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________________ ज्ञाताधर्मकथा णं विहरंति, तओ से महब्बले अणगारे अट्ठम उवसंपज्जित्ता णं विहरइ | एवं अट्ठमं तो दसमं, अह दसमं तो दुवालसमं । इमेहि य वीसाएहि य कारणेहिं आसेविय बहुलीकएहिं तित्थयरणामगोयं कम्मं णिव्वत्तिंसु तं जहाअरिहंत सिद्ध पवयण, गुरु थेर बहुस्सुए तवस्सीसु । वच्छलया य तेसिं, अभिक्ख णाणोवओगे य ॥१॥ दंसण विणए आवस्सए य, सीलव्वए णिरइयारो | खणलव तवच्चियाए, वेयावच्चे समाही य ॥२॥ अपुव्वणाणगहणे, सुयभत्ती पवयणे पभावणया । एएहिं कारणेहिं, तित्थयरत्तं लहइ जीवो ॥३॥ तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति जाव एगराइयं भिक्खुपडिमं आराहेति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहणिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरंति, तं जहाचउत्थं करेंति, सव्वकामगुणियं पारेंति, छठें करेंति, चउत्थं करेंति । अट्ठमं करेंति, छटुं करेंति | दसमं करेंति, अट्ठमं करेंति । दुवालसमं करेंति, दसमं करेंति। चाउद्दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति | सोलसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति । अट्ठारसमं करेंति, सोलसमं करेंति । वीसइमं करेंति, अट्ठारसमं करेंति। वीसइमं करेंति, सोलसमं करेंति | अट्ठारसमं करेंति, चोद्दसमं करेंति | सोलसमं करेंति, दुवालसमं करेंति | चोद्दसमं करेंति, दसमं करेंति । दुवालसमं करेंति, अट्ठमं करेंति । दसमं करेंति, छटुं करेंति । अट्ठमं करेंति, चउत्थं करेंति | छटुं करेंति, चउत्थं करेंति । सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेति । एवं खलु एसा खुड्डागसीह-णिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहिं य अहोरत्तेहिं अहासुत्ता जाव आराहिया भवइ । तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति, णवरं विगइवज्जं पारेति । एवं तच्चा वि परिवाडी, णवरं पारणए अलेवाडं पारेति । एवं चउत्था वि परिवाडी, णवरं पारणए आयंबिलेणं पारेति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहणिक्कीलियं तवोकम्मं दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते
SR No.009906
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages220
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size5 MB
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