया! हत्थिणाउरं पंडुस्स रण्णो एयमटुं णिवेएहि- एवं खलु देवाणुप्पिया! धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धे दाहिणड्ढ-भरहवासे अमरकंकाए रायहाणीए पउमणाभभवणंसि दोवईए देवीए पउत्ती उवलद्धा, तं गच्छंतु पंच पंडवा चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा पुरच्छिमवेयालीए ममं पडिवालेमाप तए णं दूर जाव भणइ जाव पडिवालेमाणा चिट्ठह । ते वि जाव चिट्ठति । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सण्णाहियं भेरिं तालेह । ते वि तालेति । तए णं तीसे सण्णाहियाए भेरीए सदं सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव छप्पण्णं बलवयसाहस्सीओ सण्णद्धबद्ध जाव गहियाउहपहरणा अप्पेगइया हयगया जाव वग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धाति । तए णं कण्हे वासुदेवे हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं वीइज्जमाणे हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुड़े महया भड-चडगर-रह-पहकर-विंदपरिक्खित्ते बारवईए णयरीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव पुरच्छिमवेयाली तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं एगयओ मिलइ, मिलित्ता खंधावारणिवेसं करेइ, करित्ता पोसहसालं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता सुट्ठियं देवं मणसि करेमाणे-करेमाणे चिट्ठइ । तए णं कण्हस्स वासुदेवस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सुढिओ जाव आगओ- भणंतु देवाणप्पिया ! ज मए कायव्व । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! दोवई देवी जाव पउमणाभस्स रण्णो भवणंसि साहरिया, तं णं तुम देवाणुप्पिया ! मम पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं 175 Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियरेहि, जं णं अहं अमरकंका रायहाणिं दोवईए देवीए कूवं गच्छामि । तए णं से सुटिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- किण्णं देवाणुप्पिया ! जहा चेव पउमणाभस्स रण्णो पुव्वसंगतिएणं देवेणं दोवई देवी जाव संहरिया, तहा चेव दोवइं देविं धायईसंडाओ दीवाओ भारहाओ जाव हत्थिणाउरं साहरामि ? उदाहु- पउमणाभं रायं सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि? १६८ तए णं कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासी- मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव साहराहि । तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम लवणसमुद्दे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं मग्गं वियराहि । सयमेव णं अहं दोवईए देवीए कूवं गच्छामि ।' तए णं से सुटिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं होउ | पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वियरइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे चाउरंगिणि सेणं पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जित्ता पंचहि पंडवेहिं सद्धिं अप्पछढे छहिं रहेहिं लवणसमुई मज्झंमज्झेणं वीईवयइ, वीईवइत्ता जेणेव अमरकंका रायहाणी जेणेव अमरकंकाए रायहाणीए अग्गुज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहं ठवेइ, ठवित्ता दारुयं सारहिं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुम देवाणुप्पिया ! अमरकंका रायहाणिं अणुपविसाहिं, अणुपविसित्ता पउमणाभस्स रण्णो वामेणं पाएणं पायपीढं अक्कमित्ता कुंतग्गेणं लेहं पणामेहि, पणामित्ता तिवलियं भिउडिं णिडाले साहट्ट आसुरुत्ते जाव एवं वयाहि- हं भो पउमणाभा! अपत्थिय- पत्थिया, दुरंतपंतलक्खणा, हीणपुण्णचाउद्दसा, सिरि-हिरि-धिइ-कित्ति परिविज्जया, अज्ज ण भवसि, किं णं तुमं ण जाणासि कण्हस्स वासुदेवस्स भगिणिं दोवइं देविं इहं हव्वं आणीते ? तं एयमवि गए, पच्चप्पिणाहि णं तुमं दोवई देविं कण्हस्स वासुदेवस्स, अहवा णं जुद्धसज्जे णिग्गच्छाहि । एस णं कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं अप्पछट्टे दोवईदेवीए कूवं हव्वमागए । तए णं से दारुए सारही कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे जाव पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता अमरकंका रायहाणिं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमणाभे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी- एस णं सामी ! मम विणयपडिवत्ती, इमा अण्णा मम सामियस्स समुहाणत्ति त्ति कट्ट आसुरुत्ते वामपाएणं पायपीढं अणुक्कमइ, अणुक्कमित्ता कोंतग्गेणं लेहं पणामइ, पणामित्ता जाव कूवं हव्वमागए | 176 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १७२ तए णं से पउमणाभे दारुएणं सारहिणा एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते जाव तिवलिं भिडिं णिडाले साहट्ट एवं वयासी- णो अप्पिणामि णं अहं देवाणुप्पिया! कण्हस्स वासुदेवस्स दोवइं। एस णं अहं सयमेव जुज्झसज्जो णिग्गच्छामि त्ति कट्ट दारुयं सारहिं एवं वयासीकेवलं भो ! रायसत्थेसु दूए अवज्झे त्ति कटु असक्कारिय असम्माणिय अवद्दारेणं णिच्छुभावेइ । तए णं से दारुए सारही पउमणाभेणं असक्कारिय जाव णिच्छढे समाणे जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव कण्हं एवं वयासी- एवं खल अहं सामी ! तुब्भं वयणेणं अमरकंका रायहाणिं गए जाव णिच्छुभावेइ । तए णं से पउमणाभे बलवाउयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणप्पिया! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह | तयाणंतरं च णं छेयायरिय-उवदेसमइ जाव उवणेइ । तए णं से पउमणाहे सण्णद्ध जाव अभिसेक्कं हत्थिरयणं दुरुहइ, दुरुहित्ता हयगय जाव जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमणाभं रायाणं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता ते पंच पंडवे एवं वयासी- हं भो दारगा ! किं तुब्भे पउमणाभेणं सद्धिं जुज्झिहिह उदाहु पेच्छिहिह ? तए णं पंच पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- अम्हे णं सामी ! जुज्झामो, तुब्भे पेच्छह। तए णं पंच पंडवे सण्णद्ध जाव पहरणा रहे दुरुहंति, दुरुहित्ता जेणेव पउमणाभे राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता एवं वयासी- अम्हे वा पउमणाभे वा राय त्ति कट्ट पउमणाभेणं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था । तए णं से पउमणाभे राया ते पंच पंडवे खिप्पामेव हय-महिय- पवरवीर- घाइय- विवडियचिंधधय-पडागे जाव दिसोदिसिं पडिसेहेइ । तए णं ते पंच पंडवा पउमणाभेण रण्णा हयमहिय-पवर जाव पडिसेहिया समाणा अत्थामा जाव आधारणिज्ज ति कट्ट जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति । तए णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी- कहण्णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! पउमणाभेण रण्णा सद्धिं संपलग्गा ? तए णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं अब्भण्ण्णाया समाणा सण्णद्ध-बद्ध-वम्मिय-कवया रहे दुरुहामो, दुहित्ता जेणेव पउमणाभे जाव पडिसेहेइ । तए णं कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी- जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! एवं वयंताअम्हे, णो पउमणाभे राय त्ति कट्ट पउमणाभेणं सद्धिं संपलग्गंता तो णं तुब्भे णो पउमणाहे हय-महिय-पवर जाव पडिसेहित्था । तं पेच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! “अहं राया, णो पउमणाभे" त्ति कट्ट पउमणाभेणं रण्णा सद्धिं जुज्झामि; रहं दुरुहइ, दुरुहित्ता 177 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | १७८ १७९ |१८० १८१ १८२ ज्ञाताधर्मकथा जेणेव पउमणाभे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेयं गोखीरहारधवलं तणसोल्लियसिंदुवारकुंदेंदु - सण्णिगासं णिययबलस्स हरिस- जणणं रिउसेण्ण-विणासकरं पंचजण्णं संख परामुसइ, परिमुसित्ता मुहवायपूरियं करे । तए णं तस्स पउमणाभस्स तेणं संखसद्देणं बल-तिभाए हुए जाव पडिसेहिए । तए णं से कण्हे वासुदेवे धणु परामुसइ; वेढो । धणुं पूरेइ, पूरित्ता धणुस करेइ । तए णं त पउमणाभस्स दोच्चे बल-तिभाए धणुसद्देणं हय-महिय जाव पडिसेहिए । तए णं से पउमणाभे राया तिभागबलावसेसे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरकम्मे अधारणिज्जं ति कट्टु सिग्घं तुरियं जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अमरकंकं रायहाणिं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता दाराइं पिहेइ, पिहित्ता रोहसज्जे चिट्ठइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहं ठवेइ, ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ समोहणित्ता गं महं णरसीह-रूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता महया महया सद्देणं पायदद्दरियं करेइ । तए णं से कण्हेणं वासुदेवेणं महया महया सद्देणं पायदद्दरएणं करणं समाणेणं अमरकंका राहाण संभग्ग- पागारगोपुराट्टालयचरियतोरण - पल्हत्थियपवरभवण - सिरिधरा सरस्सरस्स धरणियले सण्णिवइया। तए णं पउमणाभे राया अमरकंका रायहाणिं संभग्गं जाव पासित्ता भीए दोवई देविं सरणं उवेइ । तए णं सा दोवई देवी पउमणाभं रायं एवं वयासी - किण्णं तुमं देवाणुप्पिया! ण जाणसि कण्हस्स वासुदेवस्स उत्तमपुरिसस्स विप्पियं करेमाणे ममं इह हव्वमाणेसि ? तं एवमवि गए गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! पहाए उल्लपडसाडए अवचूलगवत्थणियत्थे अंतेउर- परियालसंपरिवुडे अग्गाइं वराइं रयणाई गहाय मम पुरओ काउं कण्हं वासुदेवं करयल जाव पायपडिए सरणं उवेहि । पणिवइय- वच्छला णं देवाणुप्पिया ! उत्तमपुरिसा । तए णं से पउमणाभे दोवईए देवीए एयमट्ठे पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता पहाए जाव सरणं उवेइत्ता एवं वयासी- दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इड्ढी जाव परक्कमे । तं खामिणं देवाणुप्पिया! खमंतु णं देवाणुप्पिया जाव णाइ भुज्जो एवं करणयाए ि कट्टु पंजलिउडे पायवडिए कण्हस्स वासुदेवस्स दोवइं देविं साहत्थिं उवणेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमणाभं एवं वयासी-हं भो पउमणाभा ! अप्पत्थियपत्थिया! किण्णं तुमं ण जाणसि मम भयिणिं दोवई देविं इह हव्वमाणमाणे ? तं एवमवि गए णत्थि ते ममाहिंतो इयाणिं भयमत्थि त्ति कट्टु पउमणाभं पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जित्ता दोवइं देविं गिण्हइ, गिण्हित्ता रहं दुरुहेइ, दुरुहित्ता जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंचण्हं पंडवाणं दोवई देविं साहत्थिं उवणे । 