Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
View full book text
________________
उनकी वे बारह पुस्तके निम्न हैं
नवतत्व
सम्यक्त्वशल्योद्धार चतुर्थ स्तुति निर्णय भाग-१,२ चिकागो प्रश्नोत्तर
ईसाई मत समीक्षा
अज्ञान तिमिर भास्कर
उनके जीवन और कार्यों से संबंधित छह पुस्तकें प्रकाशित हुई है ।
श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी स्मृति ग्रन्थ
नवयुग निर्माता
श्री विजयानंदाभ्युदय महाकाव्यम्
श्री विजयानंद सूरिः जीवन और कार्य
श्री विजयानंद सूरिः वचनामृत (आत्म बोध)
जैन तत्त्वादर्श भाग-१,२ जैन मत वृक्ष
जैन धर्म विषयक प्रश्नोत्तर तत्त्वनिर्णय प्रासाद
जैन धर्म का स्वरूप
श्री विजयानंद सूरि पद संग्रह
श्री विजयानंद सूरिः फाइट फोर ट्रुथ (अंग्रेजी)
श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज की स्वर्गारोहण शताब्दी की सबसे बड़ी और महान यदि कोई उपलब्धी हों तो उनके सम्पूर्ण साहित्य का सरल हिन्दी में पुनः प्रकाशन है । उनका यह साहित्य अत्यन्त जीर्णावस्था में था और प्राचीन ज्ञान भंडारों के अतिरिक्त कहीं उपलब्ध नहीं था। ऐसे में यह कार्य अत्यन्त आवश्यक हो गया था । उनके इस सम्पूर्ण साहित्य के प्रकाशन के लिए 'श्री विजयानंद सूरि साहित्य प्रकाशन फाउंडेशन' की स्थापना की गई जो उनके साहित्य के प्रकाशन का कार्य सुचारू रूप से कर रहा है I
आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज एवं कार्यदक्ष आचार्य श्रीमद् विजय जगच्चन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का ई. सन् १९९३ का चातुर्मास शत्रुंजय- पालीताणा तीर्थ में हुआ ।
पालीताणा न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज की आचार्य पद प्रदान स्थली है । ई. सन् १८८६ में उन्होंने यहां चातुर्मास किया था और चातुर्मास के बाद समग्र भारत के जैन संघों ने मिल कर उन्हें आचार्य पद से विभूषित- अलंकृत किया था ।
इस महातीर्थ के पर्वत पर भगवान आदिनाथ के प्रमुख मंदिर के परिसर में उत्तर दिशा की
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org