Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५६ www.kobatirth.org विद्यांकुर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्वालामुखी पहाड़ कहीं पत्थरों के साथ मिट्टी और सब क़िसम की धात यानी गंधक हरताल नमक कोयला होरा माणिक चांदी सोना लोहा तांबा वगैर भी मिला रहता है । दो सौ से ऊपर इस ज़मीन पर ज्वालामुखी पहाड़ हैं और उन में किसी किसी के भीतर से आग ऐसे ज़ोर से निकलती है। कि उन पहाड़ों को चोटियों से दो दो मील तक ऊंची दिखलायी देती है ॥ आग के साथ गली हुई गंधक वग़ैरः धातें राख और पत्थर भी निकलते हैं । और कामों दूर पर जाकर गिरते हैं | कभी कभी किसी किसी पहाड़ से इतनो राख निकली है कि उस के तले शहर के शहर दब गये हैं । चाल का सबब भी यही ज़मीन के भीतर की आग बतलाते हैं । जब कहीं किसी जलने वाली चीन से मिल कर भीतर ही भीतर भड़क उठती है उस के धक्के से मंचाल आता है । जैसे तोपों की आवाज़ के धक्के से अक्सर मकान हिलने लगता है ॥ हिमालय ज़मीन के सब पहाड़ों से ऊंचा है । यहां तक कि किसी जगह तीस तीस हज़ार फुट से ऊपर यानी पांच For Private and Personal Use Only

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