178 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८३ १८४ १८६ ज्ञाताधर्मकथा १८५ तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा चंपाए पुण्णभद्दे समोसढे । कपिले वासुदेवे धम्मं सुणेइ । तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतिए धम्मं सुम कण्हस्स वासुदेवस्स संखसद्दं सुणेइ । तए णं तस्स कविलस्स वासुदेवस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए समुप्पज्जित्था - किं मण्णे धायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे वासुदेवे समुप्पण्णे, जस्स णं अयं संखसद्दे ममं पिव मुहवायपूरिए वियंभइ ? १८८ तए णं से कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टे छहिं रहेहिं लवणसमुद्दे मज्झमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । १८९ तेणं कालेणं तेणं समएणं धायइसंडे पुरिच्छमद्धे भारहे वासे चंपा णामं णयरी होत्था । पुण्णभद्दे चेइए । तत्थ णं चंपाए णयरीए कविले णामं वासुदेवे राया होत्था- महया हिमवंत, वण्णओ । १८७ तं णो खलु कविला ! एवं भूयं वा भवइ (भव्वं) वा, भविस्सइ (भविस्सं) वा जण्णं एगे खेत्ते, एगे जुगे एगे समए दुवे अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा । एवं खलु वासुदेवा ! जंबुद्दीवाओ दवाओ भाराओ वासाओ हत्थिणाउर- णयराओ पंडुस्स रण्णो सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवई देवी तव पउमणाभस्स रण्णो पुव्वसंगइएणं देवेणं अमरकंका णयरिं साहरिया । तए णं से कहे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टे छहिं रहेहिं अमरकंकं रायहाणिं दोवईए देवीए कूवं हव्वमागए । तए णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रण्णा सद्धिं संगामं संगममाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवायपूरिए इव वियंभइ । कविला वासुदेवा ! त्ति मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी - से णू ते कविला वासुदेवा ! मम अंतिए धम्मं णिसामेमाणस्स संखसद्दं आकण्णित्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव वियंभइ? से णूणं कविला वासुदेवा ! अयमट्ठे समट्ठे? हंता अत्थि । तए णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीगच्छामि णं अहं भंते ! कण्हं वासुदेवं उत्तमपुरिसं पासामि ।' तए णं मुणिसुव्वए अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी- णो खलु देवाणुप्पिया ! एवं भूयं वा भवइ वा भविस्सइ वा जण्णं अरिहंता वा अरिहंतं पासंति, चक्कवट्टी वा चक्कवट्टि पासंति, बलदेवा वा बलदेवं पासंति, वासुदेवा वा वासुदेवं पासंति । तह वि य णं तुमं कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्दं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणस्स सेयापीयाइं धयग्गाइं पासिहिसि । तए णं कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता हत्थिखंधं दुरुहइ दुरुहित्ता सिग्घं जेणेव वेलाउले तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्दं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणस्स सेयापीयाइं धयग्गाइं पासइ, पासिता 179 Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९० १९१ १९२ | १९३ |१९४ ज्ञाताधर्मकथा एवं वयइ- एस णं मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासुदेवे लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीईवयइ त्ति कट्टु पंचजण्णं संखं परामुसइ, परामुसित्ता मुहवायपूरियं करेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसद्दं आयण्णेइ, आयण्णित्ता पंचजण्णं जाव पूरियं करेइ । तए णं दो वि वासुदेवा संखसद्दसामायारिं करेंति । तणं से कविले वासुदेवे जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अमरकंकं रायहाणिं संभग्गतोरणं जाव पासइ, पासित्ता पउमणाभं एवं वयासी- किण्णं देवाणुप्पिया ! एसा अमरकंका रायहाणी संभग्ग जाव सण्णिवइया ? तए णं से पमणाभे कविलं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु सामी ! जंबुद्दीवाओ वाओ भारहाओ वासाओ इहं हव्वमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुब्भे परिभूय अमरकंका जाव सणवाइया । तणं से कविले वासुदेवे पउमणाहस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा पउमणाभं एवं वयासी- हं भो पउमणाभा! अपत्थियपत्थिया, किं णं तुमं ण जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणा ? आसुरुत्ते जाव पउमणाभं णिव्विसयं आणवेइ, पउमणाभस्स पुत्तं अमरकंकाए रायहाणीए महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचइ जाव पडिगए । तए णं से कण्हे वासुदेवे लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीइवयमाणे-वीइवयमाणे गंगं उवागाए, ते पंच पंडवे एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगामहाणई उत्तरह जाव ताव अहं सुट्ठियं देवं लवणाहिवई पासामि । तए णं पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता एगट्ठियाए णावाए मग्गण - गवेसणं करेंति, करित्ता एगट्ठिया णावाए गंगामहाणइं उत्तरंति, उत्तरित्ता अण्णमण्णं एवं वयंति - पहू णं देवाणुप्पिया ! कण्हे वासुदेवे गंगामहाणइं वाहाहिं उत्तरित्तए उदाहु णो पभू उत्तरित्तए? त्ति कट्टु एगट्ठियं णावं णूमेति, णूमित्ता कण्हं वासुदेवं पडिवालेमाणा - पडिवालेमाणा चिट्ठति । १९५ तणं से कहे वासुदेवे लवणाहिवई पासइ, पासित्ता जेणेव गंगा महाणदी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एगट्ठियाए सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेइ, करित्ता एगट्ठियं णावं अपासमाणे एगाए बाहाए रहं सतुरगं ससारहिं गेण्हइ, एगाए बाहाए गंगं महाणइं बासट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं च वित्थिण्णं उत्तरिडं पयत्ते यावि होत्था । तणं कण्हे वासुदेवे गंगामहाणईए बहूमज्झदेसभा संपत्ते समाणे संते तंते परितंते बद्धसेए जाए यावि होत्था । 180 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ |१९६| तए णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स इमे एयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- अहो णं पंच पंडवा महाबलवग्गा जेहिं गंगा महाणई बासट्ठि जोयणाई अद्धजोयणं च वित्थिण्णा बाहाहिं उत्तिण्णा । इच्छंतएहिं णं पंचहि पंडवेहिं पउमणाभे राया जाव णो पडिसेहिए | तणं गंगा देवी कण्हस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव जाणित्ता थाहं वियरड् । तए णं से कहे वासुदेवे मुहुत्तंतरं समासासेइ, समासासित्ता गंगा महाणई बासट्ठि जाव उत्तर, उत्तरित्ता जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पंच पंडवे एवं वयासी- अहो १९७ ज्ञाताधर्मकथा |१९९ २०० भेदेवाप्पिया ! महाबलवगा, जेणं तुब्भेहिं गंगा महाणई बासट्ठि जाव उत्तिण्णा । इच्छतंएहिं णं तुब्भेहिं पउमणाहे जाव णो पडिसेहिए । | १९८ तए णं कण्हे वासुदेवे तेसिं पंचण्हं पंडवाणं एयमट्ठे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते जाव तिवलियं भिउडिं णिडाले साहुट्टु एवं वयासी- अहो णं जया मए लवणसमुद्दे दुवे जोयणसयसहस्सा वित्थिण्णं वीईवइत्ता पउमणाभं हय-महिय जाव पडिसेहित्ता अमरकंका संभग्गा, दोवई साहत्थिं उवणीया, तया णं तुब्भेहिं मम माहप्पं ण विण्णायं, इयाणिं जाणिसह त्ति कट्टु लोहदंडं परामुसइ, पंचण्हं पंडवाणं रहे चूरेइ, चूरित्ता णिव्विस आणवे, आणवित्ता तत्थ णं रहमद्दणे णामं कोट्ठे णिविट्ठे । तए णं पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु देवाप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं विसज्जिया समाणा जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छामो, उवागच्छित्ता एगट्ठियाए मग्गण - गवेसणं करेमो तं चेव जाव णूमेमो, तुब्भे पडिवालेमाणा चिट्ठामो तणं से कहे वासुदेवे जेणेव सए खंधावरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सएणं खंधावारेणं सद्धिं अभिसमण्णागए यावि होत्था । तए णं से कहे वासुदेवे जेणेव बारवई णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बारवइं णयरिं अणुपविसइ । तए णं ते पंच पंडवा जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता जेणेव पंडू राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी एवं खलु ताओ ! अम्हे कण्हेणं णिव्विसया आणत्ता । तए णं पंडुराया ते पंच पंडवे एवं वयासी- कहं णं पुत्ता ! तुब्भे कण्हेणं वासुदेवेणं णिव्विसया आणत्ता ? तए णं पंच पंडवा पंडुरायं एवं वयासी- एवं खलु ताओ ! अम्हे अमरकंकाओ पडिणियत्ता लवणसमुद्दं दोण्णिं जोयणसयसहस्साइं वीइवइत्था । तए णं से कण्हे वासुदेवे अम्हे एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगामहाणई उत्तरह जाव चिट्ठह, एवं जाव त चिट्ठेमो । तए णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवइं दट्ठूण जेणेव गंगा महाणई तेणेव 181 Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा उवागच्छइ, तं चेव सव्वं वच्चइ णवरं कण्हस्स चिंता ण वच्चइ जाव अम्हे णिव्विसए आणवेइ । २०१ तए णं से पंडुराया ते पंच पंडवे एवं वयासी- ददु णं पुत्ता ! कयं कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणेहिं । तए णं पंडूराया कोंति देविं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया! बारवइं, कण्हस्स वासुदेवस्स णिवेदेहि- एवं खलु देवाणुप्पिया! तुम्हे पंच पंडवा णिव्विसया आणत्ता | तुमं च णं देवाणुप्पिया ! दाहिणड्ढभरहस्स सामी। तं संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! ते पंच पंडवा कयरं देसं वा दिसिं वा विदिसिं वा गच्छंतु ? २०३ तए णं सा कोंती पंडुणा एवं वुत्ता समाणी हत्थिखधं दुरुहइ, जहा हेढा जाव संदिसंतु णं पिउच्छा! किमागमणपओयणं ? तए णं सा कोंती कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु पुत्ता ! तुमे पंच पंडवा णिव्विसया आणत्ता | तुमं च णं दाहिणड्ढभरहस्स सामी । तं संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ते पंच पंडवा कयरं देसं वा दिसं वा विदिसिं वा गच्छंतु ? २०४ तए णं से कण्हे वासुदेवे कोंतिं देवि एवं वयासी- अपूइवयणा णं पिउच्छा ! उत्तमपुरिसा वासुदेवा बलदेवा चक्कवट्टी । तं गच्छंतु णं पंच पंडवा दाहिणिल्लं वेयालिं, तत्थ पंडुमहरं णिवेसंतु, ममं अदिवसेवगा भवंतु त्ति कट्ठ कोंतिं देविं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ। २०५ तए णं सा कोंती देवी जाव पंडुस्स एयमढें णिवेदेइ । तए णं पंडू राया पंच पंडवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे पुत्ता ! दाहिणिल्लं वेयालिं तत्थ णं तुब्भे पंडुमहुरं णिवेसेह । तए णं पंच पंडवा पंडुस्स रण्णो एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेति, पडिसुणित्ता सबलवाहणा हयगय जाव हत्थिणाउराओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वेयाली तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पंडुमहरं णयरिं णिवेसंति तत्थ वि णं ते विउलभोगसमिइसमण्णागया यावि होत्था । तए णं सा दोवई देवी अण्णया कयाइ आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था | तए णं दोवई देवी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव सुरूवं दारगं पयाया- सूमालं जाव जम्हा णं अम्हं एस दारए पंचण्हं पंडवाणं पुत्ते दोवईए देवीए अत्तए, तं होउ अम्हं इमस्स दारगस्स णामधेज्जं पंडुसेणे । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्जं करेंति “पंडुसेण" त्ति। बावत्तरि कलाओ जाव अलं भोगसमत्थे जाए | जवराया जाव विहरइ । 