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विद्यांकुर फायलोंको उद्विज मालम होतोहै। किसी ज़माने में ज़मीन की तह में दब गयो है ॥ इंगलिस्तान में सारे काम इन्हों पत्थर के कोयलां से होते हैं। और खानांके अंदर गाड़ी घोड़े दौड़ते हे ॥ कायलों को खान के मुंह पर ले आते हैं । तब कलां से ऊपर खींच लेते हैं । कोयले की खान क्या है गोया ज़मीन के अंदर एक शहर बसता है। यह भी वहां देखने के लाइक तमाशा है।
चिकनी मिट्री जो जमीन से निकलती है उसके घड़े मटके हाड़ियां पियाले सुराही बहुत किसम के बरतन और खपरे ईट बनाते हैं। और उसमें एक तरह का पीसा हुआ पत्थर मिलाकर चीनी का बरतन तय्यार करते हैं ।
नदो पहाड़ से और भोली से भी नदियां निकलती है। और फिर आपस में मिल मिला कर बहते बहते समुद्र में जा गिरतो हैं | पहाड़ में जहां से पानी भरता है। झरना कहलाता है। बड़ी नदियों में धएँ क नाव और बाको में मामलो नाव डांगे पिनस पटैली मेोरपंखो घडदौड़ छोप उलाक पनसायो पल वार भौलिया बजरे कटर कच्छे चला करते हैं। और नदियोंसे काट कर नहरें निकाल कर खेत सोचते हैं ॥ नदियों का पानी माठा हाता है । जहां नदियां नहीं वहां कूआ बावनों तालाब खेादा जाता है ॥ का कोई मोठा केाई खारा होता है। जिस में नीचे उतरने का सोढियां लगी है। वह कूआ बावली कहलाता है।
समुद्र शागिर्द -जो सब नदियों का पानी समुद्र में जाया करता है बढ़ते बढ़तेकिसी न किसी दिन वह सारी जमीन को दुबा देगा।
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