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विद्यांकुर
पढना सीखोगे और खान में रहोगे। तुम भी इस का कुछ कुछ भेद जान सकोगे।
शागिर्द-जनाब हम चाहते हैं। कि आप के मुंह से इस पैदाइश का कुछ भेद सुन । ___ उस्ताद-इस सारी पैदाइश का एक ही पैदा करनेवाला है। और वही सब को पालता पोसता है ॥ जो कुछ देखने सुनने और सोचने में आता है। सब इसी पैदाइश में गिना जाता है। कहते हैं कि उसने अपनी पैदाइश में पहले चार तत्व यानो हवा और आग और पानी और मिट्टी को पैदा किया । और फिर जो कुछ कि है सब इन्हीं से बनाया ॥ तत्व उस को कहते हैं जिस में किसी दूसरे का मेल न हो पर इस का ठीक हाल तुम को कुछ और ज़ियादा पढ़ने से मालम होगा क्योकि यूरोपवाले इन को तत्व नहीं मानते इन में दूसरों का मेल बतलाते है। और बेमेल तत्व साठ से ऊपर मानते हैं।
पैदाइश की किसमें जो हो पर इस पैदाइश में सोचकर देखा तो तीन के सिवाय चौथी कोई किस्म दिखलाई नहीं देती यानी पहले जगयुज और अंडज* जीव जन्तु जो जानदार होते हैं। और आप हिल चल सकते हैं ॥ दूसरे उद्भिज बनस्पति या बेल बूटे घास पात फल फल के पेड़ कि वह भी एक किस्म की जान रखते हैं। और तीसरे आकरन जैसे मिट्टी पत्थर लोहा तांबा हीरा पन्ना गंधक हरताल यह अक्सर खानों से निकला करते हैं।
* हिन्दू स्वेटज भी मानते हैं। और कहते है कि वह थाली पसीना से पैदा होते हैं ।
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