182 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २०७ तेणं कालेणं तेणं समएणं धम्मघोसा थेरा समोसढा | परिसा णिग्गया | पंडवा णिग्गया। धम्म सोच्चा एवं वयासी- जं णवरं देवाणुप्पिया ! दोवइं देविं आपुच्छामो। पंडुसेणं च कुमारं रज्जे ठावेमो | तओ पच्छा देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामो | अहासुहं देवाणुप्पिया ! तए णं ते पंच पंडवा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता दोवइं देविं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं थेराणं अंतिए धम्मे णिसंते जाव पव्वयामो | तुमं देवाणुप्पिये ! किं करेसि ? तए णं सा दोवई देवी ते पंच पंडवे एवं वयासी- जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया! संसारभउव्विग्गा पव्वयह, ममं के अण्णे आलंबे वा आहारे वा पडिबंधे वा भविस्सइ ? अहं पि य णं संसारभउव्विग्गा देवाणुप्पिएहिं सद्धिं पव्वइस्सामि | तए णं पंच पंडवा पंडुसेणस्स अभिसेओ जाव राया जाए, रज्जं पसाहेमाणे विहरइ। तए णं ते पंच पंडवा दोवई य देवी अण्णया कयाइं पंडु सेणं रायाणं आपुच्छंति । तए णं से पंडुसेणे राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! णिक्खमणाभिसेयं करेह जाव पुरिससहस्सवाहिणीओ सिवियाओ उवट्ठवेह जाव सिवियाओ पच्चोरुहंति, जेणेव थेरा तेणेव जाव आलित्ते णं जाव समणा जाया । चोद्दस-पुव्वाइं अहिज्जति, अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि छट्ठम - दसम - दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति । २१० तए णं सा दोवई देवी सीयाओ पच्चोरुहइ जाव पव्वइया । सुव्वयाए अज्जाए सिस्सिणीयत्ताए दलयंति, इक्कारस अंगाइं अहिज्जइ, बहूणि वासाणि छट्ठहमदसमदुवालसेहिं जाव विहरइ । तए णं थेरा भगवंतो अण्णया कयाई पंडुमहराओ णयरीओ सहस्संबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरंति । तेणं कालेणं तेणं समएणं अरिहा अरिट्ठणेमी जेणेव सुरद्वाजणवए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुरट्ठाजणवयंसि संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ- एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिद्वणेमी सुरद्वाजणवए जाव विहरड़ । तए णं से जहिद्विल्लपामोक्खा पंच अणगारा बहजणस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिडणेमी पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जाव विहरइ । तं सेयं खलु अम्हं थेरे भगवंते आपुच्छित्ता अरहं अरिडणेमि वंदणाए गमित्तए, अण्णमण्णस्स एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव २१२ 183 Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति, णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीइच्छामो णं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा अरहं अरिहणेमिं वंदणाए गमित्तए | अहासुहं देवाणुप्पिया | २१३ तए णं ते जुहिट्ठिलपामोक्खा पंच अणगारा थेरेहिं अब्भणण्णाया समाणा थेरे भगवंते वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतियाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता मासंमासेण अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं गामाणुगामं दूइज्जमाणा जाव जेणेव हत्थिकप्पे णयरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता हत्थिकप्पस्स बहिया सहसंबवणे उज्जाणे जाव विहरंति | तए णं ते जुहिट्ठिलवज्जा चत्तारि अणगारा मासक्खमणपारणए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेंति बीयाए झाणं झायंति एवं जहा गोयमसामी, णवरं जुहिटिलं आपुच्छंति जाव अडमाणा बहुजणसदं णिसामेति- एवं खलु देवाणुप्पिया! अरहा अरिट्ठणेमी उज्जिंतसेलसिहरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं कालगए सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे । २१५ तए णं ते जहिट्ठिलवज्जा चत्तारि अणगारा बहजणस्स अंतिए एयमद्रं सोच्चा हत्थिकप्पाओ पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जेणेव जुहिहिले अणगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भत्तपाणं पच्चुवेक्खंति, पच्चुवेक्खित्ता गमणागमणस्स पडिक्कमंति, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएंति, आलोइत्ता भत्तपाणं पडिदंसेंति, पडिदंसित्ता एव वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिडणेमि जाव कालगए, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! इमं पुव्वगहियं भत्तपाणं परिद्ववेत्ता सेत्तुंजं पव्वयं सणियं सणियं दुरूहित्तए, संलेहणाझूसणा-झोसियाणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्ठ अण्णमण्णस्स एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता तं पुव्वगहियं भत्तपाणं एगंते परिवेंति, परिहवित्ता जेणेव सेत्तुंजे पव्वए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेत्तुंजं पव्वयं दुरुहंति, दुरुहित्ता जाव कालं अणवकंखमाणा विहरति । २१६ तए णं ते जुहिडिलपामोक्खा पंच अणगारा सामाइयमाइयाइं चोद्दस पुव्वाइं अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता, दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसित्ता जस्सट्ठाए कीरइ णग्गभावे जाव तमढें आराहेंति, आराहित्ता अणंते केवलवर- णाणदंसणे समुप्पपाडेत्ता जाव सिद्धा | 184 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २१७ तए णं सा दोवई अज्जा सुव्वयाणं अज्जियाणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस्स अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए आलोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए उववण्णा । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं दुवयस्स (दोवइस्स) देवस्स दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता | २१९ से णं भंते ! दुवए देवे ताओ जाव महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिइ । जंब ! समणेणं भगवया महावीरेणं सोलसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते। ॥ त्ति बेमि ॥ || सोलसमं अज्झयणं समत्तं || सत्तरसमं अज्झयणं : आइण्णे जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं सोलसमस्स णायज्झयणस्स अयमद्वे, पण्णत्ते, सत्तरसमस्स णं णायज्झयणस्स के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिसीसे णामं णयरे होत्था, वण्णओ । तत्थ णं कणगकेऊ णामं राया होत्था, वण्णओ । तत्थ णं हत्थिसीसे णयरे बहवे संजत्ता-णावावाणियगा परिवसंति- अड्ढा जाव बहजणस्स अपरिभया यावि होत्था । तए णं तेसिं संजत्ता णावावाणियगाणं अण्णया कयाई एगयओ सहियाणं जहा अरहण्णए जाव लवणसमुदं अणेगाइं जोयणसयाई ओगाढा यावि होत्था | तए णं तेसिं जाव बहणि उप्पाइयसयाई जहा माकंदियदारगाणं जाव कालियवाए य तत्थ समुत्थिए । तए णं सा णावा तेणं कालियवाएणं आघोलिज्जमाणी-आघोलिज्जमाणी, संचालिज्जमाणी-संचालिज्जमाणी, संखोहिज्जमाणी-संखोहिज्जमाणी तत्थेव परिभमइ । तए णं से णिज्जामए णट्ठमईए णट्ठसुईए णट्ठसण्णे मूढदिसाभाए जाए यावि होत्था | ण जाणइ कयरं देसं वा दिसिं वा विदिसं वा पोयवहणे अवहिए त्ति कट्ट ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ । तए णं ते बहवे कुच्छिधारा य कण्णधारा य गभिल्लगा य संजत्ता- णावावाणियगा य जेणेव से णिज्जामए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता एवं वयासी- किण्णं तुम देवाणप्पिया! ओहयमणसंकप्पे जाव झियायसि | तए णं से णिज्जामए ते बहवे कुच्छिधारा य जाव वाणियगा एवं वयासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! णट्ठमईए जाव अवहिए त्ति कट्ट तओ ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि । G | 185 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा | तए णं ते कच्छिधारा य जाव वाणियगा तस्स णिज्जामयस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म भीया तत्था उव्विग्गा उव्विग्गमणा व्हाया जाव करयल परिग्गहियं बहूणं इंदाण य खंदाण य जहा मल्लि-णाए जाव उवायमाणा-उवायमाणा चिट्ठति । तए णं से णिज्जामए तओ मुहुत्तंतरस्स लद्धमईए, लद्धसुईए, लद्धसण्णे अमूढ-दिसाभाए जाए यावि होत्था । तए णं से णिज्जामए ते बहवे कुच्छिधारा जाव वाणियगा एवं वयासीएवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! लद्धमईए जाव अमूढदिसाभाए जाए | अम्हं णं देवाणुप्पिया! कालियदीवंतेणं संवूढा, एस णं कालियदीवे आलोक्कड़ । तए णं ते कुच्छिधारा जाव वाणियगा य तस्स णिज्जामयस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्ठा पयक्खिणाणकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयवहणं लंबेइ, लंबित्ता एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तरंति । तत्थ णं बहवे हिरण्णागरे य सुवण्णागरे य रयणागरे य वइरागरे य बहवे तत्थ आसे पासंति, किं ते ? आईणवेढो । तए णं ते आसा ते वाणियए पासंति, पासित्ता तेसिं गंधं अग्घायंति | भीया तत्था उव्विग्गा उव्विग्गमणा तओ अणेगाइं जोयणाइं उब्भमंति, ते णं तत्थ पउर-गोयरा पउरतणपाणिया णिब्भया णिरुव्विग्गा सुहंसुहेणं विहरंति । तए णं ते संजत्ता णावावाणियगा अण्णमण्णं एवं वयासी- किण्हं अम्हे देवाणुप्पिया! आसेहि ? इमे णं बहवे हिरण्णागरा य सुवण्णागरा य रयणागरा य वइरागरा य तं सेयं खल अम्हं हिरण्णस्स य सुवण्णस्स य रयणस्स य वइरस्स य पोयवहणं भरित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमहूँ पडिसुणेति, पडिसुणित्ता हिरण्णस्स य सुवण्णस्स य रयणस्स य वइरस्स य तणस्स य अण्णस्स य कट्ठस्स य पाणियस्स य पोयवहणं भरेंति, भरित्ता दक्खिणाणकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरपोयवहणपट्टणे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता पोयवहणं लंबेइ, लंबित्ता सगडी-सागडं सज्जेंति, सज्जित्ता तं हिरणं जाव वइरं च एगट्ठियाहिं पोयवहणाओ संचारेंति, संचारित्ता सगडी-सागडं संजोएंति, जेणेव हत्थिसीसए णयरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता हत्यिसीसयस्स णयरस्स बहिया अग्गुज्जाणे सत्थणिवेसं करेंति, करित्ता सगडी-सागडं मोएंति, मोइत्ता महत्थं जाव पाहुडं गेण्हंति, गेण्हित्ता हत्थिसीसं णयरं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता जाव उवणेति । तए णं से कणगकेऊ तेसिं संजत्ताणावावाणियगाणं तं महत्थं जाव पडिच्छड़ । 186 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १२ पडिच्छित्ता ते संजत्ता-णावावाणियगा एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! गामागर जाव आहिंडह, लवणसमुदं च अभिक्खणं-अभिक्खणं पोयवहणेणं ओगाह । तं अत्थियाई केइ भे कहिंचि अच्छेरए दिट्ठपुव्वे ? तए णं संजत्ता-णावावाणियगा कणगकेउं रायं एवं वयासी- एवं खल अम्हे देवाणुप्पिया ! इहेव हत्थिसीसे णयरे परिवसामो तं चेव जाव कालियदीवंतेणं संवूढा | तत्थ णं बहवे हिरण्णागरा य जाव बहवे तत्थ आसे पासामो | किं ते ? आइण्ण वेढो जाव अणेगाई जोयणाइं उब्भमंति । तए णं सामी ! अम्हेहिं कालियदीवे ते आसा अच्छेरए दिवा । तए णं से कणगकेऊ तेसिं संजत्ता-णावावाणियगाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म ते संजत्ता-णावावाणियए एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! मम कोडुबियपुरिसेहिं सद्धिं कालियदीवाओ ते आसे आणेह । तए णं संजत्ता-णावावाणियगा कणगकेउं रायं एवं वयासी- एवं सामी ! त्ति कट्ठ आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति | तए णं कणगकेऊ राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संजत्ता-णावावाणिएहिं सद्धिं कालियदीवाओ मम आसे आणेह । ते वि पडिसुणेति । तए णं ते कोडुबियपुरिसा सगडी-सागडं सज्जेंति, सज्जित्ता तत्थ णं बहूणं वीणाण य, वल्लकीण य, भामरीण य, कच्छभीण य, भंभाण य, छब्भामरीण य, विचित्तवीणाण य अण्णेसिं च बहूणं साइंदिय-पाउग्गाणं दव्वाणं सगडी-सागडं भरेंति । बहूणं किण्हाण य जाव सुक्किल्लाण य कट्ठकम्माण य चित्तकम्माण य पोत्थकम्माण य लेप्पकम्माण य गंथिमाण य वेढिमाण य परिमाण य संघाइमाण य अण्णेसिं चक्खिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडी-सागडं भरेंति । बहूणं कोट्ठपुडाण य केयइपुडाण य जाव अण्णेसिं च बहूणं घाणिदिय- पाउग्गाणं दव्वाणं सगडी-सागडं भरेंति । बहस्स खंडस्स य गलस्स य सक्कराए य मच्छडियाए य पुप्फुत्तरपउमत्तराए अण्णेसिं च जिब्भिंदिय-पाउग्गाणं दव्वाणं सगडी-सागडं भरेंति । कोयवयाण य कंबलाण य पावाराण य णवतयाण य मलयाण य मसगाण य (मसूराण य) सिलावट्टाण य जाव हंसगब्भाण य अण्णेसिं च बहूणं फासिंदिय-पाउग्गाणं दव्वाणं सगडी-सागडं भरेंति । भरित्ता सगडी-सागडं जोएंति, जोइत्ता जेणेव गंभीरपोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सगडी-सागडं मोएंति, मोइत्ता पोयवहणं सज्जेंति, सज्जित्ता तेसिं बहणं 187 Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ |१७ १८ |१९| २० ज्ञाताधर्मकथा उक्किट्ठाणं सद्द-फरिस-रस- रूव- गंधाणं कट्ठस्स य तणस्स य पाणियस्स य तंदुलाण य समियस्स य गोरसस्स य जाव अण्णेसिं च बहूणं पोयवहणपाउग्गाणं पोयवहणं भरेंति । भरित्ता दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छत्ता पोयवहणं लंबेंति, लंबित्ता ताई उक्किट्ठाई सद्द-फरिस रस रूव-गंधाई एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तारेंति, उत्तारेत्ता; जहिं जहिं च णं ते आसा आसयंति वा, सयंति वा, चिट्ठेति वा, तुयट्टंति वा, तहिं तहिं च णं ते कोडुंबियपुरिसा ताओ वीणाओ य जाव विचित्तवीणाओ य अण्णाणि बहूणिं सोइंदिय पाउग्गाणि य दव्वाणि समुदीरेमाणा समुदीरेमाणा ठवेंति, तेसिं च परिपेरंतेणं पासए ठवेइ, ठवित्ता णिच्चला प्फिंदा तुसिणीया चिट्ठति । - जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठति वा तुयति वा, तत्थ तत्थ णं ते कोडुंबियपुरिसा बहूणि किण्हाणि य जाव सुक्किलाणि य कट्ठकम्माणि य जाव संघाइम य अण्णाणि य बहूणि चक्खिंदिय पाउग्गाणि य दव्वाणि ठवेंति, तेसिं परिपेरंतेणं पासए ठवेइ, ठवित्ता णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया चिट्ठति । जत्थ-जत्थ ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठति वा तुयट्टंति वा तत्थ-तत्थ णं ते कोडुंबियपुरिसा तेसिं बहूणं कोट्ठपुडाण य अण्णेसिं च घाणिंदिय पाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे य पियरे य करेंति, करित्ता तेसिं परिपेरंते णं पासए ठवेइ जाव चिट्ठति । जत्थ जत्थ णं ते आसा आसयंति वा, सयंति वा चिट्ठेति वा तुयट्टंति वा तत्थ तत्थ गुलस्स जाव अण्णेसिं च बहूणं जिब्भिंदिय पाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे य णियरे य करेंति, करेत्ता वियरए खणंति, खणित्ता गुलपाणगस्स खंडपाणगस्स पोरपाणगस्स अण्णेसिं च बहूणं पाणगाणं वियरे भरेंति, भरित्ता तेसिं परिपेरतेणं पासए ठवेंति जाव चिट्ठति । जहिं जहिं च णं ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठेति वा तुयहंति वा तहिं तहिं णं ते बहवे कोयवया य जाव सिलावट्टया अण्णाणि य फासिंदिय पाउग्गाइं अत्थु -पच्चाई ठवेंति, ठवित्ता तेसिं परिपेरतेणं जाव चिट्ठति । तए णं ते आसा जेणेव ते उक्किट्ठा सद्द-फरिस - रस- रूव-गंधा तेणेव उवागच्छंति । तत्थ अत्थेगइया आसा अपुव्वा णं इमे सद्द-फरिस - रस-रूव-गंधा त्ति कट्टु तेसु उक्किट्ठे सद्दफरिसरसरुवगंधेसु अमुच्छिया अगढिया अगिद्धा अणज्झोवण्णा तेसिं उक्किट्ठाणं सद्द जाव गंधाणं दूरंदूरेणं अवक्कमंति । ते णं तत्थ पउर-गोयरा पउर-तणपाणिया णिब्भया णिरुव्विग्गा सुहंसुहेणं विहरति । 188 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २१ एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा सद्द- फरिस-रस-रूव-गंधेसु णो सज्जइ, से णं इहलोगे चेव बहूणं समणाणं समणीणं सावयाणं सावियाणं अच्चणिज्जे जाव चाउरंत-संसारकंतारं वीइवयइ । तत्थ णं अत्थेगइया आसा जेणेव उक्किट्ठ सद्दफरिसरसरूवगंधा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेसु उक्किडेसु सद्दफरिसरसरूवगंधेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा आसेविउं पयत्ता यावि होत्था । तए णं ते आसा एए उक्किट्ठ सद्दफरिसरसरूवगंधा आसेवमाणा तेहिं बहूहिं कूडेहिं य पासेहि य गलएसु य पाएसु य बज्झंति । तए णं ते कोडुबिया एए आसे गिव्हंति, गिण्हित्ता एगट्ठियाहिं पोयवहणे संचारेंति, संचारित्ता तणस्स य कट्ठस्स य जाव भरेंति । तए णं ते संजत्ता णावावाणियगा दक्खिणाणकलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयवहणं लंबेंति, लंबिता ते आसे उत्तारेंति, उत्तारित्ता जेणेव हत्थिसीसे णयरे, जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेंति वद्धावित्ता ते आसे उवणेति। तए णं से कणगकेऊ राया तेसिं संजत्ता-णावावाणियगाणं उस्सुक्कं वियरइ, वियरित्ता सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारिता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कणगकेऊ राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ ।। तए णं से कणगकेऊ राया आसमद्दए सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया! मम आसे विणएह । तए णं ते आसमद्दगा तह त्ति पडिसुणेति, पडिसुणित्ता ते आसे बहूहिं मुहबंधेहि य, कण्णबंधेहि य, णासाबंधेहि य, वालबंधेहि य, खुरबंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणबंधेहि य, अहिलाणेहि य, पडयाणेहि य, अंकणाहि य, वेत्तप्पहारेहि य, लयप्पहारेहि य, कसप्पहारेहि य, छिवप्पहारेहि य विणयंति, विणइत्ता कणगकेउस्स रण्णो उवणेति । तए णं से कणगकेऊ ते आसमद्दए सक्कारेइ, सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं ते आसा बहूहिं मुहबंधेहि य जाव छिवप्पहारेहि य बहूणि सारीरमाणसाणि दुक्खाई पार्वेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा पव्वइए समाणे इडेसु सद्दफरिस-रस-रूव-गंधेसु सज्जइ, रज्जइ, गिज्झइ, मुज्झइ, अज्झोववज्जइ, से णं इह लोए चेव बहूणं समणाण य जाव चाउरंतसंसारकंतारं भुज्जो भुज्जो अणुपरियट्टिस्सइ । २४ 189 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते | || त्ति बेमि || ॥ सत्तरसमं अज्झयणं समत्तं ॥ अट्ठारसमं अज्झयणं : संसुमा जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, अट्ठारसमस के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं णयरे होत्था, वण्णओ । तत्थ णं धण्णे णामं सत्थवाहे परिवसइ । तस्स णं भद्दा भारिया । तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स पत्ता भद्दाए अत्तया पंच सत्थवाहदारगा होत्था, तंजहाधणे, धणपाले, धणदेवे, धणगोवे, धणरक्खिए | तस्स णं धण्णस्स सत्थवाहस्स धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजाइया सुसुमा णामं दारिया होत्थासूमालपाणिपाया जाव सुरूवा। तस्स णं धण्णस्स सत्यवाहस्स चिलाए णाम दासचेडए होत्था । अहीणपंचदियसरीरे मंसोवचिए बालकीलावणकुसले यावि होत्था । तए णं दासचेडे सुसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए यावि होत्था, सुसुमं दारियं कडीए गिण्हइ, गिण्हित्ता बहूहिं दारएहि य दारियाहि य डिभएहि य डिंभयाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं अभिरममाणे अभिरममाणे विहरइ । तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ, एवं वट्टए आडोलियाओ तंदूसए पोत्तुल्लए साडोल्लए, अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरइ, अप्पेगइए आउसइ, एवं अवहसइ, णिच्छोडेइ, णिब्भच्छेइ, तज्जेइ, अप्पेगइए तालेड़ । तए णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिभिया य कुमारा य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य सोयमाणा य तिप्पमाणा य विलवमाणा य साणं-साणं अम्मापिऊणं णिवेदेति । तए णं तेसिं बहणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अम्मापियरो जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता धण्णं सत्थवाह खिज्जणियाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य रुंटमाणा य उवलंभेमाणा य धण्णस्स एयमद्वं णिवेदेति । 190 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तए णं धण्णे सत्थवाहे चिलायं दासचेडं एयमद्वं भज्जो भज्जो णिवारेइ, णो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमइ । तए णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिंभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगइगाणं खुल्लए अवहरइ जाव अप्पेगइए तालेइ । तए णं ते बहवे दारया य दारिया य डिंभया य डिभिया य कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य जाव अम्मापिऊणं णिवेदेति । तए णं ते अम्मा-पियरो आसुरुत्ता जाव जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता बहूहिं खिज्जणाहि य जाव एयमढें णिवेदेति । तए णं से धण्णे सत्थवाहे बहूणं दारयाणं दारियाणं डिंभयाणं डिभियाणं कुमारयाणं कुमारियाणं अम्मापिऊणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा आसुरुत्ते जाव चिलायं दासचेडं उच्चावयाहिं आउसणाहि आउसइ उद्धंसइ णिब्भच्छेड़ णिच्छोडेइ तज्जेइ उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेइ साओ गिहाओ णिच्छुभइ ।। तए णं से चिलाए दासचेडे साओ गिहाओ णिच्छुढे समाणे रायगिहे णयरे सिंघाडए जाव पहेसु य देवकुलेसु य सभासु य पवासु य जूयखलएसु य वेसाघरएसु य पाणघरएसु य सुहंसुहेणं परियट्टइ । तए णं चिलाए दासचेडे अणोहट्टिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी मज्जपसंगी चोज्जप्पसंगी मंसप्पसंगी जूयप्पसंगी वेसाप्पसंगी परदारप्पसंगी जाए यावि होत्था । तए णं रायगिहस्स णगरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरत्थिमे दिसिभाए सीहगुहा णामं चोरपल्ली होत्था-विसम-गिरिकडग-कोडंब-सण्णिविट्ठा वंसीकलं-पागारपरिक्खित्ता छिण्णसेलविसमप्पवाय- फरिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदितजण-णिग्गमपवेसा अभिंतरपाणिया सुदुल्लभजलपेरंता सुबहुस्स वि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्था। तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए णामं चोरसेणावई परिवसइ- अहम्मिए जाव अहम्मकेऊ समुट्ठिए बहुणगर-णिग्गय-जसे सूरे दढप्पहारी साहसिए सद्दवेही। से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्डं चोरसयाणं आहेवच्चं जाव विहरइ । । तए णं से विजए तक्करे चोरसेणावई बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्तखणगाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बालघायगाण य वीसंभघायगाण य जयकाराण य खंडरक्खाण य अण्णेसिं च बहणं छिण्ण-भिण्ण बाहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्था । 191 Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १४ तए णं से विजए तक्करे चोरसेणावई रायगिहस्स णगरस्स दाहिणपुरिच्छमं जणवयं बहूहिं गामघाएहि य णगरघाएहिं य गोगहणेहि य वंदिग्गहणेहि य पंथकुट्टणेहिं य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे उवीलेमाणे विद्धंसेमाणे-विद्धंसेमाणे णित्थाणं णिद्धणं करेमाणे विहरइ । तए णं से चिलाए दासचेडे रायगिहे णयरे बहूहि अत्थाभिसंकीहि य चोराभिसंकीहि य दाराभिसंकीहि य धणिएहि य जयकरेहि य परब्भवमाणे -परब्भवमाणे रायगिहाओ णयराओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सीहगुहा चोरपल्ली तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता विजयं चोरसेणावई उपसंपज्जित्ता णं विहरइ । तए णं ते चिलाए दासचेडे विजयस्स चोरसेणावइस्स अग्गे असि-लट्ठिग्गाहे जाए यावि होत्था । जाहे वि य णं से विजए चोरसेणावई गामघायं वा जाव पंथकोट्टि वा काउं वच्चइ ताहे वि य णं से चिलाए दासचेडे सुबहंपि हु कूवियबलं हय-महियं जाव पडिसेहेइ, पडिसेहित्ता पुणरवि लखढे कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपल्लिं हव्वमागच्छइ । तए णं से विजए चोरसेणावई चिलायं तक्करं बहुओ चोरविज्जाओ य चोरमंते य चोरमायाओ य चोरणिगडीओ य सिक्खावेइ । तए णं से विजए चोरसेणावई अण्णया कयाई कालधम्मणा संजुत्ते यावि होत्था । तए णं ताई पंच चोरसयाई विजयस्स चोरसेणावइस्स महया महया इड्ढी-सक्कार-समुदएणं णीहरणं करेंति, करित्ता बहूई लोइयाइं मयकिच्चाई करेंति, करित्ता जाव विगयसोया जाया यावि होत्था । तए णं ताइं पंच चोरसयाई अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए चोरसेणावई कालधम्मुणा संजुत्ते । अयं च णं चिलाए तक्करे विजएणं चोरसेणावइणा बहूईओ चोरविज्जाओ य जाव सिक्खाविए । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! चिलायं तक्करं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमहूँ पडिसुणेति, पडिसुणित्ता चिलायं तक्करं तीए सीहगुहाए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति । तए णं से चिलाए चोरसेणावई जाए अहम्मिए जाव विहरइ। तए णं से चिलाए चोरसेणावई चोरणायगे जाव कुडंगे यावि होत्था । से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाण य एवं जहा विजओ तहेव सव्वं जाव रायगिहस्स नयरस्स दाहिण पुरच्छिमिल्ल जणवयं जाव णित्थाणं णिद्धणं करेमाणे विहरइ । तए णं से चिलाए चोरसेणावई अण्णया कयाई विउलं असणं-पाणं- खाइमं -साइमं उवक्खडावेत्ता ते पंच चोरसए आमंतेइ तओ पच्छा बहाए जाव भोयणमंडवंसि तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं विउलं असणं-पाणंजाव आसाएमाणे विसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे 192 Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ २४ ज्ञाताधर्मकथा विहरइ, जिमियभुत्तुत्तरागए ते पंच चोरसए विउलेणं धुव-पुप्फ-गंध-मल्लालंकारेण सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! रायगिहे णयरे धण्णे णामं सत्थवाहे, अड्ढे । तस्स णं धूया भद्दा अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजाइया सुंसुमा णामं दारिया अहीणा जाव सुरूवा । तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं विलुंपामो । तुब्भं विले धण- कणग जाव सिलप्पवाले, ममं सुंसुमा दारिया । तए णं ते पंच चोरसया चिलायस्स चोरसेणावइस्स एयमट्ठे पडिसुर्णेति । तए णं से चिलाए चोरसेणावई तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लं चम्मं दुरूहइ, पच्चावरण्हकालसमयंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सण्णद्ध जाव गहियाउहपहरणे, माइयगोमुहिएहिं फलएहिं, णिक्कट्ठाहिं असिलट्ठीहिं, अंसगएहिं तोणेहिं, सजीवेहिं धणूहिं, समुक्खित्तेहिं सरेहिं, समुल्लालियाहिं दाहाहिं, ओसारियाहिं उरुघंटियाहिं, छिप्पतूरेहिं वज्जमाणेहिं महया- महया उक्किट्ठ - सीहणायं जाव समुद्दरवभूयं करेमाणा चोरपल्लीओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव रायगिहे णगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिहस्स अदूरसामंते एगं महं गहणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता दिवसं खमाणो चिट्ठ | तणं से चिलाए चोरसेणाई अद्धरत्त-कालसमयंसि णिसंत - पडिणिसंतंसि पंचहिं चोरस हिं सद्धिं माइय-गोमुहिएहिं फलएहिं जाव मूइयाहिं ऊरुघंटियाहिं जेणेव रायगिहे णयरे पुरच्छिमिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदगवत्थिं परामुसइ, परामुसित्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए तालुग्घाडणिविज्जं आवाहेइ, आवाहित्ता रायगिहस्स दुवारवा उदएणं अच्छोडेड़, अच्छोडित्ता कवाडं विहाडे, विहाडेत्ता रायगिहं अणुपविसइ, अणुविसित्ता महा-महया सद्देणं उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वयासी एवं खलु अहं । देवाणुप्पिया ! चिलाए णामं चोरसेणावई पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सहगुहाओ चोरपल्लीओ इह हव्वमागए धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाउकामे । तं जो णं णवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे, से णं णिग्गच्छउ त्ति कट्टु जेणेव धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धण्णस्स गिहं विहाडेइ । तणं से धणे सत्थवाहे चिलाएणं चोरसेणावइणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं गिहं घाइज्जमाणं पासइ, पासित्ता भीए तत्थे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवक्कम । तए णं से चिलाए चोरसेणावई धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाएइ, घाइत्ता सुबहुं धणकणग जाव सावज्जं सुसुमं च दारियं गेण्हइ, गेण्हित्ता रायगिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए । 193 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा २५ तए णं से धण्णे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुबह धणकणगं सुसुमं दारियं अवहरियं जाणित्ता महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं गहाय जेणेव णगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं महत्थं जाव पाहुडं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! चिलाए चोरसेणावई सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इहं हव्वमागम्म पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं मम गिहं घाएत्ता सुबहुं धणकणगं सुसुमं च दारियं गहाय जाव पडिगए, तं इच्छामो णं देवाणुप्पिया! सुंसुमादारियाए कूवं गमित्तए | तुब्भे देवाणुप्पिया ! से विपुले धणकणगे, ममं सुसुमा दारिया । २६/ तए णं ते णयरगुत्तिया धण्णस्स एयमहुँ पडिसुणेति, पडिसुणित्ता सण्णद्ध जाव गहियाउहपहरणा महया-महया उक्किट्ठ जाव समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा रायगिहाओ णिग्गच्छंति, णिग्गच्छित्ता जेणेव चिलाए चोर सेणावई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता चिलाएणं चोरसेणावइणा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था । तए णं णगरगुत्तिया चिलायं चोरसेणाव; हय-महिय जाव पडिसेहति । तए णं ते पंच चोरसया णगरगोत्तिएहिं हय-महिय जाव पडिसेहिया समाणा तं विउलं धण-कणगं विच्छड्डेमाणा य विप्पकिरेमाणा य सव्वओ समंता विप्पलाइत्था । तए णं ते णयरगुत्तिया तं विउलं धण-कणगं गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव रायगिहे णयरे तेणेव उवागच्छंति । २८ तए णं से चिलाए तं चोरसेण्णं तेहिं णगरगुत्तिएहिं हय-महिय जाव भीए तत्थे सुसुमं दारियं गहाय एगं महं अगामियं दीहमद्धं अडविं अणुपविढे । तए णं धण्णे सत्थवाहे सुसुमं दारियं चिलाएणं अडविमुहिं अवहीरमाणिं पासित्ता णं पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछडे सण्णद्ध-बद्ध-वम्मिय-कवए चिलायस्स पयमग्गवीहिं अणुगच्छमाणे अणुगच्छमाणे हक्कारेमाणे पुक्कारेमाणे अभितज्जेमाणे अभितासेमाणे पिट्ठओ अणुगच्छड् । तए णं से चिलाए तं धण्णं सत्थवाहं पंचहिं पुत्तेहिंसद्धिं अप्पछटुं सण्णद्ध-बद्धसमणुगच्छमाणं पासइ, पासित्ता अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कार अपरक्कमे जाहे णो संचाएइ सुसुमं दारियं णिव्वाहित्तए, ताहे संते तंते परितंते णीलुप्पलं असिं परामुसइ, परामुसित्ता सुंसुमाए दारियाए उत्तमंगं छिंदइ, छिंदित्ता तं गहाय तं अगामियं अडविं अणुपविढे । तए णं चिलाए तीसे अगामियाए अडवीए तण्हाए अभिभूए समाणे पम्हुट्ठ-दिसाभाए सीहगुहं चोरपल्लिं असंपत्ते अंतरा चेव कालगए | 194 Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवामेव समणाउसो जाव पव्वइए समाणे इमस्स ओरालियसरीरस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स खेलासवस्स सुक्कासवस्स सोणियासवस्स जाव वण्णहेउं जाव आहारं आहारेइ, से णं डहलोए चेव बहणं समणाणं समणीणं सावयाणं सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सइ, जहा व से चिलाए तक्करे । तए णं से धण्णे सत्थवाहे पंचहिं पत्तेहिं सद्धिं अप्पछटे चिलायं तीसे अगामियाए अडवीए सव्वओ समंता परिधाडेमाणे परिधाडेमाणे तण्हाए छहाए य संते तंते परितंते णो संचाएइ चिलायं चोरसेणावई साहत्थिं गिण्हित्तए । से णं तओ पडिणियत्तइ, पडिणियत्तित्ता जेणेव सा संस्मा दारिया चिलाएणं जीवियाओ ववरोविया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुसुमं दारियं चिलाएणं जीवियाओ ववरोवियं पासइ, पासित्ता परसुणियत्तेव चंपगपायवे णिव्वत्तमहे व्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिबंधणे धरणितलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिए | तए णं से धण्णे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछडे आसत्थे कूवमाणे कंदमाणे विलवमाणे महया महया-सद्देणं कुहकुहस्सपरूण्णे सुचिरं कालं बाहप्पमोक्खं करेइ । तए णं से धणे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछटे चिलायं तीसे अगामियाए सव्वओ समंता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य पराभूए समाणे तीसे अगामियाए अडवीए सव्वओ समंता उदगस्स मग्गण-गवेसणं करेइ करेत्ता संते तंते परितंते णिव्विण्णे तीसे अगामियाए अडवीए उदगस्स मग्गण गवेसणं करेमाणे णो चेव णं उदगं आसाएइ । तए णं उदगं अणासाएमाणे जेणेव सुसुमा जीवियाओ ववरोविया तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता जेहें पुत्तं धण्णे सत्थवाहे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु पुत्ता ! अम्हे सुंसुमाए दारियाए अट्ठाए चिलायं तक्करं सव्वओ समंता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य अभिभूया समाणा इमीसे अगामियाए अडवीए उदगस्स मग्गण-गवसणं करेमाणा णो चेव णं उदगं आसादेमो । तए णं उदगं अणासाएमाणा णो संचाएमो रायगिहं संपावित्तए । तं णं तुम्हें ममं देवाणुप्पिया ! जीवियाओ ववरोवेह, मंसं च सोणियं च आहारेह, आहारित्ता तेणं आहारेणं अवत्थद्धा समाणा तओ पच्छा इमं अगामियं अडविं णित्थरिहिह, रायगिहं च संपाविहिह, मित्त-णाइ य अभिसमागच्छिहिह, अत्थस्स य धम्मस्स य पुण्णस्स य आभागी भविस्सह । ३६/ तए णं से जेट्टपुत्ते धण्णेणं सत्यवाहेणं एवं वुत्ते समाणे धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी तुब्भे णं ताओ ! अम्हं पिया गुरुजणया देवयभूया ठावगा पइट्ठावगा, संरक्खगा संगोवगा, तं कहं णं अम्हे ताओ ! तुब्भे जीवियाओ ववरोवेमो, तुब्भं णं मंसं च सोणियं च आहारेमो, तं तब्भे णं ताओ ! ममं जीवियाओ ववरोवेह, मंसं च सोणियं च आहारेह। अगामियं अडविं णित्थरह । तं चेव सव्वं भणइ जाव अत्थस्स य धम्मस्स य पुण्णस्स आभागी भविस्सह। 195 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ३७ तए णं धण्णं सत्यवाहं दोच्चे पुत्ते एवं वयासी- मा णं ताओ ! अम्हे जेहें भायरं गुरुं देवयं जीवियाओ ववरोवेमो जाव आभागी भविस्सह । एवं जाव पंचमे पुत्ते । । तए णं से धण्णे सत्यवाहे पंचण्हपुत्ताणं हियइच्छियं जाणित्ता ते पंच पुत्ते एवं वयासीमा णं अम्हे पुत्ता ! एगमवि जीवियाओ ववरोवेमो | एस णं सुसुमाए दारियाए सरीरे णिप्पाणे णिच्चेट्टे जीवविप्पजढे । तं सेयं खलु पुत्ता | अम्हं सुसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च आहारेत्तए । तए णं अम्हे तेणं आहारेणं अवत्थद्धा समाणा रायगिहं संपाउणिस्सामो | तए णं ते पंच पुत्ता धण्णेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा एयमद्वं पडिसुणेति । तए णं धण्णे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अरणिं करेइ, करित्ता सरगं च करेइ, करित्ता सरएणं अरणिं महेइ, महित्ता अग्गिं पाडेइ, पाडित्ता अग्गिं संधुक्खेइ, संधुक्खित्ता दारुयाइं पक्खेवेइ, पक्खेवित्ता अग्गिं पज्जालेइ पज्जालित्ता सुंसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च आहारेइ। तेणं आहारेणं अवत्थद्धा समाणा रायगिहं णयरं संपत्ता मित्त जाव अभिसमण्णागया, तस्स य विउलस्स धण-कणग-रयण जाव आभागी जाया वि होत्था । तए णं से धण्णे सत्थवाहे सुंसुमाए दारियाए बहूई लोइयाइं जाव विगयसोए जाए यावि होत्था। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे रायगिहे णयरे गुणसीलए चेइए समोसढे । से णं धण्णे सत्थवाहे सपुत्ते धम्म सोच्चा पव्वइए | एक्कारसंगवी | मासियाए संलेहणाए सोहम्मे उववण्णो। महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ । जहा वि य णं जंबू ! धण्णेणं सत्थवाहेणं णो वण्णहेउं वा णो रूवहे वा णो बलहे वा णो विसयहेउं वा सुंसुमाए दारियाए मंससोणिए आहारिए, णण्णत्थ एगाए रायगिहं संपावणट्ठयाए। एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा इमस्स ओरालियसरीरस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सक्कासवस्स सोणियासवस्स जाव अवस्सं विप्पजहियव्वस्स णो वण्णहे वा णो रूवहेउं वा णो बलहेउं वा णो विसयहे वा आहारं आहारेइ, णण्णत्थ एगाए सिद्धिगमण-संपावणट्ठयाए | से णं इहभवे चेव बहणं समणाणं, बहणं समणीणं, बहणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं अच्चणिज्जे जाव वीईवइस्सइ-जहा व से सपुत्ते धणे सत्थवाहे। एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठारमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि || ११ 196 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ॥ अट्ठारसमं अज्झयणं समत्तं || एगूणवीसइमं अज्झयणं पुंडरीए ल जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठारसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, एगूणवीसइमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे पुव्वविदेहे वासे सीयाए महाणईए उत्तरिल्ले कूले, णीलवंतस्स वासहर-पव्वयस्स दाहिणेणं, उत्तरिल्लस्स सीतामुखवणसंडस्स पच्छिमेणं, एगसेलगस्स वक्खारपव्वयस्स पुरच्छिमेणं, एत्थं णं पुक्खलावई णामं विजए पण्णत्ते । तत्थ णं पुंडरीगिणी णामं रायहाणी पण्णत्ता- णवजोयणवित्थिण्णा दुवालस- जोयणायामा जाव पच्चक्खं देवलोयभूया पासाईया दंसणीया अभिरूवा पडिरूवा। तीसे णं पुंडरीगिणीए णयरीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए णलिणिवणे णामं उज्जाणे होत्था । तत्थ णं पंडरीगिणीए रायहाणीए महापउमे णामं राया होत्था, वण्णओ । तस्स णं पउमावई देवी होत्था, वण्णओ | तस्स णं महापउमस्स रण्णो पुत्ता पउमावईए देवीए अत्तया दुवे कुमारा होत्था, तं जहा-पुंडरीए य; कंडरीए य सुकुमालपाणिपाया, वण्णओ। पुंडरीए जवराया। तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं । महापउमे राया णिग्गए | धम्म सोच्चा पुंडरीयं रज्जे ठवेत्ता पव्वइए | पुंडरीए राया जाए, कंडरीए जुवराया । महापउमे अणगारे चोद्दसपव्वाइं अहिज्जइ । तए णं थेरा बहिया जणवयविहारं विहरंति । तए णं से महापउमे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे । तए णं थेरा अण्णया कयाई पुणरवि पंडरीगिणीए रायहाणीए णलिणिवणे उज्जाणे समोसढा | पुंडरीए राया णिग्गए | कंडरीए महाजणसई सोच्चा जहा महाब्बलो जाव पज्जुवासइ। थेरा धम्म परिकहेंति | पुंडरीए समणोवासए जाए जाव पडिगए | तए णं कंडरीए उट्ठाए उढेइ, उद्वित्ता जाव से जहेयं तुब्भे वयह, जं णवरं पुंडरीयं रायं आपुच्छामि, तए णं जाव पव्वयामि | अहासुहं देवाणुप्पिया ! तए णं से कंडरीए जाव थेरे वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतियाओ पडिणिक्खमइ, तमेव चाउघंटं आसरहं दुरुहइ जाव पच्चोरुहइ, जेणेव पुंडरीए राया तेणेव |ब्द [ 197 Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [] १० ११ १२ १४ ज्ञाताधर्मकथा उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव पुंडरीए एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए थेराणं अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य मे धम्मे जाव अभिरुइए । तं इच्छामि णं देवाप्पिया! जाव पव्वइत्तए । तए णं पुंडरीए राया कंडरीयं जुवरायं एवं वयासी- मा णं तुमं भाउया ! इयाणिं मुंडे जाव पव्वयाहि, अहं णं तुमं महया - महया रायाभिसेएणं अभिसिंचामि । तए णं से कंडरीए पुंडरीयस्स रण्णो एयमट्ठे णो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी जाव तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे णो संचाएइ बहूहिं आघवणाहिं पण्णवणाहि य विण्णवणाहि य सण्णवणाहि य ताहे अकामए चेव एयमट्ठे अणुमण्णित्था जाव णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचइ जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयइ । पव्वइए । अणगारे जाए, एक्कारसंगविऊ। तए णं थेरा भगवंतो अण्णया कयाइं पुंडरीगिणीओ णयरीओ णलिणिवणाओ उज्जाणा पडिणिक्खमंति, बहिया जणवयविहारं विहरति । तए णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवक्कंती यावि विहरइ । तए णं थेरा अण्णया कयाइ जेणेव पोंडरीगिणी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता णलिणिवणे समोसढा । पुंडरीए णिग्गए । धम्मं सुइ । तए णं पुंडरीए राया धम्मं सोच्चा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छ्इ, उवागच्छित्ता कंडरीयं अणगारं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोगं पासइ, पासित्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी अहं णं भंते ! कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवत्तेहिं ओसह - भेसज्जेहिं- भत्त-पाणेहिं तेइच्छं आउट्टामि। तं तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह । तए णं थेरा भगवंतो पुंडरीयस्स रण्णो एयमट्ठे पडिसुर्णेति पडिसुणित्ता जाव उवसंपज्जित्ता णं विहरंति । तए णं पुंडरीए राया जहा मंडुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाए । तए णं थेरा भगवंतो पुंडरीयं रायं पुच्छंति, पुच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । त णं सेकंडरी ताओ रोयायंकाओ विप्पमुक्के समाणे तंसि मणुण्णंसि असण-पाण-खाइमसाइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे णो संचाएइ पोंडरीयं राय आपुच्छित्ता बहिया अब्भुज्जएणं जणवयविहारेणं विहरित्तए तत्थेव ओसणे जाए । 198 Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा १५ १६ तए णं से पुंडरीए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे ण्हाए अंतेउर -परियाल-संपरिवुडे जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- धण्णे सि णं तुम देवाणुप्पिया ! कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे। सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! तव माणुस्सए जम्म-जीवियफले जे णं तुमं रज्जं च जाव अंतेउरं च विच्छड्डेत्ता विगोवइत्ता जाव पव्वइए । अहं णं अहण्णे अकयत्थे अकयपुण्णे रज्जे जाव अंतेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए जाव अज्झोववण्णे णो संचाएमि जाव पव्वइत्तए । तं धण्णो सि णं तुमं देवाणुप्पिया! जाव जीवियफले । तए णं से कंडरीए अणगारे पुंडरीयस्स एयमद्वं णो आढाइ णो परियाणाइ, तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं कंडरीए पुंडरीएणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे अकामए अवसवसे लज्जाए गारवेणं य पुंडरीयं रायं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता थेरेहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ। तए णं से कंडरीए थेरेहिं सद्धिं किंचि कालं उग्गंउग्गेणं विहरइ । तओ पच्छा समणत्तण परितंते, समणत्तण णिव्विण्णे, समणत्तण णिब्भत्थिए, समणगण मक्कजोगी, थेराणं अंतियाओ सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता जेणेव पुंडरीगिणी णयरी जेणेव पंडरीयस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवणियाए असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टगंसि णिसीयइ, णिसीइत्ता ओहयमणसंकप्पे जाव झियायमाणे संचिट्ठइ । तए णं तस्स पुंडरीयस्स अम्मधाई जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कंडरीयं अणगारं असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासइ, पासित्ता जेणेव पुंडरीए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागिच्छत्ता पुंडरीयं रायं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! तव पियभाउए कंडरीए अणगारे असोगवणियाए असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायइ । तए णं पुंडरीए अम्मधाईए एयमहुँ सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे उट्ठाए उढेइ, उद्वित्ता अंतेउर-परियालसंपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जाव कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करित्ता एवं वयासी- धण्णे सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वइए, अहं णं अधण्णे जाव णो संचाएमि पव्वइत्तए । तं धण्णे सि णं तुम देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले । तए णं कंडरीए पुंडरीएण एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । दोच्चंपि तच्चंपि जाव संचिट्ठइ । तए णं पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी- अट्ठो भंते ! भोगेहिं ? हंता अट्ठो । 199 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१ २३ २४ २६ २७ ज्ञाताधर्मकथा तए णं पुंडरीए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव रायाभिसेएणं अभिसिंचइ । तए णं पुंडरीए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता सयमेव चाउज्जामं धम्मं पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता कंडरीयस्स अंतियं आयारभंडयं गेण्हइ, गेण्हिता इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कप्पइ मे थेरे वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतिए चाउज्जामं धम्मं उवसंपज्जित्ता णं तओ पच्छा आहारं आहारित्तए त्ति कट्टु इमं च एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हेत्ता णं पोंडरीगिणीए पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तस्स कंडरीयस्स रण्णो तं पणीयं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स अइजागरिएण य अइभोयणप्पसंगेण य से आहारे णो सम्मं परिणमइ । तए णं तस्स कंडरीयस्स रण्णो तंसि आहारंसि अपरिणममाणंसि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सरीरंसि वेयणा पाउब्भूया - उज्जला विउला कक्खडा पगाढा जाव दुरहियासा । पित्तज्जर-परिगय-सरीरे दाहवक्कंतीए यावि होत्था । तए णं से कंडरीए राया रज्जे य रट्ठे य अंतेउरे य जाव अज्झोववण्णे अट्टदुहट्टवसट्टे अकामए अवसवसे कालमासे कालं किच्चा अहेसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि णरयंसि णेरइयत्ताए उववण्णे । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे पुणरवि माणुस कामभोए आसाएइ जाव अणुपरियट्टिस्सइ- जहा व से कंडरी राया । तए णं से पुंडरीए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतिए दोच्चंपि चाउज्जामं धम्मं पडिवज्जइ, छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, करित्ता जाव अडमाणे सीयलुक्खं पाणभोयणं पडिगाहेइ, पडिगाहित्ता अहापज्जत्तमिति कट्टु पडिणियत्तइ, पडिणियत्तित्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भत्तपाणं पडिदंसइ, पडिदंसित्ता थेरेहिं भगवंतेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववण्णे बिलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं तं फासुएसणिज्जं असणं पाणं खाइमं साइमं सरीरकोट्ठगंसि पक्खिवइ । तए णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स तं कालाइक्कतं अरसं विरसं सीयलुक्खं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स से आहा णो सम्मं परिणमइ । तए णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूयाउज्जला जाव दुरहियासा । पित्तज्जर-परिगय- सरीरे दाहवक्कंतीए विहरइ । 200 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ २९ 30 [ ज्ञाताधर्मकथा तए णं ते पुंडरीए अणगारे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे करयल एवं वयासी णमोत्थुणं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं । णमोत्थुणं थेराणं भगवंताणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसयाणं । पुव्विं पि य णं मए थेराण अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जाव सव्वे मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए जाव आलोइयपडिंकते कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्धे उववण्णे । ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहि । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे माणुस्सएहिं कामभोगेहिं णो सज्जइ, णो रज्जइ जाव णो विणिग्घायमावज्जइ, से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं, बहूणं समणीणं, बहूणं सावयाणं, बहूणं सावियाणं अच्चणिज्जे वंदणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जे भवइ परलोए वि य णं णो आगच्छइ बहूणि दंडणाणि य मुंडणाणि य तज्जणाणि य ताडणाणि य जाव चाउरंतसंसारकंतारं वीईवइस्सइ - जहा व से पुंडरीए अणगारे । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सिद्धिगणामधेयं ठाणं संपत्तेणं एगूणवीसइमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ एयस्स णं सुयक्खंधस्स एगूणवीसं अज्झयणाणि एक्कसरगाणि एगूणवीसाए दिवसेसु समप्पंति । ॥ एगूणवीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ पढमो सुयखंधो समत्तो ॥ बीओ सुखंधो पढमो वग्गो १-५ अज्झयणाणि तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं णयरे होत्था, वण्णओ । तस्स णं रायगिहस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए, एत्थ णं गुणसीलए णामं चेइए होत्था, वण्णओ। 201 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल w g ज्ञाताधर्मकथा [ ... ] तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मा णामं थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा, कुलसंपण्णा जाव चउद्दसपुव्वी, चउणाणोवगया, पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडा पुव्वाणुपुव्विं चरमाणा गामाणुगामं दूइज्माणा सुहंसुहेणं विहरमाणा रायगिहे णयरे जेणेव गुणसीलए चेइए जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरइ । परिसा णिग्गया । धम्मो कहिओ । परिसा जामेव दिसं पाठब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी अज्जजंबू णामं अणगारे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी- जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स णायाणं अयमट्ठे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते! सुयक्खंधस्स धम्मकहाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पण्णत्ता तंजहा- चमरस्स अग्गमहिसीणं पढमे वग्गे । बलिस्स वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो अग्गमहिसीणं बीए वग्गे । असुरिंदवज्जियाणं दाहिणिल्लाणं भवणवासीणं इंदाणं अग्गमहिसीणं तइए वग्गे । उत्तरिल्लाणं असुरिंदवज्जियाणं भवणवासिणं इंदाणं अग्गमहिसणं चउत्थे वग्गे । न जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पण्णत्ता पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा -(१) काली (२) राई (३) रयणी (४) विज्जू (५) मेहा । दाहिणिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं पंचमे वग्गे । उत्तरिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं छट्ठे वग्गे । सूरस्स अग्गमहिसीणं सत्तमे वग्गे । चंदस्स अग्गमहिसणं अट्ठमे वग्गे । सक्कस्स अग्गमहिसीणं णवमे वग्गे । ईसाणस्स अग्गमहिसणं दस वग्गे । जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे, गुणसीलए चेइए, सेणिए राया, चेलणा देवी । सामी समोसढे । परिसा णिग्गया जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं काली णामं देवी चमरचंचाए रायहाणीए कालवडिंसगभवणे कालंसि सीहासणंसि, चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहिं महत्तरियाहिं, सपरिवाराहिं तिहिं परिसाहिं, सत्तहिं अणिएहिं, सत्तहिं अणियाहिवईहिं, सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं 202 Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० ज्ञाताधर्मकथा 目 इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवे विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी पासइ । तत्थ णं समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे भारहेवासे, रायगिहे णयरे, गुणसीलए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिया पीइमणा जाव हियया सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयाओ ओमुयइ, ओमुइत्ता तित्थगराभिमुहा सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छ, अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचित्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि डि तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि णिवेसेइ, णिवेसित्ता ईसिं पच्चुण्णमइ पच्चुण्णमइत्ता कडय-तुडियथंभियाओ भुयाओ साहरइ, साहरित्ता करयल जाव कट्टु एवं वयासी ११ अण्णेहिं बहूहि य कालवडिंसयभवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुड महा-हय जाव विहरइ । णमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं । णमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स । वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गया, पासउ णं मे समणे भगवं महावीरे तत्थगए इहगयं ति कट्टु वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा णिसण्णा। तए णं तीसे कालीए देवीए इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था - सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहित्ता आभिओगिए देवे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे विहरइ एवं जहा सूरियाभो तहेव आणत्तियं देइ जाव दिव्वं सुरवराभिगमण जोग्गं जाणविमाणं करेह करित्ता जाव पचप्पिणह । ते वि तहेव करित्ता जाव पच्चप्पिणंति । णवरंजोयणसहस्सविच्छिण्णं जाणविमाणं । सेसं तहेव । तहेव णामगोयं साहेइ, तहेव णट्टविहिं उवदंसेइ जाव पडिगया । भंते त्ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- कालीए णं भंते! देवीए सा दिव्वा देविड्ढी जाव कहिं गया ? कूडागारसाला - दिट्ठतो। अहो णं भंते ! काली देवी महिड्ढिया जाव महाणुभागा; कालीए णं भंते ! देवीए सा दिव्वा देविड्ढी किण्णा लद्धा ? किण्णा पत्ता ? किण्णा अभिसमण्णागया ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पा णाम णयरी होत्था, वण्णओ । अंबसालवणे चेइए, वण्णओ । जियसत्तु राया, वण्णओ । तत्थ णं आमलकप्पाए णयरीए काले णामं गाहावई होत्था - अड्ढे जाव अपरिभूए । तस्स णं कालस्स गाहावइस्स कालसिरी णामं भारिया होत्था - सुकुमालपाणिपाया जाव सुरूवा । 203 Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३ १५ १६ १७ ज्ञाताधर्मकथा तस्स णं कालगस्स गाहावइस्स धूया कालसिरीए भारियाए अत्तया काली णामं दारिया होत्था- वड्डा वड्डकुमारी जुण्णा जुण्णकुमारी पडियपुयत्थणी णिव्विण्णवरा वरपरिवज्जिया यावि होत्था । तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा वद्धमाणसामी वरं णवहत्थुस्सेहे सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अट्ठत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे जाव अंबसालवणे समोसढे । परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ । तणं सा काली दारिया इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणी हट्ठ जाव हियया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु अम्मयाओ ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जाव विहरइ । तं इच्छामि णं अम्मयाओ! तुब्भेहिं अब्भणुणाया समाणी पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं सा कालिया दारिया अम्मापिईहिं अब्भणुण्णाया समाणी हट्ठ-तुट्ठा जावया हाया जाव सुद्धप्पवेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकिय-सरीरा चेडिया- चक्कवाल-परिकिण्णा साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा । तए णं सा काली दारिया धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी एवं जहा दोवई जाव पज्जुवासइ । तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महइमहलियाए परिसाए धम्मं कहेइ । तए णं सा काली दारिया पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्मं सोच्चा णिसम्म जहिया पासं अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वह । जं वरं देवाणुप्पिया! अम्मापियरो आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तए णं सा काली दारिया पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं एवं वुत्ता समाणी हट्ठ जाव हियया पासं अरहं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुर्ु ुरुहइ, दुरुहित्ता पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियाओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव आमलकप्पा णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आमलकप्पा णयरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणपवरं ठवेइ, ठवित्ता धम्मियाओ जाणप्पराओ 204 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासीएवं खल अम्मायाओ ! मए पासस्स अरहओ अंतिए धम्म णिसंते । से वि य णं धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए तए णं अहं अम्मयाओ ! संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भणण्णाया समाणी पासस्स अरहओ अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए | अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से काले गाहावई विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावित्ता मित्त-णाइ जाव आमंतेइ, आमंतित्ता तओ पच्छा पहाए जाव विउलेणं पुप्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-णाइ जाव पुरओ कालियं दारियं सेयापीएहिं कलसेहिं पहावेइ, पहावित्ता सव्वालंकार-विभूसियं करेइ, करित्ता पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरुहेइ, दुरुहित्ता मित्त-णाइ जाव सद्धिं संपरिवुडा सव्वड्ढीए जाव आमलकप्पं णयरिं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव अंबसालवणे चेइए तेणेव उवागच्छड़, उवागच्छित्ता छत्ताईए तित्थगराइसए पासइ, पासित्ता सीयं ठवेइ, ठवित्ता कालियं दारियं सीयाओ पच्चोरुहेइ । तए णं तं कालिं दारियं अम्मापियरो पुरओ काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासीएवं खल देवाणप्पिया ! काली दारिया अम्हं धया इवा कंता जाव किमंग पण पासणयाए? एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा इच्छइ देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता णं जाव पव्वइत्तए । तं एयं णं देवाणुप्पियाणं सिस्सिणिभिक्खं दलयामो । पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया! सिस्सिणिभिक्खं । अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंधं करेह । तए णं सा काली कुमारी पासं अरहं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमयइ, ओमुइत्ता सयमेव लोयं करेइ, करित्ता जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासं अरहं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं भंते ! लोए, एवं जहा देवाणंदा जाव सयमेव पव्वावे | तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव जाव पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्सिणियत्ताए दलयइ । तए णं सा पुप्फचूला अज्जा कालिं कुमारि सयमेव पव्वावेइ जाव उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं सा काली अज्जा जाया- ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी । तए णं सा 205 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा पव्व काली अज्जा पुप्फचूला अज्जाए अंतिए सामाइय माइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, बहूणि चउत्थ जाव विहरइ । तए णं सा काली अज्जा अण्णया कयाई सरीरबाउसिया जाया यावि होत्था | अभिक्खणंअभिक्खणं हत्थे धोवइ, पाए धोवइ, सीसं धोवइ, मुहं धोवइ, थणंतराइं धोवइ, कक्खंतराणि धोवइ, गुज्झंतराणि धोवइ, जत्थ जत्थ वि य णं ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ, ता तओ पच्छा आसयइ वा सयइ वा । तए णं सा पुप्फचूला अज्जा कालिं अज्जं एवं वयासी- णो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणीणं णिग्गंथीणं सरीरबाउसियाणं होत्तए | तुमं च णं देवाणुप्पिए । सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं-अभिक्खणं हत्थे धोवसि जाव आसयासि वा सयासि वा । तं तुम देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि । २३ तए णं सा काली अज्जा पृप्फचूलाए एयमदूं णो आढाइ जाव तुसिणीया संचिट्ठइ । तए णं ताओ पुप्फचूलाओ अज्जाओ कालिं अज्ज अभिक्खणं-अभिक्खणं हीलेंति, जिंदंति, खिंसंति, गरिहंति, अवमण्णंति, अभिक्खणं-अभिक्खणं एयमटुं णिवारेंति | तए णं तीसे कालीए अज्जाए समणीहिं णिग्गंथीहिं अभिक्खणं-अभिक्खणं हीलिज्जमाणीए जाव णिवारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- जया णं अहं अगारवासमझे वसित्था तया णं अहं सयंवसा, जप्पभिई च णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तप्पभियं च णं अहं परवसा जाया । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते पाडिएक्कियं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता कल्लं जाव उवस्सयं गिण्हइ तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्ठिया सच्छंदमई अभिक्खणं- अभिक्खणं हत्थे धोवइ जाव आसयइ वा सयइ वा ।। तए णं सा काली अज्जा पासत्था पासत्थविहारी, ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ झूसित्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ, छेदित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय अप्पडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए कालवडिसए भवणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेज्जाए भागमेत्ताए ओगाहणाए कालीदेवित्ताए उववण्णा | तए णं सा काली देवी अहणोववण्णा समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जहा सूरियाभो जाव भासामणपज्जत्तीए । तए णं सा काली देवी चउण्हं सामाणिय-साहस्सीणं जाव अण्णेसिं च बहूणं कालवडेंसगभवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं करेमाणी जाव विहरइ 206 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९ 30 ३१ ३२ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ज्ञाताधर्मकथा | एवं खलु गोयमा ! कालीए देवीए सा दिव्वा देविड्ढी, दिव्वा देवज्जुई, दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए । कालीए णं भंते! देवीए केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! अड्ढाइज्जाइं पलिओ माई ठिई पण्णत्ता । काली णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ अणंतरं उववट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहि । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमवग्गस्स पढमज्झयणस् मट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, बिइयस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णगरे, गुणसीलए चेइए । सामी समोसढे । परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं राई देवी चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली तहेव आगया, विहिं उवदंसेत्ता पडिगया । भंते त्ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पुव्वभवपुच्छा । एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा णयरी, अंबसालवणे चेइए, जियसत्तु राया, राई गाहावई, राईसिरी भारिया, राई दारिया, पासस्स समोसरणं । राई दारिया जव काली तहेव णिक्खंता । तहेव सरीरबाउसिया, तं चेव सव्वं जाव अंतं काहि । एवं खलु जंबू ! बिइयज्झयणस्स णिक्खेवओ । जइ णं भंते ! तइयस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! रायगिहे णयरे । गुणसीलए चेइए । एवं जहेव राई तहेव रयणी वि । णवरं-आमलकप्पा णयरी अंबसालवणे चेइए । जियसत्तू राया । रयणे गाहावई । रयणसि भारिया, रयणी दारिया, सेसं तहेव जाव अंतं काहि । एवं विज्जु वि । आमलकप्पा णयरी । विज्जु गाहावई । विज्जुसिरी भारिया । विज्जु दारिया । सेसं तहेव । एवं हा वि- आमलकप्पा णयरीए मेहे गाहावई, मेहसिरी भारिया, मेहा दारिया, सेसं तहेव । 207 Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ ॥ पढमो वग्गो समत्तो || बीओ वग्गो १-५ अज्झयणाणि | [M ] । दोच्चस्स वग्गस्स उक्खेवओ | एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- (१) सुंभा (२) णिसुंभा (३) रंभा (४) णिरंभा (५) मदणा | जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स पढमज्झयणस्स के अहे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे, गुणसीलए चेइए, सामी समोसढे । परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सुंभा देवी बलिचंचाए रायहाणीए सुंभवडेंसए भवणे संभंसि सीहासणंसि विहरइ । कालीगमएणं जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया | पुव्वभव पुच्छा | सावत्थी णयरी, कोट्ठए चेइए, जियसत्तू राया, सुंभे गाहावई, सुंभसिरी भारिया, सुंभा दारिया, सेसं जहा कालीए णवरं-अछुट्टाइं पलिओवमाइं ठिई । एवं खलु णिक्खेवओ अज्झयणस्स | एवं सेसा वि चत्तारि अज्झयणा | सावत्थीए । णवरं- माया पिया धया सरिसणामया । । । ॥ बीओ वग्गो समत्तो || तइओ वग्गो १-५४ अज्झयणाणि उक्खेवओ तइयवग्गस्स । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं तइअस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा-पढमे अज्झयणे जाव चउप्पण्णइमे अज्झयणे | 208 Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा | ल ल जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं तइयस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे, गुणसीलए चेइए, सामी समोसढे, परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं अला देवी धरणाए रायहाणीए अलावतंसए भवणे अलंसि सीहासणंसि, एवं कालीगमएणं जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया । पुव्वभवपुच्छा | वाराणसीए णयरीए काममहावणे चेइए, अले गाहावई, अलसिरी भारिया, अला दारिया । सेसं जहा कालीए, णवरं-धरणस्स अग्गमहिसित्ताए उववाओ, साइरेगं अद्धपलिओवमं ठिई । सेसं तहेव । णिक्खेवओ पढमज्झयणस्स | एवं सक्का, सतेरा, सोयामणी, इंदा, घणविज्जुया वि; सव्वाओ एयाओ धरणस्स अग्गमहिसीओ। एवं छ अज्झयणा वेणुदेवस्स वि अविसेसिया भाणियव्वा । एवं हरिस्स अग्गिसिहस्स पुण्णस्स जलकंतस्स अमियगतिस्स वेलंबस्स घोसस्स वि एए चेव छ-छ अज्झयणा । एवमेते दाहिणिल्लाणं इंदाणं चउप्पण्णं अज्झयणा भवंति । सव्वाओ वि वाणारसीए काममहावणे चेइए | तइयवग्गस्स णिक्खेवओ । ॥ तइओ वग्गो समत्तो || 5] | चउत्थो वग्गो १-५४ अज्झयणाणि चउत्थस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं चउत्थस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- पढमे अज्झयणे जाव चउप्पण्णइमे अज्झयणे । पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेवओ | एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं रुया देवी, रुयाणंदा रायहाणी, रुयगवडिसए भवणे, रुयगंसि सीहासणंसि, जहा कालीए तहा; णवरं पुव्वभवे चंपाए णयरीए, पुण्णभद्दे चेइए, रुयगगाहावई, रुयगसिरी भारिया, रुया दारिया । सेसं तहेव, णवरं भूयाणंदअग्गमहिसित्ताए उववाओ, देसूणं पलिओवमं ठिई । णिक्खेवओ । 209 Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 35 ज्ञाताधर्मकथा एवं सुरुया वि, रुयंसा वि, रुयगावई वि, रुयकंता वि रुयप्पभा वि । एयाओ चेव उत्तरिल्लाणं इंदाणं भाणियव्वाओ - वेणुदालिस्स, हरिस्सहस्स, अग्गिमाणवस्स, विसिट्ठस्स, जलप्पभस्स, अमितवाहणस्स, पभंजणस्स, महाघोसस्स णिक्खेवओ चउत्थवगस्स । I ॥ चउत्थो वग्गो समत्तो ॥ पंचमवग्गस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! जाव बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा कमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा । रूववई बहुरूवा, सुरूवा सुभगा विय ॥१॥ 6 पंचमो वग्गो १-३२ अज्झयणाणि पुण्णा बहुपुण्णिया चेव, उत्तमा तारिया वि य । पमा वसुमती चेव, कणगा कणगप्पभा ॥२॥ ल वडेंसा के मइ चेव, वइरसेणा रइप्पिया । रोहिणी णवमिया चेव, हिरी पुप्फवती वि य ॥३॥ भुयगा भुयगवई चेव, महाकच्छा फुडा इय । सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सई ॥४॥ उक्खेवओ पढमज्झयणस्स । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं कमला देवी, कमलाए रायहाणीए, कमलवडेंसए भवणे, कमलसि सीहासणंसि । सेसं जहा कालीए तहेव, णवरं पुव्वभवे णागपुरे णयरे, सहसंबवणे उज्जाणे, कमलस्स गाहावइस्स कमलसिरीए भारियाए, कमला दारिया पासस्स अरहओ अंतिए णिक्खंता। कालस्स पिसायकुमारिंदस्स अग्गमहिसी, अद्धपलिओवमं ठिई । एवं सेसा वि अज्झयणा दाहिणिल्लाणं वाणमंतरिंदाणं भाणियव्वाओ । सव्वाओ सहसंबवणे उज्जाणे, माया-पिया धूया सरिसणामया, ठिई अद्धपलिओवमं । ॥ पंचमो वग्गो समत्तो ॥ 210 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा छट्ठो वग्गो १-५ अज्झयणाणि छट्ठो वि वग्गो पंचमवग्गसरिसो, णवरं महाकालाईणं उत्तरिल्लाणं इंदाणं अग्गमहिसीओ | पुव्वभवे सागेयणयरे, उत्तरकुरू उज्जाणे, माया-पिया-धूया सरिसणामया। सेसं तं चेव । ॥ छट्ठो वग्गो समत्तो || सत्तमो वग्गो १-४ अज्झयणाणि सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ | एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहासूरप्पभा, आयवा, अच्चिमाली, पभंकरा | पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं सूरप्पभा देवी, सूरंसि विमाणंसि, सूरप्पभंसि सीहासणंसि | सेसं जहा कालीए तहा, णवरं पुव्वभवो अरंक्खुरीए णयरीए, सूरप्पभस्स गाहावइस्स, सूरसिरीए भारियाए, सूरप्पभा दारिया । सूरस्स अग्गमहिसी, ठिई अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहियं | सेसं जहा कालीए | एवं सेसाओ वि सव्वओ अरंक्खुरीए णयरीए | ॥ सत्तमो वग्गो समत्तो || अट्ठमो वग्गो १-४ अज्झयणाणि अट्ठमस्स उक्खेवओ | एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- चंदप्पहा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा | पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । 211 Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पभा देवी, चंदप्पभंसि विमाणंसि चंदप्पभंसि, सीहासणंसि | सेसं जहा कालीए, णवरं पुव्वभवे महराए णयरीए, चंडवडेंसए उज्जाणे, चंदप्पभे गाहावई, चंदसिरी भारिया, चंदप्पभा दारिया, चंदस्स अग्गमहिसी, ठिई अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं । एवं सेसाओ वि महराए णयरीए । माया-पियरो वि धूयासरिसणामा । ॥ अट्ठमो वग्गो समत्तो || णवमो वग्गो १-८ अज्झयणाणि णवमस्स उक्खेवओ | एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- पउमा, सिवा, सई, अंजू, रोहिणी, णवमिया, अचला, अच्छरा । पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं परमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए, पउमंसि सीहासणंसि, जहा कालीए । एवं अट्ठ वि अज्झयणा काली- गमएणं णायव्वा, णवरं- सावत्थीए दो जणीओ, हत्थिणाउरे दो जणीओ, कंपिल्लपुरे दो जणीओ, साएए दो जणीओ, पउमे पियरो, विजया मायराओ | सव्वाओ वि पासस्स अंतिए पव्वइयाओ | सक्कस्स अग्गमहिसीओ। ठिई सत्त पलिओवमाई । महाविदेहे वासे अंतं काहिति । || णवमो वग्गो समत्तो || दसमो वग्गो : १-८ अज्झयणाणि १ दसमस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! जाव अट्ट अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहाकण्हा य कण्हराई, रामा तह रामरक्खिया वसू य । वसुगुत्ता वसुमित्ता, वसुंधरा चेव ईसाणे ॥१॥ २ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ । एव खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हा देवी, ईसाणे कप्पे, कण्हवडेंसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, कण्हंसि सीहासणंसि | सेसं जहा कालीए । 212 Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्ञाताधर्मकथा एवं अट्ठ वि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्वा, णवरं- पुव्वभवे वाणारसीए णयरीए दो जणीओ, रायगिहे णयरे दो जणीओ, सावत्थीए णयरीए दो जणीओ, कोसंबीए णयरीए दो जणीओ | रामे पिया, धम्मा माया | सव्वाओ वि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ। पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्सिणियत्ताए। ईसाणस्स अग्गमहिसीओ, ठिई णव पलिओवमाइं, महाविदेहे वासे सिज्झिहिंति बुज्झिहिंति मुच्चिहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिंति । एवं खलु जंबू ! णिक्खेवओ दसमवग्गस्स। || दसमो वग्गो समत्तो || परिसेसो ३ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थरेणं सयंसंबुद्धेणं पुरिसुत्तमेणं जाव सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्तेणं धम्मकहाणं अयमढे पण्णत्ते । धम्मकहासुयक्खंधो समत्तो दसहिं वग्गेहिं। णायाधम्मकहाओ समत्ताओ । ॥ बीओ सुयखंधो वग्गो समत्तो ॥ ॥ णायाधम्मकहा सुत्तं समत्तं ॥ 213 Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Pawandham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067